यदि आप विदेशी बैंकों से काले धन की वापसी की मांग करते हैं तो आप सरकार की नज़र में एक जघन्य अपराध करते हैं. आपके खिलाफ सरकार के हर विभाग को लगा दिया जायेगा. आपकी जन्म कुंडली खंगाल दी जाएगी. जबतक कांग्रेस की सरकार है न आप महंगाई के खिलाफ शोर मचाएंगे न काले धन का विरोध करेंगे. समझे आप! वरना सोचिये बाबा रामदेव के सहयोगी बालकृष्ण की डिग्री की सीबीआई जांच की जरूरत क्यों पड़ी. क्या वे सरकारी नौकरी करते थे..?...किसी सरकारी नौकरी के लिए आवेदन दिया था...?...नहीं न! अपना जड़ी-बूटी बेचते रहते. योग सिखाते रहते. कोई समस्या नहीं थी. उन्हें काले धन के चक्कर में पड़ने की क्या जरूरत थी...? वैश्वीकरण के युग में किसी ने विदेश में धन रख दिया तो क्या हुआ. सरकार से दुश्मनी..? ...अब भुगतो...श्रीमती गांधी ने आपातकाल के दौरान सत्ता का सही इस्तेमाल सिखा दिया था. क्या हुआ अगर उतनी मजबूत महिला को भी सत्ता से हाथ धोना पड़ गया. जनता सब भूल गयी. फिर उन्हें सिंहासन पर बिठा दिया.
लेकिन एक बात समझ में नहीं आती यार! काले धन की वापसी की मांग पर कांग्रेसी इस तरह क्यों भड़कते हैं जैसे सांड को लाल कपडा दिखा दिया गया हो. अब सत्ता की चाबी सौंप ही दी है तो सरकार को चाहिए कि काले धन को बजाप्ता मौलिक अधिकार का दर्जा दे दें और उसका विरोध करने वाले को कड़ी से कड़ी सजा देने का कानून बना दे. ताकि फिर कोई बाबा रामदेव रामलीला मैदान में बैटिंग करने का दु:साहस न करे. फिर कोई बालकृष्ण उनका विकेटकीपर बनने की घ्रिष्ट्ता न करे.
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