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शुक्रवार, 14 जनवरी 2011

सत्ता संस्कृति और अराजकता

उत्तर प्रदेश की मुख्य मंत्री मायावती ने अपनी ही पार्टी के विधायक पुरुषोत्तम नरेश द्विवेदी की गिरफ्तारी का आदेश दे दिया है. वे बांदा जिले के  नारायणी विधान सभा के विधायक हैं. उनपर १४ साल की एक नाबालिग लड़की का  सामूहिक बलात्कार करने का आरोप है. घटना १२-१३ दिसम्बर की है. यूपी में इससे पहले भी सत्ताधारी दल के दो विधायक अपहरण और बलात्कार के आरोप में जेल की हवा खा चुके हैं. बिहार में ४ जनवरी को यौन उत्पीडन की शिकार महिला शिक्षिका रूपम पाठक ने पूर्णिया के भाजपा विधायक राजकिशोर केशरी को दिनदहाड़े चाकू घोंपकर मार डाला. उपमुख्यमंत्री शुशील मोदी ने महिला के विरुद्ध विवादास्पद बयान देकर सत्तापक्ष को संकट में डाल दिया था. मुख्यमंत्री नीतीश ने मामले की सीबीआई जांच की अनुशंसा कर जनाक्रोश को नियंत्रित किया. अभी भी रूपम पाठक के पक्ष में कई संगठन सड़कों पर उतर आये हैं. रूपम के साथ पिछले तीन वर्षों से जबरदस्ती की जा रही थी. विधायक के पीए विपिन राय ने उनका जीना हराम कर डाला था. रूपम के मुताबिक वह अपने दोस्तों के साथ आ धमकता था और सामूहिक  यौन शोषण करता था. उसकी बुरी नज़र रूपम पाठक की बेटी पर भी थी और जब वह उसे उठा लेने की धमकी देने लगा तो रूपम के पास मरने-मारने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा. उसने २८ मई २०१० को विधायक और उसके पीए के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई थी लेकिन सुशील  मोदी के दबाव के कारण पुलिस ने  कोई कार्रवाई नहीं की.
ये घटनाएँ बताती हैं की भारतीय लोकतंत्र में किस तरह की सत्ता संस्कृति पनप रही है. सत्ताधारी लोग राजनैतिक ताक़त का गलत इस्तमाल कर रहे हैं. किसी कायदे-कानून को नहीं मानते. जब सत्ता में बैठे लोग ही कानून तोड़ेंगे. जनता पर जुल्म ढाएँगे और उसे न्याय नहीं मिलने देंगे तो जनता क़ानून को हाथ में लेने को विवश होगी ही. यदि सत्ता का आचरण नहीं सुधरता तो इस देश को अराजकता की ओर जाने से कोई नहीं रोक सकेगा.

पंकज त्रिपाठी बने "पीपुल्स एक्टर"

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