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गुरुवार, 1 अगस्त 2019

मस्जिद जाफरिया में मजालिस तरहीम का आयोजन



रांची। हजरत इमामे हुसैन ने ज़ालिम यजीद को अपना रहबर मानने से इनकार कर दिया। कहां के मुझ जैसा तुझ जैसे की बैयत नहीं कर सकता। किसी अल्लाह वाले ने जालिम की हाथ की बैयत नहीं की। उक्त बातें बिहार से आए हुए हजरत मौलाना सज्जाद हुसैन ने कही। वह गुरुवार को मस्जिद जाफरिया में मजालिस तरहीम स्वर्गीय सैयद अज़हर हुसैन, सैयद अफ़ज़ल हुसैन, हबीबा खातून के इसाले सवाब की मजलिस को सम्बोधित कर रहे थे। मौलाना ने कहा कि हजरत ए आदम ने इब्लीस की बैयत नहीं की। हजरत मूसा ने फिरौन की बैयत नहीं की। हजरत इब्राहीम ने नमरूद जालिम की बैयत नहीं की।



हजरत इमाम हुसैन ने कहा इसलिए मैं किसी भी हाल में ज़ालिम यजीद की बैयत नहीं करूंगा। बकराईद के बाद मुहर्रम आने वाला है। जो भी हक बोलने वाला है वह हजरत इमामे हुसैन का चाहने वाला है। क्योंकि हजरत इमाम हुसैन ने ही इसलाम को बचाने के लिए अपनी और अपने घरवालों की शहादत दी। मजलिस की शुरुआत सैयद अता इमाम रिज़वी के सोजखानी से शुरू हुई। पेश खानी अज़्म हैदरी, क़ासिम अली, नेहाल सरयावी,अमोद अब्बास, हुसैन, अतहर इमाम ने की। मजलिस का आयोजन सैयद मेहदी इमाम और जफरुल हसन के द्वारा किया गया। मजलिस में सैयद समर अली, मेहदी इमाम, जफरुल हसन, मौलाना हैदर मेहदी, अली अहमद नक़वी, मुबारक अब्बास, सैयद यावर हुसैन, फैज़ान हैदर, इक़बाल हुसैन इंजीनियर समेत कई लोग मौजूद थे।

रविवार, 2 जून 2019

इफ्तार पार्टी से आपसी भाईचारे की को मिलती है ताकत: तहजीब उल हसन




रांची।  राजधानी रांची के समाजसेवी सैयद समर अली के द्वारा मस्जिद ए जाफरिया में हर वर्ष की तरह इस वर्स भी दावते इफ्तार पार्टी का आयोजन किया गया। इस इफ्तार पार्टी में शहर के समाजी, सियासी, शिक्षाविद और इससे जुड़े  बुद्धिजीवियों ने शिरकत की। जिनका स्वागत सैयद समर अली और उनके टीम ने किया। इफ्तार पार्टी में बड़ी संख्या में रोजेदारों के साथ हिंदू भाई भी शामिल हुए। मगरिब की अजान के साथ सभी ने एक साथ बैठकर रोजा खोला। इस मौके पर ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड झारखंड के चेयरमैन हाजी मौलाना सैयद तहजीबुल हसन रिजवी ने कहा कि रमजान के  महीना सब्र का महीना है। इस तरह के पार्टी से समाज को जोड़ने के साथ साथ आपसी रंजिश को मिटाया जा सकता है। वही सैयद समर अली ने आए हुए सभी रोजेदारों का शुक्रिया अदा किया। और कहा के इफ्तार करना और कराना दोनों सवाब है। इस तरह के इफ्तार पार्टी से आपसी मोहब्बत बढ़ती है। इसलिए इस तरह के इफ्तार पार्टी होनी चाहिए। इफ्तार पार्टी में शामिल रोजेदारों ने इफ्तार के बाद मगरिब की नमाज़ पढ़ कर आपसी मोहब्बत, राज्य की खुशहाली, अमन चैन की दुआ मांगी। मौके पर मेहंदी इमाम, इकबाल हुसैन, अशरफ हुसैन, इकबाल फातमी, जफरुल हसन, आमोद अब्बास, निहाल हुसैन, अता इमाम, फैजान हैदर, क़ासिम अली, समेत कई लोग थे।

स्वर्ण जयंती वर्ष का झारखंड : समृद्ध धरती, बदहाल झारखंडी

  झारखंड स्थापना दिवस पर विशेष स्वप्न और सच्चाई के बीच विस्थापन, पलायन, लूट और भ्रष्टाचार की लाइलाज बीमारी  काशीनाथ केवट  15 नवम्बर 2000 -वी...