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शुक्रवार, 8 नवंबर 2019

रानी कुमारी ने राजद छोड़ा, झाविमो में शामिल



रांची। झारखंड स्वायत्तशासी परिषद (जैक) की पूर्व पार्षद,समाजसेवी और राजद की कद्दावर नेत्री रानी कुमारी ने झारखंड विकास मोर्चा का दामन थाम लिया है। उन्होंने शुक्रवार को झाविमो सुप्रीमो बाबुलाल मरांडी के समक्ष अपने सैंकड़ों समर्थकों संग झाविमो में शामिल होकर पार्टी की सदस्यता ग्रहण किया। श्री मरांडी ने रानी समेत उनके सभी समर्थकों का स्वागत किया। इस अवसर पर रानी ने कहा कि झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री बाबुलाल मरांडी के नेतृत्व में नवोदित राज्य झारखंड में विकास गति पकड़ रहा था, लेकिन   अवसरवादी और स्वार्थपरक राजनीति के तहत उन्हें राज्य के सर्वांगीण विकास के लिए काम करने का मौका नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि श्री मरांडी की दूरदर्शी सोच से ही झारखंड का कायाकल्प संभव है। झाविमो का पूरे झारखंड में जनाधार है। पार्टी के प्रति जनता का विश्वास बढ़ रहा है। जनहित में झाविमो सुप्रीमो श्री मरांडी ने कई ऐसे उल्लेखनीय कार्य किए हैं, जो मील का पत्थर साबित हुए हैं। इस अवसर पर हीरा शाहदेव, अनिता सिंह, सुचित्रा देवी, सरोज कुजूर, आशारानी खलखो, फूलमनी बारला, दीपिका चौरसिया, सरिता देवी, चिंतामणी देवी,बबली देवी,अजय कुमार, शुभम कुमार, ललिता देवी, हरिदास सहित काफी संख्या में रानी के समर्थक मौजूद थे।

सोमवार, 26 अगस्त 2019

पाला बदलने की तैयारी में कांग्रेस के तीन विधायक!



देवेंद्र गौतम
रांची। कांग्रेस के आठ वर्तमान विधायकों में तीन कभी भी पाला बदल सकते हैं। उनमें बरही विधायक मनोज यादव, लोहरदगा विधायक सुखदेव भगत और पांकी विधायक देवेंद्र सिंह बिट्टू के नाम शामिल हैं। तीनों विधायक भाजपा आलाकमान के संपर्क में बताए जा रहे हैं। एक-दो रोज में इसकी विधिवत घोषणा हो सकती है। यह चर्चा झारखंड में ही नहीं दिल्ली दरबार में भी है। हालांकि विधायकों ने अभी तक ऐसे कोई संकेत नहीं दिए हैं। फिर भी यदि ऐसा हुआ तो कुछ ही माह बाद होने वाले चुनाव में कांग्रेस के प्रदर्शन पर गंभीर असर पड़ेगा।
झारखंड राज्य के गठन से पहले झारखंड में कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा ही मुख्यधारा की पार्टियां हुआ करती थीं। लेकिन झारखंड राज्य के गठन में भाजपा की मुख्य भूमिका होने के कारण वह मुख्यधारा में आ गई। आज स्थिति यह है कि विपक्षी दलों के लिए अपने अस्तित्व की रक्षा करना मुश्किल हो गया है। केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद ऱाज्य में भाजपा और भी मजबूत हो गई है। पहली बार रघुवर दास के नेतृत्व में पूर्ण बहुमत की स्थिर सरकार बनी है जो अपना कार्यकाल पूरा करने जा रही है। 
राजनीतिक स्थिरता के कारण इस अवधि में 14 वर्षों से थमा हुआ विकास का पहिया भी घूमने लगा है। विकास सिर्फ कागजों पर नहीं ज़मीन पर भी दिखने लगा है। इस बीच कांग्रेस, झामुमो, झाविमो आदि विपक्ष की भूमिका में खरे नहीं उतरे। घिसे-पिटे मुद्दों पर ही सरकार को घेरने का प्रयास करते रहे। विधायकों को आज की तारीख में कांग्रेस के अंदर अफना भविष्य संकट में दिखाई दे रहा है। उन्हें सत्ता का स्वाद चखने का अवसर मिलने की निकट भविष्य में कोई संभावना नज़र नहीं  रही है। लिहाजा अपने राजनीतिक करियर के लिए वे भाजपा की ओर आकर्षित हो रहे हैं। बशर्ते उनकी उम्मीदवारी सुनिश्चित रहने की गारंटी हो। कांग्रेस ही नहीं झामुमो और झाविमो के भी कई विधायक भाजपा के संपर्क में बताए जा रहे हैं। चुनाव के पहले काफी फेरबदल की संभावना बनी हुई है।

स्वर्ण जयंती वर्ष का झारखंड : समृद्ध धरती, बदहाल झारखंडी

  झारखंड स्थापना दिवस पर विशेष स्वप्न और सच्चाई के बीच विस्थापन, पलायन, लूट और भ्रष्टाचार की लाइलाज बीमारी  काशीनाथ केवट  15 नवम्बर 2000 -वी...