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बुधवार, 7 अगस्त 2019

कृषि और खाद्य प्रसंस्कृत उत्पाद निर्यात को लेकर कार्यशाला का आयोजन

उद्योग विभाग के सचिव श्री के रवि कुमार और उद्योग निदेशक मुकेश कुमार ने संबोधित किया
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★ निर्यातकों को माकूल सुविधाएं दे रही सरकार

★ झारखंड के कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादो को विदेशों में मिले बाजार

★ जमशेदपुर में कंटेनर डिपो और साहेबगंज में गंगा नदी पर मल्टी म़ॉडल टर्मिनल से झारखंड के उत्पादों के निर्यात को मिलेगा बढ़ावा

★ राज्य में 73 फूड प्रॉसेसिंग यूनिटों से कृषिगत उत्पादों को हो रहा बेहतर इस्तेमाल, किसानों को भी हो रहा फायदा

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जमशेदपुर। झारखंड में कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात की काफी संभावनाएं हैं. इसे बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार लगातार प्रयास कर रही है. इस दिशा में 73 फूड प्रोसेसिंग यूनिट सफलतापूर्वक काम कर रहा है और 43 यूनिटों को खोलने की प्रक्रिया चल रही है. इसके साथ कृषि उत्पादों के निर्यात के लिए साहेबगंज जिले में गंगा नदी पर मल्टी मॉडल टर्मिनल लगभग बनकर तैयार है और अक्टूबर में इसका उद्घाटन होने की संभावना है. जमशेदपुर जिले में भी कंटनेर डिपो को सितंबर माह में चालू कर दिया जाएगा. उद्योग विभाग के सचिव के रवि कुमार ने बुधवार को होटल होलिडे होम में प्रमोशन आफ एग्रीकल्चरल एंड प्रोसिस्ड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट पर आयोजित कार्यशाला को संबोधित करते हुए ये बातें कही. कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात प्राधिकरण (एपीईएडी) के सहयोग से आय़ोजित इस कार्यशाला में उन्होंने कहा कि किसानों की समृद्धि और उनकी आय़ को 2022 तक दोगुना करने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए कृषि उत्पादों का निर्यात करने वालों को सरकार की ओर से सभी जरुरी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है.

राज्य से सालाना 8500 करोड़ रुपए का हो रहा निर्यात

उद्योग सचिव ने बताया कि झारखंड से हर साल लगभग 8500 करोड़ रुपए का निर्यात हो रहा है. अब सरकार का जोर कृषिगत उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने पर है. इस दिशा में फूड प्रॉसेसिंग पॉलिसी क्रियान्वित की गई है. इसमें सिंगल विंडो सिस्टम के जरिए यूरोप और गल्फ कंट्री समेत अन्य देशों में निर्यातकों को यहां के उत्पादों के साथ निर्यात करने की सभी जानकारी मुहैय्या कराई जा रही है. इतना ही नहीं, यहां के किसानों को बेहतर तरीके से कृषि करने की जानकारी लेने के लिए इजरायल भी भेजा गया. वहां से प्रशिक्षण लेकर आए किसान अन्य किसानों के प्रशिक्षित कर रहे हैं कि कैसे जमीन और जल प्रबंधन कर ज्यादा सेज ज्यादा फसलों का उत्पादन किया जा सकता है. यहां के कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों की जानकारी विदेशों तक पहुंचाने और एक्सपोटर्स और किसानों को उत्पादन और बाजार के बारे में बताने के लिए ग्लोबल फूड समिट का आयोजन किया गया. सरकार के इन प्रयासों का नतीजा है कि कृषिगत उत्पादों खासकर वेजिटेबल्स के निर्यात को लेकर एंटरप्रेन्योर्स में रुचि जगी है और वे लगातार आगे आ रहे हैं.

 झारखंड के वेजिटेबल्स के विदेशों में निर्यात की है काफी संभावनाएं

उद्योग विभाग के निदेशक श्री मुकेश कुमार ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि झारखंड में वेजिटेबल्स उत्पादों के विदेशों में निर्यात की काफी संभावनाएं हैं. यहां की मिट्टी और मौसम कटहल, मटर, बीन, ईमली, भिंडी आदि के उत्पादन के लिए काफी अनुकूल है. ऐसे में अंतराराष्ट्रीय मानकों के अनुकूल इसका उत्पादन, क्वालिटी और पैकेजिंग कर निर्यात किया जा सकता है. उन्होंने कार्य़शाला मे फूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र में कार्य कर रहे स्टेक होल्डर्स को सरकार द्वारा दी जा रही सुविधाओं का लाभ उठाते हुए इस दिशा में आगे आऩे के लिए प्रेरित किया. उन्होंने निर्यात के क्षेत्र में काम कर रहे एंटरप्रेन्योर्स से कहा कि वे जिन किसानों से उत्पाद खरीदते हैं उसका बाजार मूल्य से 10 से 15 प्रतिशत ज्यादा कीमत उन्हें दे, ताकि वे इन उत्पादों के उत्पादन को और बढ़ाएं. इतना ही नहीं, किसानों को अपने साथ कनेक्ट करते हुए उन्हें निर्यात के लिहाज से उत्पादों की खेती के लिए प्रशिक्षण भी दें.

इस कार्यशाला को कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात प्राधिकरण (एपीईएडी) की असिस्टेंट जेनरल मैनेजर श्रीमती समिधा गुप्ता ने भी संबोधित किया. इसके अलावा निर्यातक व जेसीबी एग्रो फ्रेश के रितम सिन्हा और आल सेशन फार्म फ्रेश के मोहम्मद अब्दुल हमीद ने भी अपने विचारों को साझा किया. इस मौके पर फूड प्रॉसेसिंग के क्षेत्र में काम कर रहे एंटरप्रेन्योर्स और स्टेक होल्डर्स भी मौजूद थे.

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