संदर्भ : मिशनरी संस्थाओं की करतूत
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नवल किशोर सिंह
रांची। पीड़ित मानवता की सेवा की आड़ में मिशनरीज संस्थाओं के कुकृत्यों से मानवता शर्मसार हुई है। इसाई मिशनरीज से जुड़ी संस्थाओं का चेहरा बेनकाब हो गया है। मिशनरीज के अनैतिक कार्यों की परत-दर-परत कलई खुल रही है। हाल के दिनों में खूंटी के अड़की प्रखंड के कोचांग में सामुहिक दुष्कर्म, पत्थलगड़ी का आतंक, दुमका के शिकारीपाड़ा में धर्म परिवर्तन कराने के मामले में इसाई मिशनरीज की संदिग्ध गतिविधियों से संबंधित संस्थाओं का चेहरा बेनकाब हुआ ही था, कि कोख की सौदेबाजी और नवजात शिशुओं की खरीद-फरोख्त के मामले ने तो मानवता की सारी हदें पार कर दी। यही नहीं, मानवता की प्रतिमूर्ति मदर टेरेसा की संस्था मिशनरीज आफ चैरिटी और निर्मल ह्रदय के कार्य कलापों पर बदनुमा धब्बा लगा दिया है। सामाजिक संस्था की आड़ में दुष्कर्म व यौन शोषण की पीड़िताओं को सहारा देने के नाम पर उनके कोख का सौदा किया जाना, नवजात शिशुओं की बिक्री कर धनोपार्जन करने जैसे अनैतिक कार्यों को अंजाम देने की घटना से हर तबके का समाज स्तब्ध है। लोगों ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि सेवा और त्याग की प्रतिमूर्ति मदर टेरेसा द्वारा मानवता की सेवा के लिए स्थापित संस्था मानव विरोधी गतिविधियों में लिप्त होकर अवैध कमाई का जरिया बन जाएगी। यह साफ हो चुका है कि संस्था के निर्मल ह्रदय और शिशु सदन में विगत कई वर्षों से बड़े पैमाने पर कोख की सौदेबाजी का अनैतिक धंधा जारी था। हद तो तब हो गई जब इस गोरखधंधे के खिलाफ आवाज उठाने वाले बाल कल्याण समिति के तत्कालीन अध्यक्ष डा.ओम प्रकाश सिंह को भी इसका कोपभाजन बनना पड़ा। उन्होंने वर्ष 2015 में डोरंडा स्थित शिशु भवन का निरीक्षण व जांच करने की कोशिश की तो उल्टे उनपर छेडख़ानी का आरोप लगाते हुए उन्हें बर्खास्त करवा दिया गया। इससे यह सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि इस अवैध धंधेबाजों की भी सत्ता के गलियारों में पैठ कितनी गहरी है। इसमें सफेदपोशों की संलिप्तता से भी इंकार नहीं किया जा सकता। यहां गौर करनेवाली बात यह भी है कि राज्य में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार है, जिसे मिशनरीज समर्थक तो नहीं ही कहा जा सकता है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि इस अवैध धंधे को इतने दिनों से अंजाम दे रहे ये कौन लोग हैं, जिन पर सरकारी तंत्र का शिकंजा नहीं कसा जा सका। कहा जाय तो सरकारी मिशनरी किंकर्तव्यविमूढ़ बनी रही। चौंकाने वाली बात यह भी है कि बाल कल्याण समिति के समक्ष संस्थाओं की ओर से गलत आंकड़े प्रस्तुत किए गए। जब्त दस्तावेजों के आधार पर पता चला कि वर्ष 2015 से 2018 (जून माह तक) के बीच निर्मल हृदय और शिशु भवन में कुल 450 गर्भवती भर्ती कराई गई। इनमें से मात्र 170 की ही प्रसव रिपोर्ट सीडब्ल्यूसी के समक्ष प्रस्तुत किए गए। शेष 280 मामलों में क्या हुआ ? इस संबंध में कुछ भी नहीं बताया गया। प्राप्त जानकारी के मुताबिक इस मामले का एक दिलचस्प पहलू यह भी है कि वर्ष 2016 में खुफिया विभाग की ओर से इस गोरखधंधे की रिपोर्ट देते हुए सरकारी तंत्र को आगाह किया गया था, आशंका जताई गई कि इनमें से अधिसंख्य शिशुओं का सौदा विदेशों में कर उनका धर्मांतरण किया गया है। अब इस अवैध धंधे का खुलासा होने पर यह जानकारी मिल रही है कि मिशनरीज आफ चैरिटी ने झारखंड के शिशुओं को आंध्रप्रदेश, कोलकाता, तमिलनाडु, केरल सहित देश के अन्य मिशनरीज में उन्हें भविष्य के फादर, नन या सिस्टर के रूप में प्रशिक्षण देकर तैयार करने के लिए भेज दिया है।
मानवता को शर्मसार करनेवाली इस घटना ने समाज को झकझोर कर रख दिया है।
बहरहाल, मामले का खुलासा होने के बाद मुख्यमंत्री ने इसे गंभीरता से लेते हुए इन संस्थाओं की गतिविधियों की जांच के आदेश तो दे दिए हैं, लेकिन इस अवैध धंधे से जुड़े सफेदपोशों पर शिकंजा कसने में सरकारी तंत्र कहां तक सफल हो पाएगा, यह देखना है। मामले की तह तक जाकर ईमानदारी से जांच हो तो कई सफेदपोशों के भी चेहरे से नकाब उतर जाएंगे। जरूरत है ऐसे मानवता विरोधी कार्यों में लिप्त लोगों पर शिकंजा कसने की।

