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गुरुवार, 21 नवंबर 2019

झामुमो की मंशा समझ चुकी है जनता : अजय राय



रांची। कोल्हान प्रमंडल भाजपा के मीडिया प्रभारी और प्रदेश प्रवक्ता अजय राय ने कहा है कि झारखंड में झामुमो का जनाधार खिसकता जा रहा है। जनता झामुमो की मंशा भांप चुकी है। झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन और कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन अब तक झारखंड वासियों को बरगलाते रहे हैं। अब जनता उनके झांसे में नहीं आने वाली है। उन्होंने कहा कि झामुमो के प्रति जनता का रुख इस बात से ही स्पष्ट हो जाता है कि राज्य के मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन तमाड़ से और हेमंत सोरेन दुमका से चुनाव हार गए। इससे साफ पता चलता है कि झारखंड की जनता का  झामुमो के प्रति कितना लगाव-जुड़ाव है। श्री राय ने कहा कि झारखंड वासियों के सपने को भाजपा ही साकार कर सकती है। इस दिशा में भाजपा सतत प्रयासरत है। समस्याओं का त्वरित निदान और जन कल्याणकारी योजनाओं के कार्यान्वयन के प्रति भाजपा गंभीर है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री रघुवर दास के नेतृत्व में विगत 5 वर्षों में सरकार की जो उपलब्धियां रही है, वह अभूतपूर्व है। भाजपा ने स्थिर सरकार दिया है और स्वच्छ प्रशासन देने की दिशा में सदैव तत्पर रही है। जनहित में भाजपा सरकार ने कई कल्याणकारी योजनाओं को धरातल पर उतारा है, जिसका लाभ जनता को मिल रहा है। उन्होंने विपक्षी पार्टियों पर करारा प्रहार करते हुए कहा कि विपक्षी दलों के बेमेल गठबंधन से झारखंड का कल्याण नहीं होने वाला है। विपक्षी पार्टियां अपने मतलब के लिए गठबंधन के तहत चुनाव लड़ रही है। राज्य की जनता विपक्षी दलों की मंशा से अवगत हो गई है। चुनाव में उन्हें जनता का करारा जवाब मिलेगा। राज्य में एक बार फिर जनसमर्थन से पूर्ण बहुमत की भाजपा सरकार  बनेगी।

शुक्रवार, 27 सितंबर 2019

झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार बनेगीः जनक




रांची। झामुमो बुद्धिजीवी मोर्चा रांची जिला उपाध्यक्ष जनक नायक ने कहा कि नई सरकार झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में बनेगी और स्वर्णिम विकास भी होगा. उन्होंने कहा कि झारखंड में विकास का काम हेमंत सोरेन के नेतृत्व में होगा , I उन्होंने कहा कि राज्य और देश में जिस तरह से भ्रष्टाचार और डर का माहौल कायम है उससे लोगों को निजात दिलाने की जरूरत है. राज्य में  हर दिन  कुछ न कुछ घटनाएं  हो रही है  जिससे  आवाम में  खौफ का माहौल है चोरी  चैन लूटमार आदि यह सब आम हो गई है प्रशासन का भी कोई कंट्रोल नहीं है नायक ने कहा कि विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी गई है आने वाला विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा की विजय होगी, I जनक ने कहा कि झामुमो का विचार लोगों तक पहुंचाया जा रहा है उन्होंने कहा कि झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार बनने पर पूरे झारखंड में विकास के आयाम लिखे जाएंगे उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा, उन्होंने कहा के कार्यकर्ताओं ने अभी से ही काफी उत्साह है इसी उत्साह के साथ विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं. जनक ने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्थिति काफी मजबूत है और इस बार झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार बनेगी पूरे राज्य में इसकी तैयारी जोर शोर से चल रही है

बुधवार, 15 अगस्त 2018

झामुमो का जनाधार बढ़ने का दावा


रांची । झारखंड मुक्ति मोर्चा ( बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ) के रांची जिला उपाध्यक्ष व लोकप्रिय सामाजिक कार्यकर्ता जनक नायक ने कहा है कि झारखंड में झामुमो का जनाधार तेजी से बढ़ रहा है। सूबे के संथालपरगना क्षेत्र के अलावा सभी जिलों में गठित जिला कमिटियों के पदधारी झामुमो की नीतियों व सिद्धांतों को जन-जन तक पहुंचा रहे हैं। पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता संगठन को सशक्त बनाने के लिए जनसंपर्क अभियान चला रहे हैं। श्री नायक ने कहा कि समाज के प्रबुद्ध वर्ग के लोग भी काफी संख्या में झामुमो से जुड़ रहे हैं। इसके अलावा महिलाएं, युवा, किसान, दलित व अल्पसंख्यक भी झामुमो की  सदस्यता ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि झारखंड का कायाकल्प झामुमो से ही संभव है। पार्टी सुप्रीमो और झारखंड आंदोलन के अग्रणी नेता पूर्व मुख्यमंत्री दिशोम गुरू शिबू सोरेन के मार्गदर्शन व हेमंत सोरेन के कुशल नेतृत्व में कार्यकर्ता पंचायत, प्रखंड से लेकर जिला तक सक्रिय हैं। उन्होंने कहा कि जनता भाजपा की जनविरोधी नीतियों से तंग आ चुकी है। जनसहयोग से अगली सरकार गैर भाजपा दलों की होगी। इसमें झामुमो की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।

रविवार, 24 जून 2018

जवाबी कार्रवाई को तैयार रघुवर सरकार




झारखंड की रघुवर दास सरकार ने भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल को लेकर विपक्षी दलों की चुनौतियों का जवाब देने की पूरी तैयारी कर ली है। साथ ही अपनी पार्टी लाइन को भी कुशलता से आगे बढ़ाने को प्रयासरत हैं। सरकार आदिवासी राजनीति को एक नई दिशा प्रदान करने जा रही है जो सारे पुराने समीकरण को गड्ड-मड्ड कर सकता है। ज्ञातव्य है कि विपक्ष के नेता हेमंत सोरेन ने विपक्षी गठबंधन के बैनर तले 5 जुलाई को भारत बंद का आह्वान किया है। राज्य सरकार एक तरफ इस विधेयक के प्रावधानों को जनता के बीच ले जा रही है और यह उनके लिए कैसे हितकर है, बता रही है, दूसरी तरफ सोरेन परिवार और झारखंड नामधारी अन्य दलों के नेताओं की बखिया उधेड़ने में लगे हैं। उनके आरोपों के जवाब में जो बातें कही जा रही हैं वह उनके आरोपों के मुकाबले हल्की पड़ रही हैं। इधर सरकार 30 जून से को हूल दिवस से 15 जुलाई तक आदिवासी जन उत्थान अभियान का आयोजन करने जा रही है। यह कार्यक्रम हर उस गांव में होगा जिसकी आबादी 1000 से ज्यादा है और जहां 50 फीसद आदिवासी निवास करते हों। इसका उद्देश्य आदिवासी समाज को विकास की मुख्यधारा से जोड़ना है। इस अभियान के जरिए आदिवासी समाज के साथ संवाद कायम होगा। विपक्षी दलों पर आरोपों के तीर चलाए जाएंगे।
इसी बीच रघुवर सरकार ने एक और अहम फैसला किया है। सरकार ने तय कर लिया है कि धर्म परिवर्तन कर चुके आदिवासियों को आरक्षण का लाभ नहीं दिया जाएगा। उनका जाति प्रमाण पत्र भी निरस्त कर दिया जाएगा। अभी तक केवल खतियान के आधार पर प्रमाण पत्र जारी होते थे। अब सरकार के कार्मिक विभाग ने एक नया सर्कुलर जारी कर उनके रीति-रिवाज़, विवाह और उत्तराधिकार प्रथा की जांच के बाद ही जाति प्रमाण पत्र दिया जाएगा। सरकार का मानना है कि इससे धर्मांतरण पर रोक लगेगी और आदिवासियों को उनका पूरा हक मिल सकेगा। 2011 की जनगणना के मुताबिक झारखंड में कुल आदिवासी आबादी 26 प्रतिशत है। उसमें ईसाई आदिवासियों की जनसंख्या 14.4 प्रतिशत है जबकि सरना धर्म को मानने वाले आदिवासियों की 44.2 और हिन्दू आदिवासियों की 39.7 प्रतिशत है। झारखंड सरकार ने यह निर्णय महाधिवक्ता की सलाह के आधार पर लिया है। इसका राजनीतिक प्रभाव पड़ेगा। इससे आदिवासियों का ईसाई गुट नाराज होगा लेकिन हिंदू और सरना आदिवासी खुश हो जाएंगे। ईसाइयों की नाराजगी से भाजपा को खास असर नहीं पड़ेगा क्योंकि वे पहले से ही उसके वोटर नहीं हैं। फिर उनका संख्याबल इतना नहीं कि चुनाव को प्रभावित कर सकें। विश्व हिन्दू परिषद लंबे समय से धर्मांतरण पर रोक के लिए प्रयासरत है। अतः इस कार्रवाई से संघ भी प्रसन्न होगा और भाजपा के केंद्रीय नेता भी खुश होंगे। सरना और हिन्दू आदिवासियों का भाजपा की ओर झुकाव बढ़ेगा। इसका भरपूर लाभ मिलेगा। ठीक उसी तरह जैसे वर्ष 2000 में झारखंड राज्य की स्थापना में अहम भूमिका का लाभ मिला था। तब झारखंड में कांग्रेस और झामुमो का जनाधार सिकुड़ गया था और अधिकांश समय तक सत्ता की बागडोर भाजपा के हाथ में रही थी। झारखंड मुक्ति मोर्चा अलग राज्य के आंदोलन में अहम भूमिका निभाने के बावजूद अलग झारखंड में कभी जनता का इतना विश्वास नहीं जीत पाया कि अपने दम पर सरकार बना सके। आंदोलन में अपने योगदान को लेकर वह स्वयं अपनी पीठ थपथपाता रहा जब कि विरोधी उसपर झारखंड आंदोलन को बार-बार बोचने का  आरोप लगाते रहे। झामुमो को सत्ता मिली भी तो अन्य दलों के सहयोग से।    जारखंड राज्य की स्थापना के बाद रघुवर दास पहले गैर आदिवासी मुख्यमंत्री बने थे। उनके शपथ ग्रहम के बाद से ही आदिवासी नेताओं ने उनपर निशाना साधना शुरू कर दिया था। लेकिन उन्होंने यह साबित करने की कोशिश की कि आदिवासी नेता आदिवासियों को ठगते रहे हैं जबकि वे वास्तव में आदिवासियों के हित में काम कर रहे हैं। फिलहाल मुख्यमंत्री जिस तरह राजनीति की सधी हुई गोटियां चल रहे हैं उसका जवाब दे पाना विपक्षी दलों के लिए आसान नहीं प्रतीत होता। झारखंड दिशोम पार्टी एक बार बंद का आह्वान कर अपनी फजीहत करा चुकी है। अब 5 जुलाई को विपक्ष की परीक्षा है। फिलहाल वे यही रट लगाए हुए हैं कि पूंजीपतियों को ज़मीन देने के लिए संशोधन विधेयक लाया गया है। लेकिन कैसे यह नहीं बता रहे हैं। इसके प्रावधानों की व्याख्या के जरिए अपने दावे की पुष्टि नहीं कर रहे हैं। अब सड़कों पर जोर-जबर्दस्ती किए बिना यदि विपक्षी गठबंधन के नेता 5 जुलाई के झारखंड बंद को सफल बना सके तभी जनता पर उनके प्रभाव का सही आकलन हो सकेगा अन्यथा अराजक कार्रवाइयों का सहारा लेना उनकी पराजय और जन समर्थन के अभाव का ही सूचक होगा।


रविवार, 17 जून 2018

झारखंडी अस्मिता पर दावेदारी की जंग


रांची। झारखंड में स्थानीयता के सवाल पर झारखंड नामधारी दलों के बीच रस्साकशी चल रही है। हर दल स्वयं को इसके प्रति दूसरों से ज्यादा प्रतिबद्ध होने का दावा कर रहा है। एक तरफ झारखंड विधानसभा में विपक्ष के नेता हेमंत सोरेन इस मुद्दे पर विपक्षी दलों को एकत्र कर आंदोलन खड़ा करने की तैयारी में हैं दूसरी तरफ आजसू प्रमुख सुदेश महतो ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। उनकी नीतियों पर सावाल खड़े किए हैं। आजसू झारखंड में एनडीए के सहयोगी दलों में प्रमुख हैं। सिल्ली और गोमिया विधानसभाओं के उपचुनावों में थोड़े अंतर से दूसरे स्थान पर रहने के बाद आजसू आलाकमान सुदेश महतो एनडीए से नाराज चल रहे हैं। उन्होंने एनडीए में रहते हुए मुख्यमंत्री रघुवर दास की स्थानीय नीति का लगातार विरोध किया है। अभी भूमि अधिग्रहण संशोधन प्रस्ताव को राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलने के बाद ताल ठोकते हेमंत सोरेन को आजसू के महासचिव राजेंद्र मेहता ने आड़े हाथों लिया है। श्री मेहता के मुताबिक झारखंड मुक्ति मोर्चा झारखंड आंदोलन की सौदागीरी करता रहा है। कई बार आंदोलन को बेचा है। उसे स्थानीय नीति पर बोलने का कोई हक नहीं है। उनका कहना है कि हेमंत ने 2010 में सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन प्रस्ताव पर सहमति व्यक्त की थी। 14 महीने तक मुख्यमंत्री रहे लेकिन स्थानीय नीति बनाने की जरूरत नहीं समझी। जेपीएससी से क्षेत्रीय भाषाओं को हटाने पर सहमति दी। अगस्त 2017 में जब भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक सदन में आया तो उसका विरोध नहीं किया। सरकार की जनविरोदी नीतियों पर कभी आपत्ति नहीं की। अब सीएनटी-सीपीटी एक्ट में संशोधन के मामले में रघुवर सरकार के बैकफुट पर आने का श्रेय ले रहे हैं। झारखंड की जनता जानती है कि संशोधन का विरोध आजसू ने किया था और सी के विरोध के कारण सरकार को पीछे हटना पड़ा। विपक्ष के नेता ने तो अपनी सहमति दे ही दी थी। उन्होंने कहा कि आजसू एनडीए में जरूर है लेकिन झारखंडी अस्मिता के सवाल पर कभी समझौता नहीं करता। झामुमो अराजक कार्रवाइयां कर सकता है कोई निर्णायक आंदोलन नहीं। स्थानीयता की लड़ाई आजसू के अलावा कोई ईमानदारी से नहीं लड़ सकता।

-देवेंद्र गौतम

स्वर्ण जयंती वर्ष का झारखंड : समृद्ध धरती, बदहाल झारखंडी

  झारखंड स्थापना दिवस पर विशेष स्वप्न और सच्चाई के बीच विस्थापन, पलायन, लूट और भ्रष्टाचार की लाइलाज बीमारी  काशीनाथ केवट  15 नवम्बर 2000 -वी...