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गुरुवार, 18 अगस्त 2011

मुख्यालय के विवाद में ठहरा अनुमंडल निर्माण का मामला



               (सरकार कुछ देना चाहे और नागरिक आपसी मतभेद के कारण उसे ले नहीं पायें तो दोष किसका..?...कुछ ऐसी ही कहानी है झारखंड के चर्चित कोयलांचल धनबाद के बाघमारा प्रखंड के अनुमंडल निर्माण की. लम्बे आंदोलन के बाद सरकार राजी हुई तो दो उपनगरों के बीच मुख्यालय के स्थल चयन को लेकर ठन गयी....इस प्रकरण पर शंकर साव की रिपोर्ट....सं. )

शंकर प्रसाद साव
बाघमारा : कोयला माफियाओं की खूनी टकराहटों का गवाह रहा बाघमारा  फिलहाल धनबाद जिले का एक प्रखंड है. यहां दो प्रमुख उपनगर हैं. बाघमारा और कतरास. इन दो उपनगरों के नागरिक नाम और स्थान के विवाद को लेकर आपस में न उलझे होते तो यह कब का अनुमंडल बन गया होता. अनुमंडल बनाने की प्रकिया लगभग पूरी हो चुकी थी. इसके लिए एक प्रमुख सचिवों की कमेटी बनायी गयी थी. मुख्यालय बनाने के लिए स्थान का भी चयन हो गया था. मुख्यालय के लिए 5 से 10 एकड उपयुक्त जमीन का व्यौरा भी अंचलाधिकारी द्धारा राज्य सरकार को भेजा गया था. मुख्यालय भवन बनाने को लेकर प्रमुख सचिवों की टीम द्धारा समीक्षा की गयी थी. प्रकिया अंतिम चरण में थी तभी दोनों क्षेत्र के नागरिक अपनी प्रतिष्ठा की लडाई में उलझ गये. नतीजा बाघमारा को अनुमंडल बनाने का मामला खटाई में पड गया. काश! दोनो क्षेत्र के नागरिक आपस में भाईचारे के साथ अनुमंडल बनाने के लिए प्रशासन की मदद करते तो आज श्रीविहीन बने बाघमारा की रौनक लौटती बल्कि रोजगार के नये नये रास्ते भी खुलते. 

तोहफा संभाल नहीं पाए

सूबे के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी बाघमारा की धरती पर पांव रखते ही नागरिकों को एक अनमोल तोहफा दिया था.उन्होनें न सिर्फ बाघमारा को अनुमंडल बनाने की घोषणा की बल्कि सारी प्रकिया को अमलीजामा भी पहनाया. लेकिन यहां के नागरिक इस तोहफे को संभाल नहीं पाए. वर्षो से आंदोलित नागरिकों की इस मांग को जायज ठहराते हुए पूर्व मंत्री जलेश्वर महतो, पूर्व मंत्री बच्चा सिंह, पूर्व मंत्री समरेश सिंह, पूर्व मंत्री पशुपतिनाथ सिंह, पूर्व सांसद टेकलाल महतो, सांसद रवीन्द्र  पाण्डेय ने भी बाघमारा को अनुमंडल बनाने के लिए राज्य सरकार से अनुशंसा की थी.

बढ़ता गया विवाद 

सचिवों की रिपोर्ट के बाद बाघमारा एंव गोविन्दपुर प्रखंड के अंचलाधिकारी के पास अलग-अलग पत्र कार्मिक प्रशासनिक सुधार तथा राज्यसभा विभाग झारखंड सरकार द्धारा भेजे गए. जिसके पत्रांक नंबर झास. पत्रांक 7-विप्र 101-2001 का.67 दिनांक 10 जनवरी 2001 में लिखा गया है कि गोविन्दपुर प्रखंड और बलियापुर प्रखंड को मिलाकर गोविन्दपुर अनुमंडल बनाना है. जिसका प्रस्तावित मुख्यालय गोविन्दपुर में हैं. इसी तरह बाघमारा प्रखंड ओर तोपचांची प्रखंड को मिलाकर बाघमारा अनुमंडल बनाना हैं.जिसका प्रस्तावित मुख्यालय कतरास नगर में होने का आदेश पारित किया गया हैं. बाघमारा के पूर्व सीओ कार्तिक कुमार प्रभात द्धारा जमीन का व्यौरा भेजने के बाद बाघमारा के नागरिको ने मुख्यालय बाघमारा में बनाने की मांग को लेकर आंदोलन तेज का दिया. दूसरी ओर कतरास के नागरिक भी कतरास मे ही मुख्यालय बनाने को लेकर अड गये.
1956 से ही बाघमारा अनुमंडल था: धनबाद जिला अंतर्गत बाघमारा अनुमंडल का सृजन सन 1956 में हुआ था. जिसके अंतर्गत बाघमारा प्रखंड, तोपचांची प्रखंड, चंदनकियारी एंव चास प्रखंड को अंगीभूत किया गया था. सन 1956 से 1978 तक इसका मुख्यालय धनबाद रहा. 1979 से 1991 तक इसका मुख्यालय चास में रहा. बोकारो का जिला के रूप में सृजन होने के बाद बाघमारा और तोपचांची प्रखंड को धनबाद में समाहित कर दिया गया. बाघमारा के नाम से अभी भी पुलिस अनुमंडल है. पीएचईडी विभाग के चास सबडिविजन के अंतर्गत अभी भी बाघमारा प्रखंड क्षेत्र आता हैं.राजनैतिक दृष्टिकोण से बाघमारा विधानसभा क्षेत्र चुनाव आयोग द्धारा मान्यता प्राप्त हैं. बाघमारा प्रखंड में 60 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्र. हैं.

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