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बुधवार, 1 अगस्त 2018

एनआरआई विवाह विवाद में बच्चे की अभिरक्षा मामलों में ‘मध्यस्थता प्रकोष्ठ’ का होगा गठन



 मध्यस्थता प्रकोष्ठ तैयार करेगा अभिभावक योजना : मेनका गांधी
नई दिल्ली। केन्द्र सरकार के महिला व बाल विकास मंत्रालय ने बाल अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम (सीपीसीआर) 2005 में प्रद्त अधिकारों के आधार पर एनसीपीसीआर को एक मध्यस्थता प्रकोष्ठ गठन करने का निर्देश दिया है। विवाह विवाद में एक पक्ष दूसरे पक्ष को बिना बताए बच्चे को लेकर चले जाते हैं या भारत में विदेश से घरेलू हिंसा होती है या भारत से विदेश में घरेलू हिंसा की जाती है-ऐसे मामलों के समाधान के लिए मध्यस्थता प्रकोष्ठ का गठन किया गया है। यह प्रकोष्ठ बच्चे के सर्वोच्च हितों का ध्यान में रखते हुए फैसला लेगी और अभिभावक योजना तैयार करेगी।
एनसीपीसीआर में मध्यस्थता प्रकोष्ठ की संरचना निम्न होगी-
  1. एनसीपीसीआर के चेयरमैन - चेयरमैन
  2. एनसीपीसीआर सदस्य (बच्चों के अधिकार) – सदस्य
  3. एनसीपीसीआर सदस्य (बच्चों का मनोविज्ञान – समाजशास्त्र) – सदस्य
इन मामलों से संबंधित सभी विवादों पर महिला व बाल विकास मंत्रालय की एकीकृत नोडल एजेंसी (आईएनए) विचार करेगी, जिसका गठन 20 दिसंबर 2017 को किया गया था।
महिला व बाल विकास मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर कहा है कि अभिभावक या माता-पिता एकीकृत नोडल एजेंसी में आवेदन कर सकते हैं। बच्चे या बच्चे के संरक्षक को भी प्रस्तुत किया जा सकता है। आईएनए का गठन एनआरआई विवादों का समाधान करने के लिए किया गया है। इस प्रकार आईएनए की कार्यसीमा में विस्तार हुआ है।
प्रकिया के तहत आईएनए मामले की अनुशंसा एनसीपीसीआर को करेगी जो दोनों पक्षों के सभी मामलों पर मध्यस्थता करेगी। वीडियो काफ्रेंसिंग के जरिए भी प्रतिनिधित्व करने की स्वीकृति दी गयी है। मध्यस्थता प्रकोष्ठ बच्चे के हितों को ध्यान में रखते हुए अभिभावक योजना बनाएगा और अपनी रिपोर्ट आईएनए को सौंपेगा। आईएनए आदेश जारी करेगा। आईएनए के आदेश को न्यायालय की कार्यवाही में हस्तक्षेप नहीं माना जाएगा।
केन्द्रीय महिला व बाल विकास मंत्री श्रीमती मेनका संजय गांधी ने कहा है कि इस प्रक्रिया का उद्देश्य स्थिति का संपूर्ण आंकलन करना है और बच्चे के सर्वोच्च हितों को ध्यान में रखते  हुए अभिभावक योजना तैयार करना है। मंत्री महोदया ने कहा कि एनसीपीसीआर के द्वारा की जाने वाली मध्यस्थता से अधिकांश विवादों का समाधान हो जाएगा। यह बच्चे और दोनों पक्षों के लिए राहत की बात होगी।

मंगलवार, 17 जुलाई 2018

महिला सुरक्षा के लिए बेहतर बुनियादी ढांचा का विकासः मेनका गांधी

महिला और बाल विकास मंत्रियों की उच्च स्तरीय राष्ट्रीय बैठक

नई दिल्ली। देश के विभिन्न राज्यों के महिला और बाल विकास मंत्रियों की एक उच्च स्तरीय राष्ट्रीय बैठक आज नई दिल्ली में आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका संजय गांधी ने की। बैठक में महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री डॉ. विरेन्द्र कुमार भी मौजूद थे। बैठक में बिहार, दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, असम, त्रिपुरा, मेघालय और मणिपुर के मंत्रियों ने भाग लिया। शेष राज्यों की तरफ से महिला और बाल विकास विभाग के सचिव तथा अन्य उच्च स्तरीय अधिकारियों ने बैठक में हिस्सा लिया। राष्ट्रीय स्तर की बैठक का आयोजन महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के मुद्दे के साथ-साथ पोषण अभियान से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने के उद्देश्य से किया गया था। बैठक में इन मुद्दों के प्रभावी कार्यान्वयन और आगे बढ़ाने के लिए राज्य सरकारों के समर्थन के बारे में भी चर्चा की गई।
बैठक को संबोधित करते हुए मेनका गांधी ने कहा कि पिछले 4 वर्षों के दौरान केंद्र सरकार महिला और बाल सुरक्षा, गोद लेने, पोषण तथा महिलाओं की सुरक्षा सहित अन्य मुद्दों को लेकर पूरी मेहनत से कार्य कर रही है। बैठक का एजेंडा निर्धारित करते हुए मेनका गांधी ने मंत्रालय द्वारा अर्जित की गई विभिन्न उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि महिला सुरक्षा के लिए बुनियादी ढांचे को बेहतर करने के लिए चंडीगढ़ तथा अन्य स्थानों पर फोरेंसिक प्रयोगशालाओं की क्षमता 1500 नमूनों से बढ़ाकर 50,000 तक की जा रही है। उन्‍होंने महिला सुरक्षा के मामलों से संबंधित जांच में तेजी लाने के लिए प्रत्‍येक राज्‍य से अपने खुद के फोरेंसिक प्रयोगशालाओं को स्‍थापित करने का आग्रह किया।
मंत्री महोदया ने बाल उत्‍पीड़न से संबंधित मुद्दों की ओर राज्‍यों का ध्‍यान आकृष्‍ट किया और बाल उत्‍पीड़न पर बच्‍चों से आने वाली शिकायतों के लिए ई-बॉक्‍स; एवं कार्य स्‍थल पर महिलाओं के यौन उत्‍पीड़न के लिए शी-बॉक्‍स ऑनलाइन शिकायत पोर्टल के बारे में सूचना का व्‍यापक प्रसार करने की अपील की। उन्‍होंने राज्‍यों से पुलिस बल में म‍हिलाओं की 33 प्रतिशत भागीदारी कार्यान्वित करने की भी अपील की जिससे कि अपराधों द्वारा प्रभावित महिलाओं के लिए एक निर्भीक वातावरण बनाया जा सके। उन्‍होंने राज्‍यों से महिला सरपंचों को प्रशिक्षित करने का भी आग्रह किया जिससे कि उन्‍हें प्रभावी तरीके से गांवों को अभिशासित करने में समर्थ बनाया जा सके।
बाल सुरक्षा एवं गोद लेने के बारे में चर्चा करते हुए, मंत्री महोदया ने प्रतिभागियों का ध्‍यान राज्‍य में सभी शिशु देखभाल संस्‍थानों में अनिवार्य रूप से पंजीकृत कराने तथा समुचित निगरानी के लिए उन्‍हें कारा के साथ जोड़ने की ओर आकृष्‍ट कराया। उन्‍होंने यह भी कहा कि राज्‍यों को पालना केन्‍द्रों में निवेश करने की आवश्‍यकता है जिससे कि गोद लेने के लिए और अधिक परित्‍यक्‍त बच्‍चों के लिए उपलब्ध बनाया जा सके। जिन अन्‍य मुद्दों पर चर्चा की गई, उनमें स्‍कूलों में अच्‍छे एवं बुरे स्‍पर्श पर एक लघु फिल्‍म कोमल का निर्माण, महिलाओं के लिए राज्‍य राष्‍ट्रीय आयोग का सुदृढ़ीकरण, महिला ई-हाट, राष्‍ट्रीय महिला कोष, तेजाब के हमलों से पीडि़त महिलाओं के लिए पीडि़त क्षतिपूर्ति योजना तथा कामकाजी महिला छात्रावासों के लिए प्रस्‍ताव आदि शामिल हैं। मंत्री महोदया ने राज्‍यों के प्रतिनिधियों से किसी भी सर्वेश्रेष्‍ठ पद्धति एवं नवोन्‍मेषी विचारों को साझा करने को कहा जिससे कि देश में महिला एवं बाल सुरक्षा तथा कल्‍याण के उद्देश्‍यों को पूरा किया जा सके।
महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री डॉ. विरेन्द्र कुमार ने अपने उद्घाटन संबोधन में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा महिलाओं की सुरक्षा एवं हिफाजत के लिए उठाए गए विभिन्‍न उल्‍लेखनीय कदमों को रेखांकित किया। उन्‍होंने कहा कि मातृ वंदना योजना, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, वन स्‍टाप सेंटर, महिला ई-हाट, चाइल्‍ड लाइन, पोक्‍सो ई-बॉक्‍स तथा बच्‍चों के बलात्‍कारियों के लिए मौत की सजा जैसे सख्‍त कदम के प्रकार के कई कार्यक्रमों ने महिला सुरक्षा एवं अधिकारिता के लिए एक वातावरण तैयार कर दिया है।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में सचिव श्री राकेश श्रीवास्‍तव ने कहा कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय संमिलन पर फोकस रखते हुए एक बहु-आयामी दृष्टिकोण के साथ महिलाओं के लिए हिंसा और उत्‍पीड़न मुक्‍त एक सक्षमकारी वातावरण का निर्माण करने के लिए लगातार काम कर रहा है। उन्‍होंने राज्‍यों से महिलाओं एवं बच्‍चों के लिए अनूठी योजनाओं एवं पहलों को सफल बनाने के लिए पूरा समर्थन देने की अपील की।
राज्‍यों के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के मंत्रियों ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा आरंभ की गई योजनाओं तथा उनके संबंधित राज्‍यों में उनके द्वारा कार्यान्वित अन्‍य नवोन्‍मेषी विचारों को आगे बढ़ाने के लिए उनके द्वारा किए गए कार्यों को रेखांकित किया। उन्‍होंने वर्तमान योजना एवं नीतियों में सुधार लाने के लिए बहुमूल्‍य सुझाव भी दिए। राज्‍यों ने सभी शिशु देखभाल संस्‍थानों को पंजीकृत करने तथा उन्‍हें कारा से जोड़ने की नीति का स्‍वागत किया।
यह सम्‍मेलन महिला एवं बाल विकास मंत्री के इस कथन के साथ सम्‍पन्‍न हुआ कि महिलाओं के मुद्दों पर समग्र दृष्टिकोण की आवश्‍यकता है और राज्‍यों को इसमें सक्षम बनाने कि, वे सभी महिला एवं बाल केन्द्रित योजनाओं का पूरी तरह कार्यान्‍वयन करें, के लिए निश्चित रूप से अपना सर्वश्रेष्‍ठ योगदान देना चाहिए।

स्वर्ण जयंती वर्ष का झारखंड : समृद्ध धरती, बदहाल झारखंडी

  झारखंड स्थापना दिवस पर विशेष स्वप्न और सच्चाई के बीच विस्थापन, पलायन, लूट और भ्रष्टाचार की लाइलाज बीमारी  काशीनाथ केवट  15 नवम्बर 2000 -वी...