देवंद्र गौतम
मंदोदरी रावण को समझा रही थी-महाराज! यह युद्ध हमपर बहूत भारी पड़ रहा है। एक-एक करके आपके सभी भाई। मेरे सभी बेटे शहीद हो गए। लाखों सैनिकों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी। विभीषण शत्रु पक्ष से जा मिला है। अब राजकुल में सिर्फ आप बचे हैं। सिर्फ एक सीता के लिए इतना नुकसान उठाया? वापस कर देते तो बात वहीं खत्म हो जाती।
-तुम क्या
समझती हो मंदोदरी! यह युद्ध सीता के लिए
हो रहा है? बिल्कुल नहीं। यह
राक्षस जाति के स्वाभिमान और अस्तित्व की लड़ाई है। सूर्पनखा की नाक काटकर
उन्होंने पूरी राक्षस जाति का अपमान किया था। उसका बदला मैंने सीताहरण कर के लिया।
सीता को उठाकर हमने सिर्फ प्रतिशोध लिया था। इसीलिए उसे सिर्फ बंदी बनाकर रखा।
उसके साथ कोई दुर्व्यवहार नहीं किया।
-मैं मानती
हूं। लेकिन समझौता तो हो सकता था।
-नहीं हो
सकता था। समझौता और उन वनवासियों से? असंभव।
लेकिन यह भी सच है कि मैंने कभी सोचा नहीं था कि ये वनवासी बंदर-भालू की फौज लेकर
यहां तक आ जाएंगे और हमसे युद्ध लड़ने का दुःसाहस करेंगे। राक्षस जाति के सबसे
शक्तिशाली राजा से? देवता भी जिसकी दरबानी
करते हैं उस रावण से?
-मेरे
प्राणपति! मेरी बात मानिए वह कोई
साधारण वनवासी नहीं हैं। अयोध्या के राजकुमार हैं। उनके अंदर कोई दैवी शक्ति है।
नहीं तो आप ही बताइए अहिरावण और इंद्रजीत जैसे योद्धाओं को कोई हरा सकता था क्या?
-ठीक है…वह
चमत्कारी पुरुष ही सही। उसके भेष में मेरे आराध्य शिव ही क्यों न हों लेकिन जातीय
स्वाभिमान यही कहता है कि युद्ध के मैदान से या तो जीतकर लौटो या फिर शहीद होकर।
कम से कम कोई कायर तो नहीं कहेगा। अब समझौता करने का मतलब होगा कि हमने अपने
स्वार्थ में, अपनी कामवासना से वशीभूत होकर अपने बंधु-बांधवों का वध करवा दिया और
स्वयं घुटने टेककर अपनी जान बचा ली। अभी तक युद्ध जीतकर अपनी कौम का मान बढ़ाता
रहा हूं अब शहीद होकर अपनी राक्षस जाति को यह संदेश दूंगा कि मैं अपनी कामवासना के
लिए नहीं देश और समाज के स्वाभिमान के लिए लड़ रहा था। इतिहास मेरे किरदार को किस
रूप में लिखेगा पता नहीं है लेकिन अब या तो जीत का सेहरा बांधूंगा या कफन पहन
लूंगा।
-मैं परिणाम
जानती हूं। लेकिन सोलह श्रृंगार करके आपको विजय का तिलक लगाकर युद्ध के मैदान में
भेजूंगी। आप पूरी ताकत से लड़िए लेकिन विभीषण से सावधान रहिएगा। वह आपके सारे भेद
जानता है।
-हो सकता है
मेरा कोई भेद ही युद्ध को इसके अंत की ओर ले जाए।
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