रांची। आज के दौर में कोई महिला घर-गृहस्थी के साथ समाज के विकास में भी योगदान देना अपना कर्तव्य समझें तो उसका नमन किया जाना चाहिए। समाज की महत्ता को समझते हुए देशहित व समाज हित में लगे रहना व्यक्ति की महानता का परिचायक होता है। अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों को बखूबी निभाते हुए सामाजिक दायित्वों के प्रति भी सक्रिय रहना समाज के प्रति इंसान के जुड़ाव को दर्शाता है। ऐसी ही एक शख्सियत हैं राजधानी के अरगोड़ा क्षेत्र की निवासी समाजसेवी व प्रख्यात शिक्षाविद् आभा रंजन। वह समाज हित में समर्पित रहती हैं। राष्ट्र हित को सर्वोपरि मानती हैं। उनकी प्रारंभिक शिक्षा खूंटी स्थित उर्सुलाइन कान्वेंट से हुई। खूंटी के बिरसा कॉलेज से उन्होंने इंटरमीडिएट किया। तत्पश्चात रांची विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल की। इसके बाद भी उच्च शिक्षा प्राप्त करने की उनकी ललक बढ़ती गई। उन्होंने स्नाकोत्तर (एमएससी वनस्पति शास्त्र) किया। रांची विश्वविद्यालय से बीएड की परीक्षा में प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण हुईं। वह बचपन से ही पढ़ने-लिखने में तेज-तर्रार रही हैं। वर्तमान में वह रांची के प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान मारवाड़ी कॉलेज के इंटरमीडिएट साइंस की व्याख्याता हैं। अपने कर्तव्यों के प्रति सदैव सजग रहते हुए समाज के कमजोर तबके के लोगों की सहायता के लिए भी तत्पर रहती हैं। अपने घरेलू व प्रोफ़ेशनल कार्यों को निपटा कर वह अरगोड़ा, और कुंज बिहार के आसपास की बस्तियों में गरीब आदिवासी बच्चों को जाकर नि:शुल्क पढ़ाती हैं। यहां तक कि अपने घर में काम करने वाली को भी उन्होंने ग्रैजुएशन तक की शिक्षा दिलवाई। आगे भी उसे शिक्षा के प्रति प्रेरित कर रही हैं। इनका मुख्य शौक रहा है शिक्षा दान। आभा रंजन बताती हैं कि शिक्षा दान से ज्ञान बढ़ता है। समाज में प्रत्येक व्यक्ति को शिक्षा दान करना चाहिए। खासकर गरीब बच्चों को। उन्हें कोई देखने वाला, कोई बताने वाला नहीं होता है। इनके पिता एस एन प्रसाद बिरसा कॉलेज, खूंटी में प्राचार्य थे। आभा अपना रोल मॉडल अपने पिताजी को मानती है। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में खूंटी जैसे पिछड़े जिले में काफी उल्लेखनीय योगदान दिया। आभा अपना आदर्श इंदिरा गांधी, किरण बेदी और लता मंगेशकर को मानती हैं। वह एक कुशल गृहिणी हैं। उन्होंने अपने लड़के को संस्कार युक्त शिक्षा देने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रखा। बड़े बेटे आभास को किट यूनिवर्सिटी के इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला दिलाया है और छोटा बेटा प्रभास स्थानीय स्कूल में दसवीं में अध्ययनरत है। आभा के पति राकेश रंजन ऊर्जा के क्षेत्र के अग्रणी कंपनी टाटा पावर में क्षेत्रीय प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए आभा को अखिल भारतीय कायस्थ महासभा द्वारा सम्मानित भी किया गया है। शिक्षा के क्षेत्र में और समाज सेवा ज्यादा से ज्यादा कर सकें, यही इनकी महत्वाकांक्षा है। भविष्य में गरीब बच्चों के लिए ट्यूशन सेंटर या स्कूल खोलने की इनकी योजना है। वह कहती हैं कि अपने कर्तव्यों के प्रति सदैव सजग रहते हुए मानवता की सेवा में लगे रहना चाहिए। इससे हमारा देश व समाज सशक्त होगा। सामाजिक समरसता बनी रहेगी। मानव जीवन का लक्ष्य भी यही होना चाहिए।
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गुरुवार, 22 अगस्त 2019
घर,परिवार ही नहीं समाज को भी संस्कारित कर रही हैं आभा रंजन
रांची। आज के दौर में कोई महिला घर-गृहस्थी के साथ समाज के विकास में भी योगदान देना अपना कर्तव्य समझें तो उसका नमन किया जाना चाहिए। समाज की महत्ता को समझते हुए देशहित व समाज हित में लगे रहना व्यक्ति की महानता का परिचायक होता है। अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों को बखूबी निभाते हुए सामाजिक दायित्वों के प्रति भी सक्रिय रहना समाज के प्रति इंसान के जुड़ाव को दर्शाता है। ऐसी ही एक शख्सियत हैं राजधानी के अरगोड़ा क्षेत्र की निवासी समाजसेवी व प्रख्यात शिक्षाविद् आभा रंजन। वह समाज हित में समर्पित रहती हैं। राष्ट्र हित को सर्वोपरि मानती हैं। उनकी प्रारंभिक शिक्षा खूंटी स्थित उर्सुलाइन कान्वेंट से हुई। खूंटी के बिरसा कॉलेज से उन्होंने इंटरमीडिएट किया। तत्पश्चात रांची विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल की। इसके बाद भी उच्च शिक्षा प्राप्त करने की उनकी ललक बढ़ती गई। उन्होंने स्नाकोत्तर (एमएससी वनस्पति शास्त्र) किया। रांची विश्वविद्यालय से बीएड की परीक्षा में प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण हुईं। वह बचपन से ही पढ़ने-लिखने में तेज-तर्रार रही हैं। वर्तमान में वह रांची के प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान मारवाड़ी कॉलेज के इंटरमीडिएट साइंस की व्याख्याता हैं। अपने कर्तव्यों के प्रति सदैव सजग रहते हुए समाज के कमजोर तबके के लोगों की सहायता के लिए भी तत्पर रहती हैं। अपने घरेलू व प्रोफ़ेशनल कार्यों को निपटा कर वह अरगोड़ा, और कुंज बिहार के आसपास की बस्तियों में गरीब आदिवासी बच्चों को जाकर नि:शुल्क पढ़ाती हैं। यहां तक कि अपने घर में काम करने वाली को भी उन्होंने ग्रैजुएशन तक की शिक्षा दिलवाई। आगे भी उसे शिक्षा के प्रति प्रेरित कर रही हैं। इनका मुख्य शौक रहा है शिक्षा दान। आभा रंजन बताती हैं कि शिक्षा दान से ज्ञान बढ़ता है। समाज में प्रत्येक व्यक्ति को शिक्षा दान करना चाहिए। खासकर गरीब बच्चों को। उन्हें कोई देखने वाला, कोई बताने वाला नहीं होता है। इनके पिता एस एन प्रसाद बिरसा कॉलेज, खूंटी में प्राचार्य थे। आभा अपना रोल मॉडल अपने पिताजी को मानती है। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में खूंटी जैसे पिछड़े जिले में काफी उल्लेखनीय योगदान दिया। आभा अपना आदर्श इंदिरा गांधी, किरण बेदी और लता मंगेशकर को मानती हैं। वह एक कुशल गृहिणी हैं। उन्होंने अपने लड़के को संस्कार युक्त शिक्षा देने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रखा। बड़े बेटे आभास को किट यूनिवर्सिटी के इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला दिलाया है और छोटा बेटा प्रभास स्थानीय स्कूल में दसवीं में अध्ययनरत है। आभा के पति राकेश रंजन ऊर्जा के क्षेत्र के अग्रणी कंपनी टाटा पावर में क्षेत्रीय प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए आभा को अखिल भारतीय कायस्थ महासभा द्वारा सम्मानित भी किया गया है। शिक्षा के क्षेत्र में और समाज सेवा ज्यादा से ज्यादा कर सकें, यही इनकी महत्वाकांक्षा है। भविष्य में गरीब बच्चों के लिए ट्यूशन सेंटर या स्कूल खोलने की इनकी योजना है। वह कहती हैं कि अपने कर्तव्यों के प्रति सदैव सजग रहते हुए मानवता की सेवा में लगे रहना चाहिए। इससे हमारा देश व समाज सशक्त होगा। सामाजिक समरसता बनी रहेगी। मानव जीवन का लक्ष्य भी यही होना चाहिए।
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