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शनिवार, 15 जून 2019

साजिशकर्ताओं का चेहरा बेनकाब करने की जरूरत



बिरसा मूर्ति प्रकरण


देवेंद्र गौतम
बिरसा मुंडा की मूर्ति तोड़े जाने के विरोध में 15 संगठनों द्वारा आहुत रांची बंद ज्यादा असरदार नहीं हो सका। यह पुलिस प्रशासन की चौकसी का नतीजा था अथवा आदिवासी संगठनों की जनता पर कमजोर होती पकड़ का सूचक, चिंतन का विषय है। इतना निश्चित हो गया कि झारखंड के लोग चुनाव की पूर्व बेला में इस तरह की हरकतों का मतलब समझने लगे हैं। यह वोटों के ध्रुवीकरण की बहुत पुरानी तकनीक है जो पूरी तरह घिस-पिट चुकी है। 90 के दशक का उन्माद 2019 में नहीं भड़क पाता। लोकसभा चुनाव के पूर्व भी सांप्रदायिक दंगे कराने की भरपूर कोशिश की गई थी लेकिन सफलता नहीं मिली। कुछ समय के लिए तनाव उत्पन्न हुए लेकिन विकराल रूप धारण नहीं कर सके। बिरसा मूर्ति प्रकरण में भी षड़यंत्रकारियों के मंसूबे पूरे नहीं हो सके। सरकार की पहल पर मूर्ति के टूटे हुए हिस्से की मरम्मत करा ली गई। राज्य सरकार ने वहां कांस्य मूर्ति स्थापित करने की घोषणा की। कहीं न कहीं यह भी जख्मों पर मरहम का काम कर गया।
इसमें कोई संदेह नहीं कि यह राजनीतिक उद्देश्यों से रची गई एक साजिश थी। कुछ माह बाद विधानसभा चुनाव होने हैं और लोकसभा चुनाव से यह साफ हो गया कि अब जाति, घर्म, क्षेत्र, नस्ल आदि की दीवारें ढह चुकी हैं। वोट बैंक जैसी कोई चीज शेष नहीं बची है। फिर भी यह स्पष्ट है कि बिरसा की मूर्ति तोड़ने के पीछे आदिवासियों को भड़काने और उनका वोट साधने की मंशा थी। बिरसा को राष्ट्रनायक से जातिनायक बनाने की कोशिश, जो विफल हो गई। बिरसा मुंडा स्वतंत्रता संग्राम के ऐसे महानायक हैं जिनके प्रति देश के उन हिस्सों के लोगों के मन में भी श्रद्धा और आदर का भाव है जिनका झारखंड से अथवा आदिवासी समाज से कोई सरोकार नहीं रहा है।
बहरहाल इस घटना को किन लोगों ने अंजाम दिया इसकी गहन जांच होनी चाहिए। कानूनी कार्रवाई तो होनी ही चाहे लेकिन देशवासियों के समक्ष उनका चेहरा बेनकाब किया जाना चाहिए ताकि इस तरह की हरकतें करने वालों को सबक मिले।

भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा क्षतिग्रस्त होना सरकार की लापरवाहीः आदित्य विक्रम जायसवाल

भाजपा आस्था के साथ कर रही है खिलवाड़



रांची। कांग्रेस के पूर्व सचिव एवं भगवान बिरसा मुंडा समाधि के लिए जमीन दान करता आदित्य विक्रम जायसवाल ने कहा कि कोकर स्थित बिरसा मुंडा समाधि स्थल में बने भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा की कुछ हिस्सा क्षतिग्रस्त होकर गिर जाना भाजपा सरकार एवं नगर विकास मंत्री सीपी सिंह की घोर लापरवाही तथा सरकार की विफलता है। भाजपा सरकार झारखंडी एवं आदिवासी समाज की आस्था के साथ खिलवाड़ कर रही है। विगत 09 जून को भाजपा सरकार ने पूरी ताम-झाम के साथ उनकी पुण्यतिथि मनाई लेकिन दौरान बिरसा समाधि स्थल की मजबूती एवं प्रतिमा रख-रखाव के प्रति कोई ध्यान नहीं दिया। जिनका खमियाजा आज भुगतनाा पड़ा, इस घटना से झारखंडियों को शर्मशार होना पड़ रहा है।

आदित्य विक्रम जायसवाल ने कहा कि नगर विकास मंत्री सीपी सिंह के लापरवाही के कारण स्वतंत्रता सेनानी शहीद भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा क्षतिग्रस्त हो गई है। भगवान बिरसा मुंडा के एक हाथ में मशाल और दूसरे में धनुष था, जिस हाथ में धनुष था वह हाथ क्षतिग्रस्त होकर नीचे गिर गया है जो राज्य के लिए बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण बात है। उन्होने कहा कि समाजिक संगठन के साथ-साथ समाधि स्थल के केयर टेकर द्वारा भी लगातार सरकार से सीसीटीवी कैमरा लगावाने की मांग करते रहे लेकिन अभी तक नगर विकास मंत्री समाधि स्थल पर सीसीटीवी नहीं लगा पाये अगर आज सीसीटीवी लगा रहता तो प्रतिमा कैसे एवं कौन क्षतिग्रस्त किया यह पता चल जाता।

सुबोध कांत सहाय ने कहा कि  भाजपा सरकार सिर्फ शहीदों के नाम पर वोट मांगने तक का रिश्ता है, वीर शहीदों की रख-रखाव एवं सुरक्षा के प्रति उनका घोर उदासिनता रहती है। सरकार सिर्फ दिखावा के नाम पर उनकी शहीदों की जयंती एवं पुण्यतिथि मनाती है। ताकि जनता को लगे कि सरकार शहीदों को याद करती है, उनके विचार-धारा को मानती है। भाजपा सरकार शहीदों के नाम पर सिर्फ ढकोसला कर रही है।

आदित्य विक्रम जायवाल ने सरकार सरकार अविलंब मांग करती है कि भगवान बिरसा मुंडा समाधि स्थल, कोकर में सीसीटीवी कैमरा लगाया जाए, क्षतिग्रस्त प्रतिमा को अविलंब ठीक किया जाए, आस-पास साफ-सफाई रेगुलर किया जाए, भगवान बिरसा मुंडा के प्रति जो गहरी आस्था उसे कायम रखने का काम करें। इसके साथ राज्य के तमाम वीर शहीदों की प्रतिमा की सुरक्षा की जिम्मेवारी उठायें। उन्होंने कहा कि अगर भाजपा सरकार जनभावनाओं को ठेस पहुंचाने का काम करती है तो जनता सरकार को उखाड़ फेंकेगी।
इस मौके पर कांग्रेस के योगेंद्र सिंह बेनी, टिंकू वर्मा ,आसिफ जियाउल, अनिल सिंह, राहुल राय, चिंटू चौरसिया, अमरजीत सिंह ,प्रेम कुमार ,परीक्षित कुमार इत्यादि लोग शामिल थेl

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