देवेंद्र गौतम
रांची। बिरसा की मूर्ति को क्षति पहुंचाने वालों ने सिर्फ झारखंड की 3
करोड़ की आबादी की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाई है, पूरे राष्ट्र की भावनाओं के
साथ खिलवाड़ किया है। वे किसी समुदाय विशेष के नहीं आजादी की हवा में सांस लेने वाले हर भारतवासी के महानायक हैं। इसके
पीछे सिर्फ वोटों की राजनीति है। जिस भी राजनीतिक दल अथवा संगठन का इसमें हाथ है उसका
पर्दाफाश करना सिर्फ सरकार की नहीं हर नागरिक की जिम्मेवारी है और जिस किसी
व्यक्ति ने इसमें भूमिका निभाई है, उसे सरेआम सज़ा देनी चाहिए। जिस संगठन ने यह
साजिश रची है उसका पूरी तरह सामाजिक बहिष्कार कर दिया जाना चाहिए। यदि वह कोई
राजनीतिक दल है तो उसके कार्यक्रमों में कोई हिस्सेदारी न हो। चुनाव में उतरे तो
उसके प्रत्याशियों को एक भी वोट नहीं दिया जाना चाहिए। तभी उन्हें अपनी करतूत का
वास्तविक फल मिलेगा। इस तरह की साज़िशों का अंत होगा। भावुकता में बहकर यदि हम आपा
खो बैठेंगे तो शरारती तत्वों की मंशा को पूरी कर रहे होंगे। यही तो उनका मकसद है।
यह समय संयम के साथ उनकी पहचान करने और सही तरीके से दंडित करने का है।
राजनीति का स्तर इतना नीचे गिर चुका है कि सत्ता के लिए लोग कुछ भी
करने में शर्म महसूस नहीं करते। कभी मंदिर में गोमांस तो कभी मस्जिद में सूअर का
मांस फेंका जाता है। यह काम आम जनता कभी नहीं करती। किसी न किसी संगठन का हाथ होता
है। सिर्फ ध्रुर्वीकरण करना और इसका राजनीतिक लाभ उठाना इसका मकसद होता है। वे
जानते हैं कि भारत के लोग दिमाग से कम दिल से ज्यादा काम लेते हैं। इसे समझने की
जरूरत है। भावनाओं के साथ खिलवाड़ का जवाब भावनाओं में बहकर नहीं दिया जा सकता।
इसका जवाब सिर्फ संयम के साथ दिया जा सकता है। धीरे-धीरे आम जनता संयमित हो रही
है। 90 के दशक में जहां जरा-जरा सी बात पर पूरे देश में दंगा भड़क उठता था, अब
नहीं भड़कता। थोड़ा तनाव उत्पन्न होता है लेकिन नियंत्रित हो जाता है। अब संयम के
साथ साजिशों को भंडाफोड़ की जरूरत है।
