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सोमवार, 9 जुलाई 2018

मुआवजा भुगतान में भारी घोटाला



लॉ के छात्र संजय मेहता के पत्र पर केंद्र ने लिया संज्ञान
48 घंटे के अंदर मंत्रालय ने एनएच-02 के खिलाफ शुरू की कार्रवाई


हजारीबाग। एनएच 02 भूमि अधिग्रहण में भू रैयतों को कम  मुआवजा एवं अधिकारियों द्वारा किये गए अनियमितता को लेकर बरही निवासी एवं विनोबा भावे विश्वविद्यालय में लॉ के छात्र संजय मेहता ने केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय भारत सरकार को पत्र लिखा है. चार जुलाई को लिखे पत्र पर 06 जुलाई को मंत्रालय ने संज्ञान ले लिया. पत्र को मंत्रालय की संयुक्त सचिव दक्षिता दास ने एनएचएआई के विधिक एवं प्रशासनिक प्रबंधक बन्धुप्रिय सरकार को अग्रसारित कर दिया है. संजय मेहता की शिकायत पर मंत्रालय ने 48 घंटे के भीतर कार्रवाई शुरू कर दी है. यह पत्र प्रधानमंत्री कार्यालय को भी भेजा गया है. पत्र में 20 बिंदु दिए गये हैं. प्रधानमंत्री एवं केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को लिखे पत्र में संजय मेहता ने कहा है की एनएच 02 का फोर लेन से सिक्स लेन चौड़ीकरण किया जाना है. किमी संख्या 249 से 320 तक 71 किलोमीटर में निर्माण शुरू किया जाना है. इस परियोजना से जनता के बीच परेशानी उत्पन्न हो गयी है.
किमी 249 से 320 झारखंड के हजारीबाग जिले के चौपारण के चोरदाहा , झारखंड - बिहार सीमा से गोरहर तक जाती है. उक्त क्षेत्र में भूमि अधिग्रहण किया गया है लेकिन मुआवजा की प्रक्रिया पारदर्शी नहीं रही है. उन्होंने लिखा है कि जमीन एवं जमीन पर बने घर - मकान की  मुआवजा राशि संतोषजनक नहीं है. सरकारी पदाधिकारियों के भ्रष्ट रवैये के कारण जमीन मालिकों को कम भुगतान किया गया है.  भुगतान में बड़े स्तर पर घोटाला हुआ है. इस परियोजना में हजारीबाग जिले के चौपारण , सिंघरावां , पिपरा , रसोइया धमना , बरही , बरसोत , करियातपुर , बरकट्ठा एवं अन्य क्षेत्रों में एनएच 02 के मुआवजा भुगतान में व्यापक स्तर पर अनियमितता की गयी है. जिसका नुकसान जमीन मालिकों को हुआ है. जिस जमीन का भुगतान जमीन मालिकों को व्यवसायिक दर पर किया जाना चाहिये था उन जमीनों की मुआवजा राशि जमीन के बाजार दर से काफी कम तय की गयी.
---औने - पौने दाम पर अधिग्रहण
श्री मेहता ने लिखा है कि इस संदर्भ में मैंने कई बार शिकायत की लेकिन अनियमितता की जाँच न कर मुझे ही सबूत उपलब्ध कराने को कहा गया. मेरी शिकायत पर जाँच , कार्रवाई होने के बजाय गोल मटोल जवाब देकर टाल दिया गया. पत्र में बताया गया है कि एनएच 02 भूमि अधिग्रहण को लेकर गलत संदेश गया है. क्योंकि मुआवजा से लोग संतुष्ट नहीं है. झारखंड में भूमिअधिग्रहण शुरू से संवेदनशील मुद्दा है यह गम्भीर विषय है. कहा है कि पूर्व में एनएच 02 के फोर लेन चौड़ीकरण के दौरान लाखो लोग विस्थापित हो गये. जीविका पर लोगो की आफत आ गयी. उस वक़्त भी सरकार ने विस्थापितों को न तो बसाया , न ही नौकरी दिया , न ही जमीन उपलब्ध कराया. सिर्फ औने - पौने दाम पर मुआवजा देकर जमीन को अधिग्रहण कर लिया गया.
---जनता का ख्याल नहीं रखा गया
बार - बार विधि की धाराओं का हवाला देकर जनता की जमीन ले ली गयी लेकिन जनता का ख्याल नहीं रखा गया. लाखो परिवार आर्थिक रूप से टूटकर बिखर गये. सरकार आज तक सुध नहीं ली. फिर से एनएच 02 का फोर लेन से सिक्स लेन चौड़ीकरण किया जा रहा है. जमीन ली जा रही है. फिर से कानून की धाराओं का हवाला दिया जा रहा है. हज़ारों घर , मकान आदि तोड़े जा रहे हैं. फोर लेन विस्थापन के दंश से अब तक लोग उबर नहीं पाये हैं. इधर सिक्सलेन निर्माण में फिर से लोगों की जीविका पर आफत आ गयी है. यह सब विषय एक बहुत बड़े जनाक्रोश को जन्म दे रहा है. लोगों का जीवन तबाह हो रहा है. यह समस्या बहुत जल्द एक जनांदोलन को जन्म देगा. सरकार जल्दी विचार करे.
--मुआवजा भुगतान राशि में व्यापक अंतर
उन्होंने पत्र के माध्यम से मांग की है कि पीडित जमीन मालिकों की जीविका एवं आवास के लिये सरकार जमीन का प्रबंध करे. आवासीय कॉलोनी बनाकर लोगो को बसाये , जीविका के लिये जमीन या स्थान उपलब्ध कराए. उन्होंने कहा है कि जमीन , आवास प्रबंध होने के बाद ही निर्माण शुरू हो. फिलहाल लोगों का घर मकान न तोड़ा जाये , उनकी जमीन पर सड़क निर्माण का काम न किया जाये. संजय मेहता का कहना है कि जमीनों पर हज़ारों लोगों का व्यवसाय संचालित है. व्यवसाय उनके रोजगार का साधन है. जमीन - घर को तोड़कर उनके जीविका को भी तहस नहस कर दिया जा रहा है. इसलिए व्यवसायिक दर पर मुआवजा दिया जाये. मुआवजा भुगतान प्रक्रिया में कुछ किलोमीटर के अंतराल में ही मुआवजा भुगतान राशि में व्यापक अंतर है. यह अनियमितता है. इसकी जाँच हो. कार्रवाई हो.
--क्या कहते है संजय मेहता
मामले पर संजय मेहता कहते हैं शासन , सत्ता का यह दायित्व है कि वह जनता के हितों की रक्षा करें. इस मामले में सरकार जनता का विश्वास नहीं जीत पायी है क्योंकि उनकी संपत्तियों , जीविका को तहस - नहस कर उचित मुआवजा नहीं दिया गया है.  यह मामला लाखों परिवारों की भावना , सपना , भविष्य , करियर से जुड़ा है. झारखंड सरकार को इस मामले में हस्तक्षेप कर त्वरित समाधान करना चाहिए नहीं तो जनता आक्रोशित हो जायेगी.

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