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शनिवार, 31 अगस्त 2019

वायरल हो रहा है झारखंड सरकार का फर्जी पत्र

रांची। झारखंड सरकार के जन संपर्क विभाग ने एक विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि सोशल मीडिया पर आज एक फर्जी पत्र वायरल कर जनता को गुमराह करने का षडयंत्र रचा जा रहा है। कार्मिक प्रशासनिक सुधार एवं राजभाषा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के खंडेलवाल के नाम से जारी एक पत्र, जिसमें झारखंड सरकार के अधीनस्थ कर्मियों के सेवाकाल को 60 वर्ष से बढ़ाकर 62 वर्ष किए जाने का उल्लेख है, एक फर्जी (fake letter) पत्र है। कार्मिक प्रशासनिक सुधार एवं राजभाषा विभाग ने इस प्रकार का कोई पत्र निर्गत नहीं किया है। विभाग ने आज इस आशय की जानकारी दी है।
आम लोगों, सरकारी कर्मियों और अन्य जो  इससे प्रभावित होते हों, को यह आधिकारिक रूप से यह स्पष्ट किया जाता है कि यह एक आधारहीन, फर्जी, जाली पत्र (Fake letter) है।

सोमवार, 29 जुलाई 2019

सोशल मीडिया पर कानून की उल्लंघन न करेंः इंद्रजीत माहथा



चाईबासा। पुलिस अधीक्षक  इंद्रजीत माहथा ने  पश्चिमी सिंहभूम जिला अंतर्गत जिले में सोशल मीडिया- व्हाट्सएप, फेसबुक इत्यादि का उपयोग करने वाले तमाम लोगों से अपील की है कि किसी भी परिस्थिति में अपने कमेंट करते समय कानून का उल्लंघन ना करें। भारतीय दंड संहिता और सूचना प्रौद्योगिकी एक्ट के तहत, साथ ही  अन्य धाराओं के तहत कार्रवाई की जायेगी। चाहे वह महिलाओं के विरुद्ध कमेंट से संबंधित हो या जुवेनाइल जस्टिस एक्ट से संबंधित हो, किसी भी परिस्थिति में वह बच्चों के अधिकार, महिलाओं के अधिकार, या कमजोर वर्ग के अधिकार या किसी की व्यक्तिगत गरिमा और उसके गरिमा पूर्ण जीवन जीने के तरीके के विरुद्ध यदि कोई कमेंट जाता है तो निश्चित रूप से ऐसे लोगों पर आईपीसी की धारा एवं आईटी एक्ट की धाराओं के तहत कार्रवाई की जाएगी। साथ ही साथ यदि किसी व्यक्ति का कमेंट वर्ग या समूह के बीच में विद्वेष को फैलाने वाला हो या भीड़ की हिंसा को उत्प्रेरित करने वाला हो तो आईपीसी की धारा 153(ए) के तहत उसमें मामला दर्ज करके अग्रेतर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
सबसे बेहतर यही होगा कि लोग व्हाट्सएप और सोशल मीडिया- फेसबुक, ट्विटर पर अपना उपयोग करते समय दायरे में रहें और कानून की विभिन्न धाराओं और कानून सम्मत कार्रवाई करें। व्हाट्सएप ग्रुप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का एक सकारात्मक उपयोग करें। विकास योजनाओं को आगे बढ़ाने में या स्वस्थ परिचर्चा को आगे बढ़ाने में इसका उपयोग करें। लेकिन किसी भी हालत में वर्ग और समूह के बीच में विद्वेष फैलाने वाला या किसी की व्यक्तिगत गरिमा को हनन या ठेस पहुंचाने वाला या उसकी क्षति करने वाला कोई कमेंट नहीं हो तो बेहतर चाईबासा के निर्माण में यह सहायक सिद्ध होगा।jex;r>

सोमवार, 18 जून 2018

सोशल मीडिया के दुरुपयोग के खिलाफ अभियान


सोशल मीडिया का जितना सदुपयोग हो रहा है उससे ज्यादा दुरुपयोग हो रहा है। हाल में सोशल मीडिया पर बच्चा चोरी की अफवाहों के कारण देश के कई इलाकों में निर्दोष लोगों की पीट-पीटकर हत्या की घटनाएं हुई हैं। असम के कार्बी-एंलांग जिले के 29 वर्षीय नीलोत्पल और 30 वर्षीय अभिजीत नाथ एक झरने को देखने गए थे। स्थानीय लोगों ने बच्च चोर होने के संदेह में उन्हें पीट-पीटकर मार डाला। अभी रांची में एक आपत्तिजनक पोस्ट के कारण दो समुदायों के बीच हिंसक टकराव की नौबत आ गई। पुलिस-प्रशासन ने पोस्ट डालने वाले युवक को गिरफ्तार कर लिया और दोनों पक्षों को समझा बुझाकर मामला शांत कराया। एक पोस्ट के कारण बवाल होते-होते बचा। इस तरह की घटनाएं देश के विभिन्न हिस्सों में आए दिन हो रही हैं।
दरअसल सोशल साइटों पर आतंकी और अपराधी गिरोहों के अलावा शरारती तत्वों की सक्रियता ने सरकार, साजाजिक संगठनों, बौद्धिक वर्ग और शांतिप्रिय नागरिकों को गंभीर चिंता में डाल दिया है। सरकारी स्तर पर सोशल साइटों के प्रमोटरों पर अंकुश लगाने, दबाव डालने से लेकर कड़े कानूनी प्रावधानों को लागू करने की कोशिश की गई। आपत्तिजनक पोस्टों के कारण कई गिरफ्तारियां हुईं, मुकदमे चले लेकिन कोई अंतर नहीं पड़ा।
समस्या यह है कि सोशल साइटों का निबंधन और संचालन अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों के जरिए होता है। भारत सरकार के कानून उनपर लागू नहीं होते। उनपर प्रतिबंध भी नहीं लगाया जा सकता क्योंकि  इससे सकारात्मक विचारों के आदान प्रदान का रास्ता भी बंद हो जाएगा जो वैश्वीकरण के इस युग में उचित नहीं होगा। सोशल साइटों के दुरुपयोग पर नियंत्रण के लिए जन समुदाय की ओर से ही पहल करनी होगी। कानून के जरिए इसे नियंत्रण करने का प्रयास अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने के सरकारी दुराग्रह के रूप में देखा जाएगा।
सुखद बात यह है कि पूर्वोत्तर के असम राज्य से इसकी शुरुआत हो चुकी है। गौहाटी विश्वविद्यालय के पीजी स्टूडेंट्स युनियन के महासचिव मोंजित शर्मा ने दो निर्दोष पर्यटकों की हत्या की  घटना को गंभीरता से लिया और सोशल मीडिया के दुरुपयोग के खिलाफ एक जागरुकता अभियान छेड़ने का निर्णय लिया। विश्वविद्यालय के करीब पांच हजार पीजी छात्र  इस अभियान में शामिल हो चुके हैं। अब  विश्वविद्यालय से संबद्ध 400 शैक्षणिक संस्थानों को इस अभियान से जोड़ा जा रहा है। छात्र युनियन की इस सकारात्मक पहल का कुलपति समेत वरीय अधिकारी भरपूर समर्थन कर रहे हैं। यह अभियान धीरे-धीरे एक बड़ा रूप ले सकता है। इसे प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।




स्वर्ण जयंती वर्ष का झारखंड : समृद्ध धरती, बदहाल झारखंडी

  झारखंड स्थापना दिवस पर विशेष स्वप्न और सच्चाई के बीच विस्थापन, पलायन, लूट और भ्रष्टाचार की लाइलाज बीमारी  काशीनाथ केवट  15 नवम्बर 2000 -वी...