नोएडा। निठारी कांड के मुख्य अभियुक्त सुरेंद्र कोली की फांसी की सजा पर 29 अक्टूबर तक रोक लगी दी गई है। 8 सितंबर की सुबह उसे फांसी दी जानी थी। इसकी पूरी तैयारी हो चुकी थी। इसके लिए इलाहाबाद की नैनी जेल से रस्सा आ चुका था। मेरठ के पवन जल्लाद ने फंदा तैयार कर लिया था। लेकिन एक दिन पूर्व उसकी अपील पर कोर्ट ने एक सप्ताह की छूट दे दी। फिर 29 अञ्चटूबर तक की मोहलत दे दी गई।
इस बीच कोली की मां मेरठ जेल में उससे मिली। उसने सीधे तौर पर कोली के मालिक मोहिंदर सिंह पंधेर को इस पूरे मामले के लिए दोषी ठहराते हुए कोली को फंसाने का आरेप लगाया। पंधेर को कुछ मामलों में जमानत मिल चुकी है। कुछ में मिलनी बाकी है। वह इस मामले से बच निकला है। सारी गाज कोली पर गिरी है। हाल में मिली कुछ जानकारियों से यह मामला कुछ और ही नजर आता है। इसपर नए सिरे से अनुसंधान की जरूरत है।
ग्रामीणों का कहना है कि उसकी कोठी न.-5 पर एंबुलेस का आना जाना लगा रहता था। इससे आशंका हो रही है कि कहीं यह मामला मानव अंगों की तस्करी का तो नहीं। पंधेर के फ्रिज में बच्चों की हत्या के बाद उनका मांस रखे जाने की बात अनुसंधान में सामने आई थी। कहा गया था कि कोली आदमखोर था और उनका मांस पकाकर खाता था। सवाल है कि कोई नौकर मनुष्य का मांस फ्रिज में रखेगा और मालिक को पता नहीं चलेगा। अनुसंधान का विषय यह है कि दो लोगों के निवास वाली कोठी में एंबुलेस ञ्चयों आता जाता था। कहीं ऐसा तो नहीं कि फ्रिज में किडनी, आंख जैसे अंग तो नहीं रखे जाते थे और बच्चों की सिरियल हत्या इसी के लिए तो नहीं की जा रही थी?
14 वर्षीय रीपा हलदर की हत्या और निठारी कंकाल कांड के चार अन्य मामलों में कोली को फांसी की सजा सुनायी गई थी। सुरेंद्र कोली की दया याचिका को राष्ट्रपति ने ठुकरा दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने उसकी पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी थी। 12 सितंबर तक उसे फांसी पर लटका दिए जाने का आदेश था लेकिन सुप्रीम कोर्ट से एक मौके दिए जाने पर 7 सितंबर की रात उसने अपील की। इसपर कोर्ट ने फांसी पर एक हक्रते के लिए रोक लगा दी। अभी फांसी की कोई अगली तारीख और समय निश्चित नहीं किया गया है। सुरेंद्र कोली मोहिंदर पंधेर का नौकर था।
इस दिल दहला देने वाले मामले का खुलासा 29 दिसंबर 2006 को सेक्टर-31 स्थित निठारी गांव में 19 नरकंकालों की बरामदगी से हुआ था। घटना के खुलासे से पूरे देशभर में कोहराम मच गया था। निठारी कांड के बारे में जानने के बाद पूरा देश दंग रह गया था। 29 दिसंबर 2006 की उस सुबह गांव के लोगों के चेहरे पर भय था और आंखोंं में गुस्सा, जो आज तक बरकरार है। जिस दिन बच्चों की लगातार नृशंस हत्याओं और उनका मांस भक्षण किए जाने की घटना का खुलासा हुआ, देश के सुरक्षा तंत्र और कानून व्यवस्था पर लोगों का भरोसा डगमगा गया। इस कांड के मुक्चय आरोपी सुरेंद्र कोली के मृत्युदंड पर उच्चतम न्यायालय ने एक हक्रते तक रोक तो लगा दी लेकिन फांसी की अगली तारीख को स्पष्ट नहीं किया है। वहीं इस कांड के दूसरे मुक्चय आरोपी मोहिंदर पंधेर को जमानत मिल गई है। लेकिन अभी वह जेल से रिहा नहीं हो पाया है। ञ्चयोंकि कई अन्य मामलों में उसे जमानत नहीं मिली निठारी में कुल 19 मासूमों की बलि दी गई थी। नोएडा पुलिस गहन जांच-पड़ताल के बाद हत्यारे सुरेंद्र कोली तक पहुंची थी। पूछताछ के दौरान उसने बताया था कि निठारी के कोठी नंबर डी-5 के पीछे की तरफ उसने एक युवती के शव को फेंक दिया था। जब तलाशी ली गई तो एक नहीं, बल्कि दर्जनों लड़कियों के कपड़े बरामद हुए। उस जगह की खुदाई की गई तो नर कंकाल मिलने लगे। निठारी कांड से नोएडा व पूरा देश सकते में आ गया था। इस कांड के खुलासे के बाद बच्चों के लापता होने की घटनाओं को गंभीरता से लिया जाने लगा।
ऐसे खुला निठारी कांड का राज
सनसनीखेज निठारी कांड का सुराग एक मोबाइल फोन से मिला था। दरअसल, वह मोबाइल फोन निठारी आने के बाद गायब हुई 23 वर्षीय सुमन (बदला हुआ नाम) का था। पता चला कि उस मोबाइल फोन में बरौला निवासी राजपाल नामक व्यक्ति अपना सिमकार्ड इस्तेमाल कर रहा है। पुलिस की एक टीम ने उसका पता लगाकर दबोच लिया। पूछताछ करने पर पता चला कि राजपाल ने वह मोबाइल फोन संजीव से खरीदा था। संजीव से भी पूछताछ करने पर पता चला कि उसने रिक्शा चलाने वाले सतलरे से खरीदा था। खोजबीन के बाद पुलिस सतलरे के पास पहुंची, लेकिन जवाब पाकर पुलिस की जांच थम गई। उसने बताया कि एक दिन उसने सेक्टर-36 से निठारी मेन रोड पर ही एक व्यक्ति को उतारा था। उसी ने अपना मोबाइल फोन छोड़ दिया था। इस तरह पुलिस को पता चल गया कि युवती को गायब करने के पीछे निठारी के ही किसी शक्चस का हाथ है। वह कौन है, इस पर संशय बना रहा। मोबाइल फोन में लगे सिमकार्ड के डिटेल की जांच करने पर पता चला कि उसमें सुरेंद्र कोली के नाम पर खरीदा गया सिम कार्ड इस्तेमाल किया गया है, लेकिन पता के नाम पर सिर्फ निठारी गांव लिखा था। पुलिस टीम ने उस नंबर की कॉल डिटेल निकालकर जांच की।
कोली ने कबूली थी 17 बच्चों की हत्या की बात
कोमल की मौत का सच उगलवाने के लिए पुलिस की गहन पूछताछ के दौरान नौकर सुरेंद्र कोली ने केवल एक हत्या की बात स्वीकार की थी। उसने बताया था कि उसकी हत्या करने के बाद कोठी के पीछे ठिकाने लगा दिया था। छानबीन के दौरान पुलिस को कोठी के पीछे छोटे बच्चों के कपड़े और कंकाल मिले थे। इससे स्पष्ट हो गया कि निठारी से लगातार बच्चों के गायब होने के पीछे इसी कोठी में रहने वालों का हाथ था। पुलिस ने दोबारा पूछताछ की तो बच्चों के गायब होने का राज खुल गया। धीरे-धीरे नौकर ने 17 बच्चों की हत्या की बात कबूल की थी। लेकिन कोठी के मालिक मोहिंदर सिंह पंधेर पर उतने संगीन आरोपों का साक्ष्य नहीं मिल पाया।
इस बीच कोली की मां मेरठ जेल में उससे मिली। उसने सीधे तौर पर कोली के मालिक मोहिंदर सिंह पंधेर को इस पूरे मामले के लिए दोषी ठहराते हुए कोली को फंसाने का आरेप लगाया। पंधेर को कुछ मामलों में जमानत मिल चुकी है। कुछ में मिलनी बाकी है। वह इस मामले से बच निकला है। सारी गाज कोली पर गिरी है। हाल में मिली कुछ जानकारियों से यह मामला कुछ और ही नजर आता है। इसपर नए सिरे से अनुसंधान की जरूरत है।
ग्रामीणों का कहना है कि उसकी कोठी न.-5 पर एंबुलेस का आना जाना लगा रहता था। इससे आशंका हो रही है कि कहीं यह मामला मानव अंगों की तस्करी का तो नहीं। पंधेर के फ्रिज में बच्चों की हत्या के बाद उनका मांस रखे जाने की बात अनुसंधान में सामने आई थी। कहा गया था कि कोली आदमखोर था और उनका मांस पकाकर खाता था। सवाल है कि कोई नौकर मनुष्य का मांस फ्रिज में रखेगा और मालिक को पता नहीं चलेगा। अनुसंधान का विषय यह है कि दो लोगों के निवास वाली कोठी में एंबुलेस ञ्चयों आता जाता था। कहीं ऐसा तो नहीं कि फ्रिज में किडनी, आंख जैसे अंग तो नहीं रखे जाते थे और बच्चों की सिरियल हत्या इसी के लिए तो नहीं की जा रही थी?
14 वर्षीय रीपा हलदर की हत्या और निठारी कंकाल कांड के चार अन्य मामलों में कोली को फांसी की सजा सुनायी गई थी। सुरेंद्र कोली की दया याचिका को राष्ट्रपति ने ठुकरा दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने उसकी पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी थी। 12 सितंबर तक उसे फांसी पर लटका दिए जाने का आदेश था लेकिन सुप्रीम कोर्ट से एक मौके दिए जाने पर 7 सितंबर की रात उसने अपील की। इसपर कोर्ट ने फांसी पर एक हक्रते के लिए रोक लगा दी। अभी फांसी की कोई अगली तारीख और समय निश्चित नहीं किया गया है। सुरेंद्र कोली मोहिंदर पंधेर का नौकर था।
इस दिल दहला देने वाले मामले का खुलासा 29 दिसंबर 2006 को सेक्टर-31 स्थित निठारी गांव में 19 नरकंकालों की बरामदगी से हुआ था। घटना के खुलासे से पूरे देशभर में कोहराम मच गया था। निठारी कांड के बारे में जानने के बाद पूरा देश दंग रह गया था। 29 दिसंबर 2006 की उस सुबह गांव के लोगों के चेहरे पर भय था और आंखोंं में गुस्सा, जो आज तक बरकरार है। जिस दिन बच्चों की लगातार नृशंस हत्याओं और उनका मांस भक्षण किए जाने की घटना का खुलासा हुआ, देश के सुरक्षा तंत्र और कानून व्यवस्था पर लोगों का भरोसा डगमगा गया। इस कांड के मुक्चय आरोपी सुरेंद्र कोली के मृत्युदंड पर उच्चतम न्यायालय ने एक हक्रते तक रोक तो लगा दी लेकिन फांसी की अगली तारीख को स्पष्ट नहीं किया है। वहीं इस कांड के दूसरे मुक्चय आरोपी मोहिंदर पंधेर को जमानत मिल गई है। लेकिन अभी वह जेल से रिहा नहीं हो पाया है। ञ्चयोंकि कई अन्य मामलों में उसे जमानत नहीं मिली निठारी में कुल 19 मासूमों की बलि दी गई थी। नोएडा पुलिस गहन जांच-पड़ताल के बाद हत्यारे सुरेंद्र कोली तक पहुंची थी। पूछताछ के दौरान उसने बताया था कि निठारी के कोठी नंबर डी-5 के पीछे की तरफ उसने एक युवती के शव को फेंक दिया था। जब तलाशी ली गई तो एक नहीं, बल्कि दर्जनों लड़कियों के कपड़े बरामद हुए। उस जगह की खुदाई की गई तो नर कंकाल मिलने लगे। निठारी कांड से नोएडा व पूरा देश सकते में आ गया था। इस कांड के खुलासे के बाद बच्चों के लापता होने की घटनाओं को गंभीरता से लिया जाने लगा।
ऐसे खुला निठारी कांड का राज
सनसनीखेज निठारी कांड का सुराग एक मोबाइल फोन से मिला था। दरअसल, वह मोबाइल फोन निठारी आने के बाद गायब हुई 23 वर्षीय सुमन (बदला हुआ नाम) का था। पता चला कि उस मोबाइल फोन में बरौला निवासी राजपाल नामक व्यक्ति अपना सिमकार्ड इस्तेमाल कर रहा है। पुलिस की एक टीम ने उसका पता लगाकर दबोच लिया। पूछताछ करने पर पता चला कि राजपाल ने वह मोबाइल फोन संजीव से खरीदा था। संजीव से भी पूछताछ करने पर पता चला कि उसने रिक्शा चलाने वाले सतलरे से खरीदा था। खोजबीन के बाद पुलिस सतलरे के पास पहुंची, लेकिन जवाब पाकर पुलिस की जांच थम गई। उसने बताया कि एक दिन उसने सेक्टर-36 से निठारी मेन रोड पर ही एक व्यक्ति को उतारा था। उसी ने अपना मोबाइल फोन छोड़ दिया था। इस तरह पुलिस को पता चल गया कि युवती को गायब करने के पीछे निठारी के ही किसी शक्चस का हाथ है। वह कौन है, इस पर संशय बना रहा। मोबाइल फोन में लगे सिमकार्ड के डिटेल की जांच करने पर पता चला कि उसमें सुरेंद्र कोली के नाम पर खरीदा गया सिम कार्ड इस्तेमाल किया गया है, लेकिन पता के नाम पर सिर्फ निठारी गांव लिखा था। पुलिस टीम ने उस नंबर की कॉल डिटेल निकालकर जांच की।
कोली ने कबूली थी 17 बच्चों की हत्या की बात
कोमल की मौत का सच उगलवाने के लिए पुलिस की गहन पूछताछ के दौरान नौकर सुरेंद्र कोली ने केवल एक हत्या की बात स्वीकार की थी। उसने बताया था कि उसकी हत्या करने के बाद कोठी के पीछे ठिकाने लगा दिया था। छानबीन के दौरान पुलिस को कोठी के पीछे छोटे बच्चों के कपड़े और कंकाल मिले थे। इससे स्पष्ट हो गया कि निठारी से लगातार बच्चों के गायब होने के पीछे इसी कोठी में रहने वालों का हाथ था। पुलिस ने दोबारा पूछताछ की तो बच्चों के गायब होने का राज खुल गया। धीरे-धीरे नौकर ने 17 बच्चों की हत्या की बात कबूल की थी। लेकिन कोठी के मालिक मोहिंदर सिंह पंधेर पर उतने संगीन आरोपों का साक्ष्य नहीं मिल पाया।