
रांची। केंद्रीय उड्ड्यन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने रामगढ़ लिचिंग कांड के आठ आरोपियों को माला पहनाकर, मिठाई खिलाकर सम्मानित किया। इस घटना को लेकर जबर्दस्त आलोचनाओं से घिर गए। स्वयं उनके पिता पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने इसकी भर्त्सना की। उन्होंने आशंका व्यक्त की कि इस मामले को लेकर उनकी भी आलोचना हो सकती है। हालांकि उनकी यह आशंका व्यर्थ है। उनकी पृष्ठभूमि समाजवादी रही है। वे पूर्व प्रधानमंत्री और समाजवादी आंदोलन के प्रखर नेता स्व. चंद्रशेखर के करीबी रहे हैं। यह सभी जानते हैं। भाजपा में शामिल होना या उससे दूरी बना लेना सत्ता की राजनीति का हिस्सा हो सकता है लेकिन उनकी धर्म निरपेक्षता असंदिग्ध रही है। वे देश के जाने-माने अर्थशास्त्री हैं। यह अलग बात है कि मोदी सरकार अपनी आलोचना क्या समीक्षा भी बर्दास्त नहीं करती। वह जो करती है जैसे भी करती है उसी को सही मानती है। यशवंत सिन्हा ने जब नोटबंदी के तुरंत बाद जीएसटी लागू करने को अर्थ व्यवस्था के लिए घातक करार देते हुए बहुचर्चित लेख लिखा था तो मोदी सरकार में इसकी जबर्दस्त प्रतिक्रिया हुई थी। उन्हें विरोधी करार दे दिया गया था। उस समय जयंत सिन्हा ने यशवंत सिन्हा के लेख के जबाब में सरकारी पक्ष को सही करार देते हुए लेख लिखा था जो देश के प्रमुख अंग्रेजी दैनिक में प्रकाशित हुआ था।
संभवतः जयंत सिन्हा ने भाजपा और संघ की नीतियों के प्रति अपनी आस्था के प्रदर्शन के लिए ऐसा किया था। अब हिन्दुत्व के मुद्दे पर अपनी आस्था को और दृढ़ता से अभिव्यक्त करने के लिए उन्होंने लिचिंग के आरोपियों को सम्मानित किया है। बाद में उन्होंने सफाई भी दी लेकिन इसके जरिए कट्टर हिन्दूवादियों को अपना संदेश तो दे ही दिया। पार्टी आलाकमान को भी खुश कर दिया। वाम और मध्यमार्गी दलों को उनके जरिए
एक मुद्दा मिल गया। वे इसकी जितनी भर्त्सना करेंगे। कट्टर हिन्दुवादियों के बीच उनकी पकड़ उतनी ही मजबूत होगी। हजारीबाग में कट्टरता की एक प्रतिमूर्ति हुआ करते थे यदुनाथ पांडेय। अपने कट्टरवादी भाषणों के जरिए वे हजारीबाग में दंगा करा चुके हैं। उन्होंने ध्रुवीकरण के जरिए एक कट्टर जमात पैदा कर दिया था। भाजपा को अभी तक उसका राजनीतिक लाभ मिलता है। इस वर्ष रामनवमी के समय यदुनाथ पांडेय के सक्रिय होने की खबरें मिल रही थीं। उस समय कुछ सांप्रदायिक तनाव उत्पन्न हो भी गया था लेकिन तुरंत उसे नियंत्रित कर लिया गया था। अब संभवतः जयंत सिन्हा उस तबके के बीच अपनी पैठ मजबूत करना चाहते हैं। 2019 के चुनावों को देखते हुए यह जरूरी भी लग रहा होगा।
-Devendra Gautam