आज के एक अखबार की लीड खबर का शीर्षक है 'कड़े तेवर दिखायेंगे पीएम'. उप शीर्षक है 'पेट्रोल सस्ता कर डीजल महंगा करने की तैयारी'
संप्रंग सर्कार कठोर फैसले लेने का यह बेहतर मौका मान रही है. अर्थात वह हमेशा ऐसे लेने के लिए मौके की ताक में रहती है जिससे आम आदमी का जीवन और कष्टमय हो जाए. उस आम आदमी का जिसके लिए प्रतिदिन 28 रुपये के खर्च करने की क्षमता को काफी मान रही है यह सरकार. क्योंकि इसी में आबादी के उस हिस्से की भलाई है जिसके बाथरूम की मरम्मत के लिए 35 लाख रुपये भी कम पड़ते हैं. देश का एक बच्चा भी जानता है की तमाम जिंसों की ढुलाई डीजल चालित वाहनों से होता है. डीजल को महंगा करने से उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतें कैसे कम होंगी कम से कम हमारे जैसे मंद बुद्धि के लोगों की समझ से बाहर है. पीएम अर्थशास्त्री हैं. हो सकता है उनके अर्थशास्त्र में ऐसा कोई गणित हो. या फिर यह भी हो सकता है कि द्वंद्वात्मक भौतिकवाद का यह सिद्धांत कि अपने चरम पर पहुंचकर हर चीज विलीन हो जाती है काम कर रहा हो. सरकार को यकीन हो कि महंगाई को उसके चरम तक पहुंचा दो वह खुद ही ख़त्म हो जायेगी.
पेट्रोल की कीमत घटने से एलिट क्लास के उन लोगों को राहत मिलेगी.जिनके पास धन है. जिनकी क्रयशक्ति बेहतर है. लेकिन डीजल की कीमत बढ़ने पर निम्न मध्यवर्ग और मजदूर-किसान यानी हर वर्ग के लोग प्रभावित होंगे. इसी तरह रसोई गैस की राशनिंग जैसे कड़े कदम उठाने की तैयारी हो रही है. बाकी कड़े फैसले भी जनता पर कहर ढानेवाले ही हैं. अब भारत की जनता पांच वर्ष के लिए सत्ता की बागडोर थमाने की भूल कर ही बैठी है तो भुगतना तो उसी को पड़ेगा. इसलिए जनाब! आप चिंता मत कीजिये. जो मर्जी हो कर लीजिये. पूरी आबादी का गला घोंट दीजिये. लेकिन भगवान के लिए कुछ तो शर्म कीजिये आखिर आप 2014 में जनता को क्या मुंह दिखायेंगे.
----देवेंद्र गौतम