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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2019

अपनी प्रतिभा निखारने और भविष्य को सवांरने में लगी है नन्हीं रिषिका




कहावत है कि पूत के पांव पालने में नज़र आते हैं। हर बच्चे के अंदर बचपन से ही कुछ विशेष गुण होते हैं। उन्हें निखारने की जरूरत पड़ती है। कुछ बच्चे बाल्यावस्था में ही जीवन का लक्ष्य निर्धारित कर अपने कर्तव्य पथ की ओर अग्रसर रहते हैं। महिलौंग (नामकुम-टाटीसिलवे मार्ग) के सीधा टोली निवासी रिषिका सिंह का नाम ऐसे ही बच्चों की श्रेणी में शामिल है। रिषिका महिलौंग स्थित प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान सरला बिरला पब्लिक स्कूल के कक्षा छह की छात्रा है। बचपन से ही पढ़ाई-लिखाई में अव्वल रहने वाली कुशाग्र बुद्धि रिषिका अपने भविष्य और कैरियर के प्रति अभी से ही सजग है। उनके पिता अमित सिंह पत्रकारिता पेशे से जुड़े हैं, वहीं, उनकी माता अभिलाषा सिंह एक कुशल गृहणी हैं। रिषिका के माता-पिता उन्हें सदैव सत्कर्मों के लिए प्रेरित करते रहते हैं। वह स्कूल में अपने शिक्षकों व सहपाठियों के बीच मृदुभाषी, शालीन और अनुशासन प्रिय छात्रा के रूप में जानी जाती है। बहुमुखी प्रतिभा की धनी छात्रा रिषिका समय-समय पर स्कूल में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती है। वह नृत्य-संगीत कला, खेलकूद सहित क्विज प्रतियोगिताओं में भी शामिल होकर अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करती रही हैं। उसने स्कूल में आयोजित अखिल भारतीय हिंदी ओलिंपियाड में तृतीय स्थान प्राप्त किया। वह इंटरनेशनल इंग्लिश ओलंपियाड में द्वितीय और स्पेल बी, हमिंग बर्ड प्रतियोगिता में तृतीय स्थान प्राप्त कर अपनी प्रतिभा का परचम लहराने में सफल रही। स्कूल में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों में रिषिका झारखंडी नृत्य-संगीत कला का उम्दा प्रदर्शन कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने में सफल रही। एक बार स्कूल में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में रिषिका ने झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की भूमिका में अपना किरदार निभाते हुए यह साबित कर दिया कि वह एक उत्कृष्ट कलाकार भी है।
स्कूल के अलावा रिषिका अपने घर में भी पढ़ाई- लिखाई करते हुए अपनी छोटी बहन अन्वी का मार्गदर्शन करते रहती है। वह अपने माता-पिता व गुरुजनों की आज्ञाकारी है। अपने स्वभाव में चांद सी शीतलता लिए रिषिका कहती है कि उसका सपना आईपीएस बनने का है। वह भारतीय पुलिस सेवा में शामिल होकर देश व समाज की सेवा करना चाहती है।
उसकी इस इच्छा को देखते हुए उनके माता-पिता और परिजन भी उसका उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन करते रहते हैं। रिषिका के आदर्श उसके माता-पिता ,गुरुजन और महापुरुष हैं।  उसे प्रेरक कहानियां सुनना और ज्ञानवर्धक पुस्तकें पढ़ना अधिक पसंद है। वह कहती हैं कि प्रेरक कहानियां न सिर्फ मन के विकारों को दूर करने में सक्षम होती है, बल्कि जीवन के सकारात्मक उद्देश्य पूरा करने में भी सहायक होती है।
प्रस्तुति : विनीत कुमार (मोनू)

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