रांची। हजरत इमामे हुसैन ने ज़ालिम यजीद को अपना रहबर मानने से इनकार कर दिया। कहां के मुझ जैसा तुझ जैसे की बैयत नहीं कर सकता। किसी अल्लाह वाले ने जालिम की हाथ की बैयत नहीं की। उक्त बातें बिहार से आए हुए हजरत मौलाना सज्जाद हुसैन ने कही। वह गुरुवार को मस्जिद जाफरिया में मजालिस तरहीम स्वर्गीय सैयद अज़हर हुसैन, सैयद अफ़ज़ल हुसैन, हबीबा खातून के इसाले सवाब की मजलिस को सम्बोधित कर रहे थे। मौलाना ने कहा कि हजरत ए आदम ने इब्लीस की बैयत नहीं की। हजरत मूसा ने फिरौन की बैयत नहीं की। हजरत इब्राहीम ने नमरूद जालिम की बैयत नहीं की।
हजरत इमाम हुसैन ने कहा इसलिए मैं किसी भी हाल में ज़ालिम यजीद की बैयत नहीं करूंगा। बकराईद के बाद मुहर्रम आने वाला है। जो भी हक बोलने वाला है वह हजरत इमामे हुसैन का चाहने वाला है। क्योंकि हजरत इमाम हुसैन ने ही इसलाम को बचाने के लिए अपनी और अपने घरवालों की शहादत दी। मजलिस की शुरुआत सैयद अता इमाम रिज़वी के सोजखानी से शुरू हुई। पेश खानी अज़्म हैदरी, क़ासिम अली, नेहाल सरयावी,अमोद अब्बास, हुसैन, अतहर इमाम ने की। मजलिस का आयोजन सैयद मेहदी इमाम और जफरुल हसन के द्वारा किया गया। मजलिस में सैयद समर अली, मेहदी इमाम, जफरुल हसन, मौलाना हैदर मेहदी, अली अहमद नक़वी, मुबारक अब्बास, सैयद यावर हुसैन, फैज़ान हैदर, इक़बाल हुसैन इंजीनियर समेत कई लोग मौजूद थे।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें