ख़ता किसी की सज़ा किसी को
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक संन्यासी हैं। ब्रह्मचारी हैं। वे किसी युवती के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग कर ईश्क नहीं फरमा सकते। कोई इसपर विश्वास नहीं कर सकता। लेकिन रामरहीम, आसाराम बापू जैसे संतों पर जिस तरह के आरोप लगे उसके बाद संन्यासियों के संबंध में भी आम श्रद्धा की भावना खंडित हुई है। वीडियो कांफ्रेंसिंग तो रिकॉर्ड की बात होती है। योगी जी को चाहिए कि युवती के दावों से उत्पन्न भ्रम का पूरी तरह निवारण कराएं। युवती के फोन और एकाउंट्स की जांच कराकर दूध का दूध पानी का पानी कर दें। उनका मान मर्दन कानपुर की युवती ने की और खीज पत्रकारों पर निकाली। वह भी तमाम नियम-कानून को ताक़ पर रखकर। मोदी सरकार की तरफ से इस प्रकरण पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। प्रेस क्लब, एडिटर्स गिल्ड आदि तमाम संस्थाओं ने योगी सरकार के कृत्य की निंदा की है लेकिन केंद्र सरकार मौन है। सबका विश्वास ऐसे तो हासिल नहीं होता। योगी जी शायद जांच नहीं कराना चाहें लेकिन केंद्र सरकार को युवती के दावों की जांच करानी चाहिए। संभव है योगी जी के नाम पर कोई अन्य व्यक्ति युवती के साथ आनलाइन ईश्क फरमा रहा हो।
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक संन्यासी हैं। ब्रह्मचारी हैं। वे किसी युवती के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग कर ईश्क नहीं फरमा सकते। कोई इसपर विश्वास नहीं कर सकता। लेकिन रामरहीम, आसाराम बापू जैसे संतों पर जिस तरह के आरोप लगे उसके बाद संन्यासियों के संबंध में भी आम श्रद्धा की भावना खंडित हुई है। वीडियो कांफ्रेंसिंग तो रिकॉर्ड की बात होती है। योगी जी को चाहिए कि युवती के दावों से उत्पन्न भ्रम का पूरी तरह निवारण कराएं। युवती के फोन और एकाउंट्स की जांच कराकर दूध का दूध पानी का पानी कर दें। उनका मान मर्दन कानपुर की युवती ने की और खीज पत्रकारों पर निकाली। वह भी तमाम नियम-कानून को ताक़ पर रखकर। मोदी सरकार की तरफ से इस प्रकरण पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। प्रेस क्लब, एडिटर्स गिल्ड आदि तमाम संस्थाओं ने योगी सरकार के कृत्य की निंदा की है लेकिन केंद्र सरकार मौन है। सबका विश्वास ऐसे तो हासिल नहीं होता। योगी जी शायद जांच नहीं कराना चाहें लेकिन केंद्र सरकार को युवती के दावों की जांच करानी चाहिए। संभव है योगी जी के नाम पर कोई अन्य व्यक्ति युवती के साथ आनलाइन ईश्क फरमा रहा हो।