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गुरुवार, 5 सितंबर 2019

अदालतों में लंबित मामलों का निबटारा करने के लिए तंत्र विकसित करेंः मुख्य सचिव


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★14 सितंबर को लोक अदालत में मामले को निष्पादित कराने को लेकर बैठक
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रांची। मुख्य सचिव डॉ. डीके तिवारी ने अदालतों में लंबित मामलों के ससमय निबटारा नहीं होने तथा उच्चाधिकारियों का इसमें बेवजह समय जाया होने पर चिंता प्रकट करते हुए मामलों के त्वरित निबटारा के लिए तंत्र विकसित करने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि सभी विभाग पहले इसकी पूरी पड़ताल कर लें कि उनके विभाग के कितने मामले अदालतों में हैं तथा उनकी स्थिति क्या है। उसी अनुरूप मामलों के निबटारा के लिए पहल करें। जरूरी हो तो अपील में जाएं या फिर 14 सितंबर को आयोजित हो रहे लोक अदालतों के माध्यम से उनका निबटारा सुनिश्चित करें। मुख्य सचिव अदालतों में लंबित मामलों तथा पूर्व में दिए गए दिशा निर्देशों के अनुपालन को लेकर झारखंड मंत्रालय में समीक्षा बैठक कर रहे थे।

हाईकोर्ट की समिति से सूचनाओं का अदान-प्रदान करें
मुख्य सचिव ने कोर्ट में चल रहे मामलों की अद्यतन स्थिति से वाकिफ रहने और ससमय उसके निबटारा को लेकर सचिवों को निर्देश दिया कि वे इसी मकसद से बनी हाईकोर्ट की समिति के साथ सूचनाओं को साझा करें और उसी के अनुसार कार्रवाई करें। उन्होंने कहा कि एक ही प्रकृति की एक से अधिक मामलों को एक साथ जोड़कर उसका निष्पादन कराएं। वहीं किसी मामले में कोर्ट के आदेश को उसी प्रकृति के अन्य मामलों में भी लागू करें।

ऐसा तंत्र विकसित करें कि मामले कम से कम कोर्ट में जाएं
मुख्य सचिव ने निर्देश दिया कि मामले कोर्ट में ना जाये और जाएं कम से कम जाएं। इसे लेकर भी एक तंत्र विकसित करें। उन्होंने मामलों को कोर्ट में देखने वाले रिटेनर वकीलों की फीस 10 हजार से बढ़ाकर 20 हजार करने पर सहमति जतायी तथा निर्देश दिया कि केस की संख्या के अनुपात में वकील नियुक्त करें, लेकिन उनकी संख्या एक विभाग में किसी भी हाल में तीन से अधिक नहीं होगी। इसके लिए उन्होंने विधि विभाग को सर्कुलर निकालने का निर्देश दिया।

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