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शुक्रवार, 16 अगस्त 2019

झारखंड में चालू वित्त वर्ष में 4740.57 करोड़ का कर संग्रहः प्रशांत कुमार

★फेक ट्रांजेक्शन पर निगरानी के लिए राज्य में इंटेलीजेंस सेल का गठन

★कारोबारियों को कर में छूट समेत दी जा रही हैं कई रियायतें

★निबंधन, कर भुगतान, विवरणी दाखिला और प्रपत्र निर्गमन के लिए आनलाइन सिस्टम, कारोबारियों को हो रही काफी सहूलियत
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★वाणिज्य कर विभाग के सचिव प्रशांत कुमार ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया =================


रांची। कारोबार को बढ़ावा और कारोबारियों का हित सरकार की विशेष प्राथमिकता है. इसलिए कारोबार के माहौल को बेहतर से बेहतर करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं. आज झारखंड में कारोबार को लेकर व्यवसायियों और व्यवसायिक संगठनों का भी सकारात्मक सपोर्ट मिल रहा है. वाणिज्य कर विभाग के सचिव  प्रशांत कुमार ने आज सूचना भवन में संवाददाता सम्मेलन में ये बातें कही. उन्होंने कहा कि कारोबारियों को टैक्स कंप्लांयस में राहत देने पर विभाग का विशेष फोकस है. इसके तहत निबंधन, कर भुगतान, विवरणी दाखिलाऔर प्रपत्र निर्गमन को आनलाइन कर दिया गया है. इसके साथ व्यवसायियों को कर में छूट समेत कई अन्य रियायतें दी जा रही है.

टैक्स कलेक्शन में 28.57 प्रतिशत का इजाफा

वाणिज्य कर सचिव ने बताया कि टैक्स कलेक्शन में लगातार इजाफा हो रहा है. चालू वित्तीय वर्ष (2019-20) में जुलाई माह तक 4740.57 करोड़ टैक्स कलेक्शन हो चुका है, जो पिछले वित्तीय वर्ष (2018-19) की इसी अवधि की तुलना में 28.57 प्रतिशत ज्यादा है. इसमें जीएसटी क्लेक्शन 3268.51 करोड़ औऱ नॉन जीएसटी कलेक्शन 1472 करोड़ रुपए है. नॉन जीएसटी कलेक्शन में लगभग 72 प्रतिशत की ग्रोथ दर्ज की गई है. विभाग ने चालू वित्तीय वर्ष में 16,700 करोड़ रुपए राजस्व संग्रह का लक्ष्य रखा है.
व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए की गई पहल
श्री कुमार ने बताया कि व्यवसायों को बढावा देने पर विशेष फोकस है. इसके अंतर्गत पिछले साढ़े चार सालों के दौरान विभाग की ओर से कई निर्णय लिए गए हैं. एक ओऱ जहां मेगा आईटी इकाईयों और रिन्यूबल एनर्जी सोर्स से ऊर्जा उत्पादन करने वाले ऊर्जा संयंत्रों को विद्युत देयता में 50 प्रतिशत तक विद्युत शुल्क में छूट दी गई है. सोलर पावर प्लांट के अधिष्ठापन को बढ़ावा देने के लिए प्रयोग में आने वाले उपकरणों को टैक्स फ्री कर दिया गया है तो दो करोड़ रुपए तक के वार्षिक सकल आवर्त करने वाले व्यवसायियोंको कर निर्धारण से छूट दी गई है. इसके साथ माल औऱ सेवा कर प्रणाली के तहत निबंधन हेतु सकल आवर्त की सीमा 20 लाख से बढ़ाकर 40 लाख कर दी गई है.

कई सामानों पर टैक्स की दर में कमी से मिली राहत

विभाग द्वारा कई सामानों पर टैक्स की दर में कमी किए जाने का फायदा कारोबारियों के साथ आम लोगों को भी मिल रहा है. इसके तहत घर और फ्लैट्स पर जीएसटी की दर को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत, स्कूली बैग पर टैक्स की दर को 28 से घटाकर 18 प्रतिशत, इंसुलिन पर कर की दर को 12 से घटाकर 5 प्रतिशत, रेस्टोरेंट में टैक्स की दर को 18 से घटाकर 5 प्रतिशत, सिनेमाघरों में 100 रुपए से अधिक की टिकटों पर कर की दर को 28 से घटाकर 18 प्रतिशत और उससे कम की टिकट पर 5 प्रतिशत कर और सैनिटरी नैपकिन को कर मुक्त कर दिया गया है.

1,82,696 कारोबारियों का हो चुका निबंधन

वाणिज्य कर सचिव ने बताया कि 1 जुलाई 2017 से झारखंड में माल एवं सेवा कर प्रणाली (जीएसटी) लागू है. राज्य में अबतक 1,82,696 व्यवसायी निबंधन करा चुके हैं, जबकि 2017 में निबंधित कारोबारियों की संख्या 1,07,280 थी. उन्होंने बताया कि जीएसटी से संबंधित जानकारी देने के लिए राज्य स्तर पर टॉल फ्री कॉल सेंटर -18003457020 कार्य कर रहा है. इसके अलावा व्यवसायियों, कर दाताओं, अधिवक्ताओं, चैंबर आफ कॉमर्स के पदधारकों को समय-समय पर प्रशिक्षण भी दिया जाता रहा है. मुनाफाखोरी को रोकने के लिए राज्यस्तरीय स्क्रीनिंग समिति भी बनाई गई है.

फेक इनवॉयसेज के 43 मामले आए हैं सामने

वाणिज्य कर सचिव ने बताया कि जीएसटी लागू होने के बाद से कुछ फर्म फेक ट्रांजेक्शन कर टैक्स चोरी कर रहे हैं. ऐसे मामले राष्ट्रीय स्तर पर सामने आ रहे हैं. ये फर्म वस्तु का क्रय-विक्रय किए बगैर ही फेक ट्रांजेक्शन कर रहे हैं. फेक ट्रांजेक्शन पर लगातार निगरानी रखी जा रही है. अबतक 43 मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें 25 मामलों में प्राथमिकी दर्ज की गई है और बाकी मामलों में अनुसंधान चल रहा है. इस तरह के मामलों की निगरानी के लिए राज्य में इंटेलीजेंस सेल का गठन किया गया है.

संवाददाता सम्मेलन में ज्वाइंट कमिश्नर आफ स्टेट टैक्स शिवचंद्र भगत और शिव सहाय सिंह, स्टेट टैक्स आफिसर श्री ब्रजेश और सूचना एवं जनसंपर्क के निदेशक रामलखन प्रसाद गुप्ता सहित अन्य मौजूद थे.

गुरुवार, 8 अगस्त 2019

इंडस्ट्रियल हब बनने की दिशा में बढ़े झारखंड के कदमः के शिवकुमार

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★ बिजनेस रिफॉर्म एक्शन प्लान की 2017 की रैंकिंग में झारखंड पहले स्थान पर, 2014 में 24वें स्थान पर था

★ निवेशकों को सरकार दे रही है कई सुविधाएं

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रांची। इंडस्ट्रियल हब बनने की राह पर झारखंड के कदम बढ़ चुके हैं. राज्य में औद्योगिक विकास का माहौल तैयार करने के लिए पिछले साढ़े चार सालों में सरकार द्वारा किए गए अथक प्रयासों का नतीजा है कि आज देश-विदेश के निवेशक यहां उद्योग लगाने के लिए आगे आ रहे हैं. उद्योगों की स्थापना से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार मिल रहा है. उद्योग विभाग के सचिव  के रवि कुमार ने आज सूचना भवन में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए ये बातें कही.

उन्होंने बताया कि वर्तमान में यहां 3217 औद्योगिक इकाईयां हैं, जबकि 2015 में इसकी संख्या 2500 थी. इसके साथ उद्योग आधार पोर्टल पर 8997 लघु एवं मध्यम औद्योगिक इकाईय़ों निबंधित हैं. श्री कुमार ने बताया कि औद्योगिक विकास के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का नतीजा है कि भारत सरकार औऱ विश्व बैंक द्वारा बिजनेस रिफॉर्म एक्शन प्लान के अंतर्गत जारी किए जाने वाली रैंकिंग में झारखंड पहले स्थान पर (2017) पर है, जबकि 2014 में योजना आयोग की रैंकिंग में झारखंड 24 वें स्थान पर था.

जियाडा के गठन से औद्योगिक विकास को मिली गति

उद्योग विभाग के सचिव के रविकुमार ने बताया कि झारखंड औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकार  (जियाडा) के वजूद में आने के बाद औद्योगिक विकास को गति मिली है. इसके अंतर्गत उद्योगों के लिए भूमि और औद्योगिक क्षेत्र में फैक्ट्री स्थापित करने के लिए आनलाइन स्वीकृति दी जा रही है. उन्होंने बताया कि जियाडा के अंतर्गत स्वामित्व या प्रोमोटर में परिवर्तन के फलस्वरुप 115 रुग्ण और बंद इकाईयों को चालू किया जा चुका है.

मोमेंटम झारखंड ने औद्योगिक विकास को दिया नया आयाम


श्री कुमार ने बताया कि 2017 में हुए मोमेंटम झारखंड ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट से झारखंड में औद्योगिक विकास को नया आयाम मिला. इसके उपरांत सात चरणों में हुए ग्राउंड ब्रेकिंग समारोह में 504 औद्योगिक परियोजनाओं की आधारशिला रखी गई. इन औद्योगिक इकाईयों के लिए 50,627 करोड़ रुपए का निवेश हुआ और प्रत्यक्ष तौर पर 72,682 लोगों को रोजगार मिला है.

विकास में इस्तेमाल किया जा रहा सीएसआर फंड

उद्योग सचिव ने बताया कि झारखंड देश का पहला ऐसा राज्य है, जिसने झारखंड स्टेट कॉरपोरेट सोशल दायित्व काउंसिल लागू किया है. इसके अंतर्गत सीएसआऱ फंड का इस्तेमाल विकास और कल्याण के क्षेत्र में किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि वर्ष 2015 में काउंसिल के गठन के बाद से अबतक विभिन्न कंपनियों द्वारा सीएसआऱ फंड के तहत 15 सौ करोड़ रुपए से ज्यादा राशि विकास और कल्याण कार्यों में खर्च की जा चुकी है.

ग्रामीण क्षेत्रों में उद्योगों के विकास पर भी विशेष जोर

ग्रामीण क्षेत्रों में उद्योग औऱ उद्यमियों के विकास औऱ प्रोत्साहन पर भी सरकार का विशेष जोर है. उद्योग सचिव ने बताया कि इसके लिए मुख्यमंत्री लघु एवं कुटीर उध्यम विकास बोर्ड और झारखंड माटी कला बोर्ड का गठन किया गया है. इन बोर्डों का काम विभिन्न श्रेणियों के लघु एऴं कुटीर उद्योगों में काम कर रहे लोगों को प्रशिक्षण देने के साथ सहायता उपलब्ध कराना है. मुख्यमंत्री लघु कुटीर उद्यम विकास बोर्ड एवं जिडको के माध्यम  लाह उद्योग के लिए रांची के बुंडू,  हनी प्रॉसेसिंग  के लिए लोहरदगा के कुडू,  गोल्ड एवं सिल्वर ज्वेलरी के लिए रामगढ़ और लाह उद्योग के लिए सिमडेगा के कामडारा में कलस्टर का निर्माण किया जा रहा है. इसके अलावा दुमका में स्टोन क्राफ्ट एवं  एग्रीकल्चर कलस्टर और हजारीबाग में ब्रास ब्रांज यूटेन्सिल्स कलस्टर खोलने को स्वीकृति मिल चुकी है.

औद्योगिक विकास के लिए उठाए जा रहे ये कदम भी महत्वपूर्ण...एक झलक में...

★टेक्सटाइल इंडस्ट्री की स्थापना हेतु रांची के होटवार, चकला एवं दरदाग औद्योगिक क्षेत्र, कुल्ही औद्योगिक क्षेत्र, कोइळरी औद्योगिक क्षेत्र, सिल्क पार्क, ईरबा में भूमि का आवंटन

 ★जमशेदपुर के आदित्यपुर में कॉमन इफिसिएंट ट्रीटमेंट प्लांट बनाया गया है और रांची के तुपुदाना में सीईटीपी निर्माणाधीन है.

★राज्य से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए 44 करोड़ से बनने वाले विश्व ट्रेड सेंटर को केंद्र सरकार से स्वीकृति मिल चुकी है.

★रांची में सेंट्रल इंस्टीट्यूट आफ प्लास्टिक इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी की स्थापना की गई है

★झारखंड इंस्टीट्यूट आफ क्राफ्ट एंड डिजाइनिंग की स्थापना करने की प्रक्रिया शुरु हो चुकी है.

★देवघर प्लास्टिक पार्क बनाने का कार्य इस माह प्रारंभ हो जाएगा

★आमदा खादी पार्क शुरु चुका है, जबकि दुमका में दुधानी खादी पार्क निर्माणाधीन है.

★झारखंड एमएसएमई और स्टार्टअप वेंचर फंड की चालू वित्तीय वर्ष में शुरुआत कर दी जाएगी

★रांची में फार्मा पार्क और धनबाद में लेदर पार्क की परियोजना को सैद्धांतिक स्वीकृति

★रांची के नामकुम में आईटी टावर बनाने का कार्य प्रगति पर

★झारखंड फूड प्रॉसेसिंग की 73 इकाईयों पर लगभग 501 करोड़ रुपए का निवेश

इस मौके पर सूचना एवं जन संपर्क विभाग के निदेशक रामलखन प्रसाद गुप्ता समेत अन्य मौजूद थे.

बुधवार, 24 जुलाई 2019

झारखंड के व्यापारियों का 50 सदस्यीय दल यूरोपीय देशों की यात्रा पर


बाबूलाल प्रेमकुमार के सौजन्य से वस्त्र बिक्रेताओं को किया रवाना


रांची। झारखंड में वस्त्र व्यवसाय में अग्रणी बाबूलाल प्रेमकुमार के सौजन्य से वस्त्र बिक्रेताओं का 50 सदस्यीय दल पंकज पोद्दार के नेतृत्व में यूरोपीय देशों के 10 दिवसीय दौरे पर रवाना हुआ। वस्त्र बिक्रेताओं का दल इस दौरान इटली, क्रोशिया वह स्लोवेनिया के रमणीक स्थलों का भ्रमण करेगा। इस संबंध में बाबुलाल प्रेमकुमार के राहुल अडुकिया ने बताया कि झारखंड के वस्त्र व्यवसाय के व्यापारियों ने सूटिंग वह शर्टिंग के स्कीम में भाग लिया और जिन्होंने टारगेट पूरा किया, वैसे चयनित व्यापारियों को विदेश यात्रा पर भेजा गया है। उन्होंने बताया कि प्रतिष्ठान की ओर से हर वर्ष स्कीम के तहत व्यापारियों को विदेश यात्रा पर भेजा जाता है। उन्होंने बताया कि प्रतिष्ठान की ओर से जून 2020 में चार चरणों की ज्योतिर्लिंग यात्रा पर सफल व्यापारियों को भेजा जाएगा।

रविवार, 7 जुलाई 2019

सीएम ने किया वृहत वृक्षारोपण अभियान का शुभारंभ

रांची स्थित जुमार नदी के तट से शुरू हुआ अभियान
राज्य के 24 जिला, 44 नदी तट, 64 स्थान, 244 किमी क्षेत्र और 8.25 लाख पौधारोपण 1 माह में होगा
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 राज्य के केंदू पत्ती संग्राहक समिति को 10 करोड़ 16 लाख 24 हजार की राशि उपलब्ध कराई गई।  सांकेतिक तौर पर पांच समितियों को राशि प्रदान की
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सीएम रघुवर दास की अपीलः

★ समस्त राज्य वासी इस अभियान में एक एक पौधा जरूर लगाएं और सप्ताह में एक दिन श्रम दान करें।

★जंगल, जमीन, जल और जलवायु हमारी अमानत--भूमि, मिट्टी, पौधा, पानी और प्राणी का प्रबंधन करें।

★करम पूजा और सरहुल पर करम के 1-1 लाख पौधे लगाये जायेंगे।

★ 2014 के बाद .29℅ हुई वन क्षेत्र में वृद्धि
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रांची। झारखण्ड के 24 जिलों के 44 नदी तट, 64 स्थल, 244 किलोमीटर का क्षेत्र और 8.25 लाख पौधरोपण एक माह में होगा। वन विभाग, वन समितियों और आम लोगों के सार्थक प्रयास को नमन। आपके प्रयास का प्रतिफल है कि 2014 के बाद राज्य के वन क्षेत्र में .29% की वृद्धि दर्ज की गई। एक बार पुनः समय आ गए है आप फिर अपने हिस्से का एक पौधा लगाएं और उसे पेड़ बनाएं। झारखण्ड को उसके नाम के अनुरूप वनों से आच्छादित करने में राज्य सरकार को सहयोग करें। क्योंकि जल, जंगल, जमीन और जलवायु हमारी अमानत है और इसका संरक्षण करना हमारा पुनीत कर्तव्य। ये बातें मुख्यमंत्री श्री रघुवर दास ने रांची के बोड़या स्थित जुमार नदी के तट पर आयोजित नदी महोत्सव सह वृहद वृक्षारोपण कार्यक्रम में कही।

हमारी संस्कृति से जुड़े करम वृक्ष के 1 लाख पौधे लगाए जाएंगे
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड की संस्कृति से जुड़े करम पर्व और सरहुल पर्व के दौरान करम के1-1 लाख पौधे लगाए जाएंगे। करीब 60 हजार करम के पौधे 2018 में लगाए गए थे। ऐसा करने का तात्पर्य इस बात पर निहित है कि क्योंकि सरहुल और करम पर्व प्रकृति जुड़े हमारे महत्वपूर्ण पर्व हैं। पुरातन काल से ही पेड़ पौधे हमारी संस्कृति और पूजा- पाठ से जुडे रहें हैं और रहेंगे।

सरकार विकास करेगी, लेकिन प्रकृति का संरक्षण भी होगा
सरकार की मंशा बिल्कुल स्पष्ट है। सरकार जो भी विकास कार्य करेगी उसमें प्रकृति के संरक्षण का विशेष ध्यान रखा जाएगा। हम सभी को पता है कि पानी वही बरसता है, जहां पेड़ होंगे, पेड़ नहीं होंगे तो वर्षा नहीं, वर्षा नहीं तो फसल नहीं। इस लिए भूमि, मिट्टी, पौधा, पानी और प्राणी का प्रबंधन करें, ताकि आनेवाली और वर्त्तमान पीढ़ी का जीवन सुखमय हो। इसी अनुरूप सरकार भी कार्य करेगी और राज्य की जनता से भी यही अपेक्षित है।

जल प्रबंधन की गंभीरता पर विचार जरूरी
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने देश में जल संकट को देखते हुए जल शक्ति मंत्रालय का गठन किया है, जिससे जल प्रबंधन की दिशा में कार्य हो सके। दूषित जल की समस्या से देश और राज्य जूझ रहा है। शिशु और मातृ मृत्यु दर में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। जल प्रबंधन अभियान इस दिशा में अपनी सार्थक भूमिका दर्ज करेगा।



अपने लगाए पौधे की रक्षा करें
मुख्यमंत्री ने समस्त राज्य वासियों से अपील की कि इस अभियान में एक एक पौधा जरूर लगाएं और सप्ताह में एक दिन श्रम दान करें। अपने लगाए पौधे की रक्षा करें उसे सूखने ना दें।



प्रकृति के साथ विकास सही मायने में विकास-मुख्य सचिव

मुख्यसचिव श्री डी के तिवारी ने कहा कि अब विकास के मायने बदल रहें हैं। बड़े बड़े भवन बना देना ही विकास नहीं, बल्कि प्रकृति के साथ विकास करना सही मायने में विकास है। आज वृहद वृक्षारोपण अभियान इस सामंजस्य को स्थापित करने की पहल है। हमें स्वच्छ जल, पेड़, झरने चाहिये इसके लिए प्रकृति के साथ किसी प्रकार का समझौता स्वीकार्य नहीं। *प्रधानमंत्री इस अभियान को और गति देने के लिए कैम्पा योजना के तहत चार हजार एक सौ करोड़ की राशि उपलब्ध करा रहें हैं ताकि प्रकृति का श्रृंगार हरियाली से किया जा सके।

मुख्यमंत्री ने वन विभाग की 2018 वृक्षारोपण कार्यक्रम से संबंधित लघु पुस्तिका का विमोचन किया। कार्यक्रम के दौरान मुकुंद नायक ने अपनी प्रस्तुति दी।

मुख्यमंत्री ने स्वयं मांदर की थाप देकर इस अभियान को सांस्कृतिक उत्सव का रूप दिया।

इस अवसर पर सांसद रांची श्री संजय सेठ, विधायक कांके श्री जितुचरण राम, खिजरी विधायक श्री रामकुमार पाहन, मुख्यसचिव श्री डी के तिवारी, अपर मुख्य सचिव वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग श्री इंदु शेखर चतुर्वेदी सचिव राजस्व, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डॉ सुनील कुमार वर्णवाल, हेड ऑफ फारेस्ट श्री संजय कुमार, सचिव राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार श्री के के सोन, उपायुक्त रांची श्री राय महिमापत रे, वरीय पुलिस अधीक्षक श्री अनीश गुप्ता, उपमहापौर श्री संजीव विजयवर्गीय, श्री सुरेन्द्र महतो, स्कूली बच्चे, एनसीसी कैडेट्स व ग्रामीण उपस्थित थे।

सोमवार, 4 मार्च 2019

झारखंड बसपा के दो नेताओं पर गिरी गाज



रांची। बसपा सुप्रीमो मायावती ने वामसेफ के झारखंड प्रदेश संयोजक रघुराई राम और बसपा के गढ़वा जिला उपाध्यक्ष संजय कुमार गौतम को पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्त संलिप्त होने के कारण पार्टी के सभी पदों और प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया है। यह जानकारी झारखंड बसपा के मीडिया प्रभारी जैनेंद्र कुमार ने दी है।

बुधवार, 16 जनवरी 2019

स्वच्छता पखवाड़े में पूरे देश में झारखण्ड नंबर 1 बना



रांची। झारखण्ड को एक और सम्मान मिलने पर मुख्यमंत्री रघुवर दास ने टीम झारखंड को बधाई दी। विश्व शौचालय दिवस के अवसर पर आयोजित हुए स्वच्छता पखवाड़े में पूरे देश में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए झारखण्ड नंबर 1 बना।
स्वच्छता के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए देश भर के टॉप 10 जिलों में हजारीबाग और लोहरदगा भी सम्मिलित है। मुख्यमंत्री ने सभी को हार्दिक बधाई दी है। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार हम सब मिलकर काम करें और राज्य विकास की नयी बुलंदियों पर पहुंचे।

मंगलवार, 20 नवंबर 2018

दिल्ली में बजा झारखंड की उपलब्धियों का डंका



झारखंड को पूरे देश ही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अव्वल बनाना हैः रघुवर दास, मुख्यमंत्री


रांची। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने जियाडा (JIADA) टीम को बधाई देते हुए कहा कि इस उपलब्धि से और अधिक कठिन मेहनत करने तथा अनुभव का लाभ उठाते हुए झारखंड को पूरे देश में ही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अव्वल के लिए प्रयास करें

इंडस्ट्रियल पार्क रेटिंग सिस्टम (IPRS) 2017-18 का रिपोर्ट भारत सरकार के औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग ने प्रवासी भारतीय केंद्र नई दिल्ली में जारी करते हुए झारखंड को देश के सबसे टॉप परफॉर्मिंग इंडस्ट्रियल पार्क एरिया में स्थान दिया है। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने प्रवासी भारतीय केंद्र नई दिल्ली में इस रिपोर्ट को जारी किया।

औद्योगिक इकोसिस्टम के विकास में इंटरनल इंफ्रास्ट्रक्चर एंड यूटिलिटीज, एक्सटर्नल इंफ्रास्ट्रक्चर एंड फैसिलिटी, बिजनेस सपोर्ट सर्विस तथा एनवायरमेंट एंड सेफ्टी मैनेजमेंट जैसे चार महत्वपूर्ण बिंदुओं पर IPRS बेहतर प्रदर्शन करने वालों को स्थान दिया गया है।

इस दृष्टि से 21 राज्यों से 177 नॉमिनेशंस में झारखंड इंडस्ट्रियल एरिया को चारों स्तंभों में बेहतर स्थान दिया गया है।
रांची के टाटीसिल्वे को इंटरनल इंफ्रास्ट्रक्चर एंड यूटिलिटीज में पांचवा स्थान, एक्सटर्नल इंफ्रास्ट्रक्चर एंड कनेक्टिविटी के क्षेत्र में बालीडीह इंडस्ट्रियल एरिया बोकारो को पूरे देश में दूसरा स्थान तथा बिजनेस सपोर्ट सर्विसेज एंड फैसिलिटी के तहत कांड्रा इंडस्ट्रियल एरिया धनबाद को पूरे देश में पहला स्थान प्राप्त हुआ है। एनवायरमेंट सेफ्टी मैनेजमेंट के तहत बालीडीह इंडस्ट्रियल एरिया बोकारो को पूरे देश में दूसरा स्थान प्राप्त हुआ है।

रविवार, 23 सितंबर 2018

राज्यव्यापी आंदोलन की राह पकड़ेगी आम आदमी पार्टी


आम आदमी पार्टी झारखंड राज्य कार्यसमिति की बैठक में पारित हुए कई प्रस्ताव।बदहाल बिजली व्यवस्था को लेकर राज्यव्यापी आंदोलन का निर्णय

रांची। आम आदमी पार्टी झारखंड कार्यसमिति कि बैठक होटल पार्क स्ट्रीट कचहरी में हुई। प्रदेश संयाेजक जयशंकर चौधरी की अनुपस्थिति में बैठक कि अध्यक्षता प्रदेश उपाध्यक्ष लक्ष्मीनारायण मुण्डा ने की। बैठक में कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किये गये तथा निम्नलिखित फैसले लिए गये-

■ झारखंड प्रदेश में पार्टी के बढ़ते जनाधार के कारण स्थायी राज्य कार्यालय के निर्माण के लिए कार्यसमिति के समक्ष प्रस्ताव रखा गया जिस पर सभी ने एकमत होकर सहमति जताई।
■ प्रदेश कार्यसमिति के सहमति से संजय राम,  मदन पांडे व मंटु पांडे को राज्य संयुक्त सचिव बनाया गया।  प्रितम कुमार मिश्रा,  राजेश कुमार, हर्ष दूबे, सुश्री आशा मूर्म व कृष्णा किशोर को राज्य कार्यसमिति का सदस्य बनाया गया।
■ प्रदेश कार्यलय के निर्माण के लिए योगदान पर चर्चा हुई जिसमें विभिन्न सदस्यों ने अलग अलग स्तर व  तरीके से  मदद करने करवाने  के साथ बेहत्तर तालमेल स्थापित कर कार्यलय निर्माण के कार्य को संपन्न करने पर सर्वसम्मति बनी।
■ प्रदेश में बदहाल बिजली व्यवस्था, बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था, बदहाल शिक्षा व्यवस्था, प्रदेश में व्याप्त भ्रष्टाचार, पारा शिक्षकों का वेतन सहित विभिन्न शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में बदहाल व्यवस्था व समस्याओं पर  चर्चा हुई, जिसके पश्चात सर्वसम्मति से राज्य में बदहाल बिजली व्यवस्था के खिलाफ जिला व राज्य स्तर पर  व्यापक जन आंदोलन चलाने का निर्णय लिया गया। जिसके तहत 5 से 7 अक्टुबर के बीच विभिन्न जिलों में आंदोलन कि शुरुआत कि जायेगी।

कार्यसमिति के सदस्यों ने कहा कि झारखंड में बदहाल व्यवस्था को बदलने  के लिए हर स्तर पर व्यापक आंदाेलन किया जायेगा। वर्तमान भाजपा व इसके पूर्व कि सरकारों ने झारखंड को लुट झुठ व भ्रष्टाचार का अड्डा बना दिया है,  जल, जंगल व जमीन को लुटकर उद्योगपतियों को दिया जा रहा है, सरकार पुरी तरह से तानाशाह व दमनकारी व जनविरोधी हो गई है। रघुवर दास के शासन में उद्योगपतियों व भ्रष्टाचारियों को संरक्षण दिया जा रहा है तथा गरीबों, किसानोँ, आदिवासियों व युवाओं का शोषण किया जा रहा है। आम आदमी पार्टी प्रदेश में झुठ,लुट, भ्रष्टाचार कि राजनीति को खत्म कर शिक्षा, स्वास्थ  व विकास कि राजनीति के आधार पर सरकार बनायेगी तथा झारखंड कि संस्कृति व अस्मिता  कि रक्षा कर खुशहाल व संपन्न झारखंड का निमार्ण करेगी।

प्रदेश उपाध्यक्ष श्री प्रेम कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन किया तथा राष्ट्रगान के साथ बैठक संपन्न हुआ। बैठक में पवन कुमार पांडे, राजन कुमार सिंह, व्यास उपाध्याय, परवेज सहजाद, हेमकांत ठाकुर, प्रेम कुमार, हरदयाल यादव, यास्मिन लाल, दिनेश महतो, रंधीर प्रसाद, दिगंबर साह, सुखदेव हेम्ब्रम,आशा मुर्मू, सुनील चौधरी, मदन पांडे, विधानचंद्र रॉय, कुमार राकेश, ज्योतिष कुमार, प्रितम कुमार मिश्रा, राजेश कुमार, बिनोद केरकेटा, आलोक शरण व कुणाल मिश्रा सहित अन्य शामिल हुए।

मंगलवार, 28 अगस्त 2018

खाद्य सुरक्षा के तहत निगरानी समिति की अधिसूचना

रांची। झारखंड सरकार ने ग्रामीण इलाकों में खाद्य  सुरक्षा के तहत गठित निगरानी समिति की अधिसूचना मुखिया एवं पार्षदों को प्रदान करते हुए इसे सफलतापूर्वक लागू करने हेतु विभिन्न बिंदुओं पर जानकारी देते हुए विचार विमर्श किया। हाल के दिनों में भूख से हुई मौतों के मद्दे-नज़र झारखंड सरकार ने इसे गंभीरता से लिया है।

1.पंचायत/वार्ड निगरानी समिति- आज रांची जिला के मुखिया एवं पार्षद के साथ बैठक करके राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत गठित निगरानी समिति की अधिसूचना प्रदान की गई तथा अधिकार व कर्तव्य के बारे में विस्तृत चर्चा की गई। कुछ सदस्यों ने हारे प्रत्याशी को सदस्य बनाने पर आपत्ति भी दर्ज की।
2.खाद्यान्न सुरक्षा कोष-सभी को झारखंड सरकार द्वारा गठित खाद्यान्न सुरक्षा कोष की जानकारी दी गई। जिसमें सभी पंचायत व वार्ड को 10 हजार रूपये दिए गए है। आवश्यकता अनुसार योग्य लाभुक अर्थात जो खुद जीविकोपार्जन कर खाने में असमर्थ हो, को 10 केजी चावल बाजार से खरीद कर देना है तभी पेसा निकलना है ताकि कोई भूखा ना रहे।
3.अन्नपूर्णा योजना-सभी पंचायत व वार्ड को 10 अन्नपूर्णा लाभुक का लक्ष्य दिया गया हैः-
a. जो 60 वर्ष से ऊपर है
b. जो पेशंन पाने की आहर्ता रखते हो
c. जिनको पेंशन नहीं मिल रहा हो।
d. जिनका राशन कार्ड नही हो को हर माह 10केजी चावल देना है लाभुकों की स्वीकृति सीओ को देनी है।
4.उज्जवला योजना-सभी वार्ड पंचायत में जो योग्य लाभूक है उनका आवेदन सृजन करने का अनुरोध किया गया है।
5.दिव्यांग और रोगी जिनके पास लाल कार्ड है उसे पीला कार्ड बनने का अनुरोध किया गया जो भी 10 कार्ड को पीला करने का प्रस्ताव देगे उनहें आभार पत्र दिया जाएगा।
6.सरेंडर-सम्पन्न परिवार को गरीब के हित में कार्ड सरेंडर करने, बोगस कार्ड रदद करने का प्रस्ताव ग्राम सभा में पारित करने को कहा गया है।
7.सफेद कार्ड-यदि किसी भिखारी, दिव्यांग, विधवा, गरीब एसटी,एससी परिवार का सफेद कार्ड हो तो उसको रद्द करने का स्पष्ट प्रस्ताव ग्राम सभा से पारित कर देने का अनुरोध किया गया है।
इस अवसर पर, विशिष्ट अनुभाजन पदाधिकारी, जिला आपूर्ति पदाधिकारी, प्रखण्ड आपूर्ति पदाधिकारी एवं नगर निगम के वार्ड पार्षद, ग्रामीण क्षेत्रों के मुखिया एवं वार्ड सदस्य उपस्थित थे।

मंगलवार, 31 जुलाई 2018

फिल्म अभिनेता रवि किशन ने मुख्यमंत्री से की मुलाकात


रांची। हिंदी फिल्म हंच की शूटिंग के दौरान बॉलीवुड के रॉक
स्टार रवि किशन ने झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास जी से प्रोजेक्ट भवन
में मुलाकात की। मुलाकात के दौरान रवि किशन ने मुख्यमंत्री जी से झारखंड
के सभी महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों को विकसित करने का आग्रह किया तथा राज्य
के पर्यटन विभाग को अधिक से अधिक बढ़ावा मिले और मुंबई महानगरी से जितने
भी फिल्में आए झारखंड के हमारे प्रतिभावन कलाकारों को काम मिले। रांची के
पतरातू में जो फिल्म सिटी बनने वाली है, उसका निर्माण जल्द से जल्द हो
ताकि झारखंड में और भी बड़ी से बड़ी फिल्में आएं और राज्य के खूबसूरत
लोकेशनों में शूटिंग हो। अभिनेता रवि किशन ने पतरातू  घाटी की तुलना
स्विट्ज़रलैंड से की है। बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री जी से यह भी कहा कि
मेरी जो भी शूट फिल्में होगी, चाहे मेरे होम प्रोडक्शन की हो या और कोई
भी  सभी की शूटिंग झारखंड में ही होगी। उक्त आशय की
जानकारी फिल्म पीआरओ संजय पुजारी ने दी है।

शनिवार, 21 जुलाई 2018

हजारीबाग के चालीस विद्यालयों पर लटकी बंदी की तलवार

विद्यालय मर्ज को लेकर प्रखण्ड शिक्षा समिति की बैठक

एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा ने किया विरोध - कहा, इचाक मे शिक्षा के इतिहास का काला दिन

मनीष कुमार

इचाक। हजारीबाग जिले के इचाक प्रखण्ड मुख्यालय सभागार मे विद्यालय मर्ज को लेकर प्रखण्ड शिक्षा समिति की बैठक प्रखण्ड विकास पदाधिकारी की अध्यक्षता मे की गई । जिसमे सरकार के निर्देशानुसार प्रखण्ड के 40 विद्यालयो को बंद कर पंचायत के विद्यालय मे मर्ज करने पर चर्चा की गई । प्रखण्ड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी राकेश कुमार सिंह ने कहा कि सरकार के निर्देशानुसार  वैसे विद्यालय जहां सत्र  2017-18 मे बच्चो की संख्या  40 -60 है उसे बंद कर उसी पंचायत के दुसरे विद्यालय मे मर्ज किया जाएगा । बैठक मे शामिल पारा शिक्षक के प्रतिनिधियो ने सरकार के नीतियों का विरोध करते हुए सूची मे संसोधन करने की बात कही । कहा कि सरकार इचाक की भौगोलिक स्थिति को देखे बगैर यह कदम उठाई है जो सरासर गलत है । जहां साठ से अधिक बच्चे हैं उसे भी बंद किया जा रहा है । इचाक मे शिक्षा के इतिहास का काला दिन करार देते हुए बंद किए जा रहे विद्यालय की दूरी तथा भौगोलिक को देखते हुए विद्यालय बंद को रोकने की मांग की है । बैठक मे बीडीओ उषा मिंज, बीइइओ राकेश कुमार सिंह, पारा शिक्षक प्रतिनिधि अरूण कुमार, राजकुमार प्रसाद, राजीव कुमार, आनंद कुमार और बीआरपी नर्सिंग महतो शामिल थे ।
विद्यालय जो बंद किए जा रहे हैं । - युपीजीएस मोमारक टोला, श्याल खुर्द,टेपसा, डुमरी,नीचतपुर, राणाबाध, कवातु डीह, जतराही, दलित टोला मंगुरा, नारायणपुर, मुर्तिया बंदुआ,प्रा वि सिरसी , प्रा वि आरा, जमुआरी, फुरूका , जलौध,तुरी  गरडीह, युपीजीएस दीग्घी, लुकुइया, सिमरातरी, पुरनपनिया, धरधरवा, डोय, अंबाटाड, ठेपाय, जोगीडीह-जगडा,
कोइरी टोला देवकुली, उर्दू प्रा वि डुमरौन, गोबरडाहा, यूपीजीएस तारा डुमरौन, जमुनिया टाड, कुसियनवां, गुडकुआ, प्रा वि गोबरबंदा, कैले , डीपीईपीएस दागी,हरिजन टोला रूद, दुर्गानगर इचाक मोड, रविदास टोला सिझुआ, सिमरा और प्रा वि गिरही शामिल है ।


क्या कहतीं हैं प्रमुख :- विद्यालय बंद करने की सरकार की इस अभियान को निंदा करते हुए सरकार और प्रशासन की मनमानी करार दिया है । कहा कि बैठक के विषय मे मुझे कोई जानकारी नही दी गई है । प्रमुख की अनुपस्थिति मे इतना बडा निर्णय लेना प्रखण्ड की जनता के साथ विश्वासघात है । बापू जी का सपना था टोला टोला स्कूल खोलना जबकि सरकार राष्ट्रपिता के सपना पर भी कुठाराघात प्रहार किया है ।

क्या कहते हैं राजनीतिक दलों के नेता :- इस संबंध मे झामुमो के जिला सचिव मनोहर राम ने कहा कि भाजपा की रघुवर सरकार द्वारा विद्यालयों को बंद करने की जो अभियान चलाया है । उसे झामुमो निंदा करती है । लगता है कि रघुवर की सरकार मानसिक संतुलन बिगड गई ।

जदयू के प्रदेश महासचिव बटेश्वर मेहता ने कहा कि सरकार इस तरह के निर्णय लेकर राज्य को गर्त मे भेजना चाहती है । आदिवासी तथा सुदूरवर्ती इलाको की विद्यालय को बंद कर जनता के भविष्य के साथ भद्दा मजाक कर रही है ।

भाजपा के पुर्वी मण्डल अध्यक्ष जयनंदन मेहता ने कहा कि सरकार का यह निर्णय गलत है । इस तरह का निर्णय से शिक्षा का स्तर गिर जाएगा ।

मंगलवार, 17 जुलाई 2018

झारखंड मंत्रिपरिषद की बैठक ने लिए महत्वपूर्ण निर्णय

                                                                                                             

रांची। रामकृष्ण धर्मार्थ फाउंडेशन (आर.के.डी.एफ.) विश्वविद्यालय विधेयक 2018 के अनुमोदन की स्वीकृति दी गई।
                        ’ 
वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग (सहकारिता प्रभाग)  अंतर्गत प्रस्तावित राज्य के विभिन्न जिलों में 5000 एम.टी. शीत गृहों के निर्माण हेतु कुल प्राक्कलित राशि 3091.12 लाख (तीस करोड़ इक्यानवे लाख  बारह हजार) मात्र एवं झारखंड राज्य भवन निर्माण निगम लिमिटेड रांची का एजेंसी चार्ज 6 प्रतिशत की दर से 185.46 लाख अर्थात कुल रुपए 3276.58 लाख (32 करोड़ 76 लाख 58 हजार) मात्र की स्वीकृति दी गई।

माननीय उच्चतम न्यायालय/उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश के आलोक में नवांगीभूत महाविद्यालयों के शिक्षक/शिक्षकेत्तर कर्मियों के सेवा का अन्तर्लीनीकरण एवं उनके वेतन निर्धारण के अनुमोदन की स्वीकृति दी गई।

मगही, भोजपुरी, मैथिली तथा अंगिका को झारखण्ड राज्य की द्वितीय राजभाषा घोषित करने के लिए बिहार राजभाषा (झारखण्ड संशोधन) विधेयक, 2018 के प्रारूप पर मंत्रिपरिषद की स्वीकृति दी गई।

भारतीय मुद्रांक अधिनियम, 1899 की अनुसूची 1। में  संशोधन की स्वीकृति दी गई।

वित्तीय वर्ष 2018-19 एवं 2019-20 में ज्ञानोदय योजनान्तर्गत ई-विद्यावाहिनी योजना एवं नीति आयोग के साथ हुए त्रिपक्षीय एकरारनामा के क्रम में गुणवत्त शिक्षा हेतु नियमित माॅनेटरिंग हेतु रूपये 71.62 करोड़ (एकहत्तर करोड़ बारसठ लाख) की स्वीकृति दी गई।

झारखण्ड अधिवक्ता लिपिक कल्याण निधि विधेयक, 2018 को अधिनियमित करने की स्वीकृति दी गई।

राधा गोविन्द विश्वविद्यालय, रामगढ़, रामचंद्र चन्द्रवंशी विश्वविद्यालय, पलामू एवं नेताजी सुभाष  विश्वविद्यालय, जमशेदपुर विधेयक 2018 के अनुमोदन की स्वीकृति दी गई।                                                                                            *

गुरुवार, 12 जुलाई 2018

नक्सलमुक्त झारखंड एक गंभीर चुनौती



व्यावहारिकता की कसौटी पर डीजीपी के संकल्प की पड़ताल

रांची । झारखंड के पुलिस कप्तान डीके पांडेय ने एलान किया है कि झारखंड से नक्सलियों का खात्मा करके रहेंगे। उनके मुताबिक राज्य पुलिस नक्सलमुक्त झारखंड अभियान के लिए कमर कस चुकी है। गत दिनों श्री पांडेय ने लातेहार के सीआरपीएफ कैंप में आयोजित पलामू प्रमंडलीय बैठक में स्पष्ट रूप से कहा कि नक्सली सरेंडर करें, नहीं तो पुलिस की गोली से मरने को तैयार रहें। उन्होंने फिर दोहराया कि झारखंड से नक्सलवाद का सफाया जल्द होगा। इस दिशा में पुलिस प्रयत्नशील है। नक्सलियों के खिलाफ अभियान जारी रहेगा। नक्सल आंदोलन की कमर तोड़ने के लिए उन्होंने नक्सलियों के घर व ससुराल की संपत्ति जब्त करने की दिशा में भी कदम उठाया है।
किसी भी समस्या का समाधान समस्या के आसपास ही होता है। झारखंड में यह समस्या क्यों उत्पन्न हुई, कैसे विकराल हुई, इसपर विचार करने की जरूरत है। यह सही है कि राज्य के अधिकांश नक्सली गुट सिर्फ लेवी वसूलने वाले गिरोहों की शक्ल ले चुके हैं। उन्हें मार्क्स, लेनिन या माओं की विचारधारा से कुछ भी लेना-देना नहीं है। जनता के मुद्दों से उन्हें कोई सरोकार नहीं रह गया है। वे जनसमर्थन भी बंदूक के जोर पर ले रहे हैं। फिर भी उनका भंडाफोड़ नहीं हो पा रहा है या उनकी नकेल पूरी तरह नहीं कसी जा पा रही है तो इसका कारण है जनता का विश्यास और जंगल पहाड़ के रास्तों के बारे में सुरक्षा बलों को जानकारी का अभाव। अभियान की सफलता के लिए सूचना तंत्र की मजबूती जरूरी है। साथ ही यह जन समर्थन से ही संभव है। लंबे समय तक पुलिस का आचरण जनता पर वर्दी का रूआब गांठने और उससे कटकर रहने का था। सका जन संपर्क होता भी था तो इलाके के दबंग लोगों से। अब राज्य पुलिस के मुखिया डीके पांडेय इस बात को समझते हुए सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों में पब्लिक से बेहतर संबंध बनाने और विशेष तौर ग्रामीण क्षेत्रों में थाना व पुलिस पिकेट में तैनात जवानों का उत्साहवर्धन करने की दिशा में पहल कर रहे हैं। यदि पुलिस जनता का विश्वास जीत सके तो नक्सलवाद ही नहीं संगठित अपराध का पनप पाना असंभव हो जाएगा। श्री पांडेय पुलिस जवानों की समस्याओं के समाधान के प्रति भी गंभीरता से लगे हैं। नि:संदेह श्री पांडेय का यह प्रयास सराहनीय कहा जा सकता है। सूबे में लाल आतंक के खिलाफ शुरू किए गए सुनियोजित महाभियान को सफल बनाने में जुटे हैं। इस दिशा में उनके जज्बे और जुनून की प्रशंसा की जानी चाहिए। वहीं नक्सलियों को समूल नेस्तनाबूद करने की कार्रवाई कितने कारगर तरीके से की जा रही है, इसकी मानिटरिंग भी नियमित रूप से हर स्तर पर किये जाने की जरुरत है। नक्सलियों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने की सरकारी योजनाओं का कार्यान्वयन ठोस तरीके से हो, इस दिशा में मजबूत इरादों के साथ लगने की आवश्यकता है। साथ ही ग्रामीण विकास योजनाओं का समुचित कार्यान्वयन भी सुनिश्चित हो, ताकि गांवों के भटके युवा समाज की मुख्य धारा से जुड़े रहें। सरकार का मानना है कि झारखंड में नक्सली गतिविधियों के बढ़ने में विकास विरोधी ताकतों का भी समर्थन है। ऐसे में विकास बाधित होता है। सरकार ने 2018 के अंत तक झारखंड से नक्सलवाद खत्म करने का डेडलाइन भी तय किया है। राज्य में अशांति और अराजकता को नियंत्रित करने के लिए अब जरूरी हो गया है कि नक्सलियों की नकेल कसने को सरकार कठोर कार्रवाई करे। इस महाभियान में सीमावर्ती राज्यों, (बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़ व बिहार) की सरकारों के साथ वार्ता कर संयुक्त अभियान में सहयोग लेने की आवश्यकता है। क्योंकि हर बड़ी वारदात के बाद नक्सली राज्य की सीमा पार कर पड़ोसी राज्य में शरण ले लेते हैं। स्थानीय पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों के बीच बेहतर तालमेल होना भी जरूरी है। इसके अभाव में अभियान की सफलता प्रभावित होती है। यह सर्वविदित है कि विकास की गति तेज होने और ग्रामीण स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़ने से नक्सलियों की धार कुंद होगी। सरकार को नक्सलियों के आर्थिक मददगारों पर भी पैनी नजर रखते हुए ठोस कार्रवाई करना समय की मांग व राज्य की जरुरत है।
 बहरहाल  राज्य को 2018 के अंत तक नक्सलमुक्त बनाने की सरकार व  पुलिस कप्तान की पहल क्या रंग लाती है, यह तो भविष्य के गर्भ में है, लेकिन इस दिशा में डीजीपी के प्रयासों का सकारात्मक परिणाम आने की उम्मीद तो की ही जा सकती है।

रविवार, 8 जुलाई 2018

ऑल इंडिया फुटबॉल पोस्टर डिजाइन कांटेस्ट एवं फुटबॉल ऑल मिक्स प्रदर्शनी का उद्घाटन




रांची। झारखंड के मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव सुनील कुमार वर्णवाल ने  ऑल इंडिया फुटबॉल पोस्टर डिजाइन कांटेस्ट एवं फुटबॉल ऑल मिक्स प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि झारखंड में प्रतिभाओं की कमी नहीं है अवसर प्राप्त होने पर यह राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर झारखंड का नाम रौशन कर सकते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में पारंपरिक रुप से कई खेल, खेले जाते हैं उसमें फुटबॉल भी एक है। सही प्रशिक्षण प्राप्त होने पर यह अपनी पहचान बना सकते हैं। यह समारोह रांची के ऑड्रे हाउस में आयोजित किया गया था
इस अवसर पर श्री वर्णवाल ने जमशेदपुर फुटबॉल क्लब एवं युवा द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना की और कहा कि इस तरह के प्रयासों से फुटबॉल के प्रति युवाओं में जागरूकता बढ़ेगी एवं बेहतर प्रदर्शन के लिए वे उत्साहित रहेंगे।

गुरुवार, 28 जून 2018

झारखंड में फिर पताका लहरा सकती है कांग्रेस

रांची। झारखंड में कांग्रेस अपना खोया जनाधार भी वापस पा सकती है और फिर से अपना पताका लहरा सकती है। बशर्ते अपनी विभूतियों की सही पहचान और उनका सही इस्तेमाल करे। अभी इंटक के दो खेमो के विलय के निर्णय के बाद सकी संभावना प्रबल हो चुकी है। इंटक के रेड्डी गुट के महासचिव राजेंद्र प्रसाद सिंह एक मृदुभाषी, व्यवहार कुशल और सधी गोटियां चलने वाले राजनीतिज्ञ हैं तो दूसरे गुट के अध्यक्ष ददई दुबे बाहुबल के धनी।



इंटक नेता व बेरमो के पूर्व विधायक राजेंद्र प्रसाद सिंह की सोनिया और राहुल दरबार में एक कद्दावर मजदूर नेता के रूप में पहचान है। लेकिन सत्ता की राजनीति में उनकी प्रतिभा और सूझ-बूझ का कांग्रेस ने अभी तक इस्तेमाल नहीं किया है। उनकी प्रतिभाओं की सही परख अभी तक नहीं की गई है। चुनावों में उन्हें उनकी इच्छानुसार टिकट तो दे दिया जाता है लेकिन पूरे राज्य में उम्मीदवारों के चयन, चुनावी मुद्दों की पड़ताल, प्रचार की शैली आदि विषयों पर रणनीति तैयार करने में उन्हें सिर्फ परामर्शदात्री भूमिका तक सीमित रखा गया।  निर्णायक भूमिका में नहीं लाया गया। उन्हें करीब से जानने वाले जानते हैं कि यदि झारखंड में कांग्रेस उनके नेतृत्व में, उनकी रणनीति के आधार पर चुनाव लड़े तो आश्चर्यजनक नतीजे आ सकते हैं। पार्टी अपने खोये हुए जनाधार को वापस पा सकती है।
आजादी के बाद से लेकर संयुक्त बिहार के समय तक झारखंड में कांग्रेस और झारखंड नामधारी दलों का जनाधार सबसे बड़ा था। दोनों मिल जाते थे बड़ी ताकत बन जाते थे। झारखंड मुक्ति मोर्चा कांग्रेस के करीबी सहयोगियों में रहा। पटना और दिल्ली दरबार में यही झारखंड का प्रतिनिधित्व करते थे। अलग राज्य के गठन में अपनी भूमिका का लाभ भाजपा ने उठाया और अपनी पैठ बना ली। इस बीच कांग्रेस नेतृत्व से भी कुछ भूलें हुईं जिसके कारण जनाधार सिमटता चला गया। झामुमो ने तो आदिवासी कार्ड के नाम पर अपनी पकड़ बनाए रखी लेकिन कांग्रेस की चुनावी सफलताओं पर ग्रहण लगता चला गया। कांग्रेस आलाकमान ने कभी स बात पर गौर नहीं किया कि स्व. ज्ञानरंजन के बाद राजेंद्र प्रसाद सिंह ही एकमात्र नेता हैं जिनकी मजदूर वर्ग और बहिरागत आबादी के साथ आदिवासियों और सदानों में भी गहरी पैठ है। बोकारो जिले के आदिवासी तो उन्हें राजेंद्र सिंह की जगह राजेंद्र मुंडा कहकर पुकारते रहे हैं। सत्ता की किसी कुर्सी पर बैठने के बाद वे विकास के मामले में कभी क्षेत्र या जाति के आधार पर भेदभाव नहीं करते। श्रमिक नेता के रूप में उनकी कोशिश होती है कि औद्योगिक प्रतिष्ठानों के सामुदायिक विकास राशि का ज्यादा से ज्यादा लाभ आसपास के ग्रामीणों को मिले।
2019 का चुनाव करीब है। कांग्रेस आलाकमान के समक्ष बड़ी चुनौती है। विपक्षी गठबंधन तैयार हो चुका है। उसे चुनावी सफलता भी मिल रही है। पार्टी भाजपा को सत्ता से बाहर करने के लिए हर तरह का त्याग कर रही है। उसे झारखंड के संबंध में सोच-समझ कर निर्णय लेना चाहिए। अगर लोकसभा और विधान सभा के चुनाव एक साथ हुए तो भी और अलग-अलग हुए तो भी।

मंगलवार, 26 जून 2018

खाते से पैसा कट गया, एटीएम से नहीं निकला



बैंक न पैसा वापस कर रहा न बता रहा कहां कहां पैसा

रांची। इग्नू में एमसीए की छात्रा अंकिता सिन्हा 17 जून को साम 6.30 बजे अपने बैंक आफ इंडिया, अशोक नगर शाखा स्थित अपने बचत खाता नंबर 499210110006913 के तहत जारी एटीएम से 4 हजार रुपये निकालने के लिए कटहल मोड़ रोड, पुनदाग स्थित पंजाब नेशनल बैंक के एटीएम में गई। सारा प्रोसेस करने के बाद खाते से पैसा कटने का एसएमएस  गया लेकिन जब पैसा निकलने की बारी आई तो लिंक फेल हो गया और पैसा अंदर फंस गया। सने बैंक आफ इंडिया के कस्टमर केयर को फोन लगाया तो किसी ने फोन नहीं उठाया। अगले दिन वह बैंक शाखा गई तो बताया गया कि 24 घंटे के भीतर पैसा एकाउंट में वापस लौट आएगा। जब स समयावधि में पैसा नहीं लौटा तो अगले दिन फिर बैंक गई तो उसे आवेदन देने को कहा गया। बैंक ने आवेदन को अपने मुंबई मुख्यालय में मेल से भेजा। इसके अगले दिन जाने पर बताया गया कि मुख्यालय ने आवेदन को रद्द कर दिया है। आश्वासन दिया गया कि आठ दिनों में पैसा लौट आएगा। यह आठ दिन की अवधि भी बीत गई। बैंक यह बताने में असमर्थ है कि पैसा आखिर गया कहां। अंकिता पूछती है कि इंटरनेट की गड़बड़ी या बैंक की तकनीकी खराबी का खमियाजा खातेदार क्यों भुगते। बैंक अधिकारियों का रवैया सहयोग करने का नहीं बल्कि टाल-मटोल वाला है। अंकिता ने रिजर्व बैंक के बैंकिंग लोकपाल के समक्ष अपनी गुहार लगाई है और राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग का दरवाजा खटखटाने पर विचार कर रही है।

सोमवार, 25 जून 2018

महंगा पड़ा गैंगरेप के जरिए सबक सिखाना




रांची। खूंटी गैंगरेप का मामला अब राष्ट्रीय मुद्दा बनता जा रहा है। चारो तरफ इसकी भर्त्सना की जा रही है। अब इस शर्मनाक घटना को लेकर नक्सली संगठन पीएलएफआई और पत्थलगड़ी समर्थक एक दूसरे को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। पीएलएफआई प्रमुख दिनेश गोप का कहना है कि उनका संगठन महिलाओं की आबरू नहीं लूटता। उन्होंने घटना की तीव्र भर्त्सना करते हुए संलिप्त अपराधियों को खोज निकालने और सज़ा देने की घोषणा की है। उधर पत्थलगड़ी आंदोलन के नेता जान जुनास तिडू रेपकांड में पीएलएफआई उग्रवादियों का हाथ बता रहे हैं। उनके मुताबिक पत्थलगड़ी समर्थक ऐसा घृणित काम नहीं कर सकते। तिडू को गैंगरेप के मुख्य साजिशकर्ता के रूप में चिन्हित किया गया है। इसपर उनका कहना है कि पुलिस ग्रामसभा में आकर सबूत पेश करे वे स्वयं को पुलिस के हवाले कर देंगे। टकला नामक जिस रेपिस्ट की तसवीर पुलिस ने जारी की है वह तिडू के मुताबिक अकड़ी ब्लाक का पीएलएफआई का एरिया कमांडर है जबकि दिनेश गोप उसे नक्सल आंदोलन में कभी-कभार सहयोग करने वाला पत्थलगड़ी समर्थक बता रहे हैं। गोप के दावे को सही मान लिया जाए तो स्पष्ट है कि पत्थलगड़ी समर्थकों से उनका सहयोग का संबंध रहा है। वर्ना टकला को वे पहचानने से इनकार कर सकते थे।
बहरहाल इतना तय है कि यह कांड इन्हीं दोनों मे से किसी ने अंजाम दिया है। अन्यता जहां परिंदे को भी ग्रामसभा की अनुमति के बिना पर मारने की इजाजत नहीं है वहां हथियारबंद रेपिस्ट कैसे पहुंच सकते हैं। कोचांग गांव से 10 किलोमीटर दूर छोटा उली के घने जंगलों में जहां स्थानीय ग्रामीण भी जाने से डरते हैं वहां पांच आदिवासी युवतियों और युवकों को राइफल की नोक पर कोई बाहर का आदमी तो ले नहीं जा सकता। ले भी गया तो वापस कोचांग नहीं पहुंचा सकता। यह काम वही कर सकते हैं जिन्हें किसी का डर-भय नहीं है। जिनहे कानून व्यवस्था का डर नहीं है। घटनास्थल पर खौफ और आतंक का इतना गना साया है कि पुलिस भी अभी तक वहां जाने का साहस नहीं जुटा पाई है। राज्य के डीजीपी तक दल-बल के होते हुए खूंटी सर्किट हाउस में मीटिंग करके वापस लौट गए। उन्हें डर था कि कहीं वे बंधक न बना ले जाएं। पुलिस बल को कई बार बंधक बनाया जा चुका है और बड़ी मुस्किल से आरजू-मिन्नत कर छुड़ाया गया है। जाहिर है कि जि लोगों ने सबक सिखाने की नीयत से जिन लोगों ने भी इस जघन्य कांड को अंजाम दिया है उन्होंने कभी सोचा भी नहीं होगा कि मामला इतना तूल पकड़ लेगा और यह उनके माथे पर कभी न धुलने वाला कलंक बनकर रह जाएगा। आदिवासी परंपरा की दुहाई देने वाले आदिवासी युवतियों के साथ ही हैवानियत कर बैठें।
     अब राज्य सरकार ईसाई धर्मावलंबियों को आदिवासी जमात की सूची से बाहर करने जा रही है। उनका जाति प्रमाण पत्र रद्द करने जा रही है। उन्हें आरक्षण के लाभ से वंचित करने जा रही है। जाहिर है कि ईसाई इलाकों में आदिवासी परंपराओं के प्रति चिंता व्यक्त करने का और आक्रामक होने का कोई कारण नहीं रह जाएगा। परंपरा की आड़ लेकर अफीम की खेती के इलाकों को अभेद्य बनाने का बहाना पूरी तरह हाथ से निकल जाएगा। अब स्वशासन और ग्रामसभा के अधिकारों के नामपर जंगलराज कायम करने का सपना टूट जाएगा। अक गुनाह ने सारे किए-कराए पर पानी फेर दिया है। हिन्दू और सरना आदिवासी पहले ही उनके पत्थलगड़ी आंदोलन के स्वरूप को लेकर विरोध जता चुके हैं। रेप के जरिए सबक सिखाने की उनकी आपराधिक युक्ति उनके सर्वनाश का कारण बन जाएगी। अगर पुलिस प्रशासन अपने अंदर का भय बाहर निकाल सके तो ड्रग तस्करी की यह मायावी किलेबंदी टूट सकती है। थोड़ा जोखिम तो उठाना ही पड़ेगा। कायरता छोड़नी होगी। तभी पुलिस-प्रशासन की प्रतिष्ठा बचेगी।

सोमवार, 18 जून 2018

झारखंड में यूरेनियम खनिज की कमी नहीं



दस वर्षों तक देश की आवश्यकता पूरी करने में सक्षम

समरेन्द्र कुमार

रांची। झारखंड के जादूगोड़ा, भाटिन, नरवा पहाड़ और तुमारडीह में यूरेनियम का खनन वर्षों से चल रहा है। वहां अभी युरोनियम खनिज पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। इस बीच पूर्वी सिंहभूम जिले के इलाकों में इसके अलावा 16 हजार टन का नया भंडार मिला है। यह अगले 10 वर्षों तक राष्ट्र की आवश्यकता की पूर्ति के लिए पर्याप्त है। इसमें 11 हजार टन का भंडार बानाडुंगरी-सिमरीडुंगरी में मिला है जबकि 5 हजार टन का भंडार राजदा में मिला है।
परमाणु खनिज अन्वेषण व अनुसंधान निदेशालय की पूर्वी सिंहभूम शाखा के अधिकारियों ने इन भंडारों को ढूंढ निकाला है। एक वैज्ञानिक गोष्ठी में देशभर के वैज्ञानिकों की मौजूदगी में इससे संबंधित शोधपत्र प्रस्तुत किया जा चुका है।तुरामडीह से पश्चिम की ओर 200 किलोमीटर के क्षेत्र में जमीन की दरारों के बीच यूरेनियम की शिराएं फैली हुई हैं। इनसे खनन करने की तैयारी की जा रही है।
विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इन भंडारों की भौगौलिक स्थिति खनन के लिए अनुकूल है और उनके पास जो तकनीक है उसमें रेडियेशन के कुप्रभावों से बचते हुए खनन किया जा सकता है। इस तकनीक में पहले सेटेलाइट से सर्वे के जरिए सटीक स्थल का चयन किया जाता है, इसके बाद तीन सेंटीमीटर के पाइप से खुदाई कर यूरेनियम का नमूना निकाला जाता है। फिर प्रयोगशाला में उसकी जांच की जाती है। इसके बाद पूरे क्षेत्र को प्रतिबंधित कर खनन शुरू किया जाता है। उल्लेख्य है कि जादूगोड़ा खदान से यूरेनिटम के खनन का घातक प्रभाव कुछ किलोमीटर तक की आबादी पर पड़ा है।

रविवार, 17 जून 2018

हंगामा क्यों है वरपा.....


हंगामा क्यों है वरपा.....

झारखंड में भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद राजनीतिक फिज़ा गर्म होती जा रही है। तमाम विपक्षी दलों ने इसके खिलाफ आंदोलन की चेतावनी दी है। यह विपक्षी गठबंधन को मजबूत करने का अवसर प्रदान करने वाला मुद्दा बन गया है। 18 जून को इस मुद्दे को लेकर विपक्ष के नेता व पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आवास पर विपक्षी दलों की बैठक बुलाई गई है। वे चाहते हैं कि सीएनटी-सीपीएनटी एक्ट के संशोधन प्रस्ताव की तरह सरकार इसे भी वापस ले-ले। यह स्थिति इसलिए त्पन्न हुई कि सरकार संशोधन के औचित्य पर सर्व सहमति नहीं बना पाई और अब इसे लेकर जिद पर अड़ी हुई है।  दूसरी तरफ विपक्ष को पता है कि जब वे इसके विरोध में सड़कों पर हंगामा करेंगे और जन-जीवन अस्त-व्यस्त होने लगेगा तो सरकार बैकफुट पर आने को विवश हो जाएगी। लेकिन विपक्ष को थोड़ी देर के लिए यह समझना चाहिए कि राष्ट्रपति किसी ऐसे प्रस्ताव को कैसे मंजूरी दे सकते हैं जो जनता के हित में न हो। उनके विवेक पर थोड़ा विश्वास करना चाहिए। सच यही है कि फिलहाल सरकार और विपक्ष के संयुक्त प्रयास से झारखंड का जन-जीवन अशांत करने की तैयारी की जा रही है।
     राज्य के भू-राजस्व मंत्री अमर बाउरी ने इसे जनोपयोगी कार्यों के लिए आवश्यक और राज्य के हित में बताया है। उनके अनुसार जमीन केवल सरकारी कार्यों और विकास योजनाओं के लिए अधिगृहित की जाएगी। विपक्ष की आशंका है कि इस संशोधन का इस्तेमाल कार्पोरेट घरानों को ज़मीन देने के लिए किया जाएगा। मंत्री अमर बाउरी भी झारखंड की मिट्टी से ही उपजे नेता हैं। लिहाजा उनपर या भाजपा के दूसरे नेताओं पर क्षेत्रीय वैमनस्य या पूर्वाग्र का आरोप नहीं लगाया जा सकता। लेकिन यह भी सच है कि इतना बड़ा निर्णय लेने और इसपर अमल की प्रक्रिया शुरू करने के पहले सरकार यदि एक सर्वदलीय बैठक बुला चुकी होती तो आज यह आशंकाएं नहीं उठतीं। या तो प्रस्वाव लिया ही नहीं जाता या फिर इसमें कोई अवरोध नहीं आता। सवाल है कि प्रस्ताव सदन की स्वीकृति के बिना राष्ट्रपति तक नहीं पहुंच सकता था तो फिर सदन में विपक्ष ने वह आशंकाएं क्यों नहीं व्यक्त कीं जो अब कर रही हैं। विपक्ष का राजनीतिक धर्म होता है सत्तापक्ष के हर निर्णय का विरोध करना। लेकिन अगर सचमुच कोई लोकहितकारी काम हो रहा हो तो उसे हो जाने देना चाहिए। उसमें अडंगा नहीं डालना चाहिए। प्रस्ताव का वास्तविक चित्र इस विधेयक के प्रावधानों के बिंदुवार विश्लेषण के बाद ही साफ हो सकेगा। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि बिंदुओं पर कोई बात नहीं हो रही है। संशोधन के पीछे की भावना अथवा दुर्भावना को समझने का कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है। रघुवर दास की सरकार कोई आकाश से नहीं टपकी है। झारखंड की जनता ने इसे जनादेश दिया है। सरकार सिर्फ पांच साल के लिए है। इसमें डेढ़ साल बचे हैं। इसके बाद से जनता की अदालत में फिर हाजिरी लगानी होगी। ऐसे में वह कोई ऐसा काम करने का जोखिम नहीं उठा सकती जिसके कारण जनता से मुंह छुपाना पड़े। सिर्फ विरोध के लिए विरोध करने का कोई मतलब नहीं होता।
     निश्चित रूप से रघुवर सरकार कहीं न कहीं ब्रिटिश काल में आदिवासियों के हित में बनाए गए कानूनों में बदलाव चाहती है। सीएनटी-एसपीएनटी एक्ट में संशोधन के असफल प्रयास से यह स्पष्ट है। लेकिन वह ऐसा क्यों चाहती है। उसके क्या तर्क हैं। इसे समझने की जरूरत है। इस सरकार को मूलवासियों का दुश्मन तो करार नहीं दिया जा सकता। अगर वह उद्योग-धंधों का विस्तार चाहती है। बाहरी निवेश लाना चाहती है तो इसमें गलत क्या है। निवेश आएगा तो राज्य का विकास होगा। रोजगार के अवसर सृजित होंगे। हम जांगल युग में तो वापस नहीं लोट सकते। समय के साथ चलना ही होगा। लड़ाई इस बात की होनी चाहिए कि विकास का ज्यादा से ज्यादा लाभ स्थानीय लोगों को मिले। औद्योगीकरण और विकास के लिए ज़मीन की जरूरत तो पड़ेगी ही। अगर ज़मीन का अधिग्रहण नहीं होगा तो विकास का पहिया आगे कैसे बढ़ेगा। दूसरी सोचने की बात यह है कि क्या अभी भी अंग्रेजों के बनाए उन कानूनों को उसी रूप में बने रहने देना चाहिए जिस रूप में ये बने थे। क्या आज 21 सदी में भी स्थितियां वही हैं जो 18 वीं, 19 वीं शताब्दी में थीं। ब्रिटिश शासन आदिवासियों के हित में था और आजाद भारत की सरकारें उनके विरोध में रही हैं यह सोच गलत है। अगर अंग्रेज झारखंड वासियों के इतने ही हितैषी थे तो उनके खिलाफ थोड़े-थोड़े अंतराल पर विद्रोह क्यों होते रहे...। उन्हें सर पर बिठाकर क्यों नहं रखा गया। गुजरात और तेलंगाना जैसे राज्यों ने आखिर उनके बनाए कानूनों में संशोधन क्यों स्वीकार किया...। क्या उन्हें वह खतरे नहीं दिखाई दे रहे जो झारखंड के विपक्षी दलों को दिख रहे हैं। विकास और औद्योगीकरण की जरूरत से कोई इनकार नहीं कर सकता। इनका लाभ अथवा नुकसान किसी एक सरकार के कार्यकाल तक सीमित नहीं रहता। आज जो विपक्ष में है, कल सत्ता में होगा। जो सरकार में है वह विपक्ष में बैठेगा लेकिन जो कार्य होंगे वह लंबे समय तक दिखाई देंगे। इस बात को समझने की जरूरत है और सत्ता तथा विपक्ष की आपसी खींचातानी का आम जनजीवन पर असर नहीं आने देना चाहिए। राजनीति हो लेकिन सदन में हो सड़कों पर नहीं।

-देवेंद्र गौतम



गुरुवार, 14 जून 2018

नक्सली इलाकों में अंधविश्वास का मतलब



झारखंड के माओवादी सिर्फ दहशत फैलाकर लेवी वसूल रहे हैं। जनता की पिछड़ी चेतना को उन्नत करने के लिए जन-शिक्षण का कोई कार्यक्रम नहीं चला रहे हैं। इसीलिए उनके सघन प्रभाव वाले इलाकों में भी भूत-प्रेत, डायन बिसाही जैसी आदिम आस्थाएं अभी तक बरकरार हैं। नक्सलवाद अथवा माओवाद एक वैज्ञानिक विचारधारा है। उसके अलमदार यदि सिर्फ पैसे उगाहने के लिए हथियार का उपयोग करते हैं तो उनसे किसी सामाजिक क्रांति या व्यवस्था परिवर्तन की उम्मीद नहीं की जा सकती। वामपंथ पिछड़ी चेतना को उन्नत करने की सीख देता है। पिछड़ी चेतना से ग्रसित जन किसी जन क्रांति का हिस्सा नहीं बन सकते। वामपंथ के सिद्धांतकार यह बात स्पष्ट कर चुके हैं।
पिछले बुधवार की घटना है। झारखं की राझधानी रांची से करीब 235 किलोमीटर की दूरी पर नक्सल प्रभावित पलामू जिले में 45 वर्षीय दलित महिला कलावती और उसके 25 वर्षीय भतीजे संजय राम को डायन होने के आरोप में ग्रामीणों ने पेड़ पर बांध दिया और उनकी पिटाई करने लगे। घटना छत्तरपुर प्रखंड के मदनपुर गांव के रविदास टोले की है। ग्रामीणों का मानना था गांव में कई मौतें कलावती के काले जादू के कारण हुई हैं। उसपर उसके किसी पितर का साया है और संजय राम इस काम में उसका मददगार है। अंधविश्वास में डूबे ग्रामीण उनकी पीट-पीटकर हत्या करने की तैयारी में थे कि तभी इतेफाक से किसी जागरुक ग्रामीण ने मोबाइल पर पुलिस को घटना की सूचना दे दी। ग्रामीणों के बीच यह बात फैला दी गई कि पुलिस चल पड़ी है और पहुंचने ही वाली है। इसका असर हुआ और पिटाई बंद कर उन्हें बंधनमुक्त कर दिया गया। पुलिस आई और भुक्तभोगियों को अपने साथ ले जाने लगी तो ग्रामीणों ने इसका जमकर विरोध किया। पुलिस अधिकारियों ने उन्हें समझाने की कोशिश की कि काला जादू कुछ नहीं होता है। यह अंधविश्वास है लेकिन पीढ़ियों से मन की गहराई तक जमा अंधविश्वास अपनी जगह बरकरार रहा। भारी प्रतिरोध के बीच पुलिस किसी तरह उन्हें छत्तरपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक ले जा सकी। चोट तो दोनों को लगी थी लेकिन कलावती संजय से कहीं ज्यादा जख्मी और डरी हुई थी। ग्रामीणों का आरोप था कि डायनों को पुलिस जबरन छुड़ाकर ले गई और विरोध करने पर एक महिला की पिटाई कर उसकी टांग तोड़ दी। उन्हें इस बात पर भी आपत्ति थी कि पुलिस ने कलावती को सुरक्षा की दृष्टि से खजूरी ग्राम स्थित उसके मैके पहुंचा दिया था। रविदास टोला में किसी की भी कलावती से सहानुभूति नहीं थी। सभी उसे डायन मान रहे थे और सकी पिटाई को उचित करार दे रहे थे। पुलिस ने दोनों ओर से प्राथमिकी दर्ज करने की अपनी औपचारिकता पूरी की। टोले में अभी भी पुलिस के खिलाफ आक्रोश व्याप्त है।
दलितों को नक्सलियों का मुख्य सामाजिक आधार वर्ग में शुमार किया जाता है। दलितों के उस टोले के लोग अंधविश्वास में डूबे हुए हैं तो इसका सीधा मतलब है कि नक्सलियों ने उन्हें अपनी वैज्ञानिक विचारधारा से दीक्षित नहीं किया। सवाल है कि क्या लेवी का धन इकट्ठा करने से और गोला-बारूद जमा करने से, पुलिस बल पर हमला करने से भारतीय क्रांति संपन्न हो जाएगी...। झारखंड में किसी समय ईसाई मिश्नरियां भी आई थीं। उन्होंने कम से कम शिक्षा का प्रचार किया। आदिवासियों को जागरुक किया। आज भी उनके कामकाज के इलाकों के आदिवासी अपेक्षाकृत ज्यादा जागरुक और विकसित हैं। आखिर नक्सली उनके बीच कौन सा अभियान चला रहे हैं। अंध-आस्थाओं पर उन्होंने कभी प्रहार किया हो। जन अदालत लगाई हो इसका कोई दृष्टांत नहीं है। आखिर आदिवासी समाज में उनकी मौजूदगी से अंतर क्या आया है,,,। चरम वामपंथ की धारा की उपलब्धि, प्रासंगिकता और औचित्य क्या है....।  

-देवेंद्र गौतम

स्वर्ण जयंती वर्ष का झारखंड : समृद्ध धरती, बदहाल झारखंडी

  झारखंड स्थापना दिवस पर विशेष स्वप्न और सच्चाई के बीच विस्थापन, पलायन, लूट और भ्रष्टाचार की लाइलाज बीमारी  काशीनाथ केवट  15 नवम्बर 2000 -वी...