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शनिवार, 23 फ़रवरी 2019

जनकपुर धाम में शिव महोत्सव



रांची। शिव शिष्य हरीन्द्रानन्द फाउंडेशन, राँची के द्वारा नेपाल राष्ट्र के ब्राह विघा रंग भुमि मैदान, जनकपुर धाम में शिव गुरू महोत्सव आयोजित किया गया। आओ, चलें शिव की ओर के उद्देश्य को आगे बढ़ाने के लिए नेपाल एवं भारत के आस-पास के क्षेत्रों से लगभग पचास हजार से अधिक लोग एकत्रित हुए थे। शिव गुरू महोत्सव में राँची से आई शिव शिष्य हरीन्द्रानन्द फाउंडेशन के अध्यक्षा बरखा सिन्हा ने बेटियों के सम्मान विषय पर बोलते हुए कहा कि हमारे समाज में बेटियों को बराबर का दर्जा मिले इसके लिए हम कृतसंकल्पित हैं। हमारा पूरा परिवार देश की बेटियों के साथ खड़ा है। सम्मान पाना उनका हक है। हम कुछ नया नहीं कर रहे हैं अपितु हमारी संस्कृति रही है कि बेटियों को पूजा जाता है। नवरात्रि में कुमारी- पूजन तथा शक्ति आराधना का पर्व समूचे देश-विदेश में बड़ी निष्ठा एवं श्रद्धा से मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि शिव शिष्यता ने समाज को जागरूक करने का प्रयास किया है। आज हमारी बेटियां बाहर निकलती हैं, पढती हैं, शिव चर्चा करती हैं।
  ं विराटनगर, नेपाल से आये ओम ने कहा इस कार्यक्रम का आयोजन महेश्वर शिव के गुरू स्वरूप से एक-एक व्यक्ति का शिष्य के रूप में जुड़ाव हो सके इसी बात को सुनाने और समझाने के निमित्त किया गया है। शिव के शिष्य एवं शिष्याएँ अपने सभी आयोजन ‘‘शिव गुरू हैं और संसार का एक-एक व्यक्ति उनका शिष्य हो सकता है’’, इसी प्रयोजन से करते हैं। ‘‘शिव गुरू हैं’’ यह कथ्य बहुत पुराना है। हमारे साधुओं, शास्त्रों और मनीषियों द्वारा महेश्वर शिव को आदिगुरू, परमगुरू आदि विभिन्न उपाधियों से विभूषित किया गया है।
सोमेन्द्र झा ने कहा कि शिव के शिष्य बनने की दिशा में साहब हरींद्रानंद जी द्वारा दिया गया तीन सूत्र ही सहायक है और कुछ नही। उन्होंने कहा कि वे जगत गुरु हैं इसलिए उनका शिष्य होने के लिए कोई नियम नही है और कोई वर्जना भी नही है। दिलीप, सम्भु और स्थानीय लोगों ने भी अपने विचार को रखा। उपस्थित लोगों में महिलाओं की संख्या काफी अधिक थी। पूरा का पूरा इलाका शिवमय हुआ था। शिव गुरु की व्याप्ति और फैलाव के निमित्त इस कार्यक्रम में स्थानीय लोगो ने भी हिस्सा लिया।
         महोत्सव में आस-पास के क्षेत्रों से लगभग पचास हजार लोग आए थे। महिलाओं की संख्या अधिक थी।

रविवार, 10 फ़रवरी 2019

शिव केवल नाम के नहीं, काम के भी गुरू : हरीन्द्रानंद

परमवीर अल्बर्ट एक्का स्टेडियम , सिमडेगा में शिव गुरु महोत्सव आयोजित


रांची। शिव शिष्य हरीन्द्रानन्द फाउंडेशन द्वारा परमवीर अल्बर्ट एक्का स्टेडियम, सिमडेगा, झारखण्ड में शिव गुरू महोत्सव आयोजित किया गया। उक्त कार्यक्रम का आयोजन महेश्वर शिव के गुरू स्वरूप से एक-एक व्यक्ति का शिष्य के रूप में जुड़ाव हो सके, इसी बात को सुनाने और समझाने के निमित्त किया गया था।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरेण्य गुरूभ्राता हरीन्द्रानन्द ने कहा कि शिव केवल नाम के नहीं अपितु काम के गुरू हैं। शिव के औढरदानी स्वरूप से धन, धान्य, संतान, सम्पदा आदि प्राप्त करने का व्यापक प्रचलन है, तो उनके गुरू स्वरूप से ज्ञान भी क्यों नहीं प्राप्त किया जाय? किसी संपत्ति या संपदा का उपयोग ज्ञान के अभाव में घातक हो सकता है। हरीन्द्रानन्द जी ने कहा कि शिव जगतगुरू हैं अतएव जगत का एक-एक व्यक्ति चाहे वह किसी धर्म, जाति, संप्रदाय, लिंग का हो शिव को अपना गुरू बना सकता है। शिव का शिष्य होने के लिए किसी पारम्परिक औपचारिकता अथवा दीक्षा की आवश्यकता नहीं है। केवल यह विचार कि ‘‘शिव मेरे गुरू हैं’’ शिव की शिष्यता की स्वमेव शुरूआत करता है। इसी विचार का स्थायी होना हमको आपको शिव का शिष्य बनाता है।
शिव शिष्य हरीन्द्रानन्द फाउंडेशन के अध्यक्षा श्रीमती बरखा ने कहा शिव के शिष्य एवं शिष्याएँ अपने सभी आयोजन ‘‘शिव गुरू हैं और संसार का एक-एक व्यक्ति उनका शिष्य हो सकता है’’, इसी प्रयोजन से करते हैं। ‘‘शिव गुरू हैं’’ यह कथ्य बहुत पुराना है। भारत भूखंड के अधिकांश लोग इस बात को जानते हैं कि भगवान शिव गुरू हैं, आदिगुरू एवं जगतगुरू हैं। हमारे साधुओं, शास्त्रों और मनीषियों द्वारा महेश्वर शिव को आदिगुरू, परमगुरू आदि विभिन्न उपाधियों से विभूषित किया गया है।
प्रो॰ रामेश्वर मंडल आस्था बनाम अंधविश्वास पर बालते हुए कहा आस्था सकारात्मक है और इसके विपरीत अंधविश्वास जीवन में कुण्ठा एवं निराशा उत्पन्न करता है। जीवन के हर पहलू पर व्यक्ति को वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। अंधविश्वास और अफवाहें सचमुच में एक व्याधि है जिसके निदान के लिए सबों को सजग रहना होगा और समाज में जागरूकता फैलानी होगी। सही गुरू का सानिध्य व्यक्ति को अंधविश्वासों से मुक्त करता है। प्रो॰ रामेश्वर मंडल ने बताया कि समाज में फैली कुरीतियों, कुसंस्कारों, अंधविश्वासों, अफवाहों के प्रति स्वच्छ जागरूकता पैदा करना एक-एक व्यक्ति का नैतिक कर्त्तव्य है। शिव का शिष्य होने में मात्र तीन सूत्र ही सहायक है।
पहला सूत्र:- अपने गुरू शिव से मन ही मन यह कहें कि ‘‘हे शिव! आप मेरे गुरू हैं। मैं आपका शिष्य हूँ। मुझ शिष्य पर दया कर दीजिए।’’
दूसरा सूत्र:- सबको सुनाना और समझाना है कि शिव गुरू हैं; ताकि दूसरे लोग भी शिव को अपना गुरू बनायें।
तीसरा सूत्र:- अपने गुरू शिव को मन ही मन प्रणाम करना है। इच्छा हो तो ‘‘नमः शिवाय’’ मंत्र से प्रणाम किया जा सकता है।
इस महोत्सव में समीपवर्ती क्षेत्रों से लगभग आठ से दस हजार लोग शामिल हुए। इस कार्यक्रम में शिव कुमार विश्वकर्मा, इन्द्रभूषण सिंह, आरती गुप्ता, अशोक गुप्ता समेत अन्य वक्ताओं ने भी अपने -अपने विचार दिए।

रविवार, 3 फ़रवरी 2019

शिव की दुनिया में कोई विभेद नहीं : अनुनिता

विराट शिव गुरू महोत्सव आयोजित


रांची। शिव शिष्य हरीन्द्रानन्द फाउंडेशन, राँची के तत्वावधान में  सोनपुर के विश्व प्रसिद्ध मेला मैदान में विराट शिव गुरु महोत्सव का आयोजन किया गया। आओ चलें शिव की ओर के उद्देश्य को आगे बढ़ाने के लिए लगभग पंद्रह हजार से अधिक लोग एकत्रित हुए थे। इस विराट शिव गुरु महोत्सव में पटना से आई अनुनिता ने कहा कि शिव विसंगतियों में संगति हैं। शिव की बनाई हुई दुनियां में कोई भेद नही है। उनका शिष्य होकर ही हम अपने जीवन में आगे बढ़ सकते हैं। डॉक्टर अमित कुमार ने कहा कि शिव के शिष्य बनने की दिशा में साहब हरींद्रानंद जी द्वारा दिया गया तीन सूत्र ही सहायक है और कुछ नही। उन्होंने कहा कि वे जगत गुरु हैं इसलिए उनका शिष्य होने के लिए कोई नियम नही है और कोई वर्जना भी नही है। बाहर से आये अनिल पटेल ,मोहित और मनीष के साथ साथ किशन कुमार ने भी अपने विचार को रखा। महिलाओं ने भी जन मानस को शिव गुरु की दिशा में चलने के लिए लोगों को प्रेरित किया। उपस्थित लोगों में महिलाओं की संख्या काफी अधिक थी। पूरा का पूरा इलाका शिवमय हुआ था। शिव गुरु की व्याप्ति और फैलाव के निमित्त इस कार्यक्रम में स्थानीय लोगो ने भी हिस्सा लिया। शिव गुरु महोत्सव का आयोजन मुकुंद प्रसाद सिंह , श्रीमती पूनम के साथ और लोगों ने मिलकर किया।

स्वर्ण जयंती वर्ष का झारखंड : समृद्ध धरती, बदहाल झारखंडी

  झारखंड स्थापना दिवस पर विशेष स्वप्न और सच्चाई के बीच विस्थापन, पलायन, लूट और भ्रष्टाचार की लाइलाज बीमारी  काशीनाथ केवट  15 नवम्बर 2000 -वी...