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रविवार, 17 अगस्त 2025

सबसे बड़ा धन

 रामेश्वरम के समुद्र तट के पास एक छोटा-सा गांव थावहां लक्ष्मण नामक एक युवा मछुआरा रहता था। उसके पास एक छोटी-सी नाव थी जिससे वह मछलियां पकड़ता और गांव के बाजार में बेचता था। उसका जीवन सीधा-सादा था, लेकिन उसका दिल बहुत बड़ा था। वह अपने परिवार, दोस्तों और गांव वालों से गहरे संबंध रखता था और हमेशा उनकी मदद को तैयार रहता। लक्ष्मण का मानना था कि धन आता-जाता है, लेकिन संबंध उम्र भर का साथ देते हैं।

लक्ष्मण का एक चचेरा भाई था, रवि, जो शहर में एक बड़ा व्यापारी बन गया था। रवि हमेशा धन को सर्वोपरि मानता और लक्ष्मण की सादगी का मजाक उड़ाता। वह कहता, “लक्ष्मण, तू इस गांव में मछलियां पकड़कर क्या कमाएगा? मेरे साथ शहर चल, पैसा कमाएंगे।” लक्ष्मण मुस्कुराकर जवाब देता, “रवि, अमूल्य संबंधों की तुलना धन से नहीं करनी चाहिए। धन दो दिन का है, लेकिन संबंध उम्र भर के हैं।”

एक दिन जब वह मछलियां पकड़ने गया था, समुद्र भयंकर तूफान आया। लक्ष्मण ने उससे बचकर अपनी नाव वापस लाने की कोशिश की। वह किसी तरह बचकर वापस तो आ गया लेकिन उसकी नाव टूट गई, इसके कारण उसका छोटा-सा मछली का कारोबार ठप हो गया। धीरे-धीरे वह कर्ज में डूब गया। उसने रवि से मदद मांगी, “रवि, मेरी नाव टूट गई। क्या तू उसकी नरम्मत के लिए मुझे कुछ पैसे उधार दे सकता है?”

रवि ने ठंडे लहजे में जवाब दिया, “लक्ष्मण, मैंने तुझे पहले ही कहा था कि गांव में कुछ नहीं रखा। मैं तेरा बोझ नहीं उठा सकता।”

लक्ष्मण का दिल टूटा, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। उसी गांव में एक बुजुर्ग मछुआरा, रामू काका, रहता था, जो लक्ष्मण को अपने बेटे की तरह मानता था। रामू काका ने लक्ष्मण की परेशानी देखी और अपनी पुरानी लेकिन मजबूत नाव उसे दे दी। उसने कहा, “लक्ष्मण, ये नाव ले और फिर से शुरूआत कर। जन्म निश्चित है, मरण निश्चित है, लेकिन अगर तेरे कर्म अच्छे होंगे, तो तेरा स्मरण भी निश्चित है।”

लक्ष्मण ने रामू काका की बात को दिल में बिठा लिया। उसने नाव से फिर मछलियां पकड़नी शुरू कीं और गांव वालों की मदद से अपना कारोबार फिर से खड़ा किया। लक्ष्मण ने न सिर्फ अपनी आजीविका फिर से शुरू की, बल्कि गांव के अन्य मछुआरों को भी एकजुट किया। उसने एक छोटा-सा मछुआरा समूह बनाया, जहां सभी मिलकर मछलियां पकड़ते और बेचते। वह हर मछुआरे को उसका हिस्सा ईमानदारी से देता और गांव के बच्चों को मुफ्त में मछलियां बांटता। उसकी उदारता और अच्छे कर्मों की वजह से गांव वाले उसका सम्मान करने लगे।

 एक दिन शहर का एक बड़ा व्यापारी, गोविंद, गांव आया। उसने लक्ष्मण के समूह और उसकी ईमानदारी की तारीफ सुनी। गोविंद ने कहा, “लक्ष्मण, तुम्हारी मछलियां और तुम्हारा समूह अनोखा है। मैं तुम्हें शहर के बड़े बाजार में मछली सप्लाई का ठेका देना चाहता हूं।”

लक्ष्मण ने प्रस्ताव स्वीकार कर लिया और उसका कारोबार तेज़ी से आगे बढ़ा, उसने रामू काका को अपने समूह का हिस्सेदार बनाया। कुछ समय बाद रवि गांव लौटा तो लक्ष्मण की सफलता देखकर हैरान रह गया।

उसने पूछा, “लक्ष्मण, तूने इतना बड़ा काम कैसे कर लिया?”

लक्ष्मण ने जवाब दिया, “रवि, मैंने धन को नहीं, संबंधों को चुना। रामू काका और गांव वालों ने मेरा साथ दिया। मेरे कर्म अच्छे थे, इसलिए आज मेरा स्मरण भी हो रहा है।”

रवि को अपनी गलती का एहसास हुआ, और उसने लक्ष्मण से माफी मांगी। लक्ष्मण ने गांव में एक छोटा-सा सामुदायिक केंद्र बनाया, जहां वह मछुआरों को एकजुट करना और बच्चों को अच्छे कर्मों की प्रेरणा देना सिखाता। गांव वाले कहने लगे, “लक्ष्मण ने सिखाया कि संबंध उम्र भर का खजाना हैं, और अच्छे कर्म ही स्मरण बनाते हैं।”

सार: धन क्षणिक है, लेकिन संबंध और अच्छे कर्म स्थायी हैं।

शुक्रवार, 15 अगस्त 2025

कर्मफल


एक छोटा-सा गाँव था, जहाँ रमेश नाम का एक युवक रहता था। रमेश मेहनती और ईमानदार था, पर उसका पड़ोसी सुरेश लालची और धोखेबाज। दोनों की जिंदगी एक-दूसरे के बिल्कुल उलट थी। एक दिन रमेश ने गाँव के मंदिर में एक गरीब बूढ़ी माँ को भोजन कराया। उसकी इस नेकी की बात पूरे गाँव में फैल गई। लोग उसकी तारीफ करने लगे, और उसका व्यापार भी दिन-दूनी रात-चौगुनी तरक्की करने लगा।

दूसरी ओर, सुरेश ने एक साहूकार को धोखा देकर कुछ पैसे हड़प लिए। शुरू में तो उसे लगा कि वह चतुर है, पर जल्द ही उसका धोखा उजागर हो गया। गाँव वालों ने उससे मुँह मोड़ लिया, और उसका व्यापार चौपट हो गया।एक शाम, जब रमेश और सुरेश गाँव के तालाब के पास बैठे थे, एक बछड़ा अपनी माँ के पीछे दौड़ता हुआ आया। रमेश ने मुस्कुराते हुए कहा, "देखो सुरेश, जैसे ये बछड़ा अपनी माँ के पीछे चलता है, वैसे ही हमारे कर्म हमारे पीछे चलते हैं। मैंने नेकी की, तो मुझे सम्मान मिला। तूने धोखा दिया, तो तुझे अपमान।"सुरेश चुप रहा, पर उस दिन उसने फैसला किया कि वह अपने कर्म सुधारेगा। समय बीता, और धीरे-धीरे सुरेश ने भी ईमानदारी का रास्ता अपनाया। उसके कर्मों का फल उसे मिलने लगा, और गाँव में उसकी भी इज्जत होने लगी।

सार: आचार्य चाणक्य की नीति पर आधारित  यह लघुकथा सिखाती है कि हमारे कर्म, चाहे अच्छे हों या बुरे, हमारे पीछे छाया की तरह चलते हैं और हमारी जिंदगी को आकार देते हैं।

(जैसे एक बछड़ा हज़ारो गायों के झुंड मे अपनी माँ के पीछे चलता है। उसी प्रकार आदमी के अच्छे और बुरे कर्म उसके पीछे चलते हैं।" ~ आचार्य चाणक्य)

 

 

दिल दोस्ती फाइनेंस

 दिल दोस्ती फाइनेंस

(तीन दोस्त

तीन अलग ज़िंदगियां

तीन तरह की आज़ादी की तलाश

किसी को गरीबी से निकलना है

किसी को बीते हुए दर्द से

और किसी को अपनी पहचान बनानी है

 


ये कहानी है उन तीनों की जो हालातों से नहीं, अपने डर और सपनों से लड़ते हैं

दोस्ती ही उनकी ताकत है और उनकी लड़ाई भी

कभी एक-दूसरे का सहारा बनते हैं, कभी खुद को खींच कर बाहर निकालते हैं

जैसे भी हो, रुकते नहीं

 

मुख्य भूमिकाओं में हैं चेतन शर्मा, शैलजा चतुर्वेदी और अयाज़ पाशा

साथ में हैं ऋषिका चंदानी, कल्पना राव, स्वप्निल श्रीराव, सायली मेश्राम और सर्मिष्ठा धर

हर किरदार में एक साफ़ और अलग आवाज़ है

हर चेहरा एक नई कहानी लेकर आता है

 


इस शो को लिखा और निर्देशित किया है हिमांशु राज तलरेजा ने

एक ऐसा कलाकार जो कैमरे के पीछे भी उतना ही सच्चा है जितना सामने

ये शो उनके सफर की शुरुआत है)

एक ईमानदार, मेहनती और समझदारी से बनी हुई कहानी ! सह लेखक : कार्तिक बहुगुणा और शैलजा चतुर्वेदी

 

मिनिएचर्स ड्रामा का मानना है

कि अच्छी कहानियों को ना लंबा होने की ज़रूरत है ना ज़ोरदार होने की

सिर्फ सच्चा होना काफी है

हम ऐसी कहानियां दिखाएंगे जो आपके आसपास की हैं

आपके जैसे लोगों की हैं

हर छोटी जीत, हर चुप दर्द और हर कोशिश की आवाज़ हैं।)



दिल दोस्ती फाइनेंस

15 अगस्त 2025 से

देखिए सिर्फ मिनिएचर्स ड्रामा यूट्यूब चैनल पर

फोन उठाइए और हमारी दुनिया से जुड़िए

[कहानी कहने का अंदाज़ बदल रहा है—अब बड़े पर्दे से ज्यादा नज़दीकी उस स्क्रीन की है जो हमारी जेब में है। इसी बदलाव को आगे बढ़ा रहा है मिनिएचर्स ड्रामा, जो 15 अगस्त 2025 से लेकर आ रहा है अपना नया शो दिल दोस्ती फाइनेंस।

 


फोर ब्रदर्स फिल्म्स के बैनर तले बनी इस सीरीज़ के निर्माता हैं हिमांशु राज तलरेजा, अभिजीत बिस्वास और नीतीश मुखर्जी। प्रोजेक्ट को इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ क्वांटिटेटिव फाइनेंस का सहयोग मिला है।

 

कहानी तीन दोस्तों की है—तीन अलग ज़िंदगियां और तीन तरह की आज़ादी की तलाश। कोई गरीबी से निकलना चाहता है, कोई बीते हुए दर्द से, तो कोई अपनी पहचान बनाना चाहता है। हालातों से ज्यादा ये अपने डर और सपनों से लड़ते हैं, और दोस्ती ही उनकी ताकत भी है और चुनौती भी।

 

मुख्य भूमिकाओं में चेतन शर्मा, शैलजा चतुर्वेदी और अयाज़ पाशा हैं, जबकि सपोर्टिंग कास्ट में ऋषिका चंदानी, कल्पना राव, स्वप्निल श्रीराव, सायली मेश्राम और सर्मिष्ठा धर शामिल हैं। हर किरदार अपनी अलग कहानी और साफ़ आवाज़ लेकर आता है।

 

शो को लिखा और निर्देशित किया है हिमांशु राज तलरेजा ने, जिनके लिए यह सफर की एक नई शुरुआत है। मिनिएचर्स ड्रामा का मानना है कि अच्छी कहानियों को न तो लंबा होने की जरूरत है और न शोर मचाने की—बस सच्चाई और दिल तक पहुंचने वाली गहराई काफी है।

 

इसे प्रीमियर पर राहुल बग्गा, ऋचा मीना, कामाक्षी भट्ट, निर्मिका सिंह, अमरजीत सिंह, सुमित, सुरेश कुमार और साहिल सिंह सेठी मौजूद थे।

 

मुंबई ​कहानी कहने की कला लगातार विकसित हो रही है, और अब यह बड़े पर्दे की भव्यता से निकलकर हमारी जेबों में रखी छोटी स्क्रीन तक पहुँच चुकी है। इसी बदलाव को आगे बढ़ा रहा है मिनिएचर्स ड्रामा, जो 15 अगस्त, 2025 से अपनी नई पेशकश "दि


ल दोस्ती फाइनेंस" के साथ दर्शकों के बीच अपनी जगह बनाने को तैयार है।

 

​फोर ब्रदर्स फिल्म्स के बैनर तले बनी यह वेब सीरीज़ एक नई सोच का परिणाम है। इसके निर्माता हिमांशु राज तलरेजा, अभिजीत बिस्वास और नीतीश मुखर्जी हैं। इस प्रोजेक्ट को इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ क्वांटिटेटिव फाइनेंस का सहयोग भी मिला है, जो इसकी गुणवत्ता को और भी बेहतर बनाता है।

 

​यह कहानी तीन दोस्तों की ज़िंदगी पर आधारित है, जो अपने-अपने तरीके से आज़ादी की तलाश में हैं। एक दोस्त गरीबी के जाल से बाहर निकलना चाहता है, दूसरा अपने अतीत के दर्द को पीछे छोड़ना चाहता है, और तीसरा अपनी खुद की एक अलग पहचान बनाना चाहता है। ये तीनों दोस्त सिर्फ बाहरी मुश्किलों से नहीं, बल्कि अपने अंदर के डर और सपनों से भी लड़ते हैं। इस सफर में उनकी दोस्ती ही उनकी सबसे बड़ी ताकत बनती है, लेकिन कई बार यही दोस्ती उनकी सबसे बड़ी चुनौती भी बन जाती है।

 

​शो में मुख्य भूमिकाएँ चेतन शर्मा, शैलजा चतुर्वेदी और अयाज़ पाशा ने निभाई हैं, जिनकी अदाकारी दर्शकों को कहानी से जोड़े रखती है। इनके अलावा, ऋषिका चंदानी, कल्पना राव, स्वप्निल श्रीराव, सायली मेश्राम और सर्मिष्ठा धर जैसे कलाकार सपोर्टिंग कास्ट में शामिल हैं। हर किरदार की अपनी एक अलग कहानी और पहचान है, जो इसे और भी दिलचस्प बनाती है।

 

​इस


शो का लेखन और निर्देशन हिमांशु राज तलरेजा ने किया है। यह प्रोजेक्ट उनके लिए एक नई शुरुआत का प्रतीक है। मिनिएचर्स ड्रामा का यह मानना है कि अच्छी कहानियों को न तो लंबा होने की जरूरत होती है और न ही बहुत ज्यादा शोर मचाने की। उनके अनुसार, कहानी में सिर्फ सच्चाई और दिल को छूने वाली गहराई होनी चाहिए, और यही बात "दिल दोस्ती फाइनेंस" को खास बनाती है।

 

​शो के प्रीमियर में फिल्म और टीवी जगत की कई जानी-मानी हस्तियाँ मौजूद थीं, जिनमें राहुल बग्गा, ऋचा मीना, कामाक्षी भट्ट, निर्मिका सिंह, अमरजीत सिंह, सुमित, सुरेश कुमार और साहिल सिंह सेठी शामिल थे। इन सभी ने इस नई कोशिश की सराहना की।

 

​"दिल दोस्ती फाइनेंस" एक ऐसी कहानी है जो आधुनिक दर्शकों से सीधा जुड़ाव रखती है, जो लंबी और जटिल कहानियों की बजाय कम समय में एक गहरा संदेश देने वाले कंटेंट को पसंद करते हैं। यह शो दिखाता है कि छोटी स्क्रीन पर भी बड़ी कहानियाँ कही जा सकती हैं।

 

हमारी कहानियां वर्टिकल होंगी

शुक्रवार, 1 अगस्त 2025

मंडला मर्डर्स समीक्षा: गजब का थ्रिलर और शरत सोनू का दमदार अभिनय

 


अमरनाथ

नेटफ्लिक्स की मंडला मर्डर्स, मर्दानी 2 के डायरेक्टर गोपी पुथरन की बनाई हुई, एक जबरदस्त थ्रिलर सीरीज है जो अपनी पेचीदा कहानी और शानदार एक्टिंग से दर्शकों को बांधे रखती है। ये सीरीज भारतीय पौराणिक कहानियों और आज के रहस्य का एकदम अनोखा मिक्स है, जिसमें शरत सोनू का प्रमोद साहनी का किरदार चमकता है। उनकी एक्टिंग की हर तरफ तारीफ हो रही है, और बॉलीवुड में लोग कह रहे हैं कि ये सीरीज शरत सोनू के करियर को नई बुलंदियों तक ले जा सकती है।

मंडला मर्डर्स की कहानी चरणदासपुर नाम के एक काल्पनिक शहर से शुरू होती है, जहां तालाब में एक सिर कटी लाश मिलने से हत्याओं का सिलसिला शुरू हो जाता है। ये कहानी 1950 के दशक के एक सीक्रेट पंथ, अयस्ता मंडला, से जुड़ी है, जो एक डार्क भगवान यस्त की पूजा करता है और बलिदान के बदले इच्छाएं पूरी करने का दावा करता है। ये आठ-एपिसोड की सीरीज समय की सारी हदें तोड़ देती है, आजादी के बाद के भारत से लेकर आज के डरावने वक्त तक की सैर कराती है। चूंकि सीरीज बहुत टेंस है, इसलिए दर्शक भी कहानी के साथ टेंस हो जाते हैं। लेकिन शरत सोनू का प्रमोद साहनी का किरदार इस टेंशन में एक नई गहराई लाता है और दर्शकों को हर पल स्क्रीन से जोड़े रखता है

।मंडला मर्डर्स की सिनेमैटोग्राफी और विजुअल्स कमाल के हैं। चरणदासपुर की धूल भरी गलियां, डरावने जंगल, और पंथ के सीक्रेट ठिकाने इस कहानी को एकदम भारतीय और पौराणिक फील देते हैं। शरत सोनू की मौजूदगी और सिनेमैटोग्राफी का कमबिनेशन हर सीन को यादगार बना देता है।सीरीज में आघात, जाति, पितृसत्ता, समाज का पतन, और आध्यात्मिक खोज जैसे कई टॉपिक्स को बहुत अच्छे से दिखाया गया है। इसका टाइमलाइन बदलने वाला स्टाइल कहानी को और मजेदार बनाता है। शरत सोनू का रोल इस पेचीदा कहानी को और दमदार बनाता है। उनकी एक्टिंग और स्क्रीन पर एनर्जी हर बार कहानी को ताजा रखती है।वैभव राज गुप्ता (विक्रम सिंह) अपनी शांत लेकिन गहरी एक्टिंग से सीरीज को मजबूती देते हैं। वाणी कपूर (रिया थॉमस) अपने रोल में संयम और ताकत का मिक्स लाती हैं, खासकर अपने डबल रोल में। सुरवीन चावला (अनन्या) अपने किरदार में टेंशन और रहस्य का तड़का लगाती हैं। लेकिन इन सबके बीच शरत सोनू का प्रमोद साहनी सबसे अलग चमकता है।


सीरीज में हिंसा का चित्रण कहानी के मूड के हिसाब से बिल्कुल फिट है। सिर कटी लाशें, कटे हुए अंगूठे, और सिले हुए अंग कहानी के डरावने माहौल को और बढ़ाते हैं। शरत सोनू के सीन्स में ये हिंसा उनके किरदार की गहराई के साथ मिलकर एक अलग ही इम्पैक्ट छोड़ती है। उनकी एक्टिंग हिंसा और रहस्य के बीच भी अपने किरदार की इंसानियत को बरकरार रखती है, जो दर्शकों को दिल से जोड़ता है।मंडला मर्डर्स में शरत सोनू का परफॉर्मेंस उनके करियर का एक बड़ा टर्निंग पॉइंट है। प्रमोद साहनी के किरदार ने न सिर्फ दर्शकों का दिल जीता है, बल्कि बॉलीवुड में उनकी तारीफों के ढेर लग गए हैं। इंडस्ट्री में लोग कह रहे हैं कि ये सीरीज उनके करियर को नई हाइट्स देगी। उनकी गजब की एक्टिंग और स्क्रीन पर नेचुरल स्टाइल उन्हें आने वाले बड़े रोल्स के लिए तैयार करता है।



मर्डर्स एक शानदार और गजब का थ्रिलर है जो अपनी अनोखी कहानी, कमाल की सिनेमैटोग्राफी, और दमदार एक्टिंग से दर्शकों को बांधे रखता है। शरत सोनू का प्रमोद साहनी का किरदार इस सीरीज का सबसे बड़ा हाईलाइट है। उनकी गहरी और दमदार एक्टिंग हर सीन को यादगार बनाती है। ये सीरीज न सिर्फ एक रहस्यमयी थ्रिलर है, बल्कि शरत सोनू के करियर का एक चमकता सितारा भी है। मंडला मर्डर्स हर उस शख्स के लिए जरूर देखने लायक है जो एक मजेदार कहानी और शानदार एक्टिंग का मजा लेना चाहता है।

स्वर्ण जयंती वर्ष का झारखंड : समृद्ध धरती, बदहाल झारखंडी

  झारखंड स्थापना दिवस पर विशेष स्वप्न और सच्चाई के बीच विस्थापन, पलायन, लूट और भ्रष्टाचार की लाइलाज बीमारी  काशीनाथ केवट  15 नवम्बर 2000 -वी...