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शनिवार, 7 सितंबर 2019

चांद को गले लगाने का सपना पूरा होगाः अजय मारू


सरफेेस पर  लांडिंग नहीं के बावजूद बड़ी सफलता मेकन, सेल एवं एच0ई0 सी का भी योगदान




रांची। राज्यसभा के पूर्व सांसद अजय मारू ने चांद पर इसरो के सबसे कठिन अभियान के लिए वैज्ञानिकों की एक साल की कठोर मेहनत के लिए उन्हें बधाई दी है।
श्री मारू ने कहा है कि चन्द्रयान-2 चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर ऊपर रह गया और लैंडिंग नही कर सका जिसे इसरो की असफलता नहीं कही जा सकती वरन यह इस मायने में बड़ी सफलता है क्योकि पहली बार किसी देश ने साऊथ पोल की सतह पर लैंडिंग का अभियान चला गया। उन्होंने कहा कि विक्रम आज भी चांद की सतह के इर्द गिर्द चक्कर काट रहा है।
उन्होंने कहा कि चन्द्रयान से डाटा एकत्रित किया जा रहा है जो काफी उपयोगी  होगा।
श्री मारू ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वयं इसरो जाकर चन्द्रयान दो के अभियान की प्रक्रिया देखी और वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित किया। प्रधानमंत्री का देश के प्रति यह जज्बा है कि वह रात्रि तीन बजे तक इसरो केन्द्र में रहने के बाद पुनःआठ बजे सुबह में वहां गए और वैज्ञानिकों को निराश नहीं होने को कहा। इससे समस्त वैज्ञानिक भाव विभोर  हो गए। प्रधानमंत्री ने कल रात  में इसरो केन्द्र पहुंचे बच्चो को भी प्रोत्सहित किया।
श्री मारू ने कहा कि चन्द्रयान दो के अभियान में  मेकन लिमिटेड,एच ई सी एवं सेल का भी योगदान रहा इसलिए इस संस्थानों के अभियंता भी साधु वाद के पात्र है।
मेकन ने जहां लोचिंग पैड बनाया वहीं एच0ई0 सी0 ने भी सहयोग किया तथा यान ने सेल के स्टील का उपयोग किया गया। आई0 आई टी0 कानपुर के योगदान को भी भुलाया नहीं जा सकता।
चन्द्रयान -2 को 98 प्रतिशत अंक मिले और इससे 3.84 लाख किलो मीटर तक की दूरी तय की।सब कुछ प्रतिकूल रहने के बावजूद चन्द्रयान -2 ने विश्व में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया।
श्री मारू ने कहा  कि जीवन में सफलता एवं असफलता का दौर चलते रहता है। लेकिन चन्द्रयान-2ने जो कुछ कर दिखाया उसके लिए इसरो के तमाम वैज्ञानिक बधाई के पात्र है।
इस अभियान में शामिल वैज्ञानिकों कोउनके समर्पण के लिए उनकी जितनी भी प्रशंसा कह जाए वह कम ही होगा। निश्चित रूप  से इसरो के वैज्ञानिकों ने अपने लिए एक बेंचमार्क बनाया और आने वाली पीढ़ीके लिए एक बड़ा उपहार दिया।इसरो ने पहले बड़ी बड़ी सफलता हासिल की है। एक साथ सौ अंतरिक्ष यान भेजने का जलवा इसरो दिखा चुका है।
श्री मारू ने कहा कि देश के वैज्ञानिकों की कामयाबी इस बात से लगायी जा सकती है कि चन्द्रयान-2 पूरी तरह स्वदेशी है। इसरो की सफलता के लिए हमसब तमाम वैज्ञानिक गौर्वान्वित है। बहुत जल्द एक ऐसा दिन आएगा जब चांद पर भारत एवं इसरो का झंडा लहराएगा।

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