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सोमवार, 30 मई 2022

कपूत


 

-हलो!

-जी कहिए।

-मैं अस्पताल से बोल रहा हूं।

-जी…।

-आपकी माता जी का देहांत हो गया है। एक्सीडेंट केस था। पोस्टमार्टम कराना होगा। आप आ रहे हैं क्या?

-मैं तो मुंबई आ गया हूं। बहुत व्यस्त हूं। आप पोस्टमार्टम कराइए।

-आपके परिवार का कोई मौजूद नहीं हैं।

-तीन लोग हैं। सब एक्सीडेंट में घायल हो गए थे। इलाज के बाद घर मे पड़े हैं। आने की हालत में नहीं हैं।

-जी…आप आ जाते तो अच्छा रहता। अंतिम संस्कार भी तो करना होगा।

-मैं बहुत व्यस्त हूं। फिर भी देखता हूं। रिजर्वेशन मिल जाए तो आ जाउंगा।

अगले दिन अस्पताल से फिर फोन गया।

-हलो!

-जी कहिए।

-आपकी माताजी का पोस्टमार्टम हो गया। बॉडी ले जाइए।

-रिजर्वेशन नहीं मिल पा रहा है। काम भी बहुत है। अभी निकलने पर बहुत बड़ा कांट्रैक्ट हाथ से निकल जाएगा। आप बॉडी को रोक के रखिए।

तीन दिन गुजर गए। बॉडी लेने कोई नहीं आया। अस्पताल के रिशेप्सनिस्ट ने सीएमओ से परामर्श के बाद फिर फोन किया।

-हलो!

-जी…।

-आपकी माताजी की बॉडी तीन दिन से पड़ी है उसे ले जाकर अंतिम संस्कार कर दीजिए।

-अरे भाई! रिजर्वेशन मिल नहीं रहा है और कांट्रैक्ट भी फाइनल स्टेज में है। क्या करूं समझ में नहीं आता।

-आप कल तक नहीं आते तो हम बॉडी को पुलिस के हवाले कर देंगे। वह लावारिश लाश की तरह अंतिम संस्कार कर देगी।

-यही ठीक रहेगा। जाने वाला तो चला गया। कोई अंतिम संस्कार करे क्या फर्क पड़ता है।

नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के किरदार में नज़र आएंगे प्रिंस सिंह राजपूत

 


भोजपुरी फिल्म ल्म 'भारत माता की जय' का मुहूर्त संपन्न


 


स्वाधीनता आंदोलन के लीजेंड नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को लेकर पहली बार भोजपुरी फ़िल्म का निर्माण किया जा रहा है। इस फ़िल्म का नाम है - भारत माता की जय। इस फ़िल्म का भव्य मुहूर्त आज मुंबई में सम्पन्न हो गया। इस मौके पर फ़िल्म में नेता जी के किरदार में नज़र आने वाले प्रिंस सिंह राजपूत, अभिनेत्री पायस पंडित, निर्माता सतीश पोद्दार, निर्देशक सुजीत कुमार सिंह व फ़िल्म इंडस्ट्री के जाने माने लोग उपस्थित रहे। जहां सबों ने फ़िल्म के कॉन्सेप्ट की सराहना की।

अभिनेता प्रिंस सिंह राजपूत ने कहा कि यह फ़िल्म मेरे लिए बेहद अहम है। भोजपुरी में पहली बार इतिहास को लेकर कोई फ़िल्म बन रही है, जिसमें मेरा किरदार शानदार है। हम फ़िल्म में पूरा दम लगाने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि इस फ़िल्म के माध्यम से हमारे देशभक्ति के आदर्शों को दिखाने की कोशिश होगी। इसके लिए हम खूब मेहनत कर रहे हैं। हमारी फ़िल्म की शूटिंग यूपी में होगी। 

वहीं, अभिनेत्री पायस पंडित ने कहा कि भारत माता हम सभी देशवासियों का गुरुर है। भारत माता के लिए महिलाएं भी जागरूक हैं। फ़िल्म 'भारत माता की जय' देशभक्ति से ओतप्रोत होने वाली फिल्म है, जो देश के हर लोगों को देखना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस फ़िल्म से जुड़कर बेहद गौरवान्वित महसूस कर रही हूं। 


आपको बता दें कि एम एस ब्राइट सन  प्रस्तुत फ़िल्म 'भारत माता की जय' के निर्माता सतीश पोद्दार हैं। निर्देशक सुजीत कुमार सिंह हैं। पीआरओ संजय भूषण पटियाला हैं। संगीत मधुकर आनंद हैं। डीओपी प्रमोद पांडेय है। लेखक एस के चौहान हैं। फ़िल्म का संगीत देशभक्ति वाला होगा, जो लोगों के रोंगटे खड़े कर देंगे। लीगल एडवाइजर धर्म मिश्रा , ड्रेस डिजाइनर कविता सुनीता और एक्शन प्रदीप खड़का का होगा।

द लीजेंड फिल्म रिलीज होने को तैयार

 'गीतिका' द लीजेंड हीरोइन का चेहरा सामने आ गया, यह एक ज्ञात तथ्य है कि अभिनेता सरवनन अरुल अगली बार द लीजेंड नामक फिल्म में दिखाई देंगे।  जेडी-जेरी द्वारा निर्देशित यह फिल्म लॉन्च होने के बाद से ही चर्चा का विषय बन गई है।


अब सरवन, जो फिल्म के निर्माता भी हैं, उन्होंने इस रविवार को चेन्नई के जवाहरलाल नेहरू इंडोर स्टेडियम में एक भव्य ऑडियो रिलीज कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बनाई है, और इस कार्यक्रम में करीब दस-सेलेब्री भी शामिल होंगी।

इस फिल्म के साथ उन्हें एक बड़ी लॉन्चिंग मिल रही है और ये खबर जल्द ही सामने आएगी.  द लीजेंड में नासर, प्रभु, विवेक, योगी बाबू उर्वशी और अन्य भी प्रमुख भूमिकाओं में हैं।  हरीश जयराज इस अखिल भारतीय फिल्म के संगीत निर्देशक हैं, जो जल्द ही सिनेमाघरों में रिलीज होगी।

रविवार, 29 मई 2022

क्लाइमेक्स

 

देवंद्र गौतम

मंदोदरी रावण को समझा रही थी-महाराज! यह युद्ध हमपर बहूत भारी पड़ रहा है। एक-एक करके आपके सभी भाई। मेरे सभी बेटे शहीद हो गए। लाखों सैनिकों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी। विभीषण शत्रु पक्ष से जा मिला है। अब राजकुल में सिर्फ आप बचे हैं। सिर्फ एक सीता के लिए इतना नुकसान उठाया? वापस कर देते तो बात वहीं खत्म हो जाती।

-तुम क्या समझती हो मंदोदरी! यह युद्ध सीता के लिए हो रहा है? बिल्कुल नहीं। यह राक्षस जाति के स्वाभिमान और अस्तित्व की लड़ाई है। सूर्पनखा की नाक काटकर उन्होंने पूरी राक्षस जाति का अपमान किया था। उसका बदला मैंने सीताहरण कर के लिया। सीता को उठाकर हमने सिर्फ प्रतिशोध लिया था। इसीलिए उसे सिर्फ बंदी बनाकर रखा। उसके साथ कोई दुर्व्यवहार नहीं किया।

-मैं मानती हूं। लेकिन समझौता तो हो सकता था।

-नहीं हो सकता था। समझौता और उन वनवासियों से? असंभव। लेकिन यह भी सच है कि मैंने कभी सोचा नहीं था कि ये वनवासी बंदर-भालू की फौज लेकर यहां तक आ जाएंगे और हमसे युद्ध लड़ने का दुःसाहस करेंगे। राक्षस जाति के सबसे शक्तिशाली राजा से? देवता भी जिसकी दरबानी करते हैं उस रावण से?

-मेरे प्राणपति! मेरी बात मानिए वह कोई साधारण वनवासी नहीं हैं। अयोध्या के राजकुमार हैं। उनके अंदर कोई दैवी शक्ति है। नहीं तो आप ही बताइए अहिरावण और इंद्रजीत जैसे योद्धाओं को कोई हरा सकता था क्या?

-ठीक है…वह चमत्कारी पुरुष ही सही। उसके भेष में मेरे आराध्य शिव ही क्यों न हों लेकिन जातीय स्वाभिमान यही कहता है कि युद्ध के मैदान से या तो जीतकर लौटो या फिर शहीद होकर। कम से कम कोई कायर तो नहीं कहेगा। अब समझौता करने का मतलब होगा कि हमने अपने स्वार्थ में, अपनी कामवासना से वशीभूत होकर अपने बंधु-बांधवों का वध करवा दिया और स्वयं घुटने टेककर अपनी जान बचा ली। अभी तक युद्ध जीतकर अपनी कौम का मान बढ़ाता रहा हूं अब शहीद होकर अपनी राक्षस जाति को यह संदेश दूंगा कि मैं अपनी कामवासना के लिए नहीं देश और समाज के स्वाभिमान के लिए लड़ रहा था। इतिहास मेरे किरदार को किस रूप में लिखेगा पता नहीं है लेकिन अब या तो जीत का सेहरा बांधूंगा या कफन पहन लूंगा।

-मैं परिणाम जानती हूं। लेकिन सोलह श्रृंगार करके आपको विजय का तिलक लगाकर युद्ध के मैदान में भेजूंगी। आप पूरी ताकत से लड़िए लेकिन विभीषण से सावधान रहिएगा। वह आपके सारे भेद जानता है।

-हो सकता है मेरा कोई भेद ही युद्ध को इसके अंत की ओर ले जाए।

गुरुवार, 26 मई 2022

राजमुकुट

 

-देवेंद्र गौतम

विभीषण दरबार से लौटकर अपने कपड़े बदल ही रहे थे कि उनके मोबाइल की घंटी बजी। उन्होंने फोन उठाया तो उधर से आवाज़ आई-लंकापति विभीषण को मेरा नमस्कार।

-कौन बोल रहे हैं आप? लंकापति मैं नहीं रावण हैं।

-मैं रामभक्त हनुमान हूं। आपसे मिलना चाहता हूं।

-समझ गया। आ जाइए लेकिन ध्यान रखिएगा सीसीटीवी से और गुप्तचरों की नज़र से बचकर आना है।

-आपके द्वारपाल की भी नज़र नहीं पड़ेगी। आप निश्चिंत रहिए।

-ठीक है सीधे मेरे विशेष मेहमान खाने में आ जाइए।

विभीषण सोच में पड़ गए। कौन हो सकता है? लंका तो ऊंची दीवारों से घिरा हुआ नगर है। बिना अनुमति कोई अंदर नहीं आ सकता। जरूर यह कोई मायावी जीव है जो सबको चकमा देकर अंदर आ गया लेकिन मुझसे क्या चाहता है? खैर उससे मिलने पर ही पता चलेगा।

थोड़ी देर बाद विशेष मेहमानखाने में अचानक हनुमान प्रकट हुए। अभिवादन के आदान-प्रदान के बाद पूछा-आप नगर प्रहरी को चकमा देकर लंका में कैसे प्रविष्ट हो गए?

-प्रविष्ट ही नहीं हुआ पूरे नगर का कई बार निरीक्षण भी कर चुका हूं। मैं परमाणु की तरह सूक्ष्म रूप धारण करने की विद्या जानता हूं। उड़ना भी जानता हूं। सूक्ष्म रूप में आया और तीन दिनों से घूम रहा हूं। रावण के दरबार में भी गया था। सारी कार्यवाही देखी। सबकी बात सुनी। आप रावण को सही सलाह दे रहे थे लेकिन वह मान नहीं रहा था। मैं समझ गया कि राक्षस कुल में जन्म लेकर भी राक्षसी स्वभाव के नहीं हैं, संत वृत्ति के हैं। इसीलिए आपसे मिलने आ गया।

-आप उसी राम के दूत हैं न जिसके भाई लक्ष्मण ने बहन सूर्पनखा की नाक काटी थी और जिसकी पत्नी को लंकापति हरण करके लाए हैं?

-जी…उसी राम का भक्त हूं मैं। सूर्पनखा…।

-उस प्रकरण को छोड़िए मैं जानता हूं सूर्पनखा ने क्या किया होगा…। अभी मुझसे क्या चाहते हैं?

-आपको हमने लंकापति मान लिया। आप हमारे मददगार बन जाइए। विश्वास रखिए हम रावण को पराजित करके आपका राज्याभिषेक करेंगे और सीता को लेकर वापस लौट जाएंगे।

-सत्ता किसे नहीं चाहिए। लेकिन जान लीजिए कि रावण बहुत शक्तिशाली है। बहुत सारी सिद्धियां हैं उसके पास। उसे हराना आसान नहीं है।

-आप विश्वास कीजिए राम साक्षात विष्णु के अवतार हैं। उनके पास बहुत तरह की शक्तियां हैं। वे रावण का नाश कर देंगे।

-रावण मेरा बड़ा भाई है। विद्वान है लेकिन कुकर्मी है। अहंकारी है। जनता को चमक-दमक दिखाता है लेकिन उसके दुःख-दर्द को नहीं समझता। मैं उसे बिल्कुल पसंद नहीं करता। समझाने की बहुत कोशिश करता हूं लेकिन वह उल्टे डांट-डपट कर देता है।

-जानता हूं। इसीलिए आपको राम की मदद करने को कह रहा हूं।

-अभी क्या मदद चाहते हैं?

-आप बस ये बताइए कि उसने सीता को कहां रखा है। बाकी मैं देख लूंगा।

-यह पता नहीं चलना चाहिए कि मैंने पता बताया है।

-बिल्कुल पता नहीं चलेगा कि आप लंका में हमारे एकमात्र शुभचिंतक हैं आपको किसी तरह का नुकसान नहीं होने देंगे। आप हमारे आदमी हैं। एकदम निश्चिंत रहिए।

विभीषण ने हनुमान जी के मोबाइल में अशोक वाटिका का लोकेशन भेज दिया। हनुमान जी सूक्ष्म रूप में उसी लोकेशन पर निकल गए। उनके जाने के बाद विभीषण कुछ देर खयालों में डूबे रहे फिर आईने के सामने आकर खड़े हो गए। मन ही मन कल्पना करने लगे कि जब उनके सिर पर लंकाधिराज का मुकुट होगा तो वे कैसा दिखाई पड़ेंगे।

बांग्लादेशी मॉडल की ओर बढ़ता देश

  हाल में बांग्लादेश का चुनाव एकदम नए तरीके से हुआ। पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के नेतृत्व वाली मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार...