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गुरुवार, 10 अक्तूबर 2013

यवनिका संस्था द्वरा 'सहार' बिहार मे प्रखंड स्तरीय 'बाल महोत्सव' का आयोज़न

उद्घाटन
सामान्य ज्ञान की प्रतियोगिता 

चित्रकला प्रतियोगिता 

आत्मविश्वास से भरपूर हसती -मुस्कुराती बच्चिया

प्रतिभागी

आशा : प्रतिभावान गायिका


'जन्मदिन' विषय पर 'अल्पना' कक्षा ६ द्वारा बनायाचित्र
बिहार के 'सहार' प्रखंड का  नाम सुनते ही ऐसा भू-क्षेत्र आँखों के सामने आता है जो अपनी रक्तरंजित गतिविधियों के लिए कुख्यात था ... खौफ, दहशत और नफरत  ने पूरे प्रखंड को अपने आगोश में ले लिया था .....गाँव खाली हो चुके थे...लोग अपना घर - खेत छोड़कर पलायन करने पर मजबूर थे ...अखबारों के पन्ने वहा के वारदातों से रंगे होते थे ...  हम सब ये देखते-सुनते थे...समझ नहीं आता कि ऐसा क्या हो क़ि हमारे जिला के इस भाग में अमन और शांति लौट आये... 

धीरे-धीरे माहौल बदलने लगा पर अब भी कुछ ऐसा किये जाने कि जरुरत थी कि अपराधिक माहौल पूरी तरह बदल जाये...रास्ता एक ही था कि वहा कुछ ऐसा हो जो युवाओ, बच्चो का ध्यान पढाई, कला, साहित्य और खेल में लग जाये..वे उत्साहित हो...आगे बढ़ने की  इच्छा जागे ..

बाल महोत्सव की शुरुआत ही 'सहार' को ध्यान में रखकर हुई थी...उस समय तक यह क्षेत्र .नरसंहारो  के लिए कुख्यात था...बच्चो के हाथो में किताबो की जगह बंदूके रहती थी...हमारी टीम में एक सदस्य शामिल हुआ था रणवीर रंजन...वह भी सहार का रहनेवाला था..उससे कई बातो की जानकारिया हुई... हमें बहुत तकलीफ होती थी ....

अतीत तो बदल नहीं सकते थे पर भविष्य सुधारना हमारे हाथो में था ...हमने बच्चो पर ध्यान केन्द्रित किया ...बाल महोत्सव की शुरुआत हुई ....इसमें वहा के बच्चो को लाने, उन्हें उत्साहित करने, साहित्य, कला के प्रति जागरूक करने का प्रयास शुरू हुआ...बच्चो में जागरूकता आयी..वे महोत्सव की तैयारिया करने लगे..

अनीता, गाँव एकवारी, बसंत, गाँव धनछूहा , अनु, तरारी, माया, कौरन डिहरी जैसे अनेक ऐसे नाम है जिन्होंने सहार का नाम रौशन किया ....सबसे ज्यादा ख़ुशी हुई जब २००७ के बाल महोत्सव की चार प्रतियोगिताओं में अव्वल आनेवाले हिमांशु हीर ने उस वर्ष की 'चैंपियनशिप ट्रोफी' भी जीत ली ....वहा के बच्चो में जागरूकता बढती गयी...आज वे बच्चे कई अच्छे जगहों पर है... नेट की दुनिया मे भी मिल जाते है कहते हुए कि दी, अपने नहीं पहचाना मैंने बाल महोत्सव में भाग लिया था..

आज माहौल बदला सा है...हमें अच्छा लगता है कि इसमें हमारा यानि 'यवनिका' का भी छोटा सा योगदान है ... 06.10.2013  के 'बाल महोत्सव'  के आयोजन में बच्चो का उत्साह चरम पर था...सहार ही नहीं अरवल, जहानाबाद, गया तक से बच्चे आये थे...सैकडो बच्चो थे.....जी. के., जी. एस. की भीड़ देखकर हम हैरान थे...गायन, नृत्य, भाषण में चुने गए बच्चो का उत्साह चरम पर था ...जैसे उन्हें उड़ने के लिये पंख मिल गये हो......मौका मिल गया हो कुछ कर दिखाने का ..इन्हें देखकर सहज ही एक उम्मीद सी जगती है ...हौसला बंधता है कि गर ये साथ है तो कही कुछ भी गलत नहीं हो सकता ....

-----------------स्वयम्बरा

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