बागपत। पूर्वांचल के कुख्यात माफिया डॉन प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी की बागपत जेल
में गोलियों से भुनकर हत्या कर दी गई। वह पूर्व बसपा विधायक लोकेश दीक्षित से रंगदारी
मांगने के आरोप में झांसी जेल में बंद था। इसी रविवार को उसे झांसी से बागपत लाया
गया था। बागपत कोर्ट में उसकी पेशी होनी थी। पुलिस इस मामले की जांच में जुटी है।
जेल में बंद विरोधी गिरोह के शुटर ने उसे 10 गोलियां मारी हैं।
इस मामले
में एडीजी जेल ने बागपत के जेलर, डिप्टी जेलर, जेल वॉर्डन और दो सुरक्षाकर्मियों को निलंबित कर दिया है। घटना
को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी जांच के आदेश दे दिए
हैं। मुन्ना के साले विकास श्रीवास्तव ने गैंगस्टर सुनील राठी पर इस हत्या की
साजिश का आरोप लगाया है।
पूर्वांचल
की खबरों के मुताबिक मुताबिक जेल में बंद कुख्यात गैंगस्टर
सुनील राठी के शूटर्स ने मुन्ना बजरंगी को गोली मारी है। गृह विभाग के प्रमुख सचिव
ने इस हत्याकांड की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं। मुन्ना पर बड़ौत के पूर्व
बसपा विधायक लोकेश दीक्षित और उनके भाई नारायण दीक्षित से 22 सितंबर 2017 को फोन पर रंगदारी मांगने और धमकी
देने का आरोप था।
मुन्ना
बजरंगी का का जन्म 1967 में उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के पूरेदयाल गांव में हुआ था। उसने
पांचवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी और अंडरवर्ल्ड की गतिविधियों में शामिल हो
गया था।
कहते हैं
कि शुरुआती दौर में उसे जौनपुर के बाहुबली गजराज सिंह का संरक्षण हासिल था। 1984 में उसने लूट के लिए एक व्यापारी
की हत्या कर दी थी। इसके बाद उसने गजराज सिंह के इशारे पर ही जौनपुर के भाजपा नेता
रामचंद्र सिंह की हत्या करके पूर्वांचल में अपना आतंक कायम कर लिया। 90 के दशक में वह पूर्वांचल के
बाहुबली मुख्तार अंसारी के गैंग में शामिल हो गया था।
मुख्तार
अंसारी का गैंग मऊ से संचालित हो रहा था। लेकिन इसका प्रभाव पूरे पूर्वांचल
पर था। मुख्तार ने अपराध की दुनिया से राजनीति में कदम रखा। वर्ष 1996 में वह समाजवादी पार्टी के टिकट
पर मऊ से चुनाव लड़ा और विधायक निर्वाचित हुआ। सत्ता की राजनीति में आने के बाद इस
गैंग की ताकत बहुत बढ़ गई। मुन्ना बजरंगी सीधे तौर पर सरकारी ठेकों को प्रभावित
करने लगा था। वह विधायक मुख्तार अंसारी का दाहिना हाथ बन गया था।
पूर्वांचल
में सरकारी ठेकों और वसूली के कारोबार पर मुख्तार अंसारी का कब्जा था। लेकिन इसी
दौरान तेजी से उभरते बीजेपी के विधायक कृष्णानंद राय उनके लिए चुनौती बनने लगे। उन
पर मुख्तार के दुश्मन कुख्यात शुटर ब्रजेश सिंह का हाथ था। उसी के बल पर कृष्णानंद
राय का गिरोह फल फूल रहा था। आपसी दुश्मनी में दोनों गिरोह अपनी ताकत बढ़ा रहे थे।
इनके संबंध
अंडरवर्ल्ड के साथ भी जुड़े गए थे। कृष्णानंद राय का बढ़ता प्रभाव मुख्तार को खटक
रहा था। उसने कृष्णानंद को खत्म करने की जिम्मेदारी मुन्ना को सौंप दी। मुख्तार से
फरमान मिल जाने के बाद मुन्ना बजरंगी ने भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की
29 नवंबर 2005 को हत्या कर दी।
उत्तर
प्रदेश समते कई राज्यों में मुन्ना बजरंगी के खिलाफ मुकदमे दर्ज थे। वह पुलिस के
लिए परेशानी का सबब बन चुका था। उसके खिलाफ सबसे ज्यादा मामले यूपी में दर्ज हैं। 29 अक्टूबर 2009 को दिल्ली पुलिस ने मुन्ना को
मुंबई के मलाड इलाके में नाटकीय ढंग से गिरफ्तार कर लिया था। ऐसा माना जाता है कि
एनकाउंटर के डर से उसने खुद गिरफ्तारी करवाई थी। उसकी हत्या के बाद सवाल उठ रहा है
कि जेल के अंदर शुटर के पास हथियार और गोलियां कैसे पहुंचीं। जांच के बाद ही इस हत्याकांड
से जुड़े रहस्य सामने आएंगे।
