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शनिवार, 23 मार्च 2024

हैदराबाद का हुसैन सागर

हाल के वर्षों में जन्म दिवस की पूर्व रात्रि में 12 बजे के बाद केक काटने का प्रचलन बढ़ा है। आमतौर पर लोग यह आयोजन अपने घर में करीबी पारिवारिक मित्रों के साथ करते हैं। हैदराबाद-सिकंदराबाद के लोग प्रायः यह आयोजन घर पर करने की जगह टैंकबंड रोड में करते हैं। टैंकबंड रोड हुसैन सागर के चारों तरफ निर्मित है। हुसैन सागर झील पुराने शहर हैदराबाद और नए शहर सिकंदराबाद के बीच एक कड़ी का काम करती है। झील के चारों तरफ करीब चार फुट की रेलिंग है। झील के चारों तरफ करीब दस फुट का प्लेटफार्म बना हुआ है। इसमें 10-20 फुट की दूरी पर सीमेंटेड बेंच और कहीं-कहीं मंडप बने हुए हैं। झील के चारों तरफ रेलिंग है।



टैंक बंड रोड के निकट एक अन्य मुख्य मार्ग है, जो नेकलस रोड के रूप में लोकप्रिय है। इस सड़क के दोनों तरफ सुंदर उद्यान होने से शाम के समय में अक्सर आगंतुकों की भीड़ जमा होती है। हुसैन सागर झील आगंतुकों के मनोरंजन के लिए कई गतिविधियों का केंद्र भी है। यहां के प्रमुख आकर्षणों में लुम्बिनी पार्क में बुद्ध की प्रतिमा, जहाज पर भोजन की सुविधा, स्पीड बोट पर परिभ्रमण और निवास सांस्कृतिक विभागों द्वारा उपयोग की जाने वाली सांस्कृतिक गतिविधियां शामिल हैं।

हुसैन सागर मध्यकाल में निर्मित देश की संभवतः सबसे विशाल झील है। इसके बीचोबीच भगवान बुद्ध की एक ही पत्थर से बनी 40 फुट ऊंची विशाल मूर्ति है जो दूर से ही नज़र आती है जो शहर के सौंदर्य में चार चांद लगाता है। वहीं लुम्बिनी पार्क बना हुआ है। इस झील में मिसी नदी से पानी की आपूर्ति होती है और इसका जल कभी नहीं सूखता। उनका मकसद पेयजल आपूर्ति और बाढ़ से बचाव था। 1575 ई. में सुल्तान इब्राहिम कुतुब शाह नें ढाई लाख रुपये की लागत से जब इसका निर्माण किया था तो इसका रकबा 550 हेक्टेयर था। अब निजी और सरकारी संस्थाओं ने इसके 40 प्रतिशत हिस्से का अतिक्रमण कर लिया है। अब इसका रकबा 349 हेक्टेयर रह गया है।

अतिक्रमण के अलावा झील कई वर्षों से अनुपचारित घरेलू सीवेज और जहरीले औद्योगिक रसायनों के निरंतर निर्वहन के कारण प्रदूषण की समस्या का भी सामना कर रही है। हालांकि प्रदूषण को रोकने के लिए कई केंद्रीय अपशिष्ट उपचार संयंत्र और सीवेज उपचार संयंत्र विकसित किए गए हैं, फिर भी झील में काफी मात्रा में सीवेज प्रवाहित होता है।



हुसैन सागर सार्वजनिक हित याचिका पहली बार वर्ष 1995 में
'झील बचाओ अभियान' के संयोजक केएल व्यास द्वारा दायर की गई है। हैदराबाद में 170 झीलों की सुरक्षा की मांग करते हुए आंध्र प्रदेश सरकार के खिलाफ आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय (एचसी) में जनहित याचिका दायर की गई थी। जबकि जनहित याचिका में उन सभी झीलों को शामिल किया गया था जो खतरे में थीं, इसका ध्यान सरूरनगर झील पर केंद्रित था जो अपने जलग्रहण क्षेत्र पर बड़े पैमाने पर अतिक्रमण और प्रदूषण के टैंकखतरनाक स्तर के कारण गंभीर तनाव में थी। जनहित याचिका पर फैसले में आंध्र प्रदेश राज्य के सभी जल निकायों की सुरक्षा शामिल थी।

हैदराबाद शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) ने हैदराबाद और उसके आसपास की झीलों की सुरक्षा के लिए 2000 में एक अधिसूचना जारी की। ऐसी अधिसूचना के बावजूद, हुडा द्वारा झील के किनारे आवासीय कॉलोनियों के लिए अनुमति दिए जाने के कई उदाहरण हैं। हुसैन सागर के आसपास हुडा (बुद्ध पूर्णिमा परियोजना विकास प्राधिकरण के तत्वावधान में) द्वारा किए गए कई पर्यटन-संबंधी सौंदर्यीकरण कार्यों को इसकी अपनी अधिसूचना का गंभीर उल्लंघन माना जा सकता है।

हुसैन सागर झील को बचाने के लिए फोरम ने 2001 से आंध्र प्रदेश के उच्च न्यायालय में कई जनहित याचिकाएं दायर कीं। आखिरी जनहित याचिका 2004 में उच्च न्यायालय में दायर की गई थी और फैसला अभी भी लंबित है। वर्ष 2005 में एक अन्य पर्यावरणविद् डॉ. हरगोपाल द्वारा भी सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका के तहत जनहित याचिका दायर की गई थी। पर्यावरणविद् राधा बाई ने भी झील में प्रदूषण को रोकने के लिए वर्ष 2006 में एक नई जनहित याचिका दायर की थी। झील के पुनरुद्धार के लिए करोड़ों रुपये स्वीकृत किए गए हैं लेकिन झील अभी भी बहुत खराब स्थिति में है। हुडा ने 2010 तक झील को प्रदूषण मुक्त बनाने का वादा किया है।

तमाम समस्याओं के बावजूद हुसैन सागर सिकंदराबाद-हैदराबाद का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। यहां पर्यटकों के लिए नौका-विहार की व्यवस्था है। पर्यटक नौका पर बैठकर बुद्धमूर्ति के टीले तक जाते हैं और कुछ समय बिताने के बाद वापस लौटते हैं।

-देवेंद्र गौतम

 


मंगलवार, 5 नवंबर 2019

जम्मू के कण-कण में समाया है हिन्दुस्तान


               

** सुनील सौरभ

लम्बे अरसे बाद या यूँ कहें पहली यात्रा के लगभग सात साल बाद तीसरी बार जम्मू आया। मकसद तो वही होता है, जिसका अंदाजा कोई भी सहज ही लगा सकता है। सही सोचा आपने-माता वैष्णो देवी का दर्शन। कालांतर में दो बार भी इसी उद्देश्य से जम्मू आया था। लेकिन, ठहराव स्थल अलग था। घूमा तो उस बार भी था, तब जम्मू कश्मीर में धारा 370 था, अब नहीं है। हालांकि इससे जम्मू में मुझे कोई नया अनुभव नहीं हुआ। हाँ, जम्मू के कण-कण में हिंदुस्तान जरूर नजर आया। अपने आवासन स्थल जम्मू रेलवे स्टेशन के पास श्रीमाता वैष्णव देवी श्राइन बोर्ड के वैष्णवी धाम गेट से मैं, पत्नी और बेटी सुरभि निकलने लगे, तो गार्ड पर नजर पड़ी। मैंने उससे कहा-"हमलोगों को जम्मू घूमना है, किसी टैक्सी वाले को बुला दें।" तब गार्ड ने गेट पर से ही टैक्सी चालकों के एक नेता को बुला दिया। बातें हुई और हमलोग एक टैक्सी ड्राइवर के साथ जम्मू की लोकल यात्रा पर निकल पड़े।सबसे पहले रघुनाथ मंदिर से शुरुआत करने की बात ड्राइवर ने कही। हमलोग रघुनाथ मंदिर पर पहुँचे, तो गेट तक लाइन लगी थी। गर्मी भी अधिक। आधे घंटे के बाद गर्भ गृह पहुँचे। भगवान श्रीराम, माता सीता,भ्राता लक्ष्मण और श्री हनुमान जी का दर्शन किया।

रघुनाथ मंदिर से निकलने के बाद सीनियर सिटीजन की उम्र की ओर बढ़ते ड्राइवर ने देश की चर्चा  शुरू कर दी। मैं भी 'इंटरेस्ट' लेने लगा। 370 पर पूछा कि जम्मू वासी इसे किस रूप में लेते हैं, तो वो कहने लगा-"मोदी जी ने बहुत अच्छा निर्णय लिया है, यह जम्मू -कश्मीर के हित में है। अब तो पी ओ के भी भारत में आ जायेगा।" मैंने पूछा-यह आप कैसे कहते हो? उसने कहा-मोदी सरकार देश हित में हर फैसला लेकर रहेगा। मोदी है तो मुमकिन है। जम्मू वासी ड्राइवर दिलीप सहगल ने बताया कि कश्मीर के लोग मोटे दिमाग के होते हैं, नेता अपने बच्चों को विदेश में औऱ कश्मीर में रहने वालों को पत्थर बाज बना रहा है, यह बात वहाँ के लोगों को पता नही चलता है। तब तक हमलोग पार्क ( चिड़ियाघर) पहुँच गए। गाड़ी से निकलते ही भीषण गर्मी का एहसास हुआ। लेकिन, पार्क में जाने के बाद कुछ शांति मिली। हाथी को छोड़ बाघ से लेकर हिरण तक  छोटे-बड़े कई जानवरो को इस पार्क में देखने का मौका मिला। यहाँ से निकलने का मन नहीं कर रहा था। लेकिन, अन्य जगह जाना था और शाम को वापिस लौटने के लिए तैयारी भी करनी थी, इसलिए पार्क से निकल पड़े। बहुत गर्मी में पार्क में वन विभाग की महिला कर्मी भी  परेशान हो एक पेड़ के नीचे बेंच पर बैठ कर हाथ पंखा 'डोला' रहीं थीं।

हमलोगों को अन्य जगह भी घूमना था, इसलिए पार्क से निकल कर गाड़ी में आ गए। गाड़ी में बैठते ही मैंने ड्राइवर से कहा-आप भी सहगल हो, हमलोग तो फिल्मी दुनिया के के.एल. सहगल साहब को जानते हैं। उसने बताया कि उनका घर भी मेरे पास ही है। उनके परिवार के लोग रहते हैं।

पार्क से निकलने के बाद हमलोग बहु फोर्ट गये। इस फोर्ट के अंदर ही जम्मू का सबसे प्राचीन माँ काली का मंदिर है। कड़ी सुरक्षा में यह मंदिर है। भीषण गर्मी और कड़ी धूप में हम सभी मंदिर में प्रवेश कर गए। मंदिर में प्रवेश करते ही अहसास हुआ कि माँ काली का यह मंदिर जागृत है। माँ की पूजा अर्चना करने के बाद हमलोग मेन गेट से निकलने लगे, तो जम्मू कश्मीर पुलिस का दारोगा अपने साथ रहे हथियार बंद एक जवान से कहने लगा कि 'तुम्हारे देश 'बिहार' के बहुत लोग यहाँ आते हैं, तुम्हें बहुत लोगों से भेंट होगी। पता नहीं उस दारोगा ने हम सभी को देखकर कैसे  पहचान लिया कि हम बिहार से हैं!


दारोगा की बात पर हम पीछे मुड़े और जवान से पूछा कि कहाँ घर है, उसने बताया कि बेगूसराय। मैं ने पूछा कि बेगूसराय में कहाँ, तो उसने कहा-बलिया। जब मैंने उसे बताया कि मेरा घर बख्तियारपुर है और मैं पत्रकार हूँ, तो वह काफी भावुक हो गया। (बख्तियारपुर और बलिया की दूरी करीब 70-75 किलोमीटर है ) उसने बताया कि मेरे जिले के एक बड़े पत्रकार हैं-अजित अंजुम। मैंने कहा वे मेरे अच्छे मित्र हैं, तब वो और भावुक हो गया और मुझे ऐसा लगा कि खुशी में उसकी आँखें भर आयी है! वह आई.टी.बी.पी.का जवान था और एक दिन पहले ही काली मंदिर में उसकी ड्यूटी लगी थी। मेरे पास समय कम था, इसलिए हम सभी उससे विदा लिए। उसने भावुक मन से अभिवादन किया।

काली मंदिर से बाहर आया, तो ड्राइवर ने कहा कि अभी बहुत समय है, बगल में एक अच्छा पार्क है घूम लें। 25 -25 का तीन टिकट लेकर अंदर गए, तो लगा कहाँ आ गए। लेकिन, अंडरग्राउंड में अद्भुत नजारा था। बड़े बड़े अक्यूरिएम में मछली का पूरा संसार बसा था। बच्चों और मछली पर शोध करने वालों के लिए यह म्यूजियम बहुत काम का है। बेटी सुरभि और पत्नी सुभद्रा को यहाँ बहुत आनन्द आया। बाहर निकले, तो बेहद गर्मी थी।सामने एक कुल्फी वाले पर नजर पड़ी। पत्नी बोली कि 'कुल्फी खाया जाए।' हमलोग ठेले वाले के पास खड़े हो गए। बोल-चाल से लगा कि वह बिहारी है। मैंने पूछा कहाँ घर है? उसने बताया भागलपुर के सुल्तानगंज में। पूछने पर उसने बताया कि हम सभी भाई-बहन यहीं पैदा हुए। गाँव जाते हैं, तो मन नहीं लगता है। मेरा तो कर्म और जन्मभूमि भी यहीं हो गया है। पैसे देने लगा, तो उसने कम पैसे ही लिये और कहा-आपने देश के लोगो के लिए इतना तो कर ही सकता हूँ, मेरा कोई मालिक नहीं है। छोटी सी राशि छोड़े जाने से ही हम उसके अहसान तले आ गये और उसकी भावना का क़द्र किया।

यहाँ से निकलने के बाद हमलोग राजा का महल (राजा गुलाब सिंह, राजा हरि सिंह और यहाँ के वर्तमान उत्तराधिकारी राजा कर्ण सिंह का महल) देखने आ गए।
प्रकृति की गोद में और तवी नदी के किनारे महाराजा गुलाब सिंह, महाराजा हरि सिंह और इस महल के वर्तमान उत्तराधिकारी कर्ण सिंह के महल को देखकर लगा जम्मू कश्मीर के अतीत से रू-ब-रू हो रहा हूँ। महल के बड़े परिसर के पीछे के हिस्से यानी 20 वीं सदी के बने महल को होटल बना दिया गया है। अगले हिस्से यानी पुराने तीन -चार मंजिला महल को  पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने अपने कब्जे में लेकर रखा है। इसी महल के एक कमरे में महाराजा का सोने का सिंहासन रखा है, जिसे कड़ी सुरक्षा व्यवस्था में रखा गया है। महल के पार्क में महाराजा गुलाब सिंह की आदमकद मूर्ति लोगों को बरबस अपनी ओर आकर्षित करती है। इस महल में जम्मू कश्मीर रियासत की स्थापना से लेकर भारत में विलय तक की कहानी सचित्र लगी है। दुर्लभ पेंटिंग भी लगे हैं। जम्मू कश्मीर के ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण क्षणों को भी तस्वीरों के माध्यम से दर्शाया गया है। मैनें यहाँ कार्यरत लोगों से पूछा कि कर्ण सिंह आते हैं कि नहीं ? कर्मचारी ने जवाब दिया कि साल में एक-दो बार आ जाते हैं।

करीब घंटे भर महल परिसर में रहने के जामवंत गुफा आ गए। बाहर से तो मंदिर जैसा रूप है, लेकिन गुफा में पूरी तरह झुक कर अंदर जाना पड़ा। इस गुफे में जामवंत के अलावा भगवान शिव के  साथ-साथ अन्य देवी देवताओं की भी मूर्तियां स्थापित हैं। अद्भुत शक्ति का अनुभव हुआ इस गुफा में। जामवंत के संबंध में यह कहा जाता है कि उनका जन्म सतयुग में हुआ था और वे त्रेतायुग तथा द्वापर में भी देखे गए। जामवंत अग्नि पुत्र थे।परशुराम जी और हनुमान जी की तरह जामवंत भी तीनों युगों में देखे गए हैं और कलयुग में भी वे हैं। रावण से युद्ध के समय जामवंत श्री राम की सेना के सेनापति थे। जम्मू के जामवंत गुफा रामायण और महाभारत के अद्भुत शक्ति वाले  पात्र जामवंत की युद्ध कौशल, वीरता, विद्वता का आज भी अहसास कराता है।

यहाँ से निकलने के बाद तवी नदी के किनारे स्थित हरकिपौडी पहुँचे। यहाँ हरिद्वार के हरकिपौडी की तरह ही सभी देवी-देवताओं के मंदिर बने हैं। जम्मू के लोग यहाँ बड़ी आस्था के साथ आते हैं। तवी नदी के इसी घाट पर मूर्तियों का विसर्जन होता है। जम्मू दर्शन का यहाँ हमलोगों का अंतिम पड़ाव था।

यहाँ से आवासन स्थल वैष्णवी धाम के लिये निकला, तो बेटा सिद्धार्थ का दोस्त जम्मुवासी  शिवांग का फोन आया कि अंकल कहाँ हैं और क्या कार्यक्रम है? मैंने कहा-अभी हमलोग वैष्णवी धाम जा रहे हैं और खाना खा कर स्टेशन जाएंगे, शाम को ट्रेन है।शिवांग बोला हम वहीं आ जाते हैं अंकल। वह अपनी छोटी बहन के साथ स्कूटी से आ गया। दोनों भाई-बहन से मिलने पर लगा कि वर्षो से परिचित हैं। थोड़ी देर में ही दोनों बच्चे हमलोगों से ऐसे घुल मिल गए कि लगा जैसे वर्षों बाद परिवार के सदस्यों से मिला हूँ। दोनों घर चलने की जिद करने लगे। ट्रेन का समय हो जाने के कारण हम शिवांग के घर नहीं जा सके, लेकिन वादा किया कि अगली बार आऊंगा, तो जरूर तुम्हारे घर चलूँगा। दोनों भाई-बहन ने यह भी कहा कि जम्मू से कोई सामान नहीं खरीदें, क्योंकि काफी महंगे और ठगाने की ज्यादा संभावना रहती है। लेकिन, हमलोग प्रसाद खरीदने के दौरान ही अन्य कुछ सामानों की खरीदारी कर ली थी। दोनों को विदा करने के बाद हमलोग जम्मू स्टेशन आ गए अर्चना एक्सप्रेस पकड़ने के लिए।

कुल मिलाकर, तीन दिनों की माता वैष्णोदेवी औऱ जम्मू की यात्रा अच्छी रही। इस दौरान जम्मू से लेकर कटरा तक जो भी मिले, उनमे धारा 370 के हटने की खुशी और पूरे देश से जुड़कर हिंदुस्तानी कहलाने का गर्व था।

शुक्रवार, 27 सितंबर 2019

जापान के कांसुलेट जनरल ने बौद्ध पर्यटन पर जोर दिया

झारखंड टूर कॉन्क्लेव में पर्यटन स्टेकहोल्डर्स के लिए शुरू किया गया पर्यटन पुरस्कार“

“विश्व पर्यटन दिवस” को मनाने के लिए पर्यटन विभाग, झारखंड ने शुरु किया झारखंड पर्यटन पुरस्कार


रांची। प्रकृति ने झारखण्ड पर अपना वैभव लुटाया है यहां पर्यटन के लिये वह सब कुछ है जो इसे अन्य राज्यों अलग बनाता है।झारखंड में पर्यटन की असंख्य संभावनाएं हैं, जिनमें बौद्ध पर्यटन, एडवेंचर पर्यटन, डप्ब्म् पर्यटन आदि शामिल हैं। उक्त बातें पर्यटन सचिव श्री राहुल शर्मा ने आज होटल रेडिसन ब्लू में पर्यटन विभाग के तत्वावधान में इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा आयोजित 2 दिवसीय “झारखंड टूर कॉन्क्लेव “ के समापन समारोह में कही। उन्होंने झारखंड में पर्यटन की असीम संभावानाओं एवं यहां के पर्यटन क्षेत्रों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

इस अवसर पर “भारत में एडवेंचर पर्यटन के असंख्य क्षेत्रों व विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के तरीके” और “बौद्ध वंश के माध्यम से दक्षिण पूर्व एशियाई देशों को जोड़नाः क्रमशः विकास के लिए पुराने मार्गों को सुदृढ़ करना” के बारे में जानकारी दी गई ।

बौद्ध पर्यटन पर अधिक जोर
कांसुलेट जनरल मासायुकी तगा ने भारत-जापान संबंधों का एक शानदार विवरण दिया और दोनों देशों के सामान्य बौद्ध वंश का उपयोग करते हुए संबंध को और मजबूत बनाने की संभावनाओं के बारें में बताया। उन्होंने कहा कि यदि बौद्ध पर्यटन पर अधिक जोर दिया जाए तो जापान से भारत आने वाले पर्यटकों की संख्या कई गुना बढ़ सकती है।

इटखोरी के पुरातात्विक सर्वेक्षण पर एक पुस्तक जारी

कार्यक्रम में पर्यटन विभाग, झारखंड ने इटखोरी के पुरातात्विक सर्वेक्षण पर एक पुस्तक जारी की। “विश्व पर्यटन दिवस“ के अवसर को मनाने के लिए, एक पुरस्कार समारोह भी शुरू किया गया जिसमें उत्कृष्टता के लिए जय ट्रेवल्स, ट्रेवल स्टार, सुहाना टूर एंड ट्रैवल्स, होटल रेडिसन ब्लू, होटल बीएनआर चाणक्य , कैपिटल रेजीडेंसी, थे येलो सफायर, को पुरस्कार दिया गया साथ ही ग्रेट कबाब फैक्ट्री, कावेरी, मोती महल रेस्तरां, रुइन हाउस, होटल ले लाक, रामदा जमेशदपुर, इम्पीरियल हाइट्स देवघर, ज़ैका रिसॉर्ट्स आदि को भी पुरस्कार दिया गया। अन्य पुरस्कार जेटीडीसी प्रबंधकों व पर्यटक मित्र के लिए और आईएचएम को “स्वछता  पखवाड़ा” के लिए दिया गया।

इस अवसर पर श्री संजीव कुमार बेसरा, निदेशक पर्यटन, झारखंड, श्री एस के चौधरी, पूर्व मुख्य सचिव, झारखंड, श्री हेमंत गुप्ता, मैनेजिंग ट्रस्टी, लीडरशिप टीम, टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन, सुश्री गुरलीन कौर, वरिष्ठ उपाध्यक्ष - पर्यटन , इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (कर्नाटक) लिमिटेड, डॉ हरीश सांकृत्यायन, अध्यक्ष, वर्ल्ड बुद्ध फाउंडेशन आदि उपस्थित थे।

सोमवार, 8 जुलाई 2019

पर्यटन, कला संस्कृति, खेल-कूद एवं युवा कार्य विभाग की समीक्षा


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2014 के बाद विगत साढ़े 4 वर्ष में घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों की सांख्य में दोगुनी वृद्धि, प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगार सृजन में भी 2014 के बाद दोगुनी वृद्धि
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मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा-

नेतरहाट को अंतरराष्ट्रीय पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा

श्रावणी मेला का दो लक्ष्य- स्वच्छता और विनम्रता

अक्टूबर में होगा टूरिज्म कॉन्क्लेव, पर्यटन नीति में करें सुधार

सरकार देगी भूमि, पीपीपी मॉडल पर बनायें अथितिगृह



रांची। श्रावणी मेला के दौरान सरकार का दो प्रमुख लक्ष्य है- स्वच्छता और विनम्रता। सरकार इन दोनों लक्ष्यों को आत्मसात कर कांवरियों का अभिवादन करेगी। किसी श्रद्धालु को किसी तरह की परेशानी न ही इसका पूरा ध्यान रखा जाए। देवघर में दूसरे चरण के क्यू कॉम्प्लेक्स का निर्माण पीपीपी मोड पर किया जाएगा। देवघर में टूरिस्ट सर्किल कैसी होगी, इसका निर्णय मंगलवार को देवघर में होने वाली श्रावणी मेला की समीक्षा बैठक में लिया जाएगा। ये बातें मुख्यमंत्री श्री रघुवर दास ने पर्यटन, कला संस्कृति, खेल-कूद एवं युवा कार्य विभाग की समीक्षा बैठक में कही। 

पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए टूरिज्म कॉन्क्लेव

मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यटन को बढ़ावा देने और पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों को राज्य में आमंत्रित करने के उद्देश्य से अक्टूबर में टूरिज्म कॉन्क्लेव का आयोजन होगा। इसके लिए मुख्यमंत्री ने पर्यटन नीति में कुछ सुधार करने का निदेश अधिकारियों को दिया है। साथ ही पर्यटन के विकास हेतु सरकार भूमि उपलब्ध कराएगी और पीपीपी मोड पर पर्यटन स्थलों में गेट हाउस के निर्माण को प्राथमिकता देगी। 

लुंगुबुरु की पहाड़ी पर सड़क बनाये वन विभाग
मुख्यमंत्री ने कहा कि लुंगुबुरु को राज्य सरकार ने राजकीय महोत्सव का दर्जा दिया है। ऐसे में उस धार्मिक स्थल पर विकसित करना सरकार का कर्तव्य है। मुख्यमंत्री ने मुख्य वन संरक्षक श्री संजय कुमार को निदेशित किया वन विभाग टीम को भेज कर लुंगुबुरु में सोलर फार्मिंग और पहाड़ी के उपर जाने के लिए मार्ग बनाएं। मार्ग और अन्य व्यवस्था के लिए बिजली के लिए सोलर फार्मिंग की संभावना का आकलन करें। ताकि वहां उसकी व्यवस्था की जा सके।

मलूटी का मूल स्वरूप से छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए
मुख्यमंत्री ने मलूटी में मंदिर जीर्णोद्धार के कार्य की प्रगति और गुणवत्ता प्रश्न करते हुए कहा कि मलूटी में ही रहे कार्य की करें। मलूटी(टेराकोटा) के मूल स्वरूप को कायम रखा जाए, इसमें किसी तरह का छेड़छाड़ नहीं होना चाहिए। मूल स्वरूप को ध्यान में रखकर ही कार्य आगे बढ़ाया जाए। 

रांची व देवघर में बने एक्वा पार्क, आड्रे हाउस को बनाएं सांस्कृतिक हब
मुख्यमंत्री ने कहा कि रांची और देवघर में अंतर्राष्ट्रीय स्तर का एक्वा पार्क निर्माण की दिशा में विभाग कार्य करे। रांची स्थित आड्रे हाउस को सांस्कृतिक हब में परिवर्तित करने का कार्य विभाग आरंभ करे। 

खेल मैदान को विकसित करें
मुख्यमंत्री ने निदेश दिया कि कमल क्लब से विभाग खेल मैदान की सूची प्राप्त करे। उन खेल मैदानों को सरकार विकसित करने की योजना बनायेगी। ताकि राज्य को बेहतरीन खिलाड़ी मिल सके। 

इस अवसर पर मंत्री, पर्यटन, कला संस्कृति, खेल-कूद एवं युवा कार्य विभाग श्री अमर कुमार बाउरी, मुख्यसचिव डॉ डी के तिवारी, अपर मुख्य सचिव श्री सुखदेव सिंह, अपर मुख्यसचिव के के खंडेलवाल मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डॉ सुनील कुमार वर्णवाल, हेड ऑफ फॉरेस्ट श्री संजय कुमार, पर्यटन विभाग के सचिव श्री राहुल शर्मा, पर्यटन निदेशक श्री संजीव बेसरा, खेल कूद निदेशक श्री अनिल कुमार सिंह सहित अन्य वरीय अधिकारी उपस्थित थे ।

वह सब जो जानना जरूरी है...
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★2015- 16 में जहां 1.80 करोड़ घरेलू पर्यटक आये, वहीं 2018-19 में यह संख्या बढ़कर 3.54 करोड़ हो गई। जबकि अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों की संख्या 2015-16 में .82 हजार थी वह 2018-19 में बढ़कर 1.76 लाख हो गया

★पर्यटन के क्षेत्र में 2014-15 में 31.95 हजार प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगार का सृजन हुआ था, जो 2018-19 में बढ़कर 74.16 हजार हो गई

★2014 तक JTDCL की संपत्ति की संख्या 24 थी वर्त्तमान में 2018-19 में बढ़कर 81 हो गई

★पर्यटकों के निवास के लिए 2014-15 में 359 होटल थे , 2018-19 में इसकी संख्या बढ़कर 618 हो गई
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आने वाले दिनों में इनका होगा उद्घाटन....
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★पतरातू डैम में बन रहे पर्यटन स्थल का

★रांची में निर्मित हो रहे होटल मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट का

★नेतरहाट में टूरिस्ट कॉम्प्लेक्स का

और....
★रजरप्पा में बन रहे यात्री निवास का
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इनकी रखी जायेगी आधारशिला...
★देवघर में प्रसाद योजना

★स्वदेश दर्शन योजन का तहत दलमा-चांडिल-गेतलसूद-नेतरहाट-बेतला इको-टूरिज्म सर्किट

★लुंगुबुरु में तीर्थ यात्रियों को सुविधाओं को ध्यान में रखकर सामुदायिक भवन

★दुमका में म्यूजियम, ओपन एयर थिएटर और ऑडिटोरियम

★इटखोरी में टेम्पल कॉम्प्लेक्स

और..
★चांडिल डैम में पर्यटन सुविधा केंद्र

मंगलवार, 17 जुलाई 2018

पर्यटन से सृजित हुआ 14.62 मिलियन रोजगार : अल्फोंस


नई दिल्ली। पर्यटन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के. जे. अल्फोंस ने पिछले 4 वर्षों के दौरान अकेले पर्यटन क्षेत्र द्वारा देश कुल 14.62 मिलियन रोजगार के अवसर सृजित होने का दावा किया है। नई दिल्ली में मीडिया को संबोधित करते हुए उन्होंने बताया कि पर्यटन क्षेत्र कुशल के साथ-साथ अकुशल क्षेत्र में नौकरी तलाशने वाले लोगों के लिए अवसर प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि इससे समाज के सभी वर्गों को रोजगार मिल रहा है।
मंत्री ने कहा कि पर्यटन मंत्रालय अब भारत के पूर्वोत्तर के राज्यों के प्रति पर्यटकों का ध्यान आकर्षित करने के लिए प्रचार गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, जैसे मेघालय में एशिया का सबसे बड़ा गुफा वाला नेटवर्क है। ‘भारत में महिलाओं की सुरक्षा’ से संबंधित हालिया मीडिया रिपोर्ट को खारिज करते हुए मंत्री महोदय ने कहा कि भारत पर्यटकों के लिए सुरक्षित है और पर्यटकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई तरह के कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के लिए पर्यटकों की सुरक्षा संबधी दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
पर्यटन मंत्री ने कहा कि विदेश में देश को बढ़ावा देने के लिए मंत्रालय ने अमेरीका, यूरोप, चीन तथा नॉर्डिक देशों में कई ‘अतुल्य भारत रोड शो’ आयोजित किए हैं। मंत्री महोदय ने कहा कि अभी तक थीम पर आधारित 60 सेकेंड के अतुल्य भारत से संबंधित 3 वीडियो जारी किए जा चुके हैं और इन्हें सोशल मीडिया पर बड़ी संख्या में दर्शकों का समर्थन मिल रहा है।   

मंगलवार, 10 जुलाई 2018

अब बंदरगाहों पर मिलेगा लहरों का रोमांच



केंद्र

कार्ययोजना तैयार

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मुंबई। केंद्र सरकार ने क्रूज पर्यटन को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है। इस संबंध में केंद्रीय नौवहन, सड़क परिवहन व राजमार्ग, जल संसाधन, नदी विकास तथा गंगा संरक्षण मंत्री नितिन गड़करी पिछले सप्ताह मुम्बई पहुंचे। उन्होंने यात्रा और पर्यटन उद्योग से जुड़े विभिन्न हितधारकों के साथ विचार-विमर्श के सत्र की अध्यक्षता की। बैठक का उद्देश्य देश में क्रूज पर्यटन की पूर्ण क्षमता को प्राप्त करने के लिए एक कार्य योजना तैयार करना था। इस सत्र में केंद्रीय पर्यटन राज्य मंत्री के. जे. अल्फोंस भी उपस्थित थे। मुम्बई पोर्ट ट्रस्ट, महाराष्ट्र पर्यटन विकास निगम और महाराष्ट्र सरकार के पर्यटन मंत्रालय के अधिकारियों ने यात्रा और पर्यटन उद्योग के प्रतिनिधियों के साथ विचार-विमर्श किया। कार्य योजना में चिन्हित स्थलों को पर्यटन गंतव्य के रूप में विकसित करने तथा देश व विदेश में इन स्थलों का प्रचार-प्रसार करने पर बल दिया गया है।
बैठक में मुम्बई को देश के क्रूज पर्यटन हब के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया गया। संसुन डॉक, सेवरी फोर्ट, कनहौजी आंगरे दवीप, मांडवा, अलीबाग, विजय दुर्ग आदि स्थलों को आकर्षक गंतव्य स्थलों के रूप में विकसित किया जाएगा।
पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए मरीन ड्राइव क्षेत्र के आसपास वॉटर स्पोर्ट्स गतिविधियों की योजना तैयार की गई है। फेरारी फार्मूला 1 और ग्रेंड प्रीक्स जैसे आयोजनों पर भी विचार किया गया है। मांडवा को स्वास्थ्य कल्याण केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा। यहां योग और ध्यान के लिए सुविधाएं विकसित की जायेंगी। मुम्बई पोर्ट इलाके में रेस्त्रां और पर्यटन के अन्य आकर्षण विकसित किए जायेंगे। राज्य पर्यटन विभाग क्रूज के आगमन पर सांस्कृतिक प्रस्तुतियां आयोजित करेगा।
कार्य योजना में पर्यटन गंतव्यों का राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रचार-प्रसार करने पर विशेष ध्यान दिया गया है। मुम्बई पोर्ट ट्रस्ट अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन मार्ट में हिस्सा लेगा। बालीवुड को मुम्बई पोर्ट के विभिन्न स्थलों पर शूटिंग करने की इजाजत दी जाएगी। ट्रेवल एजेंसियां मुम्बई-गोवा क्रूज, गेटवे इंडिया पर घूमता हुआ रेस्टोरेंट और गिरगांव चौपाटी का प्रचार-प्रसार करेंगी। पर्यटन की जानकारी देने वाले कर्मियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा।
कार्य योजना में स्वच्छता और संचालन दक्षता पर विशेष ध्यान दिया गया है। कार्य योजना में कहा गया है कि पर्यटन क्षेत्रों, सड़क मार्गों, फूटपाथों तथा समुद्र तटों की स्वच्छता सुनिश्चित की जानी चाहिए।
देश में क्रूज पर्यटन को प्रोत्साहन देने के लिए भारत सरकार ने कई कदम उठाए हैं। इनमें मुख्य हैं –
·         क्रूज जहाजों के लिए स्थान उपलब्ध कराना
·         आउस्टिंग शुल्क हटा दिए गए हैं - इससे कुल लागत में कमी आयेगी
·         पोर्ट शुल्क में 42-66 प्रतिशत की छूट
·         बंदरगाह प्राधिकरणसीमा शुल्कआप्रवासनसुरक्षाराज्य सरकारजहाज एजेंटटूर ऑपरेटर जैसी कई एजेंसियों की प्रक्रियाओं के लिए सरलीकृत एसओपी जारी
·         भारतीय बंदरगाहों के बीच यात्रा की आसानी के लिए ई-लैंडिंग कार्ड सिस्टम तैयार
·         ऑनलाइन और आगमन वीज़ा सुविधाओं के लिए ई-वीज़ा
·         भारतीय तटों पर विदेशी क्रूजों के लिए अनुतट (कैबोटेज) को समाप्त किया गया।
·         क्रूज़ टर्मिनलों को अधिक यात्री सुविधाओं के साथ अपग्रेड किया गया
·         नए क्रूज टर्मिनलों का निर्माण किया जाएगा
·         नौवहन मंत्रालय एक प्रतिष्ठित परामर्शदाता नियुक्त करेगा जो देश में क्रूज पर्यटन के विकास के लिए कार्य योजना तैयार करेगा। 2042-43 तक पर्यटकों की संख्या 4.5 मिलियन तक पहुंचने का अनुमान लगाया गया है।

सोमवार, 9 जुलाई 2018

16 से 18 सितंबर तक नई दिल्ली में होगा ‘भारत पर्यटन मार्ट’ का आयोजन



  विदेशी पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी : के. जे. अल्फोंस
नई दिल्ली। केंद्रीय पर्यटन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के. जे. अल्फोंस ने आज घोषणा करते हुए कहा कि राज्य/ केंद्र शासित प्रदेशों तथा भारतीय पर्यटन व अतिथि सत्कार परिसंघ (एफएआईटीएच) के सहयोग से पर्यटन मंत्रालय 16 से 18 सितंबर, 2018 तक नई दिल्ली के विज्ञान भवन में  ‘भारत पर्यटन मार्ट (आईटीएम) का आयोजन करेगा। विश्व के अन्य देशों में आयोजित होने वाले पर्यटन मार्ट को ध्यान में रखते हुए भारत पर्यटन मार्ट का आयोजन किया जा रहा है। इस आयोजन से पर्यटन व अतिथि सत्कार से जुड़े सभी हितधारकों को विचार-विमर्श करने का मौका मिलेगा और उन्हें व्यापार से जुड़े अवसरों की जानकारी मिलेगी।
नई दिल्ली में आज मीडिया को संबोधित करते हुए पर्यटक मंत्री ने कहा कि पर्यटन और अतिथि सत्कार के क्षेत्र में भारत में असीम संभावनाएं हैं। श्री अल्फोंस ने कहा कि आईटीएम 2018 के माध्यम से भारत पूरे विश्व खासकर चीन, लैटिन अमेरिका, जापान आदि को अपने छिपे हुए गंतव्यों की जानकारी दे सकता है। इस आयोजन के माध्यम से अगले तीन वर्षों में पर्यटकों की संख्या दोगुनी होने की संभावना है। मंत्री महोदय ने पर्यटन क्षेत्र से जुड़े सभी हितधारकों को धन्यवाद देते हुए कहा कि वे इस वैश्विक आयोजन को सफल बनाने के लिए सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। पर्यटन मंत्री ने सभी राज्यों से पर्यटन स्थलों से संबंधित वीडियों तैयार करने का आग्रह किया है ताकि बेहतर प्रचार के लिए इसका उपयोग किया जा सके।
इस अवसर पर पर्यटन सचिव श्रीमती रश्मि वर्मा ने कहा कि आईटीएम राज्यों के लिए सबसे अच्छा प्लेटफार्म है जहां वे अपने उत्पादों को प्रदर्शित कर सकते हैं। केरल व राजस्थान जैसे कुछ राज्य अपने मार्ट का आयोजन कर रहे हैं। कुछ राज्यों ने अंतर्राष्ट्रीय मार्टों में भी हिस्सा लिया है। कुछ राज्य ऐसे हैं जिन्होंने न मार्ट का आयोजन किया है और न ही किसी अंतर्राष्ट्रीय मार्ट में हिस्सा लिया है। ऐसे सभी राज्यों के लिए यह एक सुनहरा अवसर है जब वे अपने उत्पादों को आईटीएम 2018 में प्रदर्शित कर सकते हैं।  
आयोजन समिति के चेयरमैन और एफएआईटीएच के सचिव श्री सुभाष गोयल ने कहा कि पर्यटन से जुड़े सभी हितधारक इतने बड़े पैमाने पर पहली बार एक साथ आ रहे है। पर्यटन और अतिथि सत्कार क्षेत्र में एफएआईटीएच देश का सबसे प्रमुख संगठन है। आईटीएम के लिए एक वेबसाइट http://www.indiatourismmart.com/ भी तैयार की जाएगी। 
आईटीएम 2018 के लिए उत्तरी अमेरीका, पश्चिमी यूरोप, पूर्वी एशिया, सीआईएस देश, लैटिन अमेरीका के देशों से क्रेता प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया जाएगा। मार्ट में 300 से अधिक विदेशी क्रेता प्रतिनिधियों के शामिल होने की संभावना है। वे भारतीय विक्रेताओं से बातचीत करेंगे। विदेशी प्रतिनिधियों को हवाई अड्डों, होटलों, गंतव्य स्थलों आदि में उपलब्ध सुविधाओं के बारे में जानकारी दी जाएगी। आईटीएम 2018 में लगभग 175 – 200 स्टॉल लगाए जायेंगे।
आयोजन का औपचारिक उद्घाटन 17 सितंबर, 2018 को होगा। क्रेता और विक्रेता प्रतिनिधियों के बीच बी2बी बैठकों का आयोजन 17 और 18 सितंबर, 2018 को किया जाएगा।  
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शुक्रवार, 8 जून 2018

दलमा की गुफाओं में बैठकर करें वन्यजीवन का नजारा



देवेंद्र गौतम

रांची। वन्य जीवन में दिलचस्पी रखने वाले पर्यटकों के लिए खुशखबरी है। अब वे दलमा पहाड़ की गुफा में बैठकर जंगली हाथियों का नजारा कर सकेंगे। जमशेदपुर से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित 192 वर्ग किलोमीटर में फैले इस अभयारण्य में वन विभाग ने मंझला बांध, बड़का बांध और राजोहा बांध के पास तीन गुफाएं निर्मित कर पर्यटकों के लिए खोल दी हैं। अभयारण्य के प्रवेश द्वार से 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इन गुफाओं पर डेढ़-ढेढ़ लाख खर्च किया गया है। 17 गुना 13 फुट आकार की इन गुफाओं में खिड़कियां बनाई गई हैं जिनसे जलस्रोतों के पास आने वाले हाथियों और दूसरे वन्यजीवों की गतिविधियों का पर्यटक आराम से आनंद उठा सकेंगे। इनके निर्माण में पूरे छह महीने का समय लगा है। यह 300 करोड़ के इको टूरिज्म परियोजना का हिस्सा है।
अभी अभयारण्य में 20 हाथी मौजूद हैं लेकिन प. बंगाल के मिदनापुर और बांकुड़ा के जंगलों से हाथियों की वापसी का मौसम आ रहा है। उनके आने पर हाथियों का संख्या बढ़ जाएगी। उन्लेख्य है कि यहां वर्ष 2001 में हाथी परियोजना के तहत इस अभयारण्य की शुरुआत की गई थी। यहां हर वर्ष हजारों की संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक आते हैं। झारखंड सरकार पर्यटकों की सुविधा के लिए आधारभूत संरचना का विकास कर रही है। यहां वातानुकूलित काटेज भी बने हुए हैं। लेकिन बिजली के अभाव के कारण उन्हें खोला नहीं जा पा रहा है। निर्वाध विद्युत आपूर्ति के लिए झारखंड राज्य विद्युत निगम के अधिकारियों से बात चल रही है। उनके खुलने पर पर्यटकों की संख्या में और जाफा होने की उम्मीद है।

स्वर्ण जयंती वर्ष का झारखंड : समृद्ध धरती, बदहाल झारखंडी

  झारखंड स्थापना दिवस पर विशेष स्वप्न और सच्चाई के बीच विस्थापन, पलायन, लूट और भ्रष्टाचार की लाइलाज बीमारी  काशीनाथ केवट  15 नवम्बर 2000 -वी...