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रविवार, 17 जुलाई 2011

क्या सचमुच यह कोई खबर थी?



मुंबई सीरियल ब्लास्ट के बाद झारखंड के अख़बारों ने मुख्यपृष्ठ पर सचित्र खबर छापकर एक नया रहस्योद्घाटन किया. खबर यह थी कि जब मुंबई में सीरियल ब्लास्ट हो रहे तो रांची के सांसद और  केन्द्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय दिल्ली के  एक फैशन शो में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत कर रहे थे. यह शो एक पूर्व केंद्रीय मंत्री ने आयोजित किया था. इसे सनसनीखेज़ बनाने के लिए सुबोधकांत सहाय की तसवीर को अलग से घेर दिया गया था ताकि सनद रहे कि यह तसवीर केंद्रीय मंत्री की ही है और मीडिया की तीखी नज़र ने उन्हें रंगे हाथ पकड़ा है. क्या सचमुच यह कोई रहस्य या खबर थी. जब ख़ुफ़िया एजेंसियों या मुंबई पुलिस को यह जानकारी नहीं थी कि सीरियल ब्लास्ट होनेवाले हैं तो भला केंद्रीय पर्यटन मंत्री को दिल्ली में बैठकर यह जानकारी कैसे हो सकती थी कि मुंबई पर आतंकी हमला होने जा रहा है और उन्हें फैशन शो में नहीं जाना चाहिए था. सीरियल ब्लास्ट के समय कौन-कौन से महत्वपूर्ण व्यक्ति कहां-कहां थे इसकी पड़ताल की जाये तो अखबार का एक विशेष बुलेटिन ही निकाला  जा सकता है लेकिन पाठकों को माथापच्ची करनी पड़ जाएगी कि मीडिया के लोग इसके जरिये कहना क्या चाहते हैं? न तो फैशन शो का आयोजन करना प्रतिबंधित है और न ही उसमें शिरकत करना गैरकानूनी. यह कोई अनैतिक कारोबार भी नहीं है. कोई मनोरंजन का आयोजन भी नहीं. फैशन की दुनिया के नए ट्रेंड का प्रदर्शन मात्र. लिहाजा मंत्री का किसी फैशन शो का मुख्य अतिथि बनना कोई हैरत की बात तो नहीं. बिना मतलब बात का बतंगड़ बनाना कहां की पत्रकारिता है. मात्र कीचड उछालना या सनसनी फैलाना स्वस्थ पत्रकारिता का परिचायक नहीं है. इससे परहेज़ किया जाना चाहिए.

----देवेंद्र गौतम

4 टिप्‍पणियां:

  1. मीडिया के आचरण पर दिनोदिन लांछन लग रहे हैं .आपकी बात से १०० %सहमत हूँ .यह कोई खबर नहीं है .मीडिया को अपनी शैली में सुधार करना चाहिए .सार्थक प्रस्तुति .आभार

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  2. मीडिया की भेड़चाल को दर्शाया है आपने। बहुत बढि़या।

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  3. यह कोई ऐसी सनसनीखेज खबर तो नही थी, जितना कि बम ब्‍लास्‍ट। मीडिया को अभी अपना यह फर्ज निभाना चाहिए कि जनता किस प्रकार ऐसी घटनाओं से बचने के लिए सजग रहे, ऐसी जानकारी देनी चाहिए थी।

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  4. जब किसी एक ने इसे खबर बना दिया तो दूसरे कैसे पीछे रहते |
    काम की ख़बरें कम होती हैं और ऐश्वर्या के बच्चे की कुंडली ज्यादा बनती है |

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