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सोमवार, 26 अगस्त 2019

दिल्ली में नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक

सीएम रघुवर दास ने कहा-

क्लियर, होल्ड और डेवलप नीति की तहत झारखण्ड में हो रहा है काम, हमें अर्द्ध सैनिक बलों की अभी जरूरत है

2014 के बाद नक्सली घटनाओं में 60 प्रतिशत की कमी दर्ज हुई

14 वर्ष में 22248 किमी सड़क तो 2014 से केवल 5 वर्ष में 22865 किमी ग्रामीण सड़क बनी


नई दिल्ली/रांची। झारखंड में अपनाई गई क्लियर, होल्ड और डेवलप नीति के तहत वर्तमान परिपेक्ष में राज्य को केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की नितांत आवश्यकता है। दिसंबर 2014 से नक्सलवाद को जड़ से समाप्त करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। इस प्रयास का परिणाम है कि 2015 से 2019 की कुल नक्सली घटनाओं की तुलना 2010 से 2014 के नक्सली घटनाओं से की जाए तो 60 प्रतिशत की कमी परिलक्षित हुई है। नक्सलियों द्वारा आम लोगों को मारे जाने की घटना में एक तिहाई की कमी, जबकि सुरक्षाबलों से मुठभेड़ में मारे गए नक्सली की संख्या में दोगुनी से भी अधिक वृद्धि दर्ज की गई है। वर्ष 2015 से 2019 के बीच आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों की संख्या दुगनी हो गई और पुलिस द्वारा नक्सलियों से हथियार की बरामदगी में भी तीन 33 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। ये बातें मुख्यमंत्री श्री रघुवर दास ने नई दिल्ली में केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह की अध्यक्ष ता में नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक में कही।

नक्सल प्रभावित क्षेत्र के लोगों के जीवन में बदलाव लाने का हो रहा प्रयास


मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी बहुआयामी रणनीति के तहत जहां एक तरफ राज्य पुलिस एवं अर्द्धसैनिक बल लगातार कंधे से कंधा मिलाकर नक्सलवाद के विरुद्ध कार्य कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति के तहत नक्सलियों द्वारा आत्मसमर्पण किया जा रहा है। उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में सरकार द्वारा फोकस एरिया डेवलपमेंट प्लान के तहत राज्य की गरीब एवं आदिवासी जनता को आधारभूत संरचना उपलब्ध कराने के लिए अनेक विकास कार्य कर लोगों को लाभान्वित किया जा रहा है।

चुनाव में 275 कंपनी बल की जरूरत होगी

श्री दास ने कहा कि निकट भविष्य में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर लगभग 275 कंपनी अर्धसैनिक बलों की शांतिपूर्ण चुराए चुनाव कराने के लिए आवश्यकता होगी। इसे मुहैया कराने हेतु मैं गृह मंत्रालय से अनुरोध करता हूं। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार केंद्र सरकार के आभारी है कि झारखंड में जो केंद्रीय अर्ध सैनिक बल उपलब्ध कराए गए हैं वे लगातार झारखंड पुलिस के साथ मिलकर नक्सलियों से जूझ रहे हैं। झारखंड में नक्सलवाद अंतिम पड़ाव पर है। इस समय नक्सलियों पर सुरक्षाबलों द्वारा दबाव बन रहा है। उसके लिए आवश्यक है कि झारखंड में अर्द्ध सैनिक बलों को आने वाले दो-तीन वर्षों तक कमी ना की जाए।

14 वर्ष में 22248 किमी सड़क, 5 वर्ष में 22865 किमी ग्रामीण सड़क

मुख्यमंत्री ने बताया कि शुरुआती सुदूरवर्ती नक्सल प्रभावित क्षेत्र क्षेत्र के गांव आज सड़क मार्ग से जुड़ चुके हैं। वहां विकास योजनाएं पहुंच रही हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण भूमिका इन क्षेत्रों में स्थापित पुलिस पिकेट और कैंपो का रहा है, जहां कहीं भी नक्सलियों द्वारा विकास कार्यों में किसी तरह की बाधा पहुंचाई गई। वहां विकास कार्य सुरक्षा बलों की सहायता से संपन्न कराया गया। 2001 से 2014 के बीच ग्रामीण क्षेत्रों में जहां 222418 किलोमीटर सड़क मात्र बनाई गई थी, वहीं विगत 5 वर्षों में 22865 किलोमीटर सड़क बनाई गई। विशेष केंद्रीय सहायता योजना के तहत दी जानेवाली राशि से उग्रवाद प्रभावित जिलों में काफी तेजी से आधारभूत संरचनाओं एवं विकास कार्यों का क्रियान्वयन किया जा रहा है।

2500 से अधिक अवर निरीक्षकों की हुई बहाली

मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस अवर निरीक्षक की भारी कमी नक्सल अभियान के सुचारू संचालन में एक मुख्य बाधा थी। क्योंकि पिछले ढाई दशक में मात्र 250 पुलिस अवर निरीक्षकों की बहाली हो पाई थी। वर्तमान सरकार द्वारा 2014 के बाद 2500 से ज्यादा पुलिस अवर निरीक्षकों की बहाली की गई जो अभी प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। उम्मीद है कि इनके प्रशिक्षण के बाद फील्ड में आने से झारखंड पुलिस की कार्यशैली एवं कार्य क्षमता में अतुलनीय वृद्धि होगी।

शुक्रवार, 20 जुलाई 2018

पुलिस-जनता के बीच सेतु बनाएगी सरकार

केंद्रीय गृह मंत्री लांच करेंगे छात्र पुलिस कैडेट कार्यक्रम  
नई दिल्ली। केंद्रीय मानव विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर, हरियाणा के मुख्य मंत्री मनोहर लाल, केंद्रीय योजना राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा रसायन व उर्वरक राज्य मंत्री श्रराव इन्द्रजीत सिंह, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री हंसराज गंगाराम अहीर और हरियाणा सरकार के मंत्री राव नरवीर सिंह की उपस्थिति में केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह 21 जुलाई, 2018 को छात्र पुलिस कैडेट कार्यक्रम को लांच करेंगे।
यह कार्यक्रम स्कूली छात्रों की मदद से पुलिस और जन समुदाय के बीच सेतु बनाना चाहता है। यह कार्यक्रम 8वीं और 9वीं कक्षा के छात्रों पर विशेष ध्यान देता है। छात्रों के कार्यभार में अधिक वृद्धि न हो, इसका भी ध्यान रखा गया है। इस कार्यक्रम के लिए कोई पाठ्यपुस्तक या किसी परीक्षा की परिकल्पना नहीं की गई है। एक महीने में केवल एक पीरियड का प्रस्ताव दिया गया है। कार्यक्रम में मुख्यतः दो विषय वस्तुओं को शामिल किया गया है :
1.  अपराध की रोकथाम और नियंत्रण
2.  मूल्य और नैतिकता
पहले हिस्से में निम्न विषयों को शामिल किया गया है- सामुदायिक पुलिससड़क सुरक्षासामाजिक बुराइयों के खिलाफ लड़ाईमहिलाओं और बच्चों की सुरक्षाभ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई और आपदा प्रबंधन। दूसरे भाग में शामिल विषय हैं - मूल्य और नैतिकताबुजुर्गों के लिए आदर, सहानुभूति और सहनशीलताधैर्यदृष्टिकोणटीम भावना और अनुशासन।
एनसीईआरटी के सहयोग से बीपीआरएंडडी ने एक मार्गदर्शक पुस्तिका तैयार की है। क्षेत्र आधारित कार्य तथा महिला पुलिस स्टेशन, बाल सुरक्षा गृह, ट्रैफिक पुलिस, फायरब्रिगेड स्टेशन जाकर कार्यशैली सीखने पर विशेष बल दिया गया है। समूह परिचर्चा तथा ऑडियो विजुअल माध्यम से ज्ञान प्राप्ति को भी शामिल किया गया है।
इस कार्यक्रम को राज्य स्तरीय समिति नेतृत्व प्रदान करेगी। गृह विभाग के प्रधान सचिव इस समिति के अध्यक्ष तथा शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव और पुलिस महानिदेशक इसके सदस्य होंगे।
इसी प्रकार की एक समिति का गठन जिला स्तर पर भी किया जाएगा। जिलाधीश इस समिति के अध्यक्ष होंगे, जबकि स्कूल निरीक्षक और पुलिस अधीक्षक इसके सदस्य होंगे।
इस कार्यक्रम के कार्यान्वयन के लिए 67 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की गई है। शैक्षणिक सहायता, प्रशिक्षण और आकस्मिक खर्च के लिए प्रत्येक स्कूल को 50 हजार रुपये की धनराशि दी जाएगी। कार्यक्रम को सबसे पहले ग्रामीण और शहरी, दोनों ही क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों में लागू किया जाएगा।   
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बुधवार, 18 जुलाई 2018

गांधी जयंती पर कुछ कैदियों को मिलेगी समय पूर्व रिहाई की सौगात

नई दिल्ली। गृह मंत्रालय ने महात्‍मा गांधी की 150वीं जयंती पर लंबे समय से सज़ा काट रहे कुछ  कैदियों को विशेष माफी देने और उन्‍हें तीन चरणों में रिहा करने का निर्णय लिया है। निर्णय के मुताबिक पहले चरण में कैदियों को 02 अक्‍टूबर, 2018 यानी महात्‍मा गांधी की जयंती पर रिहा किया जाएगा। दूसरे चरण में कैदियों को 10 अप्रैल, 2019, चम्‍पारण सत्‍याग्रह की वर्षगांठ पर रिहा किया जाएगा। तीसरे चरण में कैदियों को 02 अक्‍टूबर, 2019, महात्‍मा गांधी की जयंती पर रिहा किया जाएगा।
 इस निर्णय के तहत सजा़ माफी के हक़दारों में वह महिला कैदी जिनकी आयु 55 वर्ष या इससे अधिक हो और जिनने अपनी 50 फीसदी वास्‍तविक सजा अवधि पूरी कर ली हो। ऐसे किन्‍नर कैदी जिनकी आयु 55 वर्ष या इससे अधिक हो और जिनने अपनी 50 फीसदी वास्‍तविक सजा अवधि पूरी कर ली हो। ऐसे पुरुष कैदी जिसकी आयु 60 वर्ष या इससे अधिक हो और जिसने अपनी 50 फीसदी वास्‍तविक सजा अवधि पूरी कर ली हो। ऐसे दिव्‍यांग/शारीरिक रूप से 70 प्रतिशत या इससे अधिक अक्षमता वाले कैदी जिसने अपनी 50 फीसदी वास्‍तविक सजा अवधि पूरी कर ली हो। ऐसे दोष सिद्ध कैदी जिसने अपनी दो तिहाई (66%) वास्‍तविक सजा अवधि पूरी कर ली हो जैसे कैदी शामिल किए जाएंगे 

ऐसे कैदियों को विशेष माफी नहीं दी जाएगी जो मृत्‍युदंड की सजा काट रहे हैं अथवा जिनकी मृत्‍युदंड की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया है। इसके अलावा दहेज मृत्‍यु, बलात्‍कार, मानव तस्‍करी और पोटा, यूएपीए, टाडा, एफआईसीएन, पोस्‍को एक्‍ट, धन शोधन, फेमा, एनडीपीएस, भ्रष्‍टाचार रोकथाम अधिनियम आदि के दोषियों को भी इसमें शामिल नहीं किया गया है।

गृह मंत्रालय ने सभी पात्र कैदियों के मामलों की पहचान के लिए सभी राज्‍यों और केंद्रशासित प्रदेशों को परामर्श जारी करेगा। राज्‍य सरकार और केंद्रशासित प्रदेश प्रशासन को इन मामलों की जांच के लिए एक समिति गठित करने की सलाह दी जाएगी। राज्‍य सरकार इस समिति की सिफारिशों को राज्‍यपाल के पास विचार और संविधान की धारा 161 के तहत मंजूरी के लिए भेजेगी। मंजूरी मिलने के बाद कैदियों को 02 अक्‍टूबर 2018, 10 अप्रैल 2019 और 02 अक्‍टूबर 2019 को रिहा किया जाएगा।

मंगलवार, 10 जुलाई 2018

नए पूर्वोत्तर विजन से पूरा होगा नए भारत का सपना : राजनाथ सिंह



नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि नए भारत तक जाने का मार्ग विकसित और शांतिपूर्ण नए पूर्वोत्तर से होकर जाता है। शिलांग में आज पूर्वोत्तर परिषद के 67वें पूर्ण अधिवेशन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सपना है – 2022 तक नया भारत। नए पूर्वोत्तर के माध्यम से नए भारत का सपना पूरा होगा। 
गृह मंत्री ने कहा कि बेहतर सड़क कनेक्टिविटी और सूचना प्रौद्योगिकी के सहयोग से नया पूर्वोत्तर उभरेगा। बेहतर कनेक्टिविटी से क्षेत्र की आर्थिक स्थिति बेहतर होगी। श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यदि हम गुणवत्तापूर्ण ब्रॉडबैंड सेवा उपलब्ध कराते हैं तो क्षेत्र के युवा अपने निवास स्थानों के आसपास ही रोजगार प्राप्त कर सकेंगे। इससे स्थानीय युवाओं का देश के सुदूर क्षेत्रों में प्रवास रूक जाएगा।
गृह मंत्री ने कहा कि आईटीआई और पोलिटेक्निक संस्थानों को कौशल विकास में प्रमुख भूमिका निभानी चाहिए। एनईसी को कौशल विकास के लिए क्षेत्रीय संस्थान स्थापित करने पर विचार करना चाहिए।
श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि रोजगार और आय वृद्धि से पूर्वोत्तर क्षेत्र में विद्रोह जैसी समस्याओं से निपटने में सहायता मिलेगी। पूर्वोत्तर राज्यों को निजी निवेश के लिए यह बेहतर माहौल प्रस्तुत करना चाहिए ताकि निवेशक सुरक्षित महसूस कर सकें तथा उनकी समस्याओं का समाधान हो सके।
गृह मंत्री ने कहा कि कृषि क्षेत्र में विकास किया जाना चाहिए ताकि 2022 तक किसानों की आय दुगनी करने से संबंधित प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के सपने को पूरा किया जा सके। हमें निर्यात के लिए ‘कम मात्रा – उच्च मूल्य’ वाली फसलों की खेती करने पर ध्यान देना चाहिए। कीवी और फूल जैसी जल्दी खराब होने वाली बागवानी फसलों के निर्यात में रेल मंत्रालय सुपरफास्ट एसी डिब्बों के माध्यम से सहायता प्रदान कर सकता है।
उन्होंने कृषि उत्पादों के विपणन के लिए पूर्वोत्तर क्षेत्रीय कृषि विपणन निगम लिमिटेड (एनईआरएएमएसी) के पुरूद्धार का सुझाव दिया। पूर्वोत्तर क्षेत्र समुदाय संसाधन प्रबंधन परियोजना (एनईआरसीओआरएमपी) और स्वयं सहायता समूह, आय बढ़ाने तथा क्षेत्र में रोजगार के अवसरों को सृजित करने में सहायता प्रदान कर सकते हैं। श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में पुलिस अवसंरचना के विकास के लिए केंद्र सहायता प्रदान करेगा। पूर्वोत्तर राज्यों को कानून व व्यवस्था की स्थिति बेहतर बनाने के लिए वर्तमान के शांतिपूर्ण माहौल का उपयोग करना चाहिए।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि प्रत्येक पूर्वोत्तर राज्य अनूठी विकास क्षमता से युक्त है। हमें उन विशिष्ट विकास क्षेत्रों की पहचान करने तथा इससे संबंधित कार्य योजना तैयार करने की आवश्यकता है। इसका कार्यान्वन समयबद्ध तरीके से होना चाहिए। प्रणाली पारदर्शी और उत्तरदायी होनी चाहिए। उन्होंने सभी मुख्यमंत्रियों से इस लक्ष्य के प्रति कार्य करने का आग्रह किया।
एनईसी के 67वें पूर्ण अधिवेशन में केंद्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत व पेंशन, परमाणु ऊर्जा व अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह तथा पूर्वोत्तर राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों के राज्यपाल और मुख्य मंत्री व अन्य वरिष्ठ नागरिक उपस्थित थे। डॉ. जितेन्द्र सिंह एनईसी के उपाध्यक्ष भी हैं।  

स्वर्ण जयंती वर्ष का झारखंड : समृद्ध धरती, बदहाल झारखंडी

  झारखंड स्थापना दिवस पर विशेष स्वप्न और सच्चाई के बीच विस्थापन, पलायन, लूट और भ्रष्टाचार की लाइलाज बीमारी  काशीनाथ केवट  15 नवम्बर 2000 -वी...