अपनी सुरमयी गीतों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करने की कला में निपुण हैं निधि कुमारी। वह मखमली आवाज का जादू बिखेरते हुए अपनी गायन प्रतिभा का परचम लहरा रही हैं। उन्हें गाना गाने का शौक बचपन से ही रहा है। वह चक्रधरपुर में पली-बढ़ीं। उनके पिता संजय कुमार चक्रधरपुर रेल मंडल कार्यालय में अधीक्षक के पद पर कार्यरत हैं। वहीं, उनकी माता रीता कुमारी एक कुशल गृहणी हैं। निधि ने चक्रधरपुर स्थित एस ई रेलवे इंग्लिश मीडियम स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा पास की। केन्द्रीय विद्यालय से प्लस टू किया। इसके बाद वह उच्च शिक्षा के लिए जमशेदपुर आ गई। महिला काॅलेज से स्नातक और फिर स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की। पढ़ाई के दौरान भी उनका रुझान गाना के प्रति रहा। उसने चार वर्ष की अल्पायु से ही गाना शुरू किया था। स्कूल व काॅलेज में समय-समय पर होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में वह अपनी गायन प्रतिभा का बखूबी प्रदर्शन करती। कई अवसरों पर सुरों की महफिल में शामिल होकर अपनी गायकी से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर उसने खूब वाहवाही बटोरी। वह अपना आदर्श अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त पार्श्वगायिका लता मंगेशकर को मानती है। वह सोनी टीवी के लोकप्रिय शो इंडियन आइडल में 15 वां स्थान प्राप्त करने में सफल रही। उसका लक्ष्य एक सफल पार्श्वगायिका बनने का है। निधि ने गीत-संगीत को अपने जीवन की साधना मान लिया है। सुरों का जादू उसके सिर चढ़कर बोलता है। वह मां सरस्वती की उपासक हैं। उसके सहपाठी, सखी-सहेली सब उसकी गायन प्रतिभा के कायल हैं। निधि का सपना एक सफल गायक बनने का है। इस दिशा की ओर वह अग्रसर हैं। चक्रधरपुर शहर के निवासी निधि की सफलता पर गर्व करते हुए कहते हैं कि आनेवाले समय में वह गायकी के क्षेत्र में पूरे झारखंड का नाम रौशन करेगी। निधि अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को देती है। वहीं, रेलवे में कार्यरत मौली भट्टाचार्य को वह अपना प्रेरणास्रोत मानती हैं। निधि कहती हैं कि गीत-संगीत एक साधना है। इससे शांति और सुकून मिलता है। तनाव और फुर्सत के क्षणों में कर्णप्रिय गीत और संगीत सुनने से काफी राहत मिलती है। गायन के क्षेत्र में आगे बढ़ते रहना और एक बेहतरीन पार्श्वगायिका का खिताब जीतना उसके जीवन का मुख्य लक्ष्य है।
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मंगलवार, 22 अक्टूबर 2019
सुरों के आसमान की ओर बढ़ती मखमली आवाज़
अपनी सुरमयी गीतों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करने की कला में निपुण हैं निधि कुमारी। वह मखमली आवाज का जादू बिखेरते हुए अपनी गायन प्रतिभा का परचम लहरा रही हैं। उन्हें गाना गाने का शौक बचपन से ही रहा है। वह चक्रधरपुर में पली-बढ़ीं। उनके पिता संजय कुमार चक्रधरपुर रेल मंडल कार्यालय में अधीक्षक के पद पर कार्यरत हैं। वहीं, उनकी माता रीता कुमारी एक कुशल गृहणी हैं। निधि ने चक्रधरपुर स्थित एस ई रेलवे इंग्लिश मीडियम स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा पास की। केन्द्रीय विद्यालय से प्लस टू किया। इसके बाद वह उच्च शिक्षा के लिए जमशेदपुर आ गई। महिला काॅलेज से स्नातक और फिर स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की। पढ़ाई के दौरान भी उनका रुझान गाना के प्रति रहा। उसने चार वर्ष की अल्पायु से ही गाना शुरू किया था। स्कूल व काॅलेज में समय-समय पर होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में वह अपनी गायन प्रतिभा का बखूबी प्रदर्शन करती। कई अवसरों पर सुरों की महफिल में शामिल होकर अपनी गायकी से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर उसने खूब वाहवाही बटोरी। वह अपना आदर्श अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त पार्श्वगायिका लता मंगेशकर को मानती है। वह सोनी टीवी के लोकप्रिय शो इंडियन आइडल में 15 वां स्थान प्राप्त करने में सफल रही। उसका लक्ष्य एक सफल पार्श्वगायिका बनने का है। निधि ने गीत-संगीत को अपने जीवन की साधना मान लिया है। सुरों का जादू उसके सिर चढ़कर बोलता है। वह मां सरस्वती की उपासक हैं। उसके सहपाठी, सखी-सहेली सब उसकी गायन प्रतिभा के कायल हैं। निधि का सपना एक सफल गायक बनने का है। इस दिशा की ओर वह अग्रसर हैं। चक्रधरपुर शहर के निवासी निधि की सफलता पर गर्व करते हुए कहते हैं कि आनेवाले समय में वह गायकी के क्षेत्र में पूरे झारखंड का नाम रौशन करेगी। निधि अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को देती है। वहीं, रेलवे में कार्यरत मौली भट्टाचार्य को वह अपना प्रेरणास्रोत मानती हैं। निधि कहती हैं कि गीत-संगीत एक साधना है। इससे शांति और सुकून मिलता है। तनाव और फुर्सत के क्षणों में कर्णप्रिय गीत और संगीत सुनने से काफी राहत मिलती है। गायन के क्षेत्र में आगे बढ़ते रहना और एक बेहतरीन पार्श्वगायिका का खिताब जीतना उसके जीवन का मुख्य लक्ष्य है।
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2019
अपनी प्रतिभा निखारने और भविष्य को सवांरने में लगी है नन्हीं रिषिका
कहावत है कि पूत के पांव पालने में नज़र आते हैं। हर बच्चे के अंदर बचपन से ही कुछ विशेष गुण होते हैं। उन्हें निखारने की जरूरत पड़ती है। कुछ बच्चे बाल्यावस्था में ही जीवन का लक्ष्य निर्धारित कर अपने कर्तव्य पथ की ओर अग्रसर रहते हैं। महिलौंग (नामकुम-टाटीसिलवे मार्ग) के सीधा टोली निवासी रिषिका सिंह का नाम ऐसे ही बच्चों की श्रेणी में शामिल है। रिषिका महिलौंग स्थित प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान सरला बिरला पब्लिक स्कूल के कक्षा छह की छात्रा है। बचपन से ही पढ़ाई-लिखाई में अव्वल रहने वाली कुशाग्र बुद्धि रिषिका अपने भविष्य और कैरियर के प्रति अभी से ही सजग है। उनके पिता अमित सिंह पत्रकारिता पेशे से जुड़े हैं, वहीं, उनकी माता अभिलाषा सिंह एक कुशल गृहणी हैं। रिषिका के माता-पिता उन्हें सदैव सत्कर्मों के लिए प्रेरित करते रहते हैं। वह स्कूल में अपने शिक्षकों व सहपाठियों के बीच मृदुभाषी, शालीन और अनुशासन प्रिय छात्रा के रूप में जानी जाती है। बहुमुखी प्रतिभा की धनी छात्रा रिषिका समय-समय पर स्कूल में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती है। वह नृत्य-संगीत कला, खेलकूद सहित क्विज प्रतियोगिताओं में भी शामिल होकर अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करती रही हैं। उसने स्कूल में आयोजित अखिल भारतीय हिंदी ओलिंपियाड में तृतीय स्थान प्राप्त किया। वह इंटरनेशनल इंग्लिश ओलंपियाड में द्वितीय और स्पेल बी, हमिंग बर्ड प्रतियोगिता में तृतीय स्थान प्राप्त कर अपनी प्रतिभा का परचम लहराने में सफल रही। स्कूल में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों में रिषिका झारखंडी नृत्य-संगीत कला का उम्दा प्रदर्शन कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने में सफल रही। एक बार स्कूल में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में रिषिका ने झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की भूमिका में अपना किरदार निभाते हुए यह साबित कर दिया कि वह एक उत्कृष्ट कलाकार भी है।
स्कूल के अलावा रिषिका अपने घर में भी पढ़ाई- लिखाई करते हुए अपनी छोटी बहन अन्वी का मार्गदर्शन करते रहती है। वह अपने माता-पिता व गुरुजनों की आज्ञाकारी है। अपने स्वभाव में चांद सी शीतलता लिए रिषिका कहती है कि उसका सपना आईपीएस बनने का है। वह भारतीय पुलिस सेवा में शामिल होकर देश व समाज की सेवा करना चाहती है।
उसकी इस इच्छा को देखते हुए उनके माता-पिता और परिजन भी उसका उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन करते रहते हैं। रिषिका के आदर्श उसके माता-पिता ,गुरुजन और महापुरुष हैं। उसे प्रेरक कहानियां सुनना और ज्ञानवर्धक पुस्तकें पढ़ना अधिक पसंद है। वह कहती हैं कि प्रेरक कहानियां न सिर्फ मन के विकारों को दूर करने में सक्षम होती है, बल्कि जीवन के सकारात्मक उद्देश्य पूरा करने में भी सहायक होती है।
प्रस्तुति : विनीत कुमार (मोनू)
शुक्रवार, 6 सितंबर 2019
पावर लिफ्टिंग में स्वर्ण और रजत पदकों का अंबार लगातीं सुजाता भगत
पावर लिफ्टिंग की राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में गोल्ड और सिल्वर पदकों को अंबार लगाती सुजाता भगत ने उत्कृष्ट प्रदर्शन के जरिए अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाती जा रही हैं। वे चक्रधरपुर निवासी होकर विश्व पटल पर अपना नाम रौशन करने वाली बहुमुखी प्रतिभा की धनी महिला हैं। उनकी प्रारंभिक शिक्षा चक्रधरपुर में हुई। साउथ इस्टर्न रेलवे हाई स्कूल से उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास की। जेएलएन कॉलेज से उन्होंने ग्रैजुएशन किया। शुरु से ही सुजाता खेलकूद के प्रति सक्रिय रही हैं। उनके पिता स्व. रामरंजन भगत व माता बिजली भगत उन्हें उनकी रुचि के मुताबिक खेलकूद में आगे बढ़ने के लिए सदैव प्रेरित करते रहे। शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य बेहतर रखने के प्रति वह बचपन से ही सजग हैं। पढ़ाई पूरी करने के बाद सुजाता झारखंड पुलिस में बहाल हुईं। पुलिस विभाग में अपनी जिम्मेवारियों को बखूबी निभाते हुए वह एथलेटिक्स के प्रति निष्ठा से लगी रहीं। पावर लिफ्टिंग (वेट लिफ्टिंग) को उन्होंने एक प्रकार से अपना कैरियर बना लिया। पुलिस विभाग में सेवा के दौरान सुजाता झारखंड के विभिन्न जगहों पर पदस्थापित रहीं। विगत लगभग 10 वर्षों से पावर लिफ्टिंग के क्षेत्र में उनके बढ़ते कदम और उल्लेखनीय उपलब्धियों से उन्होंने झारखंड सहित पूरे देश का नाम रौशन किया है। वह वर्ष 2011 में जापान में आयोजित एशिया गोल्ड कप में गोल्ड मेडल जीतने में सफल रहीं। इस सफलता से उनका आत्मविश्वास और बढ़ने लगा। इसके बाद वह निरंतर आगे बढ़ती गर्इं। वर्ष 2012 में एशिया क्लासिक गेम्स में पावर लिफ्टिंग में उन्हें पुन: गोल्ड मेडल प्राप्त हुआ। वर्ष 2014 में एशिया-यूरोप के 18 देशों की आमंत्रण पावर लिफ्टिंग प्रतियोगिता में भी वह कड़ी प्रतिस्पर्द्धा के बीच गोल्ड मेडल जीतने में सफल रहीं। वर्ष 2015 में वर्जिनिया में आयाजित विश्व पुलिस फायर गेम्स प्रतियोगिता में पावर लिफ्टिंग में एक गोल्ड व एक सिल्वर मेडल जीता। वर्ष 2016 में यूएसए में आयोजित कैरोलिना कप में विश्व के कई दिग्गजों को पछाड़ते हुए गोल्ड कप जीता। वर्ष 2017 में लॉस एंजेल्स में आयोजित प्रतियोगिता में ऐ गोल्ड व एक सिल्वर मेडल जीतने में सफल रहीं। वर्ष 2018 में ओपेन वर्ल्ड पावर लिफ्टिंग चैंपियनशिप में भी उन्होेंने गोल्ड मेडल जीता। इस वर्ष विगत दिनों चीन में आयोजित वर्ल्ड पुलिस एंड फायर गेम्स-2019 में सुजाता ने बेहतरीन प्रदर्शन कर अन्य खिलाड़ियों को शिकस्त देते हुए विभिन्न वर्गों में दो गोल्ड मेडल जीते। वर्तमान में सुजाता का नाम पावर लिफ्टिंग के क्षेत्र में विश्वस्तरीय खिलाड़ियों की श्रेणी में अग्रिम पंक्ति में शामिल है। उन्होंने पुलिस विभाग की सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृति ले ली है। खेल के अलावा उनकी रुचि राजनीति में भी है। हाल ही में उन्होंने एक राजनीतिक दल का दामन भी थामा है। वह समाजसेवा को भी तवज्जो देती हैं। सुजाता कहती हैं कि किसी भी क्षेत्र में रहें, सामाजिक कार्यों के प्रति भी सक्रिय रहें।
-प्रस्तुति : विनय मिश्रा
बुधवार, 30 जनवरी 2019
सहाना अग्रवाल बनी चार्टर्ड एकाउंटेंट
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