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गुरुवार, 2 अगस्त 2012

रांची में बाइकर्स गिरोह का आतंक

रांची में इन दिनों झपट्टामार या बाइकर्स गिरोह का आतंक छाया हुआ है. आमलोग सड़कों पर चलते हुए भयभीत रहते हैं की पता नहीं कब बाइक पर सवार अपराधी आयें और उनकी कोई कीमती चीज झपट्टा मार कर ले जाएं. आये दिन इस गिरोह की वारदातें हो रही हैं. किसी के बैग में रखी नकदी. किसी के कान की बाली, किसी का नेकलेस, किसी की मोबाइल छीन चुकी है. पुलिस परेशान है. सांप निकल जाता है. पीटने के लिए लकीर भी नहीं छोड़ता. पुलिस अपराधियों को रंगे हाथ गिरफ्तार करना चाहती है.
दरअसल पुलिस इस गिरोह की सही ढंग से पड़ताल ही नहीं कर पा रही है. पहली बात यह है यह कोई पेशेवर अपराधियों का सुगठित गिरोह नहीं है. इसमें शामिल लड़के संभ्रांत घरों के बुरी संगत में पड़े लड़के हैं जिनमें ज्यादातर ड्रग एडिक्ट हैं. बाप चाहे कितना भी पैसेवाला हो बेटे को ड्रग सेवन के लिए या कॉलगर्ल के साथ रंगरेलियां मनाने  के लिए पैसे नहीं देगा. इस खर्च को पूरा करने के लिए उन्हें इस तरह के रस्ते अपनाने होते हैं.
इतना तय है कि इस गिरोह के लड़के बाइकर्स क्लब से प्रशिक्षित और बाइक चलाने में माहिर हैं. पुलिस यदि शहर में अवैध रूप से चल रहे बाइकर्स क्लब के संचालकों की गर्दन पकडे और उनके यहां के प्रशिक्षित और प्रशिक्षु छात्रों का विवरण प्राप्त कर जांच शुरू करे तो गिरोह तक पहुंचना संभव हो सकता है.
दूसरी बात यह कि शहर की सड़कों पर अक्सर बहुत तेज़ गति से सर्पाकार तरीके से भागते बाइक सवार दिखाई देते हैं. उन्हें कोई ट्राफिक पुलिस  या टोकने की जरूरत नहीं समझती. बीच शहर में ऐसे जानलेवा स्टंटबाजों की नकेल कसी जाये तो अपराधियों तक पहुंचा जा सकता है.
अभी यह स्पस्ट नहीं है कि बाइकर्स क्लब के संचालक ही इन झपट्टामारों का नेतृत्व कर रहे हैं या बिगड़े लड़कों नें स्वयं छोटे-छोटे गिरोह बना रखे हैं जो अपनी अय्याशी की आर्थिक जरूरतों की पूर्ति  के लिए कभीकभार वारदात कर बैठते हैं. दौलतमंद बाप उन्हें उनकी पसंद की बाइक तो दे चुका होता ही है और उसे इतनी फुर्सत नहीं होती कि बेटे की गतिविधियों पर नज़र रख सके.
यह स्टंटबाज लड़के स्टंट करने के चक्कर में सड़क दुर्घटना का शिकार भी खूब होते हैं. दुर्घटना के बाद ही उनके मां-बाप को पता चल पाटा है कि उनका बेटा क्या करता फिरता रहा है. हां...यदि पुलिस उन्हें झपट्टामारी के मामले में गिरफ्तार करना शुरू कर दे तो ऐसे नवधनाढ्य बापों को कुछ बात समझ में आ सकती है.
वैसे इतना तय है की इस गिरोह के तार नशीली दवाओं के कारोबारियों से किसी न किसी रूप में जरूर जुडती है. पुलिस चाह ले तो इस आतंक का खात्मा हो सकता है और ड्रग माफिया की गर्दन भी नापी जा सकती है.

----देवेंद्र गौतम 

1 टिप्पणी:

  1. गौतम जी नमस्कार...
    आपके ब्लॉग 'खबरगंगा' से लेख भास्कर भूमि में प्रकाशित किए जा रहे है। आज 4 अगस्त को 'रांची में बाइकर्स गिरोह का आतंक' शीर्षक के लेख को प्रकाशित किया गया है। इसे पढऩे के लिए bhaskarbhumi.com में जाकर ई पेपर में पेज नं. 8 ब्लॉगरी में देख सकते है।
    धन्यवाद
    फीचर प्रभारी
    नीति श्रीवास्तव

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