नई दिल्ली। मोदी सरकार की दूसरी पारी में आर्थिक मामलों में सावधानी बरती
जा रही है। यही कारण है कि केंद्रीय वित्त और कॉरपोरेट मामलों की मंत्री निर्मला
सीतारमण ने आगामी आम बजट 2019-20 के संबंध में जाने माने
अर्थशास्त्रियों के साथ विचार विमर्श किया। इसके लिए अपनी छठी पूर्व-बजट परामर्श
बैठक का आयोजन किया।
उक्त बैठक के दौरान चर्चा के मुख्य क्षेत्रों में आर्थिक
विकास को बढ़ावा देना, रोजगार-जनित विकास, वृहद- आर्थिक स्थिरता बढ़ाना, सार्वजनिक क्षेत्र की
ऋण जरूरतों का आदर्श आकार और निवेश सहित राजकोषीय प्रबंधन शामिल हैं। वित्त
मंत्री के साथ इस बैठक में नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार, वित्त सचिव सुभाष सी. गर्ग, राजस्व सचिव अजय भूषण
पांडे, डीएफएस सचिव राजीव कुमार, व्यय
सचिव गिरीश चंद्र मुर्मू, डीआईपीएएम सचिव अतनु चक्रवर्ती,
सीबीडीटी के अध्यक्ष प्रमोद चंद्र मोदी, सीबीआईसी
के अध्यक्ष डॉ. के.वी. सुब्रह्मनियन और वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने
भाग लिया।
अर्थशास्त्रियों
ने अपना यह विचार रखा कि इस बजट को अगले 5 वर्षों के लिए गति
निर्धारित करनी चाहिए। यह मेक इन इंडिया के माध्यम से विनिर्माण को बढ़ावा देने
का विशिष्ट अवसर है। अर्थशास्त्रियों ने टेरिफ सुधारों, आपूर्ति
श्रृंखला में अड़चनों को दूर करना, कृषि के लिए आयात-निर्यात
नीति, टैक्सटाइल पर विशेष शुल्कों को हटाना, राजकोषीय मजबूती बनाए रखना, समग्र घरेलू विकास के
लिए अंतर-राज्य परिषदों का पुन: उद्धार करना, कौशल विकास पर
ध्यान केंद्रित करके रोजगार को बढ़ाना, सेवा और विनिर्माण
क्षेत्र को प्रोत्साहित करना, दीर्घाकालीन विकास के लिए
वृहद आर्थिक स्थिरता और संगठनात्मक सुधार, कर दरों की
स्थिरता, शुल्कों में कमी, जीएसटी को
और अधिक सरल बनाना, प्रत्यक्ष कर संहिता लागू करना, श्रम गहन क्षेत्रों को बढ़ावा देना, स्वतंत्र
राजकोषीय नीति समिति का गठन, डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देना,
नौकरी उन्मुख विकास पर ध्यान केंद्रित करना, रोजगार बढ़ोतरी के लिए बैंकों में पूंजी डालने
और ई-कॉमर्स की संभावनाओं का उपयोग करके एनएफबीसी क्षेत्र के लिए इनसॉल्वेंसी एंड
बैंककरप्सी (आईबीसी) कोड की तरह के ढ़ांचे के बारे में सुझाव दिए गए।
उक्त
बैठक में भाग लेने वाले प्रमुख प्रतिभागियों में एनआईपीएफपी के सीईओ और निदेशक
रथिन रॉय, अर्थशास्त्री
अरविंद विरमानी, इंदिरा गांधी विकास अनुसंधान संस्थान
के कुलपति एस. महेंद्र देव, राष्ट्रीय अनुप्रयुक्त आर्थिक
अनुसंधान परिषद के महानिदेशक शेखर शाह, अर्थशास्त्री राकेश
मोहन, बिजनेस स्टैंडर्ड प्रा. लिमिटेड के अध्यक्ष टी. एन.
निनन, अर्थशास्त्री नितिन देसाई, एसबीआई के मुख्य
अर्थशास्त्री सौम्या कांति घोष, आदित्य बिड़ला समूह के
मुख्य अर्थशास्त्री अजीत रानाडे, अर्थशास्त्र और योजना इकाई
के प्रो. ई. सोमनाथन, आईडीएफसी संस्थान के निदेशक निरंजन
राज्याक्ष, एचएसबीसी की मुख्य अर्थशास्त्री प्रांजुल भंडारी,
भारतीय चार्टर्ड एकाउंटेंट एसोसिएशन के वाइस चेयरमैन अतुल गुप्ता और
फाइनेंशियल एक्सप्रेस के प्रबंध संपादक सुनील जैन तथा अनेक प्रतिष्ठित
अर्थशास्त्री शामिल रहे।
