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मंगलवार, 26 मार्च 2024

बांग्लादेशी मॉडल की ओर बढ़ता देश

 हाल में बांग्लादेश का चुनाव एकदम नए तरीके से हुआ। पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के नेतृत्व वाली मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी सहित 15 दलों ने चुनाव का बहिष्कार कर दिया। मैदान में सिर्फ शेख हसीना के नेतृत्व वाली सत्ताधारी पार्टी अवामी लीग और उसके सहयोगी दल रहे। उसका मुकाबला निर्दलीय प्रत्याशियों से हुआ। उसमें भी बहुत से प्रत्याशी अवामी लीग के ही टिकटससे वंचित कार्यकर्ता थे। नतीजतन 300 सीटों वाली लोकसभा में से सत्ताधारी दल को 222 सीटों पर जीत मिली अर्थात तीन चौथाई बहुमत। इसे चुनाव कहने की जगह जनता की जबरिया सहमति कहा जा सकता है क्योंकि उसके सामने कोई विकल्प था ही नहीं। हालांकि इसका मकसद कट्टरपंथियों और आतंवाद के पोषकों को सत्ता से बाहर रखना था।

इधर भारत में चुनाव की घोषणा से पूर्व मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के सारे अकाउंट फ्रिज कर दिए गए हैं। दो मुख्यमंत्रियों सहित कई विपक्षी नेता बिना किसी सबूत के आरोपी करार देकर जेलों में बंद किए जा चुके हैं। एक-एक कर सभी मुख्य विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी के कयास लगाए जा रहे हैं। जांच एजेंसियां ताबड़तोड़ छापेमारी कर रही हैं। इस बीच इलेक्टोरल बांड का खुलासा होने के बाद सत्तारूढ़ भाजपा के खिलाफ भ्रष्टाचार के बहुत सारे मामलों का दस्तावेज़ी प्रमाण सामने आ चुका है। लेकिन उन मामलो पर जांच एजेंसियां मौन हैं। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है लेकिन चुनाव के पहले क्या आदेश पारित होंगे कहना कठिन है।

ऐसे में प्रतीत होता है कि कहीं भारत में भी बांग्लादेश की तर्ज पर चुनाव कराने की तैयारी तो नहीं चल रही है? अर्थात सत्ताधारी दल खाली मैदान में बल्लेबाजी करती हुई जीत की ट्राफी आराम से उठा ले जाए। हालांकि भारत के विपक्षी दलों ने चुनाव का बहिष्कार करने जैसा कोई आत्मघाती निर्णय नहीं लिया है। वे जेल में रहकर भी चुनाव लड़ने को तैयार हैं। हालांकि उन्हें एक-एक पैसे को मोहताज बनाकर ऐसी स्थिति बनाने का प्रयासचल रहा है जिसमें वे चुनाव लड़ने की स्थिति में ही नहीं आ सकें।

तो क्या सत्तारूढ़ भाजपा भारत में लोकतंत्र को पूरी तरह खत्म करना चाहती है? जवाब है हां। इसलिए नहीं कि उसे सत्ता का बहुत ज्यादा लोभ है। ऐसा इसलिए कि वह भारत को हिंदूराष्ट्र बनाने के एजेंडे पर काम कर रही है और लोकतांत्रिक व्यवस्था में धर्म आधारित राष्ट्र की स्थापना नहीं हो सकती। भारतीय संविधान के लागू रहते तो यह असंभव है। हिंदूराष्ट्र का गठन तानाशाही या राजशाही की व्यवस्था में ही संभव है। इसके लिए मौजूदा संविधान को निरस्त कर नया संविधान बनाने की जरूरत पड़ेगी। नई संविधान सभा का गठन करना होगा। नया संविधान बनेगा तभी यह संभव है। इसके लिए तीन चौथाई बहुमत और लोकतंत्र की विचारधारा को पूरी बेदर्दी से कुचल देने की जरूरत पड़ेगी। इसीलिए एक तरफ नैतिक, अनैतिक तरीके से अकूत धन इकट्ठा किया जा रहा है दूसरी तरफ देश को विदेशी कर्ज में आकंठ डुबोया जा रहा है। ताकि जब अपने एजेंडे की व्यवस्था लागू हो जाएगी तो जमा किए हुए धन से देश को विदेशी कर्ज से मुक्ति दिला दी जाए और तब जनता का ध्यान रखने की भी कोशिश होगी।

अटल बिहारी बाजपेयी के कार्यकाल में इसके लिए अनुकूल स्थिति नहीं थी। वह गठबंधन की बैसाखियों पर टिकी हुई सरकार थी। नरेंद्र मोदी का कार्यकाल इसके लिए सर्वथा अनुकूल है क्योंकि सरकार के पास प्रचंड बहुमत है और विपक्ष कमजोर है। सरकार विपक्षी दलों को पंगु बना देने की ताकत रखती है। भारत में एकतरफा चुनाव कराने का मकसद धार्मिक कट्टरता की जड़ों को फैलाना और मजबूत करना है।

चुनाव में विपक्ष सत्ता के हथकंडों के सामने मजबूती से खड़ा रह पाएगा या नहीं कहना कठिन है। अब देश की जनता को ही तय करना होगा कि वह लोकशाही में रहना चाहती है या राजशाही में।

-देवेंद्र गौतम

शुक्रवार, 22 मार्च 2024

भारी पड़ सकती है केजरीवाल की गिरफ्तारी

 ईडी ने जिन आरोपों के आधार पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया है उनकी पुष्टि के लिए अभी तक न्यायपालिका के समक्ष कोई प्रमाण पेश नहीं कर पाई है। व्यावसायिक लाभ देकर चंदा प्राप्त करने का उनपर 100 करोड़ का आरोप एक सरकारी गवाह के बयान के आधार पर है जबकि भाजपा पर दर्जनों कंपनियों को जांच एजेंसियों द्वारा डरा-धमकाकर हजारों करोड़ का इलेक्टोरल बांड प्राप्त करने के सारे सबूत मौजूद सामने आ चुके हैं। चुनाव आयोग उन्हें अपनी वेबसाइट पर डाल चुका है। मामला पब्लिक डोमेन में आ चुका है। तो क्या उनके आधार पर दर्ज होने वाली याचिकाओं पर भी ईडी कार्रवाई करेगी? सत्ता के शीर्ष पदों पर बैठे हुए भाजपा के नेताओं को भी गिरफ्तार करेगी?

सवाल है कि यदि आम आदमी पार्टी द्वारा शराब कंपनियों को लाभ पहुचाने के बाद चंदा लेने की बात सत्य भी है (फिलहाल सरकारी गवाह के बयान के अलावा कोई साक्ष्य नहीं है) तो किसी को डरा-धमकाकर जबरन चंदा वसूल करना तो इससे कहीं बड़ा अपराध है। सरकारी संस्थाएं जिस तरह सरकार के हाथों की कठपुतली बनी दिखाई देती हैं उसमें वह क्या करेंगी कहना कठिन है। सुप्रीम कोर्ट भी इस तरह की मनमानी पर कितना अंकुश लगा सकेगी भविष्य के गर्भ में है। लेकिन इतना निश्चित है कि दिल्ली, पंजाब और गुजरात समेत पूरे देश की जनता सरकार की तिकड़मों के च्छी तरह समझ रही है और उसका फैसला चुनाव में सामने आएगा।

ऐसा प्रतीत होता है कि भारतीय जनता पार्टी अभी तक जनता के मिजाज को समझ नहीं पाई है। उसे भेड़ बकरियों का दर्जा देती है जिसे जब जिधर चाहे घुमा लेगी। पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान शाहीनबाग़ आंदोलन के बहाने दिल्ली की जनता के सांप्रदायीकरण की कोशिशों में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी गई। भाजपा नेताओं के बीच जहरीले बयानबाजियों की होड़ सी लग गई। लेकिन नतीजा क्या निकला? आम आदमी पार्टी पूर्ण बहुमत के साथ तीसरी बार सत्ता में वापस लौट आई। दिल्ली के मतदाताओं ने भाजपा नेताओं के भगवाकरण के प्रयासों को धत्ता बता दिया।

दिल्ली की जनता इतनी जागरुक है कि विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को वोट दिया और लोकसभा चुनाव में जीत का तोहफा भाजपा की झोली में डाल दिया। उसका मानना है कि लोकसभा में कुछ सीटें लेकर भी केजरीवाल क्या कर पाएंगे। फिर भाजपा लोकसभा चुनाव के मौके पर आम आदमी पार्टी से इतना भयभीत क्यों हो गई कि उसके सभी प्रमुख नेताओं को बिना किसी पुख्ता प्रमाण के जेल में डलवा दिया और अब एक जनता के चुने हुए मुख्यमंत्री को पकड़ लिया? क्या आप और कांग्रेस का गठबंधन उसके लिए इतना भारी पड़ रहा था? या इसलिए कि उस समय के मुकाबले आम आदमी पार्टी का ज्यादा विस्तार हो चुका है? अब वह तीन-चार राज्यों में प्रभाव डालने की स्थिति में आ चुकी है? क्या इन्हीं तिकड़मों के जरिए भाजपा चार सौ पार करना चाहती है?

फिलहाल भाजपा सरकार की मनमानी और तिकड़मबाजी पर सुप्रीम कोर्ट अंकुश लगाएगी या भारत की 142 करोड़ जनता या फिर सबकुछ इसी तरह चलता रहेगा आने वाला समय बताएगा।

-देवेंद्र गौतम

गुरुवार, 21 नवंबर 2019

झामुमो की मंशा समझ चुकी है जनता : अजय राय



रांची। कोल्हान प्रमंडल भाजपा के मीडिया प्रभारी और प्रदेश प्रवक्ता अजय राय ने कहा है कि झारखंड में झामुमो का जनाधार खिसकता जा रहा है। जनता झामुमो की मंशा भांप चुकी है। झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन और कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन अब तक झारखंड वासियों को बरगलाते रहे हैं। अब जनता उनके झांसे में नहीं आने वाली है। उन्होंने कहा कि झामुमो के प्रति जनता का रुख इस बात से ही स्पष्ट हो जाता है कि राज्य के मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन तमाड़ से और हेमंत सोरेन दुमका से चुनाव हार गए। इससे साफ पता चलता है कि झारखंड की जनता का  झामुमो के प्रति कितना लगाव-जुड़ाव है। श्री राय ने कहा कि झारखंड वासियों के सपने को भाजपा ही साकार कर सकती है। इस दिशा में भाजपा सतत प्रयासरत है। समस्याओं का त्वरित निदान और जन कल्याणकारी योजनाओं के कार्यान्वयन के प्रति भाजपा गंभीर है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री रघुवर दास के नेतृत्व में विगत 5 वर्षों में सरकार की जो उपलब्धियां रही है, वह अभूतपूर्व है। भाजपा ने स्थिर सरकार दिया है और स्वच्छ प्रशासन देने की दिशा में सदैव तत्पर रही है। जनहित में भाजपा सरकार ने कई कल्याणकारी योजनाओं को धरातल पर उतारा है, जिसका लाभ जनता को मिल रहा है। उन्होंने विपक्षी पार्टियों पर करारा प्रहार करते हुए कहा कि विपक्षी दलों के बेमेल गठबंधन से झारखंड का कल्याण नहीं होने वाला है। विपक्षी पार्टियां अपने मतलब के लिए गठबंधन के तहत चुनाव लड़ रही है। राज्य की जनता विपक्षी दलों की मंशा से अवगत हो गई है। चुनाव में उन्हें जनता का करारा जवाब मिलेगा। राज्य में एक बार फिर जनसमर्थन से पूर्ण बहुमत की भाजपा सरकार  बनेगी।

गुरुवार, 7 नवंबर 2019

जन समर्थन मिला तो झारखंड की दिशा और दशा संवारेंगेः नंदकिशोर यादव


* सभी सीटों पर प्रत्याशी उतारेगी नागरिक अधिकार पार्टी


रांची। झारखंड की जनता ने विधानसभा चुनाव में अपना समर्थन नागरिक अधिकार पार्टी को दिया और उन्हें सेवा का अवसर प्रदान किया, तो सबसे पहले नागरिकों को बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराएंगे। मूलभूत सुविधाओं से वंचित झारखंड की जनता को उन्हें उनका वाजिब हक दिलाएंगे। उक्त बातें नागरिक अधिकार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और लोकप्रिय समाजसेवी नंदकिशोर यादव ने कही। उन्होंने कहा कि झारखंड की जनता विगत कई वर्षों से विभिन्न प्रकार की जन समस्याओं से जूझ रही है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों की जनता तक विकास की किरण अब तक नहीं पहुंच पाई है। आज भी सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों के लोग बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। किसानों, युवाओं, महिलाओं के उत्थान के लिए सरकारी स्तर पर कभी कोई ठोस पहल नहीं की गई। जिसकी वजह से राज्य गठन के 19 वर्षों के बाद भी यहां के किसान बदहाल हैं, युवा बेरोजगारी का दंश झेलने को विवश हो रहे हैं और महिलाएं अपने हक और अधिकार से वंचित हैं। श्री यादव ने कहा कि नागरिक अधिकार पार्टी राज्य के सभी नागरिकों के हित में काम करेगी। सभी जाति, धर्म व संप्रदाय के लोगों को एक समान आदर देते हुए उनकी समस्याओं के प्रति सजग रहेगी। जन समस्याओं का त्वरित निदान नागरिक अधिकार पार्टी के प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि झारखंड विधानसभा चुनाव में नागरिक अधिकार पार्टी की ओर से अधिक से अधिक सीटों पर प्रत्याशी उतारने का निर्णय लिया गया है। अब तक 25 विधानसभा सीटों के लिए प्रत्याशियों का चयन कर लिया गया है। शेष सीटों पर पार्टी की कोर कमेटी के सदस्यों के बीच मंथन जारी है। जल्द ही अन्य सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की जाएगी।  उन्होंने कहा कि राज्य के सर्वांगीण विकास के लिए पार्टी सतत प्रयासरत रहेगी। जनता को बेहतर विधि व्यवस्था, अमन-चैन व अपराध मुक्त समाज देने की दिशा में भी नागरिक अधिकार पार्टी गंभीरता से जुटी रहेगी। श्री यादव ने बताया कि नागरिक अधिकार पार्टी के कार्यकर्ता सभी विधानसभा क्षेत्रों में जनसंपर्क अभियान में जुट गए हैं। पार्टी की नीतियों और घोषणा पत्रों के प्रमुख बिंदुओं से आमजन को रू-ब-रू कराया जा रहा है। उन्होंने नागरिकों से नागरिक अधिकार पार्टी को व्यापक जनसमर्थन देने की अपील की है।

सोमवार, 4 नवंबर 2019

जनसमर्थन से संताल में परचम लहराएगी भाजपा : नीतू झा

संताल में भाजपा का गढ़ मजबूत


संताल परगना से विनय मिश्रा
दुमका। झारखंड में अगली बार फिर भारतीय जनता पार्टी सत्ता में आएगी। भाजपा के पक्ष में व्यापक जनसमर्थन है। पार्टी का जनाधार पूरे सूबे में है। उक्त बातें भाजपा की वरिष्ठ नेत्री नीतू झा ने कही। उन्होंने कहा कि संथाल परगना की सभी सीटों पर भाजपा का परचम लहराएगा। विधानसभा चुनाव की तैयारियों के लिए भाजपा कार्यकर्ताओं ने पूरी तरह से कमर कस लिया है। उन्हें जनता का व्यापक समर्थन प्राप्त हो रहा है। जनता यह जानती है कि भाजपा के अलावा कोई भी दल  सरकार चलाने में सक्षम नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि विपक्ष का कुनबा बिखरा हुआ है। अवसरवादी राजनीति की शिकार होकर विपक्षी पार्टियां जनता को बरगलाने में जुटी है। देश व राज्य का कायाकल्प सिर्फ और सिर्फ भाजपा से ही संभव है। श्रीमती झा ने कहा कि संथाल परगना क्षेत्र सहित पूरे झारखंड में भाजपा के समर्पित कार्यकर्ता चुनावी तैयारियों में जुटे हैं। विशेष रुप से संताल परगना प्रमंडल के सभी जिलों में भाजपा कार्यकर्ता मतदाताओं से संपर्क कर जनहित में बनाई गई भाजपा की कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी जन-जन तक पहुंचाने में लगे हैं। इसका लाभ चुनाव में भाजपा को निश्चित तौर पर मिलेगा। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता पूरी तन्मयता से चुनावी तैयारियों में जुट गए हैं। राज्य की जनता भी समझने लगी है कि उनकी समस्याओं का समाधान भाजपा से ही संभव है। उन्होंने कहा कि झारखंड में अबकी बार 65 पार के लक्ष्य को भाजपा प्राप्त कर लेगी और फिर सत्ता संभालेगी।

शुक्रवार, 18 अक्टूबर 2019

राजनीतिक दल रेस, शक्ति प्रदर्शन शुरू


संदर्भ :  विधानसभा चुनाव
नवल किशोर सिंह
झारखंड में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सभी राजनीतिक दल रेस हो गए हैं। सत्ता पक्ष सहित विपक्ष में शामिल दलों की भी सक्रियता बढ़ गई है। एक और भाजपा जोहार जन आशीर्वाद यात्रा के माध्यम से जनता के साथ सीधे संवाद करने में जुटी है,वहीं दूसरी तरफ विपक्ष में शामिल प्रमुख दल झामुमो, कांग्रेस, झाविमो व राजद की ओर से भी अपनी पार्टी का जनाधार बढ़ाने के लिए प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। यहां सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी के साथ आजसू का तालमेल है। वहीं, बिहार में भाजपा की सहयोगी दल जदयू ने झारखंड में सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े करने की घोषणा कर दी है। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि झारखंड विधानसभा के चुनाव में भाजपा और आजसू गठबंधन चुनावी जंग में उतरेगी। वहीं, दूसरी ओर विपक्ष में शामिल दलों के महागठबंधन की तस्वीरें अभी साफ नहीं हुई है। कांग्रेस पार्टी रैलियों के माध्यम से सूबे में अपना जनाधार बढ़ाने के लिए प्रयासरत है।वहीं, झामुमो ने कल 19 अक्टूबर को राजधानी रांची में बदलाव रैली का आयोजन किया है। इसके बाद राष्ट्रीय जनता दल की रैली 20 अक्टूबर को राजधानी में होने वाली है। इसके पूर्व विगत दिनों झारखंड विकास मोर्चा के सुप्रीमो व पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने भी राजधानी में रैली कर अपनी शक्ति प्रदर्शित की थी। लेकिन अभी तक विपक्षी महागठबंधन का खाका तैयार नहीं हो पाया है। विपक्षी दल कांग्रेस, झामुमो, झाविमो व राजद अपने-अपने स्तर से अपनी पार्टी की रैलियां आयोजित कर इसके माध्यम से जनता को अपनी ओर आकर्षित करने में जुटे हैं। भारतीय निर्वाचन आयोग के पदाधिकारियों के झारखंड दौरे के बाद यह कयास लगाया जा रहा है कि दीपावली के आसपास झारखंड में विधानसभा चुनाव की तिथियां घोषित कर दी जाएगी। इसके मद्देनजर सभी राजनीतिक दलों की गतिविधियां बढ़ गई हैं। भाजपा ने राज्य में विधि-व्यवस्था व निष्पक्ष मतदान कराने का हवाला देते हुए चुनाव आयोग से यहां पांच चरणों में मतदान कराने की अपील की है। वहीं, विपक्ष में शामिल राजनीतिक दलों की ओर से चुनाव आयोग को एक ही चरण में पूरे झारखंड में चुनाव संपन्न कराने का प्रस्ताव दिया गया है। भाजपा की ओर से ईवीएम द्वारा मतदान कराने की बात कही गई।  वहीं, विपक्षी दलों ने ईवीएम की बजाय बैलेट पेपर से मतदान कराने का चुनाव आयोग को प्रस्ताव दिया है। निर्वाचन आयोग के अधिकारियों से राजनीतिक दलों के नेताओं की वार्ता के बाद संभावना जताई जा रही है कि जल्द ही चुनाव की तिथियों की घोषणा कर दी जाएगी। चुनावी शंखनाद होते ही सभी दल अपने-अपने स्तर से सक्रिय रूप से चुनावी तैयारियों में जुट जाएंगे। वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य के मद्देनजर यह भी कयास लगाया जा रहा है कि विपक्ष की ओर से महागठबंधन के तहत ही चुनाव लड़ा जाएगा। इसके पीछे यह तर्क दिया जा रहा है कि झारखंड में झामुमो को छोड़कर कांग्रेस, झाविमो, राजद सहित अन्य दलों का जनाधार लगातार कम होता जा रहा है। इसलिए उक्त दलों के महागठबंधन के तहत चुनाव लड़ने की विवशता भी है। अपने बलबूते चुनावी मैदान में भारी शिकस्त की संभावना के मद्देनजर विपक्ष में शामिल सभी दल का प्रयास होगा कि सामूहिक रूप से महागठबंधन के तहत चुनाव लड़कर भाजपा के खिलाफ चुनावी जंग में उतरें। अब चुनावी बिगुल बजने ही वाला है। एक ओर भाजपा का स्टैंड तो बिल्कुल क्लियर नजर आ रहा है कि वह आजसू से पूर्व के समझौते के तहत  उसे साथ लेकर चुनावी मैदान में उतरेगी। लेकिन विपक्षी महागठबंधन पर लगा धुंध अभी छंट नहीं रहा है। बहरहाल, चुनावी गठबंधन को लेकर विपक्ष में शामिल राजनीतिक दलों की क्या भूमिका होती है, यह देखना दिलचस्प होगा।

शुक्रवार, 27 सितंबर 2019

झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार बनेगीः जनक




रांची। झामुमो बुद्धिजीवी मोर्चा रांची जिला उपाध्यक्ष जनक नायक ने कहा कि नई सरकार झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में बनेगी और स्वर्णिम विकास भी होगा. उन्होंने कहा कि झारखंड में विकास का काम हेमंत सोरेन के नेतृत्व में होगा , I उन्होंने कहा कि राज्य और देश में जिस तरह से भ्रष्टाचार और डर का माहौल कायम है उससे लोगों को निजात दिलाने की जरूरत है. राज्य में  हर दिन  कुछ न कुछ घटनाएं  हो रही है  जिससे  आवाम में  खौफ का माहौल है चोरी  चैन लूटमार आदि यह सब आम हो गई है प्रशासन का भी कोई कंट्रोल नहीं है नायक ने कहा कि विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी गई है आने वाला विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा की विजय होगी, I जनक ने कहा कि झामुमो का विचार लोगों तक पहुंचाया जा रहा है उन्होंने कहा कि झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार बनने पर पूरे झारखंड में विकास के आयाम लिखे जाएंगे उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा, उन्होंने कहा के कार्यकर्ताओं ने अभी से ही काफी उत्साह है इसी उत्साह के साथ विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं. जनक ने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्थिति काफी मजबूत है और इस बार झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार बनेगी पूरे राज्य में इसकी तैयारी जोर शोर से चल रही है

शनिवार, 21 सितंबर 2019

कोल्हान में बढ़ी सियासी सरगर्मी


* भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने किया चुनावी शंखनाद
* चाईबासा के फुटबॉल मैदान में उमड़ा भाजपा समर्थकों का हुजूम
* पार्टी के कार्यकर्ताओं में ऊर्जा का संचार कर गए जेपी नड्डा
* आत्मविश्वास से लबरेज कार्यकर्ताओं ने लगाया अब की बार 65 पार का नारा
विनय मिश्रा

चाईबासा। विधानसभा चुनाव के मद्देनजर यूं तो पूरे झारखंड में सियासी सरगर्मी बढ़ गई है। सभी राजनीतिक दल मतदाताओं को आकर्षित करने, उन्हें लुभाने और अपना जनाधार बढ़ाने में जुट गए हैं।
इसी क्रम में भाजपा ने भी कोल्हान प्रमंडल से चुनावी शंखनाद कर दिया है। कोल्हान प्रमंडल के मुख्यालय चाईबासा स्थित फुटबॉल मैदान में आयोजित जनसभा सह कार्यकर्ता सम्मेलन में भाजपा के राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय नेताओं की उपस्थिति और उनके संबोधन से कार्यकर्ताओं में उत्साह भर गया। भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कार्यकर्ताओं में ऊर्जा का संचार करते हुए कहा कि अबकी बार 65 बार के लक्ष्य को निर्धारित कर बूथ स्तर पर संगठन का जनाधार बढ़ाने और जनहित में भाजपा की ओर से बनाई गई कल्याणकारी नीतियों को जन-जन तक पहुंचाने में जुट जाएं। श्री नड्डा ने कार्यकर्ताओं का आह्वान करते हुए कहा कि कार्यकर्ता संगठन की रीढ़ होते हैं। समर्पित कार्यकर्ताओं के बलबूते ही चुनावी वैतरणी पार कर सकते हैं। उनके संबोधन से कार्यकर्ताओं का मनोबल ऊंचा हो गया। कार्यकर्ताओं ने उत्साहपूर्वक चुनाव में जुटे रहने का संकल्प लिया। पूरे कार्यक्रम के दौरान भाजपा के कार्यकर्ता आत्मविश्वास से लबरेज रहे और अब की बार 65 बार के नारे को सफल बनाने का संकल्प लिया। इस अवसर पर झारखंड प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष व पूर्व सांसद लक्ष्मण गिलुवा ने कहा कि भाजपा के प्रति जनता का विश्वास बढ़ रहा है। जनहित में बनाई गई भाजपा की नीतियों की सराहना की जा रही है। भाजपा जनता के प्रति समर्पित राष्ट्रीय राजनीतिक दल है। जन समस्याओं का समाधान भाजपा की प्राथमिकताओं में शामिल है। श्री गिलुवा ने कार्यकर्ताओं का उत्साहवर्द्धन करते हुए कहा कि पार्टी के समर्पित और सक्रिय कार्यकर्ताओं के बलबूते ही भाजपा चुनाव में बेहतर परिणाम पाने में सफल हो रही है। इस बार भी चुनाव में पार्टी कार्यकर्ताओं के बलबूते हम निर्धारित लक्ष्य को पार करते हुए एक नया कीर्तिमान स्थापित करेंगे। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि भाजपा की नीतियों और सिद्धांतों की जनता सराहना करती है। जनता के सुख-दुख में शामिल होना भाजपा कार्यकर्ताओं की विशेषता रही है। पार्टी के कार्यकर्ता जनहित को तरजीह देते हुए अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर हैं। इस समारोह में बिहार सरकार के मंत्री व झारखंड के भाजपा प्रभारी नंदकिशोर यादव, पूर्वी सिंहभूम के सांसद विद्युत वरण महतो, विधायक सरयू राय, भाजपा जिला अध्यक्ष मनीष राम, भाजपा नेता जेबी तुबिद, बड़कुंवर गगराई, विनोद श्रीवास्तव, संजय पांडे, संजय मिश्रा सहित काफी संख्या में पार्टी के नेता कार्यकर्ता आम जनता मौजूद थे। पूरे जनसभा के दौरान कार्यकर्ताओं का उत्साह देखते ही बन रहा था। श्री गिलुवा ने संगठन को सशक्त बनाने में घाटशिला के विधायक लक्ष्मण टुडू, पोटका विधायक मेनका सरदार, सरायकेला खरसावां के विधायक साधु चरण महतो सहित भाजपा विधायकों की भूमिका को सराह उन्होंने कहा कि संगठन का जनाधार बढ़ाने में उक्त नेताओं की महत्वपूर्ण भूमिका है। पार्टी के कार्यकर्ताओं की भावनाओं का कद्र करते हुए उन्हें समुचित सम्मान देना भी इन नेताओं की विशेषता रही है। इसी के परिणाम स्वरूप कोल्हान प्रमंडल की 14 सीटों में से 5 सीटें भाजपा के कब्जे में है। अबकी बार के चुनाव में पार्टी का प्रयास होगा कि कोल्हान प्रमंडल की सभी सीटें भाजपा की झोली में आए। इस दिशा में श्री गिलुवा प्रयासरत हैं।

रविवार, 4 अगस्त 2019

राज ठाकरे को घेरने की तैयारी में भाजपा




देवेंद्र गौतम
राज ठाकरे केंद्र सरकार की आंख की किरकिरी बनते जा रहे हैं। उन्होंने ईवीएम विरोधी आंदोलन के लिए विपक्षी दलों को कजुट करना शुरू कर दिया है। सी क्रम में वे प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से भी मिल चुके हैं। विपक्षी दलों का मानना है कि मोदी सरकार ईवीएम पर सवार होकर सत्ता में वापस लौटी है। लोकसभा चुनाव के बाद जहां-जहां भी बैलेट पेपर से निकाय चुनाव हुए भाजपा औंधे मुंह गिरी। इससे ईवीएम में गड़बड़ी का संदेह और पुष्ट हुआ। लेकिन मोदी सरकार विरोध को बिल्कुल सहन नहीं करती। इसलिए अब उसके रडार पर राज ठाकरे हैं। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे की पार्टी लोकसभा चुनाव में शामिल नहीं हुई थी, लेकिन राज ठाकरे ने पीएम मोदी और अमित शाह के खिलाफ लगातार रैलियां आयोजित कर आग उगली थी। शिवसेना और भाजपा पर वे लगातार हमलावर रहे हैं। चुनाव में भाजपा की प्रचंड बहुत के साथ वापसी के बाद उन्होंने चुनाव आयोग को खुली चेतावनी दी थी कि वे ईवीएम से महाराष्ट्र का चुनाव नहीं होने देंगे।
चुनाव कराना है तो बैलेट पेपर से कराए। इसके बाद वे भाजपा विरोधी ताकतों को वे एकजुट करने में लगे हुए हैं। भाजपा को इस बात का अहसास है कि महाराष्ट्र में मनसे की सत्ता की राजनीति में भले विशेष पकड़ नहीं हो लेकिन वह एक बड़ी राजनीतिक शक्ति है। उसके पास संगठन है और उसके समर्थक सड़कों पर उतर आए तो उनपर काबू पाना कठिन है। पूरे तंत्र पर हावी हो चुकी भाजपा इतना विरोध, इतना दुःसाहस कैसे सहन करती। लिहाजा राज ठाकरे की नकेल कसने के लिए ईडी को हरी झंडी दे दी। ईडी ने दादरी स्थित कोहिनूर मिल न.3 की खरीदारी मामले में राज ठाकरे को घेरने की तैयारी कर ली है। कोहिनूर मिल्स के चीफ फाइनेंस ऑफिसर से पूछताछ की जा चुकी है। अब जल्द ही राज ठाकरे से पूछताछ की जा सकती है। उन्हें इसके लिए समन जारी किया जा सकता है।
 सरकार का मानना है कि वे ईडी के चक्कर में फंसे रहेंगे तो विधानसभा चुनाव के दौरान ज्यादा विरोध नहीं कर पाएंगे और चुनाव को प्रभावित करने की उनकी कोशिशें धीमी पड़ जाएंगी। ईडी की जांच शुरू होने पर उनकी छवि भी प्रभावित होगी और समर्थकों के बीच उनकी पकड़ भी कमजोर हो जाएगी। मोदी-शाह की जोड़ी विरोध में उठे सर को कुचल डालने में परहेज़ नहीं करती। सरकार सत्ताबल के जरिए किसी को परेशान कर सकती है। भले बाद में वह बेदाग साबित हो जाए। लेकिन राज ठाकरे ज़मीन के नेता हैं। उनपर हाथ डालने से महाराष्ट्र में अशांति भी फैल सकती है।

रविवार, 14 जुलाई 2019

लक्ष्मण गिलुआ के सांगठनिक सक्रियता से प्रभावित हुए नड्डा



विनय मिश्रा

चक्रधरपुर। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा के दो दिवसीय झारखंड प्रवास के दौरान संगठन व कार्यकर्त्ताओं के बीच मजबूत कड़ी बन के उभरे हैं। श्री गिलुवा राष्ट्रीय अध्यक्ष के समक्ष जिस सक्रियता के साथ संगठन सरकार व कार्यकर्त्ताओं के सामंजस्य को बेहतर तरीके से रखा वो निश्चित तौर पर भाजपा के लिए सुखद संदेश हैं तीन महीने के पश्चात झारखंड में विधानसभा चुनाव होने के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा के आगमन सत्ता और संगठन के बीच बेहतर ताल मेल को देख कर श्री नड्डा काफी प्रभावित भी हुये लोकसभा के कुल 14 सीटों में से भाजपा ने  12 सीट पर कब्जा  जमाया जो निश्चित रूप से भाजपा के मजबूत संगठन व कार्यकर्त्ताओं के मेहनत और लगन को दर्शाता है

सोमवार, 1 जुलाई 2019

मनीष राम के मनोनयन से कार्यकर्ताओं में उत्साह



विनय मिश्रा
चाईबासा। पश्चिम सिंहभूम जिला अध्यक्ष के रूप मे मनीष राम के मनोनीत होने के पश्चात से भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओ में बेहद उत्साह देखा जा रहा है इसकी प्रमुख वजह ये है कि मनीष राम सबको साथ लेकर चलने की दक्षता रखते हैं इनका व्यवहार सबो के साथ काफी बेहतर रहने का ही यह वजह है कि जैसे मनीष राम के हाथ में संगठन की जवाबदेही सौंपी गई तो वरीय के साथ साथ युवा वर्ग में भी उत्साह का माहौल दिखा बताया जाता है कि पूर्व जिला अध्यक्ष की कार्य शैली से एक तबके के लोग काफी नाराज चल रहे थे और वर्तमान समय में लोकसभा चुनाव के परिणाम के पश्चात तो तत्कालीन जिला अध्यक्ष के विरुद्ध काफी माहौल विपरीत हो गया और उसी समय से यह तय हो चला था कि वर्तमान जिला अध्यक्ष चलतें किये जायेंगे और इनके साथ ही नये जिला अध्यक्ष की तलाश शुरू कर हुईं और मनीष राम को प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा के गुड बुक में साथ ही साथ सबका साथ इनको मिल रहा है जो पार्टी के लिए एक बेहतर शुभ संकेत है

रविवार, 23 जून 2019

राष्ट्रीय नेता बनेंगे नीतीश, राष्ट्रीय दल बनेगा जदयू




देवेंद्र गौतम
विपक्षी दलों में सर्वमान्य नेतृत्व के संकट को देखते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजनीतिक उड़ान भरने की तैयारी कर ली है। उन्होंने एनडीए के साथ अपने संबंध भी बनाए रखे और इसकी सीमा भी तय कर दी है। वे सिर्फ बिहार में एनडे के साथ हैं। बिहार के बाहर जदयू एनडीए का हिस्सा नहीं रहेगा। अपने निर्णय स्वयं लेगा। कुछ महीने बाद चार राज्यों के चुनावों में और 2020 में होने वाले चुनावों में वह अकेले अपने प्रत्याशी खड़े करेगा। केंद्र सरकार में शामिल नहीं होगा। लेकिन बाहर से समर्थन करेगा।
पिछले दिनों जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में यह तमाम बातें साफ हो गई हैं। पीके द्वारा ममता के चुनावी कमान संभालने के सवाल पर बैठक में कोई खास चर्चा नहीं हुई। लेकिन पार्टी प्रवक्ता केसी त्यागी ने संकेत दिया कि पीके की कंपनी से जदयू का कुछ लेना-देना नहीं है। वह जदयू का हिस्सा नहीं है। वह अपने व्यावसायिक क्रियाकलाप के लिए स्वतंत्र है। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में वाइसीआर कांग्रेस के चुनाव अभियान की कमान संभाली तो कोई सवाल नहीं उठा। प्रशांत किशोर की जदयू के प्रति उनकी निष्ठा असंदिग्ध है। कुल मिलाकर जदयू ने ऐसी स्थिति पैदा कर दी है कि भाजपा उसपर किसी तरह का दबाव नहीं बना सकती। विधानसभा चुनाव में नीतीश का निर्णय ही सर्वमान्य होगा। राजद में बिखराव के बाद नीतीश वैसे भी बिहार की सबसे ताकतवर राजनीतिक हस्ती बन चुके हैं।
निश्चित रूप से भाजपा के पास इस रणनीति की कोई काट नहीं है। बिहार में नीतीश का साथ उसकी विवशता है। भाजपा के पास उनकी कद-काठी का कोई चेहरा नहीं है। नीतीश कुमार ने ऐसी नीति अपनाई कि उनकी और उनकी पार्टी जदयू की धर्म निरपेक्ष तथा समाजवादी छवि भी बरकरार रहेगी और बिहार के बाहर अन्य राज्यों के विधानसभा चुनावों में भागीदारी कर वे पार्टी का विस्तार भी कर सकेंगे। उनमें जीत हासिल हो न हो लेकिन वोटों के प्रतिशत में बढ़ोत्तरी होगी। इस बहाने संगठन का विस्तार होगा और जदयू क्षेत्रीय दल की हैसियत से उठकर राष्ट्रीय दल बनने की ओर बढ़ेगा। आने वाले समय में भाजपा उनकी मजबूरी नहीं होगी बल्कि वे भाजपा की मजबूरी होंगे। इतना नपा तुला कदम नीतीश और पीके जैसे रणनीतिकार ही उठा सकते हैं।

सोमवार, 10 जून 2019

वाह नीतीश जी! रिंद के रिंद रहे, हाथ में जन्नत भी रही




देवेंद्र गौतम

शब को मय खूब सी पी, सुब्ह को तौबा कर ली.
रिंद के रिंद रहे हाथ से ज़न्नत न गई।

मानिक जलालपुरी का यह शेर वर्तमान राजनीति परिदृश्य में जदयू सुप्रीमो सह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर सटीक बैठती है। उन्होंने ऐसी रणनीति अपनाई जिसकी तोड़ न भाजपा के पास है न एनडीए के पास और न विपक्षी महागठबंधन के पास। उनका एनडीए के साथ रिश्ता बिहार से शुरू होकर बिहार पर ही खत्म हो जाएगा। देश के अन्य राज्यों में वे अपने प्रत्याशी स्वयं खड़े करेंगे। जदयू के निर्णयों पर एनडीए का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा। बिहार विधानसभा के चुनाव में वे एनडीए के साथ होंगे। लेकिन इसी वर्ष कुछ महीने बाद प्रस्तावित चार राज्यों के चुनावों में अकेले दम पर लड़ेंगे। यानी एनडीए के साथ हैं लेकिन भाजपा की उन नीतियों के साथ नहीं जो उनकी समाजवादी और धर्म निरपेक्ष छवि पर आघात करती हों।
नीतीश कुमार राजनीति के चाणक्य समझे जाते हैं। ऊपर से प्रशांत किशोर जैसे चुनावी रणनीतिकार उनके साथ हैं। उनकी हर चाल बहुत नपी-तुली होती है। वे कब क्या करेंगे उनके अलावा कोई नहीं जान सकता।
लोकसभा चुनाव में राजद के शून्य पर आउट हो जाने के बाद वे बिहार के सबसे बड़े जन नेता बन गए हैं। बिहार में सिर्फ लालू प्रसाद उनके समतुल्य थे। अभी वे जेल में हैं और गंभीर रूप से बीमार हैं। वे जमानत पर छूटे भी तो पहले की तरह सक्रिय राजनीति में शायद ही उतर पाएं। लालू स्वयं तो सज़ायाफ्ता होने के कारण चुनाव नहीं लड़ सकते लेकिन राजनीति के मैदान में उनकी मौजूदगी चुनाव की हवा बदल सकती है। उनके दोनों पुत्र उनका उत्तराधिकार नहीं संभाल पा रहे। माई समीकरण की हवा निकल चुकी है। बिहार के यादवों का एक हिस्सा राजद का दामन छोड़ चुका है। ऐसे में नीतीश की सोशल इंजीनियरिंग बहुत प्रभावी हो सकती है। बिहार में भाजपा या कांग्रेस के अंदर उनके टक्कर का कोई नेता नहीं है। आज की तारीख में वे जिस भी खेमे में जाएंगे उसकी जीत सुनिश्चित हो जाएगी।
नीति कहती है कि जब घर मजबूत हो तो बाहर पांव पसारना चाहिए। नीतीश जी यही कर रहे हैं। यह अपनी पार्टी को राष्ट्रीय और स्वयं को पीएम एलीमेंट साबित करने का अनुकूल समय है।

गुरुवार, 16 मई 2019

महागठबंधन का परचम लहराना तय: सत्येंद्र देव


* शत्रुघ्न सिन्हा और सुबोधकांत सहाय की जीत तय

रांची। कांग्रेस के नेतृत्व में जनसमर्थन से केन्द्र में  महागठबंधन की सरकार बनेगी। पूरे देश में महागठबंधन का परचम लहराएगा। इसके संकेत लोकसभा चुनाव के दौरान जनसभाओं में महागठबंधन के पक्ष में उमड़ती भीड़ से  मिल रहे हैं। उक्त बातें बिहार प्रदेश कांग्रेस सेवादल के पटना जिला के पूर्व संगठन मंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भारती सत्येन्द्र देव ने कही। श्री भारती एक निजी समारोह में शामिल होने रांची आए थे। बातचीत के क्रम में उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान महागठबंधन को व्यापक जनसमर्थन मिल रहा है। भविष्यवाणी करते हुए उन्होंने कहा कि  बिहार व झारखंड में महागठबंधन के पक्ष में पहले की तुलना में बेहतर परिणाम सामने आएंगे। अब तक कई चरणों में संपन्न हुए चुनाव में अधिकतर मतदाताओं का रुझान महागठबंधन की ओर रहा है। उन्होंने कहा कि भाजपा के झूठे दावों की पोल खुल गई है। पिछले चुनाव के दौरान भाजपा ने जनता से जो वादे किए थे। उसे पूरा करने में विफल रही। इसलिए भाजपा से जनता का मोहभंग हो गया है। इस बार का चुनाव परिणाम चौंकाने वाला होगा। श्री भारती ने कहा कि झारखंड के वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य  के आधार पर  यह अनुमान लगाया जा रहा है कि यहां लोकसभा की 14 सीटों में से महागठबंधन के पक्ष में 10 सीटें आएगी। वहीं बिहार में भी महागठबंधन आगे रहेगा। उन्होंने कहा कि भाजपा की जुमलेबाजी और भरमाने की कला को जनता भलीभांति जान गई है। अंतिम चरण के चुनाव में भी भाजपा को किनारे करने की तैयारी में जनता जुट गई है। मोदी सरकार का जाना तय है। एक पत्रकार द्वारा पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि पटना साहिब संसदीय सीट से कांग्रेस नेतृत्व वाले महागठबंधन के प्रत्याशी शत्रुघ्न सिन्हा की जीत सुनिश्चित है। वहीं झारखंड की प्रतिष्ठा मूलक  हाॅट सीट राजधानी रांची से कांग्रेस ( महागठबंधन ) के प्रत्याशी सुबोधकांत सहाय की जीत तय है।

शनिवार, 4 मई 2019

रांची में परचम लहरा सकती है कांग्रेस, बशर्ते....



भाजपा के मतों के विभाजन और प्रत्याशी की लोकप्रियता का मिल सकता है लाभ
सुबोधकांत सहाय

संजय सेठ

रामटहल चौधरी
देवेंद्र गौतम
रांची लोकसक्षा क्षेत्र में चुनाव की तैयारी पूरी हो चुकी है। चुनाव आयोग भी चौकस है और प्रशासन भी। सुरक्षाकर्मी पर्याप्त संख्या में मौजूद है। मतदान 6 मई को है। चुनाव प्रचार का दौर थम चुका है। स्टार प्रचारकों के हेलिकॉप्टरों की उड़ान रुक चुकी है। फिलहाल प्रत्याशियों और उनके समर्थकों का डोर टू डोर संपर्क जारी है। भाजपा के कार्यकर्ता प्रत्याशी संजय सेठ पीएम मोदी के नाम पर वोट मांग रहे हैं। भाजपा कार्यकर्ता खासतौर पर केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं के लाभुकों से संपर्क कर रहे हैं। संजय सेठ खादी ग्रामोद्योग के अध्यक्ष रहे हैं। संसदीय राजनीति में नए हैं। सार्वजनिक जीवन में कोई खास भूमिका नहीं रही है। उन्हें मोदी के नाम, सरकार के काम और अमित शाह के चुनावी इंतजाम पर भरोसा है। राज्य में भाजपा की सरकार है। इसका लाभ मिलने की उम्मीद है। लेकिन भाजपा के निवर्तमान भाजपा सांसद रामटहल चौधरी के बागी उम्मीदवार के रूप में खड़े होने के कारण भाजपा के पारंपरिक मतों में भारी विभाजन हो रहा है। उनकी बगावत भाजपा को महंगी पड़ सकती है। इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला है जिसमें कांग्रेस के दिग्गज नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय को भाजपा के मतों के विभाजन का लाभ मिलता दिख रहा है।
रांची झारखंड की राजधानी होने के कारण महत्वपूर्ण है। इस अनारक्षित सीट पर कांग्रेस और भाजपा ने अब तक सबसे अधिक बार चुनाव जीतने का रिकार्ड बनाया है। आजादी के बाद 1951 में हुए लोकसभा के पहले चुनाव में कांग्रेस के अब्दुल इब्राहिम सांसद निर्वाचित हुए थे। इसके बाद पीके घोष, शिव प्रसाद साहु और सुबोधकांत सहाय ने यहां से कांग्रेस का परचम लहराया। 1957 में यहां से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मीनू मसानी चुनाव जीते थे। 1977 में भारतीय लोकदल से रवींद्र वर्मा चुनाव जीते। लेकिन वे फिर दुबारा लौटकर नहीं आए। सुबोधकांत सहाय रांची से पहली बार 1989 में चुनाव जीते थे। उस समय वे जनता दल के प्रत्याशी थे। मीनू मसानी और रवींद्र वर्मा रांची के निवासी नहीं थे। वे बाहर से आकर चुनाव जीते थे। 
1962 में कांग्रेस से पीके घोष पहली बार जीते। उन्होंने जीत की हैट्रिक बनाई। 1962 के बाद 1967 और 1971 का चुनाव भी जीते। 1977 में जब आपातकाल को लेकर पूरे देश में इंदिरा विरोधी लहर चल रही थी ऐसे में लोकदल ने रांची के लिए एकदम नए बाहरी उम्मीदवार रवींद्र वर्मा को मैदान में उतारा और इंदिरा विरोधी लहर में उन्हें जीत हासिल हो गई। 
इसके बाद 1980 और 1984 के चुनाव में लोहरदगा के मूल निवासी शिव प्रसाद साहू कांग्रेस के टिकट पर  लगातार दो बार सांसद निर्वाचित हुए। 1989 में वे जनता दल के उम्मीदवार सुबोधकांत सहाय से हार गए। 1991 के बाद रांची में भारतीय जनता पार्टी का दबदबा कायम हो गया। रामटहल चौधरी 1991 से लगातार चुनाव जीतते आए। 1991, 1996, 1998 और 1999 का चुनाव रामटहल चौधरी जीते। लेकिन 2004 और 2009 के चुनाव में वे सुबोधकांत सहाय के हाथों हार गए। 
2014 लोकसभा चुनाव में फिर रामटहल चौधरी ने सुबोधकांत सहाय को पराजित कर दिया। समय लोग कांग्रेस से नाराज थे और नरेंद्र मोदी एक नई उम्मीद जगाने में सफल रहे थे। लेकिन रामटहल चौधरी सिर्फ मोदी के नाम पर नहीं अपने व्यक्तिगत प्रभाव से जीते थे। उन्हें 448729 वोट मिले थे जबकि सुबोधकांत सहाय विपरीत स्थितियों में भी 249420 वोट हासिल करने में सफल रहे थे। आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो ने भी पहली बार 2014 में लोकसभा चुनाव लड़ा था लेकिन वे 142560 वोट लाकर तीसरे स्थान पर रहे थे। तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर खड़े बंधु तिर्की को मात्र 46 हजार वोट मिले थे।
2019 के चुनाव में हालांकि विभिन्न दलों और निर्दलीय को मिलाकर 20 उम्मीदवार मैदान में हैं। लेकन मुख्य संघर्ष निर्दलीय मैदान में उतरे निवर्तमान सांसद रामटहल चौधरी, कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय और भाजपा के संजय सेठ के बीच ही है। शेष 17 प्रत्याशी चुनाव प्रचार के दौरान भी कहीं दिखाई नहीं पड़े। सिर्फ प्रत्याशियों की सूची में उनका नाम देखा गया।
रामटहल चौधरी का टिकट जिस तरह बिना उनसे कोई परामर्श किए काट दिया गया इससे वे बेहद नाराज हैं। उनके समर्थक भी अपने नेता के अपमान पर भाजपा से नाराज हैं। उनकी नाराजगी भाजपा के लिए नुकसानदेह है। हालांकि आजसू के एनडीए में होने का उसे लाभ भी मिल सकता है। दूसरी तरफ दो जिलों में फैले रांची लोकसभा क्षेत्र के छह विधानसभा क्षेत्रों में से सिल्ली पर एनडीए के सहयोगी दल आजसू का और शेष पांच विधानसभा क्षेत्र रांची, कांके, सिल्ली, खिजरी व हटिया पर भाजपा का कब्जा है। भाजपा ने बूथ स्तर पर जबर्दस्त तैयारी की है। कोई हवा या लहर भाजपा के पक्ष में नहीं है। मोदी का करिश्मा भी फीका हो चला है। उसे योजनाओं के लाभुकों का भरोसा है।
ज़मीनी सच्चाई यह है कि कांग्रेसी प्रत्याशी सुबोधकांत सहाय 2014 का चुनाव हारने के बाद भी रांची संसदीय क्षेत्र के लोगों के बीच लगातार सक्रिय रहे। लोगों को सुख-दुःख के हर अवसर पर उनके साथ खड़े रहे। सांप्रदायिक समरसता बनाए रखने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। जनता के बुनियादी सवालों और समस्याओं को लेकर लगातार संघर्षरत रहे। उन्हें इसका सीधा लाभ मिलता दिख रहा है। भाजपा के मतों के विभाजन का भी लाभ उन्हें मिल रहा है। रांची के त्रिकोणीय मुकाबले में वे फिलहाल सबसे आगे दिख रहे हैं। उनका मुकाबला रामटहल चौधरी से है या संजय सेठ से यह भी अभी स्पष्ट नहीं है। यदि उनके कार्यकर्ता समर्थकों का मतदान कराने, सरकारी तंत्र की निष्पक्षता सुनिश्चित करने और स्ट्रांग रूम में ईवीएम की निगरानी के प्रति सतर्क रहे तो सुबोधकांत सहाय इस सीट पर जीत का परचम लहरा सकते हैं।

शुक्रवार, 3 मई 2019

महागठबंधन के समर्थन में आए विभिन्न छात्र संगठन


* सुबोधकांत को जिताएं, रांची का मान बढ़ाएं : रानी कुमारी


रांची। कांग्रेस प्रत्याशी और जुझारू जनप्रतिनिधि सुबोधकांत सहाय को रांची संसदीय क्षेत्र से चुनाव में विजयी बनाकर रांची का मान बढ़ाएं। उक्त बातें ‌शहर की लोकप्रिय समाजसेवी रानी कुमारी ने बिहार क्लब में विभिन्न छात्र संगठनों के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि सुबोधकांत सहाय की छवि एक सुलझे हुए राजनेता की रही है। वह दूरदर्शी और जुझारू जननेता हैं। रांची इनकी कर्मभूमि रही है। आम आवाम के लिए हमेशा सुलभ रहते हैं। जनसमस्याओं के समाधान के लिए सदैब संघर्षरत रहना इनकी दिनचर्या में शुमार है। उन्होंने कहा कि श्री सहाय के जीतने से रांची का मान बढ़ेगा। छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए पूर्व उप महापौर अजय नाथ शाहदेव ने कहा कि कांग्रेस प्रत्याशी सुबोधकांत सहाय को रांची से भारी मतों से जिताने का संकल्प लें। वहीं रांची महानगर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह ने श्री सहाय के समर्थन में वोट डालने की अपील की। मौके पर वरिष्ठ समाजसेवी अजीत सहाय, कांग्रेस नेता सुधीर सिंह, शुभम चौधरी, गोपाल सिंह,सौरभ चौधरी, बबली कुमारी, मंगल कुजूर सहित काफी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

गुरुवार, 18 अप्रैल 2019

निर्दलीय उम्मीदवार एनके यादव ने भरा पर्चा


रांची। एचइसी के सेवानिवृत कर्मी एव वार्ड 41 की पार्षद उर्मिला यादव के पति नंद किशोर यादव ने आज रांची लोकसभा क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में पर्चा भरा। सेवानिवृत्त होने के बाद वे समाजसेवा के क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं। अपनी पत्नी के चुनाव का कुशल संचालन कर तीन बार पार्षद का चुनाव जिताने में सफल रहे। दो बार उर्मिला यादव को हटिया विधान सभा से भी चुनाव लड़ाया। विधानसभा चुनाव में भले जीत हासिल नहीं करा पाए लेकिन चुनाव लड़ने-लड़ाने का अनुभव प्राप्त किया। श्री यादव स्वयं पहली बार चुनाव मैदान में उतरे हैं। नामांकन दाखिल करने के बाद  उन्होंने खबरगंगा से बात करते हुए कहा कि यदि रांची संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं ने मौका दिया तो वे क्षेत्र में विकास की नई बयार बहाएंगे। संसदीय क्षेत्र की समस्याओं से वे पूरी तरह अवगत हैं। विभिन्न क्षेत्रों के लोगों से उनका व्यापक संपर्क भी रहा है। उनके पास जन समस्याओं के निदान का एक पूरा खाका है। श्री यादव के मुताबिक जनता का पारंपरिक दलों से मोहभंग हो चुका है। ऐसे में उन्हें पूरी उम्मीद है कि जनता उन्हें सेवा का एक अवसर अवश्य देगी।

बुधवार, 17 अप्रैल 2019

भाजपा की झूठ पर जनता वोट से करे चोट : सहाय



कांग्रेस प्रत्याशी ने आज बुढ़मू प्रखंड के कई गांवों में किया चुनाव प्रचार


रांची। कांग्रेस प्रत्याशी सुबोध कांत सहाय ने आज बुढ़मू में जनसंपर्क अभियान चलाकर लोगों से वोट मांगा। चुनाव प्रचार के क्रम में कई जगह आयोजित बैठकों को संबोधित करते हुए कहा कि भाजपा चुनाव में वोट पाने के लिए सिर्फ झूठ का सहारा लेती है। भाजपा ने चुनाव जितने के लिए वायदा किया था कि सता में आने पर हर व्यक्ति के खाते में 15 लाख रूपये देंगे। लेकिन सता में आने के बाद भाजपा ने लोगों को धोखा दिया और इस वायदा का जुमला कह कर अपना पल्ला झाड़ लिया। उन्होंने कहा कि चुनाव के माध्यम से जनता को मौका मिला है भाजपा के झूठ पर चोट करने का। ऐसे झूठे वायदों के सहारे चुनाव जितने वाले भाजपा को इस चुनाव में जनता सबक सिखयेगी। श्री सहाय ने कहा सता पाने के लिए भाजपा ने जितने वायदे किये थे। सता में आने के बाद सभी वायदों के विपरीत काम किया चाहे युवाओं को रोजगार देने का मामला हो, मंहगाई कम करने का या फिर पेट्रोल-डीजल के दामों को घटाने का। उन्होंने कहा कि जनता को भाजपा के झूठ से बचाने के लिए महागबंधन बना है। यही महागबंधन झारखंड में भाजपा का सूफड़ा करने वाली है। उन्होंने कहा कि पिछले चुनाव में भाजपा के झूठे वायदों में आने वाली जनता के सामने भाजपा का असली चेहरा आ गया है। इसलिए इस बार जनता भाजपा के झांसे में आने वाली नहीं है। मतदाताओं से अपील किया कि इस चुनाव में आपको मौका मिला है भाजपा के झूठ पर वोट का चोट करने का। उन्होंने कांग्रेस को वोट देकर राहुल गांधी के हाथों को मजबूत करने की अपील मतदाताओं से किया। चुनाव प्रचार में ग्रमीण कांग्रेस अध्यक्ष सुरेश बैठा, महिला अध्यक्ष मेरी तिर्की, प्रखंड अध्यक्ष जाकिर अंसारी, केदार पासवान, उमा, पूनम सिंह, सदन साहु, उस्मान खान, लक्ष्मीकांत, राम प्रताप तिवारी, जगलल महतो, प्यारे लाल महती, अताउल्लाह अंसारी, छोटू रजा, जावेद अख्तर जेएमएम के शमीम, भूणेश्वर साहु, अख्तर अंसारी, सनाउलाह अंसारी, राजद से एनुल खान तथा सज्जाद अंसारी सहित गठबंधन के कई नेता शामिल थे।

बुधवार, 16 जनवरी 2019

अजय कुमार मेहता बने आप के रांची महानगर प्रभारी



रांची। आम आदमी पार्टी ने अजय कुमार मेहता को राँची महानगर का प्रभारी नियुक्त़ किया है। राँची के आनंद नगर में रहने वाले अजय कुमार मेहता पेशे से एक व्यवसायी है तथा मेहता बुक डिपो के मालिक हैं।
  प्रदेश अध्यक्ष जयशंकर चौधरी ने अजय मेहता को शुभकामनाएँ दी तथा कहा कि   राजनीति में युवाओं कि भागीदारी के बिना एक बेहतर राज़नीतिक व्यवस्था स्थापित नहीं किया जा सकता है। युवाओं को आगे आकर राजनीति में भागीदारी सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। उन्होंने उम्मीद जताया कि अजय मेहता के प्रभार में राँची महानगर में चल रहे संगठन निर्माण  के कार्य में तेजी आयेगी तथा संगठन को मजबुती मिलेगी।
 श्री अज़य मेहता ने राँची महानगर प्रभारी नियुक्त किये जाने पर झारखंड प्रदेश समिति को धन्यवाद दिया है एवं खुशी जताते हुए कहा है कि वे पुरी ईमानदारी एवं निष्ठा के साथ अपने कार्य का निर्वहन करेंगे एवं पार्टी ने उन पर जो भरोसा जताया है उस पर खड़ा उतरने की पुरी कोशिश करेंगे।
मौके पर प्रदेश उपाध्यक्ष पवन  पांडे, परवेज सहजाद, प्रदेश सचिव राजन सिंह, लोकसभा प्रभारी वसीम अकरम तथा प्रदेश मीडिया प्रभारी राजेश कुमार उपस्थित थे।

गुरुवार, 10 जनवरी 2019

भाजपा सरकार जनता को बरगला रही है : आदित्य विक्रम जायसवाल





रांची । झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी के पूर्व सचिव आदित्य विक्रम जायसवाल ने कहा कि  केंद्र की मोदी सरकार हो या झारखंड की रघुवर दास सरकार, दोनों सिर्फ जनता को दिग्भ्रमित करती रही है। भाजपा के चार साल के शासनकाल में आम जनता को झूठे वायदे के सिवाय कुछ नहीं मिला। युवाओं को रोजगार देने के नाम पर उन्हें बरगलाया जा रहा है। मोमेंटम झारखंड, ग्लोबल स्किल समिट आदि महज आईवाश है। सरकारी विभागों में हजारों पद खाली पड़े हैं। उन पदों पर नियुक्ति नहीं की जा रही है। निजी क्षेत्र के कंपनियों में नियुक्ति का झुनझुना थमाया जा रहा है। किसानों को उनके उत्पाद का सही मूल्य नहीं मिल पा रहा है, मजदूरों को सही मजदूरी नहीं मिल रहा है। 
उन्होंने कहा कि भाजपा ने झूठ बोलकर सत्ता हासिल किया है। सरकार की कोई उपलब्धि नहीं है। महज कागजी घोड़े दौड़ाकर भाजपा सरकार अपनी पीठ खुद थपथपाने में लगी है। साल में दो करोड नवयुवकों रोजगार देने की बात हो, स्वच्छ भारत अभियान की बात हो या 24 घंटे निर्बाध वि़द्युत आपूर्ति की बात हो, सभी मोर्चे पर सरकार विफल रही है। उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र में युवाओं के लिए रोजगार के अवसर सृजित करने का श्रेय रघुवर सरकार खुद ले रही है, जबकि वास्तविकता है कि निजी क्षेत्र के उद्यमी अपनी क्षमता व आवश्यकतानुसार प्रतिभावान युवाओं को चयनित करते हैं। उन्होंने कहा कि झारखंड  राज्य में ओडीएफ की स्थिति पर नजर डालें तो हकीकत  का पता चल जाएगा। बिचैलियों ने शौचालय के नाम पर आम लोगों के यहाँ सिर्फ  गढ़ा खोदकर राशि की निकासी कर ली । भाजपा की ओर से संचालित तकरीबन सभी योजनाओं में राशि की बंदरबांट की गई है। 
श्री जायसवाल ने कहा कि राज्य के रघुवर सरकार विगत 4 वर्षों में 3 अरब रुपये से अधिक राशि प्रचार-प्रसार पर खर्च कर खुद को ब्रांडिंग करने का काम किया है। राज्य की जनता के पैसे को सिर्फ अपने प्रचार-प्रसार के लिए पानी की तरह बहाया है। आम जनता से इनका कोई सरोकार नहीं है। पोस्टर-बैनर पर अनावश्यक राशि खर्च करने की बजाय अगर कोई दूसरे सेक्टर के विकास पर सरकार राशि खर्च करती, तो वाकई में झारखंड विकास के पायदान पर रहता। राज्य में पारा शिक्षक, आंगनबाड़ी सेविका- सहायिका, रसोइया, मुखिया संघ, मनरेगा कर्मी अपनी मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं। तानाशाही प्रवृत्ति वाली भाजपा सरकार अपने कर्मियों की मांगें मानने की   बजाय उनपर लाठियां बरसाती है, यह राज्य सरकार  के लिए बेहद शर्मनाक  है। सरकार की इन करतूतों से जनता अब ऊब चुकी है और बदलाव की मांग  कर रही है। आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव में जनता भाजपा को सबक सिखाते हुए कांग्रेस को समर्थन देगी।
उन्होंने कहा कि आमजनता बिजली, पानी और अच्छी सड़कें जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रही है। वहीं दूसरी तरफ भाजपा सरकार झूठे वादे कर जनता को बरगलाने में लगी है।

स्वर्ण जयंती वर्ष का झारखंड : समृद्ध धरती, बदहाल झारखंडी

  झारखंड स्थापना दिवस पर विशेष स्वप्न और सच्चाई के बीच विस्थापन, पलायन, लूट और भ्रष्टाचार की लाइलाज बीमारी  काशीनाथ केवट  15 नवम्बर 2000 -वी...