रांची। झारखंड के
मुख्यमंत्री रघुवर दास की चीन यात्रा पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व मंत्री
सुबोधकांत सहाय ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि यह भाजपा की
दोहरी नीति का ज्वलंत उदाहरण है। जो चीन डोकलाम पर नज़र गड़ाए बैठा है, जो
पाकिस्तान का सबसे बड़ा संरक्षक है वह भारत का कभी सगा नहीं हो सकता। भाजपा के नेता और सहयोगी संगठन चीन के बने उत्पादों के बहिष्कार का आह्वान करते हैं। फिर
आर्थिक विकास के नाम पर चीन के साथ गलबहियां करने का क्या अर्थ है। प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी खुद तो विदेशी निवेश के नाम पर दुनिया की सैर करते हुए चार साल गुजार
दिए और कोई छौटा-मोटा निवेश भी नहीं ला सके। अब अपने मुख्यमंत्रियों को विदेश यात्रा
का अवसर देकर उनकी हसरत पूरी कर रहे हैं। सत्ता में वापस तो आना नहीं है। जितना
समय शेष बचा है उसमें अपने अरमान पूरे कर लो। राजकोष पर बोझ पड़ता है तो पड़े।
अर्थ व्यवस्था को कोई लाभ नहीं होता है तो न हो। कम से कम भाजपा शासित राज्यों के
मुख्यमंत्री यह शिकायत तो नहीं करेंगे कि प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी जी खुद ही
दुनिया की सैर करते रहे औरों को मौका नहीं दिया। श्री सहाय ने कहा कि मोदी सरकार
को अर्थ व्यवस्था की कितनी समझ है यह नोटबंदी और जीएसटी लागू करने के तरीके से
जाहिर हो चुका है। नोटबंदी एक बेतुकी कवायद थी, अब यह बात विपक्ष नहीं कह रहा है
स्वयं रिजर्व बैंक की वार्थिक रिपोर्ट बता रही है। जब अनुमानित काला धन नष्ट नहीं
हुआ और रद्द नोटों का 99 प्रतिशत से अधिक हिस्सा बैंकों के पास वापस आ गया तो अब
इसका सुखद नतीजा भविष्य में आने का दावा किया जा रहा है। अपनी पराजय स्वीकार करना
अच्छी और स्वस्थ परंपरा है लेकिन इसके लिए बड़े कलेजे की जरूरत होती है। सिर्फ
दावा कर देने से किसी का कलेजा 56 इंच का नहीं हो जाता। अपनी गलतियों को सही करार
देने के लिए कुतर्क गढ़ना इनसान को अविश्वसनीय बनाता है। सरकार अच्छी तरह जानती है
कि चीन भारत का दुश्मन रहा है और रहेगा लेकिन घूमने-फिरने के लिए अच्छी जगह है इसलिए
अर्थ-व्यवस्था की बेहतरी के नाम पर घुमक्कड़ी का आयोजन किया जा रहा है। सरकारी
खजाने को किस तरह लूटा और अपने पूंजीपति दोस्तों के बीच लुटाया जा रहा है, जनता
देख और समझ रही है। उसे जवाब देने के लिए अगले चुनाव का इंतजार है।
यह ब्लॉग खोजें
नरेंद्र मोदी लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
नरेंद्र मोदी लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
शुक्रवार, 31 अगस्त 2018
मंगलवार, 17 जुलाई 2018
भारत में रिकार्ड रफ्तार से घट रही है गरीबीः मोदी
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि देश आज बदलाव के दौर से गुजर रहा है। यह बताते हुए कि भारत आज दुनिया में सबसे अधिक रफ्तार से विकास करने वाली अर्थव्यवस्था है, प्रधानमंत्री ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय रिपोर्ट के अनुसार भारत में गरीबी रिकॉर्ड रफ्तार से घट रही है। उन्होंने नई दिल्ली में वाई4डी न्यू इंडिया कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए यह बात कही।
उन्होंने कहा कि सरकार केवल इनेबलर की भूमिका निभा सकती है जबकि युवा न केवल उपलब्ध संभावनाओं का फायदा उठा रहे हैं, बल्कि वे खुद के लिए नई संभावनाएं भी सृजित कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि युवाओं की आकांक्षाओं और ताकत की ही तरह भारत बड़ी-बड़ी परिवर्तनकारी पहल कर रहा है। इस संदर्भ में उन्होंने कुछ उदाहरण दिए जैसे: 3 करोड़ बच्चों का टीकाकरण, पिछले 4 साल के दौरान 1.75 लाख किलोमीटर ग्रामीण सड़क का निर्माण, प्रत्येक गांव तक बिजली की पहुंच, अक्टूबर 2017 से अब तक 85 लाख घरों का विद्युतीकरण, 4.65 करोड़ गरीब परिवारों को गैस कनेक्शन और पिछले 4 साल के दौरान गरीबों के लिए 1 करोड़ से अधिक मकानों का निर्माण। उन्होंने कहा कि ये बड़े आंकड़े इसलिए संभव हो सके हैं क्योंकि भारत में 800 मिलियन लोग 35 वर्ष से कम आयु के हैं।
प्रधानमंत्री ने देश के उन तमाम नेताओं का उदाहरण दिया जो महज साधारण पृष्ठभूमि से आते हुए आज शीर्ष पदों तक पहुंचे हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें पता है कि न्यू इंडिया के युवा क्या चाहते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि माहौल में बदलाव का दायरा केवल राजनीतिक तक ही सीमित नहीं है। उन्होंने कहा कि शीर्ष प्रशासनिक सेवाओं में अब तमाम युवा ग्रामीण एवं छोटे शहरों की पृष्ठभूमि से आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि हिमा दास और उनकी तरह खेल पदक जीतने वाले अन्य युवा न्यू इंडिया का प्रतिनिधित्व करते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यंग इंडिया को लगता है ‘कुछ भी संभव है! सब कुल हासिल किया जा सकता है’।
प्रधानमंत्री ने कहा कि साइलोज को अब समाधान पर जोर के साथ बदला जा रहा है। उन्होंने कहा कि अब देश की जरूरतों को समझने और लोगों के जीवन को आसान बनाने पर जोर दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि भारतमाला, सागरमाला, मुद्रा, स्टैंड-अप इंडिया और आयुष्मान भारत जैसी सरकार की योजनाएं और कार्यक्रम किस प्रकार देश की विभिन्न जरूरतों को पूरा करने के उद्देश्य से तैयार किए गए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार नवाचार और अनुसंधान को काफी महत्व दे रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि युवा डिजिटल भुगतान को रफ्तार दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश के स्वतंत्रता संग्राम में युवाओं की ताकत और उत्साह ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने कहा कि न्यू इंडिया के लिए आज की पीढ़ी के युवाओं को भी वही भूमिका निभानी होगी।
|
सोमवार, 16 जुलाई 2018
मिर्जापुर में पीएम मोदी के भाषण का मूल पाठ
|
आज मिर्जापुर में हमरे बदे बहुत गर्व का बात बा। जगत जननी माई विंध्यवासिनी की गोद में तोई सबके देखी हमके बहुत खुशी होतबा। तू सबे बहुत देर से हमी जोहत रा। एकरे खातिर हम पांव छुई के प्रणाम करत है। आज इतना भीड़ देखी के हमके विश्वास होई गवा कि माई विंध्यवासिनी की कृपा हमरे ऊपर बनावा और आप लोगन की कृपा से आगे भी ऐसे ही बना रहे। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्रीमान राम नाईक जी, मुख्यमंत्री श्रीमान योगी आदित्यनाथ जी, उपमुख्यमंत्री श्रीमान केशव प्रसाद मौर्य जी, केंद्र में मंत्रिपरिषद की मेरी साथी बहन अनुप्रिया जी, राज्य सरकार में मंत्री श्रीमान सिद्धार्थ नाथ जी , श्रीमान गर्बबाल सिंह जी, श्रीमान आशुतोष टंडन जी, श्रीमान राजेश अग्रवाल जी और भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और मेरे पुराने साथी, संसद के मेरे साथी डॉक्टर महेन्द्र नाथ पांडे जी, सांसद श्री वीरेंद्र सिंह, सांसद भाई छोटे लाल और यहां मौजूद विशाल संख्या में पधारे मेरे प्यारे भाईयों और बहनों। मैं कब से मंच पर से देख रहा था, दोनों तरफ से लोग आ ही रहे हैं, अभी लोग आ रहे हैं। भाईयों-बहनों, यह पूरा क्षेत्र दिव्य और अलौकिक है। विंध्य पर्वत और भागीरथी के बीच बसा एक क्षेत्र सदियों से आपार संभावनाओं का केंद्र रहा है। इन्हीं संभावनाओं को तलाशने और यहां हो रहे विकास कार्यों के बीच आज मुझे आपका आशीर्वाद प्राप्त करने का सौभाग्य मिला है। पिछली बार मार्च में जब मैं यहां सोलर प्लांट का उद्घाटन करने आया था और मेरे साथ फ्रांस के राष्ट्रपति भी आए थे, ओर उस समय हम दोनों का स्वागत माता की तस्वीर और चुनरी के साथ किया गया था। इस सत्कार से फ्रांस के राष्ट्रपति श्री मेक्रो बहुत अभिभुत हो गए और वो जानना चाहते थे मां की महिमा को और मैंने उनको जब मां की महिमा के विषय में बताया तो इतने वो अचंभित थे, इतने प्रभावित हुए थे आस्था और परंपरा की इस धरती का चौतरफा विकास यह हमारी प्रतिबद्धता है। जब से योगी जी अगुवाई में एनडीए की सरकार बनी है, तब से पूर्वांचल की पूरे उत्तर प्रदेश के विकास की जो गति बढ़ी है, उसके परिणाम आज नजर आने लगे हैं। इस क्षेत्र के लिए यहां के गरीब हो, वंचित हो, शोषित हो, पीडि़त हो, यहां के लोगों के लिए जो सपना सोनेलाल पटेल जी जैसी कर्मशील लोगों ने देखे थे, उनको पूरा करने की तरफ हम सब मिल करके निरंतर प्रयास कर रहे हैं। पिछले दो दिनों में विकास की अनेक परियोजनाओं को पूर्वांचल की जनता को समर्पित करने का या फिर नये काम प्रारंभ करने का मुझे अवसर मिला है। देश का सबसे लंबा पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे हो, वाराणसी में किसानों के लिए आरंभ हुआ perishable cargo centre हो, रेलवे से जुड़ी योजनाएं हो, यह पूर्वांचल में हो रहे विकास को अभूतपूर्वक गति देने का काम करेंगे। विकास के इसी क्रम को आगे बढ़ाने के लिए आज मैं यहां फिर से एक बार आप सभी के बीच आया हूं। थोड़ी देर पहले ऐतिहासिक बाण सागर बांध समेत लगभग चार हजार करोड़ रुपये की परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया गया। सिंचाई, स्वास्थ्य और सुगम आवागमन से जुड़ी यह योजनाएं इस क्षेत्र के सामान्य मानव के जीवन में सुखद परिवर्तन लाने वाली है। आपका यह क्षेत्र मिर्जापुर हो, सोनभद्र हो, भदोही हो, चंदौली हो या फिर इलाहबाद हमेशा खेती किसानी यहां के जीवन का अहम हिस्सा रहा है। किसानों के नाम पर पहले की सरकारें किस तरह आधी-अधूरी योजनाएं बनाती रही, उन्हें लटकाती रही। इसके भोगी आप सब लोग हैं, आप सब उसके साक्षी हैं। साथियों लगभग साढ़े तीन हजार करोड़ की बाण सागर परियोजना से सिर्फ मिर्जापुर ही नहीं, बल्कि इलाहबाद समेत इस पूरे क्षेत्र की डेढ़ लाख हेक्टेयर जमीन को सिंचाई की सुविधा मिलने जा रही है। अगर यह प्रोजेक्ट पहले पूरा हो जाता तो जो लाभ अब आपको मिलने वाला है वो आज से दो दशक पहले मिलना शुरू हो गया होता यानि दो दशक बर्बाद हो गए आपके। लेकिन भाईयों-बहनों पहले की सरकारों ने आपकी, यहां के किसानों की चिंता नहीं की। इस प्रोजेक्ट का खाका 40 साल पहले खींचा गया था, 1978 में इस प्रोजेक्ट का शिलान्यास हुआ था, लेकिन वास्तव में काम शुरू होते-हाते 20 साल निकल गए। इसके बाद के वर्षों में कई सरकारें आई-गई, लेकिन इस परियोजना पर सिर्फ बातें, वादे इसके सिवा यहां की जनता को कुछ नहीं मिला। 2014 में आप सबने हमें सेवा करने का मौका दिया और उसके बाद हमारी सरकार ने जब अटकी हुई, लटकी हुई, भटकी हुई योजनाओं को खंगालना शुरू किया तो उसमें इस प्रोजेक्ट का नाम भी सामने आया। फाइलों में खो चुका था सब और इसके बाद बाण सागर परियोजना को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत जोड़ा गया और इसे पूरा करने के लिए सारी ऊर्जा लगा दी गई थी, विशेषकर बीते सवा साल में योगी जी और उनकी टीम ने जिस गति से इस कार्य को आगे बढ़ाया उसका परिणाम है कि आज बाण सागर का यह अमृत आप सभी के जीवन में खुशहाली लाने के लिए तैयार हो पाया है। बाण सागर के अलावा बरसों से अधूरी पड़ी सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना और मध्य गंगा सागर परियोजना पर भी तेजी से काम चल रहा है। साथियों, बाण सागर परियोजना उस अपूर्ण सोच, सीमित इच्छा शक्ति का भी उदाहरण है, जिसकी एक बहुत बड़ी कीमत आप सभी को मेरे किसान भाईयों-बहनों को, मेरे गरीब भाईयों-बहनों, मेरे इस क्षेत्र के लोगों को बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है। बरसों पहले जो सुविधा आप सभी को मिलनी चाहिए थी, वो तो नहीं मिली देश को भी आर्थिक रूप से नुकसान सहना पड़ा। लगभग तीन सौ करोड़ के बजट से शुरू हुई यह परियोजना अगर उस समय हो जाती, तीन सौ करोड़ में हो जाती, लेकिन न होने के कारण यह समय बीतता गया, दाम बढ़ते गए, तीन सौ करोड़ की परियोजना साढ़े तीन हजार करोड़ लगाने के बाद पूरी हो पाई है। आप मुझे बताइये, यह पुरानी सरकारों का गुनाह है कि नहीं है? या आपके पैसे बर्बाद किए या नहीं किए, या आपके हक को उन्होंने वंचित रखा कि नहीं रखा? और इसलिए भाईयों-बहनों, जो लोग आजकल किसानों के लिए घड़याली आंसू बहाते हैं, उनसे आपको पूछना चाहिए कि आखिर क्यों उन्हें अपने शासनकाल में देशभर में फैली इस तरह की अधूरी सिंचाई परियोजनाएं उनको नजर क्यों नहीं आई? और सिर्फ यह बाण गंगा का मामला नहीं है, यह बाण सागर का मामला नहीं है, पूरे देश में हर राज्य में ऐसे लटके, अटके, भटके किसानों की भलाई के प्रोजेक्ट अटक पड़े हैं,कोई परवाह नहीं थी उन लोगों को, क्यों ऐसे कार्य को अधूरा ही छोड़ दिया गया? भाईयों-बहनों, मैं आज जब यहां के किसानों को पहुंच रहा है, तब मैं आपसे कुछ मांगना चाहता हूं देंगे? यह मां विंध्यवासिनी की धरती है, यह आपने वादा किया है, निभाना पड़ेगा। निभाओगे? देखिए साढ़े तीन हजार करोड़ रुपया लगा, 40 साल बर्बाद हो गए, जो हुआ सो हुआ। अब पानी पहुंचा है। जिन किसानों के खेत में यह पानी पहुंच रहा है, जिनके निकट में यह नहर लगी है। क्या मेरे किसान भाई-बहन टपक सिंचाई या स्प्रिंकलर फव्वारें वाली सिंचाई और बूंद-बूंद पानी बचाने की दिशा में काम कर सकते हैं क्या? मैं आपसे यही मांग रहा हूं, मुझे कुछ नहीं चाहिए, आप मुझसे वादा कीजिए कि यह जो पानी है यह हमारे लिए मां विंध्यवासिनी का प्रसाद है। जैसे प्रसाद का एक कण भी हम बर्बाद होने नहीं देते, मां विंध्यवासिनी के प्रसाद के रूप में यह जो पानी हमें मिला है उसका भी एक बूंद पानी बर्बाद नहीं होने देंगे। हम बूंद-बूंद पानी से खेती करेंगे। टपक सिंचाई से हर प्रकार की खेती हो सकती है। पैसे बचते है, पानी बचता है, मजदूरी बचती है और फसल अच्छी होती है और इसलिए मैं आपसे मांगता हूं कि आप तय करे अगर यह आपने पानी बचा लिया तो आज लाख-सवा लाख हेक्टेयर में पानी पहुंच रहा है, इसी पानी का उपयोग दो लाख हेक्टेयर तक हो सकता है। अगर आज कुछ लाख किसानों को फायदा होता है तो उससे डबल किसानों को फायदा हो सकता है। अगर यह पानी आज कम पड़ता है, अगर आप बूंद-बूंद पानी बचाकर खेती करके तो यह पानी बरसों तक चलेगा, आपकी संतानों के काम आएगा। और इसलिए मेरे भाईयों-बहनों, मैं आज आपसे इस योजना लाने के बाद आपके सेवक के रूप में, मां विंध्यवासिनी के भक्त के रूप में आज आपसे कुछ मांग रहा हूं, देंगे? पक्का पूरा करेंगे? सरकार की योजना है micro irrigation के लिए सरकार सब्सिडी देती है, पैसे देती है, आप इसका फायदा उठाइये और मैं आपकी सेवा करने के लिए आया हूं। मेरे प्यारे किसान भाईयों-बहनों, यह ऐसे लोग थे, जो आप किसानों के लिए घडि़याली आंसू बहा रहे थे एमएसपी योजनाएं होती थी, खरीदारी नहीं होती थी, समर्थन मूल्य के अखबार में इश्तिहार दिये जाते थे, फोटो छपवाये जाते थे, वाह-वाहा-ही लूटी जाती थी, लेकिन किसान के घर में कुछ जाता नहीं था। उनके पास एमएसपी का दाम बढ़ाने के लिए फाइलें आती थी, पड़ी रहती थी। सालों पहले लागत का डेढ़ गुना समर्थन मूल्य देने की सिफारिश फाइलों में हो चुकी थी, लेकिन किसानों के नाम पर राजनीति करने वालों को एमएसपी की डेढ़ गुना लागत के लिए सोचने की फुरसत नहीं, क्योंकि वो राजनीति में इतने डूबे हुए थे कि उनको इस देश के गांव, गरीब किसान की परवाह नहीं थी। फाइलें दबी रही, सालों से जिस काम को करने से पुरानी सरकारें पीछे हट रही थी भाईयों-बहनों, आपके सेवक के नाते, देश के गांव, गरीब किसान का भले करने के इरादा होने के नाते मैं आज सर झुका करके कह रहा हूं, मेरे भाईयों-बहनों हमने एमएसपी डेढ़ गुना करने का वादा किया था, आज उसको हमने धरती पर उतार दिया। धान हो, मक्का हो, तूर हो, उड़द हो, मूंग समेत खरीफ की 14 फसलों के समर्थन मूल्य में दो सौ रुपये से ले करके एक हजार आठ सौ रुपये तक की वृद्धि की है। यह तय किया गया है कि किसानों को इन फसलों में जो लागत आती है, उसके ऊपर 50 प्रतिशत सीधा लाभ मिलना चाहिए। भाईयों-बहनों, इस फैसले से यूपी और पूर्वांचल के किसानों को बहुत लाभ होने वाला है। इस बार से एक क्विंटल धान पर दो सौ रुपये अधिक मिलने वाले हैं। साथियों, एक क्विंटल धान की जो लागत आंकी है, वो है लगभग 11 सौ, 12 सौ रुपये, अब धान का समर्थन मूल्य तय हुआ है 17 सौ 50 रुपये, यानि सीधे-सीधे 50 प्रतिशत का लाभ तय है। मुझे बताया गया है कि यूपी में पिछले वर्ष पहले की अपेक्षा चार गुना धान की खरीदी सुनिश्चित की गई। इसके लिए योगी जी और उनकी पूरी टीम को मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं। भाईयों-बहनों, धान के साथ ही सरकार द्वारा दाल का भी एमएसपी बढ़ाया गया है। अरहर के सरकारी मूल्य में सवा दो सौ रुपये की सीधी बढ़ोतरी की गई है। यानि अब तय किया गया है कि अरहर उगाने में जितनी लागत आती है, उसका लगभग 65% सीधा लाभ अतिरिक्त लाभ किसान को मिलेगा। साथियों, हमारी सरकार देश के किसानों की छोटी-छोटी दिक्कतों को समझते हुए उन्हें दूर करने के लिए दिन-रात काम कर रही है। बीज से ले करके बाजार तक एक प्रमाणिक व्यवस्था बनाई जा रही है, ताकि किसान की आय बढ़े और खेती पर होने वाला उसका खर्च कम हो। यूरिया के लिए लाठी चार्ज होता था, रात-रात कतार में खड़ा रहना पड़ता था, काले बाजारी में यूरिया खरीदना पड़ता था। पिछले चार साल में यह संकट खत्म हो गया है। यह सभी कार्य आपके आशीर्वाद से और सहयोग से संभव हो पा रहा है। भाईयों-बहनों, मैं यहां के किसानों से एक प्रार्थना करना चाहता हूं, हम 2022 तक देश के किसानों के आय डबल करना चाहता हैं और यह मुश्किल काम नहीं है। जैसे एक छोटा सा उदाहरण मैं बताऊं, आज हमारा जो खेत है उसकी मेड पर हम लोग बाढ़ लगा देते हैं। हमें पता ही नहीं होता है कि बाढ़ के अंदर यह जो कंटीले तार लगा देते हैं या ऐसे पौधे लगा देते हैं, कितनी जमीन बर्बाद करते हैं। अब सरकार ने बांस को घास माना है ग्रास माना है। और इसलिए आप अपने मेड पर बांस की खेती कर सकते हैं, बांस काट सकते हैं, बांस बेच सकते हैं सरकार आपको रोक नहीं सकती। आज हजारों-करोड़ों रुपये का बांस देश-विदेश से आयात करता है, जबकि मेरे किसान की मेड पर बांस उगाया जा सकता है। हमने नियम बदल दिया, कानून बदल दिया। पहले मानते थे कि बांस एक वृक्ष है, Tree है हमने कहा बांस एक Tree नहीं है, वृक्ष नहीं है, वो तो घास है घास । और हमारे यहां अगरबत्ती बनाना, पतंग बनाना इसके लिए भी बांस विदेश से लाना पड़े। इतने मेरे देश में किसान हैं, एक साल के भीतर-भीतर वो परिस्थिति पलट सकते हैं और वो आय किसान को काम आने वाली है। ऐसे कई अनेक प्रयोग है। मैं मेरे किसान भाईयों से आग्रह करूंगा कि आप खेती के सिवाय सरकार की अनेक योजनाओं का फायदा उठाइये और अपनी आय बढ़ाने की दिशा में आगे आइये। हमारी सरकार देश के जन-जन, कण-कण, कौने-कौने तक विकास की रोशनी पहुंचाने और गांव, गरीब को सशक्त करने के लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ रही है। आपके जीवन को सुगम बनाने के लिए, connectivity को सुलभ करने के लिए आज यहां कुछ फूलों का लोकार्पण और शिलान्यास भी किया गया है। चुनार सेतु से अब चुनार और वाराणसी की दूरी कम हो गई है। मुझे यह भी बताया गया कि बरसात के मौसम में यहां के हजारों लोग देश के बाकी हिस्से से कट जाते हैं। अब यह नया पूल इन मुश्किलों को दूर करने वाला है। भाईयों-बहनों, सस्ती और बेहतर स्वास्थ्य सेवा गरीब से गरीब को सुलभ कराना भी इस सरकार का एक बड़ा संकल्प है। यहां बनने वाले नये मेडिकल कॉलेज न सिर्फ मिर्जापुर और सोनभद्र, भदोही, चंदौली और इलाहबाद के लोगों को भी बड़ा लाभ मिलने वाला है। अब यहां का जिला अस्पताल पांच सौ बेड का हो जाएगा, इससे गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए अब आपको दूर तक भटकना नहीं पड़ेगा। इसके अलावा, आज यहां सौ जन औषधि केंद्रों का भी एक साथ पूरे उत्तर प्रदेश में सौ से ज्यादा जन औषधि केंद्रों का भी लोकार्पण किया गया। यह जन औषधि केंद्र गरीब, मध्यम वर्ग और निम्म मध्यम वर्ग के लिए बहुत बड़ा सहारा बन गए हैं। इन केंद्रों में सात सौ से अधिक दवाईयां और डेढ़ सौ से अधिक patient को सर्जरी के बाद जो सामान की जरूरत पड़ती है, वो सस्ते दाम पर उपलब्ध है। देशभर में इस तरह के करीब-करीब साढ़े तीन हजार से भी अधिक जन औषधिक केंद्र खोले जा चुके हैं। आठ सौ से अधिक दवाओं को मूल्य नियंत्रक व्यवस्था के दायरे में लाना, हृदय की बीमारी के दौरान लगने वाले स्टेंट की कीमत को कम करना, घुटनों में लगने वाले इम्प्लांट को सस्ता करना ऐसे अनेक कार्य इस सरकार ने किए हैं, जो गरीब और मध्यम वर्ग को बहुत बड़ी राहत देगा। एक मध्यम वर्गीय परिवार जिसके घर में बड़े बुजुर्ग रहते हो, तो एक एक-आध बीमारी तो घर के अंदर परिवार का हिस्सा बन जाती है। डायबिटिज हो, ब्लड प्रेशर हो और ऐसे परिवार को हर दिन दवाई लेनी पड़ती है। परिवार के एक सदस्य के लिए हर दिन दवाई लानी पड़ती है और महीनेभर का बिल हजार, दो हजार, ढाई हजार, तीन हजार, पांच हजार तक जाता है। और अब जन औषधि के कारण जिसकी दवाई का बिल हजार रुपया आता है। वो अब ढ़ाई सौ, तीन सौ रुपये में महीने भर की दवाई उसको प्राप्त हो जाती है। आप कल्पना कर सकते हैं, कितनी बड़ी सेवा है। यह काम पहले की सरकारें कर सकती थी, लेकिन उनके लिए उनको अपनी पार्टी, अपना परिवार, अपनी कुर्सी इससे आगे वो सोचने को तैयार नहीं थे और इसी के कारण देश के सामान्य मानव की भलाई के काम उनकी प्राथमिकता नहीं थी। साथियों, इन दिनों डायलिसिस एक बहुत बड़ी अनिवार्यता बन गई है। अनेक गांवों में अनेक परिवार उनको डायलिसिस के लिए जाना पड़ता है। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम हमने शुरू किया है और गरीबों को जो सबसे बड़ी चिंता का विषय रहा करता था, उनको मदद करने का बड़ा बीड़ा उठाया है। यह डायलिसिस योजना के तहत हम जिले, जिलों में डायलिसिस सेंटर बना रहे हैं। और गरीबो को, मध्यम वर्ग को, निम्न मध्यम वर्ग को नि:शुल्क डायलिसिस की सुविधा दी जा रही है। अब तक देश में करीब-करीब 25 लाख डायलिसिस सेशन मुफ्त किए जा चुके हैं। डायलिसिस के हर सेशन में किसीन किसी गरीब के ढ़ाई हजार, दोहजार, 15 सौ रुपया बच रहा है। इसके अलावा स्वच्छ भारत मिशन यह बीमारी को रोकने में प्रभावी साबित हो रहा है। पिछले साल की एक रिपोर्ट आई थी कि जिन गांवों में शौचालयों का इस्तेमाल बढ़ रहा है, वहां के लोगों और विशेषकर बच्चों को बीमारियों में तेजी से कमी आ रही है। इतना ही नहीं, जो गांव खुले में शौच से मुक्त हुए हैं, वहां औसतन हर परिवार के लगभग 50 हजार रुपया सालाना बच रहे हैं। वरना यही पैसे पहले वो परिवार अस्पताल के चक्कर लगाने में, दवाईयों के पीछे, नौकरियों की छुट्टियों के पीछे खर्च कर देता था। साथियों, गरीब और बीमारी के कुचक्र को तोड़ने के लिए एक और बहुत बड़ी योजना जल्द सरकार लाने वाली है। लोग उसे मोदी केयर कहते हैं, कोई उसे आयुष्मान भारत कहता है और इस योजना के तहत देश की करीब-करीब 50 करोड़ गरीब आबादी को पांच लाख रुपये तक का इलाज मुफ्त करने का प्रबंधन किया जा रहा है, इस पर तेजी से काम कचल रहा है और बहुत जल्द इसे सरकार देशभर में शुरू करने जा रही है। आप कल्पना कीजिए एक परिवार को अगर कोई बीमार हो जाता है, गंभीर प्रकार की बीमारियां होती है और पांच लाख रुपये तक का खर्चा सरकार दे दे, तो आप कल्पना कर सकते हैं कि उस परिवार को नयी जिदंगी मिलेगी कि नही मिलेगी। वो परिवार मुसीबतों से बाहर आएगा कि नहीं आएगा। और मेरे देश के करोड़ों परविार मुसीबतों से बाहर आएंगे तो मेरा देश भी मुसीबतों से बाहर निकलेगा या नहीं निकलेगा। और इसलिए भाईयों-बहनों, आयुष्मान भारत योजना देश के उज्जवल भविष्य के लिए, देश के स्वस्थ भविष्य के लिए हम ले करके आए हैं। भाईयों-बहनों, गरीब, पीडि़त, शोषित, वंचित इसकी पीड़ा और चिंता को दूर करना, मुश्किल के समय में उनके साथ रहना, उनके जीवन को आसान बनाना यही हमारी सरकार की प्राथमिकता है और इसी के लिए हम लगे हुए हैं। इसी सोच के साथ अब देश के गरीब को सामाजिक सुरक्षा का एक मजबूत कवच दिया जा रहा है। एक रुपये प्रति महीना और 90 पैसे प्रति दिन, महीने का रुपया कोई बहुत बड़ा नहीं होता। एक दिन का 90 पैसा, यह गरीब के लिए भी मुश्किल नहीं होगा। इस दर पर प्रतिदिन के प्रीमियम पर जीवन बीमा और accident बीमा जैसी योजना लोगों के जीवन में ज्योति की तरह काम कर रही है। वरना पहले हमारे देश में एक सोच थी कि बैंक में अकाउंट किसका होगा? मध्यम वर्ग का, पढ़े-लिखे लोगों का, अमीर का होगा, गरीब के लिए तो बैंक हो ही नहीं सकता है। हमारे देश में सोच थी कि घर में गैस का चूल्हा तो अमीर के यहां हो सकता है, पढ़े-लिखे लोग के यहां होता है, बाबू के यहां होता है, गरीब के घर में हो ही नहीं सकता है। हमारे देश में सोच थी कि रुपये कार्ड, कार्ड से पैसे लेन-देन यह तो अमीर के घर में हो सकता है, बाबू के यहां हो सकता है, बड़ी रहीस के यहां हो सकता है, गरीब के जेब में रुपये कार्ड नहीं हो सकता है। हमारे देश में यही सोच बनी हुई थी। भाईयों-बहनों, हमने अमीर और गरीब की इस सोच को तोड़ना तय किया है, देश के सवा सौ करोड़ नागरिक एक समान होने चाहिए। बीमा गरीब सोच नहीं सकता, वो सोचता था कि अमीर का बीमा हो सकता है, जिसकी गाड़ी है, उसका बीमा हो सकता है, हमारे पास तो साइकिल भी नहीं है, हमारा बीमा क्या हो सकता है। यह सारे मिथक को हमने तोड़ दिया है और देश के गरीब के लिए 90 पैसे वाला बीमा ले आए हैं, महीने के एक रुपये वाला बीमा ले आए हैं और संकट के समय यह बीमा उसकी जिंदगी में काम आ रहा है। अमीरी और गरीबी, बड़े और छोटे का भेद खत्म करने वाले एक के बाद एक हम कार्यक्रम उठा रहे हैं और उसका परिणाम आने वाले दिनों दिखने वाला है। मेरा गरीब अब आंख में आंख मिला करके बात करने वाला है, उसके लिए हम काम कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश के डेढ़ करोड़ से अधिक लोग इन दोनों योजनाओं से जुड़ चुके हैं। इन योजनाओं के माध्यम से संकट के समय लगभग तीन सौ करोड़ रुपये की claim राशि इन परिवारों को पहुंच चुकी है। मैं सिर्फ उत्तर प्रदेश से कह रहा हूं, अगर मेरी सरकार ने सौ करोड़ रुपये भी घोषित किया होता न तो अखबारों में फ्रंट पेज पर हेडलाइन होती। लेकिन हमने योजना ऐसी बनाई कि तीन सौ करोड़ रुपया पहुंच गया और कोई ऐसा बड़ा संकट नजर नहीं आया। काम कैसे होता है, व्यवस्थाएं कैसे बदलती है, इसका यह जीता-जागता उदाहरण है। साथियों, आप में से जिन लोगों ने अभी तक इन योजनाओं का लाभ नहीं लिया है,मेरी आपसे विनती है आप इन योजनाओं से जुडि़ये, कोई नहीं चाहता मां विंध्यावासिनी के आशीर्वाद से आपके परिवार में कोई संकट न आए, कोई नहीं चाहता, कोई संकट न आए, लेकिन काल के गर्भ में क्या है, कौन जानता है। अगर कोई मुसीबत आई तो यह योजना आपके लिए मददगार साबित हो जाएगी, संकट के समय आपकी जिंदगी में काम आ जाएगी, इसलिए हम योजना लाए हैं। गरीब के हित में जो भी योजनाएं सरकार चला रही है, जो फैसले लिये गये है, वो गरीबों को सशक्त करने के साथ ही उनके जीवन स्तर को बदल रहा है। हाल ही में एक और अंतर्राष्ट्रीय रिपोर्ट आई है, जिसमें कहा गया है कि बीते दो वर्षों में भारत में.. अखबार में छपेगा लेकिन यह कौने में ही छपता है, टीवी में शायद दिखता नहीं है और इसलिए मैं कह रहा हूं आप जरा लोगों को बताइये अभी एक अंतर्राष्ट्रीय रिपोर्ट आई है और उस रिपोर्ट का कहना है, अगर ऐसी रिपोर्ट negative होती तो हफ्ते भर हमारे यहां हो-हल्ला चलता रहता, लेकिन positive है तो आती है, चली जाती है कोई नोटिस भी नहीं करता है। अभी रिपोर्ट आई है गत दो वर्ष में भारत में पांच करोड़ लोग भीषण गरीबी की स्थिति से बाहर निकले हैं। बताइये एक-एक योजना का परिणाम दिख रहा है कि नहीं दिख रहा है। क्या आप कोई नहीं चाहते कि गरीब की जिंदगी बदले, बदलनी चाहिए कि नहीं बदलनी चाहिए? लोग गरीब से बाहर आने चाहिए कि नहीं आने चाहिए? आज उसके फल दिखाई दे रहे हैं। निश्चित तौर पर इसमें सरकार की उन योजनाओं को भी बड़ा प्रभाव है जो गरीबों का खर्च और उनकी चिंता को कम कर रहा है। निश्चितता का यही भाव उन्हें नये अवसर भी दे रहा है। जैसे उज्जवला योजना महिलाओं को सिर्फ लकड़ी के धुएं से ही मुक्ति नहीं दिलाई है, बल्कि उन्हें परिवार की कमाई में मदद करने का समय भी दिया है। अब घंटों लकड़ी के चूल्हें के सामने बैठने की उनकी मजबूरी खत्म हो गई है। उत्तर प्रदेश में तो 80 लाख से ज्यादा महिलाओं को इस उज्जवला योजना के तहत मुफ्त में गैस कनेक्शन मिल चुका है। इसी तरह जन-धन योजना के तहत उत्तर प्रदेश में पांच करोड़ बैंक खाते खुले हैं। मुद्रा योजना के तहत बिना बैंक गारंटी दिये गये एक करोड़ से ज्यादा ऋण, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनाए गए 18 लाख घर, महंगाई पर नियंत्रण इन सभी ने गरीबों को गरीबी से निकालने में मदद की है। साथियों, गरीब को दवाई, किसान को सिंचाई, बच्चों को पढ़ाई और युवाओं को कमाई जहां सुनिश्चित होगी, जहां सुविधाएं आपार होगी और व्यवस्था इर्मानदार होगी ऐसे 'न्यू इंडिया' के संकल्प को सिद्ध करने में हम जुटे हैं। आज जिन योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास यहां हुआ है, उनके लिए आप सभी को फिर एक बार बहुत-बहुत बधाई देता हूं। यूपी ऐसे ही विकास के पथ पर गतिशील रहे इसके लिए योगी जी, उत्तर प्रदेश की उनकी सरकार, उनके सारे साथी, उनकी सारी टीम मैं उनको भी एक-एक योजना को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाने के लिए हृदय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं। बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं और मैं फिर एक बार मां विंध्यवासिनी का वो प्रसाद पानी का बूंद-बूंद इसका उपयोग करना न भूले, यह अपेक्षा फिर से दोहराता हूं। आप लोगा इतनी बड़ी तादाद में आए, ऐसी गर्मी में आए। आपने मुझे और हम सबको आशीर्वाद दिया, इसके लिए मैं आपका हृदय से बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूं। मेरे साथ मुठ्ठी बंद करके पूरी ताकत से बोलिये - भारत माता की जय। भारत माता की जय। भारत माता की जय। बहुत-बहुत धन्यवाद। |
रविवार, 15 जुलाई 2018
पीएम मोदी ने किया बाणसागर नहर परियोजना राष्ट्र को समर्पित
|
मिर्जापुर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मिर्जापुर में बाणसागर नहर परियोजना राष्ट्र को समर्पित की। यह परियोजना मिर्जापुर एवं इलाहाबाद जिलों किसानों के लिए काफी लाभदायक साबित होगी। साथ ही श्री मोदी ने कई योजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया। उनमें मिर्जापुर चिकित्सा महाविद्यालय का शिलान्यास, राज्य में 100 जन औषधि केंद्रों का भी उद्घाटन शामिल है। उन्होंने चुनार के बालुघाट में गंगा नदी पर बने एक पुल को भी राष्ट्र को समर्पित किया जो मिर्जापुर एवं वाराणसी के बीच संपर्क सुगम बनाएगा। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि मिर्जापुर क्षेत्र में असीमित क्षमता छुपी हुई है। उन्होंने सौर संयंत्र के उद्घाटन के लिए फ्रांस के राष्ट्रपति मैरॉन के साथ मिर्जापुर की अपनी पिछली यात्रा का समरण किया। प्रधानमंत्री ने विभिन्न विकास परियोजनाओं एवं कार्यों का उल्लेख किया जिसका उन्होंने पिछले दो दिनों के दौरान या तो उद्घाटन किया है या शिलान्यास किया है। उन्होंने कहा कि बाणसागर परियोजना की अवधारणा लगभग चार दशक पहले बनाई गई थी और 1978 में इसका शिलान्यास किया गया था लेकिन इस परियोजना में बेवजह काफी देरी होती गई। उन्होंने कहा कि 2014 के बाद, इस परियोजना को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का एक हिस्सा बना दिया गया और इसे पूर्ण करने के सभी प्रयास किए गए। केंद्र सरकार द्वारा किसानों के कल्याण के लिए उठाए गए कदमों के बारे में चर्चा करते हुए, प्रधानमंत्री ने खरीफ फसलों के लिए एमएसपी में हाल में की गई बढोतरी का भी उल्लेख किया। उन्होंने जन औषधि केंद्रों सहित, निर्धनों को किफायती स्वास्थ्य देखभाल उपलब्ध कराने के लिए उठाए गए कदमों की चर्चा की। उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन रोगों को नियंत्रित करने में भी प्रभावी साबित हो रहा है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य बीमा योजना-आयुष्मान भारत शीध्र ही कार्यान्वित की जाएगी। उन्होंने केंद्र सरकार की अन्य सामाजिक कल्याण योजनाओं के बारे में भी उल्लेख किया। |
बुधवार, 11 जुलाई 2018
स्वयं सहायता समूहों से सीधे संवाद करेंगे पीएम मोदी
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 12 जुलाई, 2018 को, सुबह 9 बजकर 30 मिनट पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण
आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) एवं डीडीयू-जीकेवाई तथा आरएसईटीआई के तहत स्वयं
सहायता समूह के सदस्यों के साथ सीधे संवाद करेंगे। इस संवाद से प्रधानमंत्री को
सीधे स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) के सदस्यों से डीएवाई-एनआरएलएम के तहत उनके
द्वारा आरंभ किए गए विभिन्न कार्यकलापों तथा इसने उनके जीवन को किस प्रकार
प्रभावित किया है, यह जानने का अवसर मिलने की उम्मीद है। इस
संवाद का दूरदर्शन द्वारा सीधा प्रसारण दिखाया जाएगा एवं एनआईसी अपने नेटवर्क के
माध्यम से इसे वेबकास्ट करेगा।
चुने हुए कुछ लाभार्थियों में बिहार का शराब विरोधी आंदोलन, मक्का मूल्य श्रृंखला एवं विपणन,
छत्तीसगढ़ की ईट निर्माण इकाई, झारखण्ड का
बिजनेस कॉरेस्पोंडेंट सखी एवं इमली मूल्य श्रृंखला तथा विपणन, मध्य प्रदेश का सेनेटरी नैपकिन का विनिर्माण एवं विपणन तथा डीडीयू-जीकेवाई,
राजस्थान का सोलर पैनल एवं लैम्प का विनिर्माण एवं विपणन, महाराष्ट्र का पशु सखी एवं डीडीयू-जीकेवाई, जैसे
स्वयं सहायता समूह शामिल हैं जो प्रत्यक्ष संवाद में भाग लेंगे। इसके अतिरिक्त,
तमिलनाडु के दिव्यांगजनों के कल्याण के लिए युक्तियां, तेलंगाना के एसएचजी के निर्माण के लिए बाहरी समुदाय संसाधन व्यक्ति,
जम्मू एवं कश्मीर के डेरी फॉर्म तथा गुजरात के नीम बीजों का संग्रह
एवं विपणन भी संवाद का हिस्सा होंगे।
दीनदयाल अंत्योदय योजना-एनआरएलएम महिला सशक्तिकरण के लिए सबसे बड़े
संस्थागत मंच के रूप में उभरा है। इस मिशन ने अब 29 राज्यों एवं 5 केंद्र शासित
राज्यों में 600 जिलों में फैले प्रखण्डों (ब्लॉक) में
कार्यान्वयन आरंभ कर दिया है। मई, 2018 तक 45 लाख स्वयं सहायता समूहों में 5 करोड़ से अधिक
महिलाओं को संगठित किया जा चुका है। इसके अतिरिक्त, 2.48 लाख
ग्रामीण संगठनों तथा 20 हजार क्लस्टर स्तर संघों का भी उन्ययन
किया गया है।
सोमवार, 9 जुलाई 2018
पीएम मोदी और दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ने नोएडा में मोबाइल उत्पादन यूनिट का उद्घाटन किया
नोएडा। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और कोरिया गणराज्य के राष्ट्रपति मून जेई-इन ने आज नोएडा में सैमसंग इंडिया इलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लिमिटेड की एक विशाल मोबाइल उत्पादन यूनिट का उद्घाटन किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने इसे भारत को एक वैश्विक विनिर्माण हब (केन्द) बनाने की यात्रा में एक विशेष मौका बताया। उन्होंने कहा कि लगभग 5000 करोड़ रुपये के निवेश से न केवल भारत के साथ सैमसंग के कारोबारी संबंध सुदृढ़ होंगे, बल्कि यह भारत और कोरिया के बीच संबंधों के संदर्भ में भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री ने यह बात रेखांकित की कि डिजिटल प्रौद्योगिकी आम आदमी के जीवन को सरल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है, जिसमें त्वरित एवं अधिक पारदर्शी सेवा डिलीवरी का योगदान भी शामिल है। उन्होंने स्मार्ट फोन, ब्रॉडबैंड और डेटा कनेक्टिविटी के विस्तारीकरण का उल्लेख करते हुए इसे भारत में एक डिजिटल क्रांति के संकेत के रूप में वर्णित किया। इस संदर्भ में उन्होंने सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जेम), डिजिटल लेन-देनों में वृद्धि, भीम एप और रुपे कार्डों के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि ‘मेक इन इंडिया’ पहल केवल एक आर्थिक नीतिगत उपाय ही नहीं है, बल्कि मित्र देशों जैसे कि दक्षिण कोरिया के साथ बेहतर संबंध सुनिश्चित करने का एक संकल्प भी है। उन्होंने कहा कि विश्व भर के उन सभी कारोबारियों के लिए खुला निमंत्रण है, जो ‘नए भारत’ की पारदर्शी कारोबारी संस्कृति से लाभ उठाना चाहते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था और उभरते नव मध्यम वर्ग की बदौलत अपार निवेश संभावनाएं सृजित हो रही हैं। प्रधानमंत्री ने यह बात रेखांकित की कि भारत अब मोबाइल फोन के उत्पादन क्षेत्र में विश्व स्तर पर दूसरे पायदान पर है। यही नहीं, भारत में लगभग चार वर्षों की अवधि में मोबाइल फोन की उत्पादन इकाइयों या फैक्टरियों की संख्या महज 2 के आंकड़े से बढ़कर अब 120 के उच्च स्तर पर पहुंच गई है। उन्होंने कहा कि इससे रोजगार के लाखों अवसर सृजित हुए हैं। प्रधानमंत्री ने विशेष जोर देते हुए कहा कि इस नई मोबाइल उत्पादन यूनिट के जरिए कोरियाई प्रौद्योगिकी और भारतीय विनिर्माण एवं सॉफ्टवेयर सहयोग का यह संयोजन पूरी दुनिया के लिए उत्कृष्ट उत्पाद उपलब्ध कराएगा। उन्होंने इसे दोनों ही देशों की ताकत और साझा विजन के रूप में वर्णित किया। |
शनिवार, 23 जून 2018
...तो क्या सचमुच सबसे बड़ा घोटाला थी नोटबंदी
धीरे-धीरे इस आरोप
की पुष्टि हो रही है कि भाजपा के शीर्ष नेताओं को नोटबंदी की पहले से जानकारी थी
और उन्होंने इसका भरपूर लाभ उठाया था। भाजपा की विभिन्न इकाइयों पर बिहार समेत देश
के कई राज्यों में नोटबंदी से ठीक पहले बड़े-बड़े भूखंड खरीदने का आरोप तो 2016
में ही लगा था। इसकी कोई जांच-पड़ताल नहीं हुई। इधर एक नई बात सामने आई है। भाजपा
अध्यक्ष अमित शाह से जुड़े सहकारी बैंक के जरिए 745.58 करोड़ के पुराने नोट बदले
गए। यह रकम देश के 370 जिला स्तरीय सहकारी बैंकों में सबसे ज्यादा है। यही नहीं
भाजपा नेताओं से जुड़े सहकारी बैंकों में सबसे ज्यादा नोट जमा किए और बदले गए हैं।
राहुल गांधी ने पहले ही नोटबंदी को आजाद भारत का सबसे बड़ा घोटाला करार दिया था।
अब उनकी बात सत्यता के करीब पहुंच रही है। इस मामले की पुष्टि नबार्ड ने सूचना के
अधिकार के तहत पूछे गए प्रश्न के जवाब में की है। महाराष्ट्र के सूचना अधिकार
कार्यकर्ता मनोरंजन एस राय ने नबार्ड से सूचना अधिकार के तहत स संबंध में जानकारी
मांगी थी। इसपर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी समेत अन्य वरिष्ट नेताओं ने आरोपों
की बौचार की है लेकिन अभी तक भाजपा की ओर से कोई सफाई नहीं आई है। ट्वीटर पर यह
मामला गर्म है। टेलीग्राफ ने इसकी विस्तृत रपट प्रकाशित की है। उल्लेख्य है कि
नोटों की अदला-बदली नोटबंदी की घोषणा के दो दिन बाद 10 नवंबर से शुरू हुई थी। 14
नवंबर को सहकारी बैंकों में पुराने नोटों को जमा करने पर पाबंदी लगा दी गई थी।
तर्क यह था कि उनके जरिए काले धन को सफेद किया जा सकता है। सहकारी बैंकों में यह
रकम मात्र पांच दिनों में जमा की गई है।
अहमदाबाद जिला
को-आपरेटीव बैंक जिसमें सबसे बड़ी राशि जमा की गई, अमित शाह उसके चेयरमैन हुआ करते
थे। अब उनके करीबी भाजपा नेता अजय पटेल चेयरमैन हैं। शाह सिर्फ निदेशक मंडल के
सदस्य हैं। कांग्रेस के संचार प्रमुख रणदीप सुरजेवाला ने सवाल किया है कि यह रकम
किसकी थी। उनका कहना है कि उन्होंने सरकार से नोटबंदी से पूर्व और उसके पश्चात 25
लाख से अधिक राशि जमा करने वालों की सूची मांगी थी लेकिन उसे मुहैय्या नहीं कराया
गया। उनका कहना है कि बड़े भूखंडों की खरीद संबंधी जानकारी उनके पास है। नोटबंदी
से पूर्व कुछ भाजपा नेताओं के पास नए नोट पकड़े गए थे। यह कैसे हुआ। इस पूरे
प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए क्योंकि यह प्रधानमंत्री पद की विश्वसनीयता
और गरिमा से जुड़ा प्रश्न है। श्री सुरजेवाला ने ,चना के अधिकार के तहत प्राप्त
जानकारी का हवाला देते हुए कहा है कि गुजरात में भाजपा नेताओं के से जुड़े 11
जिलों के सहकारी बैंकों में 10 नवंबर 2016 से 14 नवंबर 2016 के बीच 3118.51 करोड़
के पुराने नोट जमा किए गए। भाजपा शासित राज्यों में भाजपा और उसके सहयोगी दलों के
नेताओं से जुड़े सहकारी बैंकों में 14293.71 करोड़ जमा किए गए जबकि सभी सहकारी
बैंकों को मिलाकर पांच दिनों में कुल जमा रकम 22270.80 करोड़ की थी। सितंबर 2016
में बैंकों में अन्य वर्षों की तुलना में 5.88 लाख करोड़ की राशि अधिक जमा की गई
थी। यही नहीं 1 से 15 सितंबर के बीच 3 लाख करोड़ की राशि फिक्स्ड डिपोजिट कराई गई
थी। यह इस बात को प्रमाणित करता है कि नोटबंदी की योजना की जानकारी कुछ लोगों को
पहले से थी और उन्होंने अपना काला धन समय रहते व्यवस्थित कर लिया था। हालाकि
नबार्ड अहमदाबाद बैंक में जमा की गई राशि को अप्रत्याशित नहीं मानता।
-देवेंद्र गौतम
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ (Atom)
स्वर्ण जयंती वर्ष का झारखंड : समृद्ध धरती, बदहाल झारखंडी
झारखंड स्थापना दिवस पर विशेष स्वप्न और सच्चाई के बीच विस्थापन, पलायन, लूट और भ्रष्टाचार की लाइलाज बीमारी काशीनाथ केवट 15 नवम्बर 2000 -वी...
-
झारखंड स्थापना दिवस पर विशेष स्वप्न और सच्चाई के बीच विस्थापन, पलायन, लूट और भ्रष्टाचार की लाइलाज बीमारी काशीनाथ केवट 15 नवम्बर 2000 -वी...
-
* जनता के चहेते जनप्रतिनिधि थे पप्पू बाबू : अरुण कुमार सिंह बख्तियारपुर / पटना : पूर्व विधायक व प्रखर राजनेता स्व.भुवनेश्वर प्रसाद ...
-
मारवाड़ी युवा मंच महिला समर्पण शाखा द्वारा दो दिवसीय दिवाली मेला का आयोजन अग्रसेन भवन में किया जा रहा है | यह मेला 15 और 16 अक्टूबर...
-
अब जेल से चलेगी सरकार ! सरकार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल गिरफ्तार होने के बावजूद अपने पद से इस्तीफा नहीं देंगे। पार्टी के...
-
प्रतिभा सम्मान समारोह आयोजित रांची । राजधानी के श्री डोरंडा बालिका उच्च विद्यालय प्रांगण में सोमवार को प्रतिभा सम्मान समारोह आयोजित किय...






