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शुक्रवार, 15 अगस्त 2025

दिल दोस्ती फाइनेंस

 दिल दोस्ती फाइनेंस

(तीन दोस्त

तीन अलग ज़िंदगियां

तीन तरह की आज़ादी की तलाश

किसी को गरीबी से निकलना है

किसी को बीते हुए दर्द से

और किसी को अपनी पहचान बनानी है

 


ये कहानी है उन तीनों की जो हालातों से नहीं, अपने डर और सपनों से लड़ते हैं

दोस्ती ही उनकी ताकत है और उनकी लड़ाई भी

कभी एक-दूसरे का सहारा बनते हैं, कभी खुद को खींच कर बाहर निकालते हैं

जैसे भी हो, रुकते नहीं

 

मुख्य भूमिकाओं में हैं चेतन शर्मा, शैलजा चतुर्वेदी और अयाज़ पाशा

साथ में हैं ऋषिका चंदानी, कल्पना राव, स्वप्निल श्रीराव, सायली मेश्राम और सर्मिष्ठा धर

हर किरदार में एक साफ़ और अलग आवाज़ है

हर चेहरा एक नई कहानी लेकर आता है

 


इस शो को लिखा और निर्देशित किया है हिमांशु राज तलरेजा ने

एक ऐसा कलाकार जो कैमरे के पीछे भी उतना ही सच्चा है जितना सामने

ये शो उनके सफर की शुरुआत है)

एक ईमानदार, मेहनती और समझदारी से बनी हुई कहानी ! सह लेखक : कार्तिक बहुगुणा और शैलजा चतुर्वेदी

 

मिनिएचर्स ड्रामा का मानना है

कि अच्छी कहानियों को ना लंबा होने की ज़रूरत है ना ज़ोरदार होने की

सिर्फ सच्चा होना काफी है

हम ऐसी कहानियां दिखाएंगे जो आपके आसपास की हैं

आपके जैसे लोगों की हैं

हर छोटी जीत, हर चुप दर्द और हर कोशिश की आवाज़ हैं।)



दिल दोस्ती फाइनेंस

15 अगस्त 2025 से

देखिए सिर्फ मिनिएचर्स ड्रामा यूट्यूब चैनल पर

फोन उठाइए और हमारी दुनिया से जुड़िए

[कहानी कहने का अंदाज़ बदल रहा है—अब बड़े पर्दे से ज्यादा नज़दीकी उस स्क्रीन की है जो हमारी जेब में है। इसी बदलाव को आगे बढ़ा रहा है मिनिएचर्स ड्रामा, जो 15 अगस्त 2025 से लेकर आ रहा है अपना नया शो दिल दोस्ती फाइनेंस।

 


फोर ब्रदर्स फिल्म्स के बैनर तले बनी इस सीरीज़ के निर्माता हैं हिमांशु राज तलरेजा, अभिजीत बिस्वास और नीतीश मुखर्जी। प्रोजेक्ट को इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ क्वांटिटेटिव फाइनेंस का सहयोग मिला है।

 

कहानी तीन दोस्तों की है—तीन अलग ज़िंदगियां और तीन तरह की आज़ादी की तलाश। कोई गरीबी से निकलना चाहता है, कोई बीते हुए दर्द से, तो कोई अपनी पहचान बनाना चाहता है। हालातों से ज्यादा ये अपने डर और सपनों से लड़ते हैं, और दोस्ती ही उनकी ताकत भी है और चुनौती भी।

 

मुख्य भूमिकाओं में चेतन शर्मा, शैलजा चतुर्वेदी और अयाज़ पाशा हैं, जबकि सपोर्टिंग कास्ट में ऋषिका चंदानी, कल्पना राव, स्वप्निल श्रीराव, सायली मेश्राम और सर्मिष्ठा धर शामिल हैं। हर किरदार अपनी अलग कहानी और साफ़ आवाज़ लेकर आता है।

 

शो को लिखा और निर्देशित किया है हिमांशु राज तलरेजा ने, जिनके लिए यह सफर की एक नई शुरुआत है। मिनिएचर्स ड्रामा का मानना है कि अच्छी कहानियों को न तो लंबा होने की जरूरत है और न शोर मचाने की—बस सच्चाई और दिल तक पहुंचने वाली गहराई काफी है।

 

इसे प्रीमियर पर राहुल बग्गा, ऋचा मीना, कामाक्षी भट्ट, निर्मिका सिंह, अमरजीत सिंह, सुमित, सुरेश कुमार और साहिल सिंह सेठी मौजूद थे।

 

मुंबई ​कहानी कहने की कला लगातार विकसित हो रही है, और अब यह बड़े पर्दे की भव्यता से निकलकर हमारी जेबों में रखी छोटी स्क्रीन तक पहुँच चुकी है। इसी बदलाव को आगे बढ़ा रहा है मिनिएचर्स ड्रामा, जो 15 अगस्त, 2025 से अपनी नई पेशकश "दि


ल दोस्ती फाइनेंस" के साथ दर्शकों के बीच अपनी जगह बनाने को तैयार है।

 

​फोर ब्रदर्स फिल्म्स के बैनर तले बनी यह वेब सीरीज़ एक नई सोच का परिणाम है। इसके निर्माता हिमांशु राज तलरेजा, अभिजीत बिस्वास और नीतीश मुखर्जी हैं। इस प्रोजेक्ट को इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ क्वांटिटेटिव फाइनेंस का सहयोग भी मिला है, जो इसकी गुणवत्ता को और भी बेहतर बनाता है।

 

​यह कहानी तीन दोस्तों की ज़िंदगी पर आधारित है, जो अपने-अपने तरीके से आज़ादी की तलाश में हैं। एक दोस्त गरीबी के जाल से बाहर निकलना चाहता है, दूसरा अपने अतीत के दर्द को पीछे छोड़ना चाहता है, और तीसरा अपनी खुद की एक अलग पहचान बनाना चाहता है। ये तीनों दोस्त सिर्फ बाहरी मुश्किलों से नहीं, बल्कि अपने अंदर के डर और सपनों से भी लड़ते हैं। इस सफर में उनकी दोस्ती ही उनकी सबसे बड़ी ताकत बनती है, लेकिन कई बार यही दोस्ती उनकी सबसे बड़ी चुनौती भी बन जाती है।

 

​शो में मुख्य भूमिकाएँ चेतन शर्मा, शैलजा चतुर्वेदी और अयाज़ पाशा ने निभाई हैं, जिनकी अदाकारी दर्शकों को कहानी से जोड़े रखती है। इनके अलावा, ऋषिका चंदानी, कल्पना राव, स्वप्निल श्रीराव, सायली मेश्राम और सर्मिष्ठा धर जैसे कलाकार सपोर्टिंग कास्ट में शामिल हैं। हर किरदार की अपनी एक अलग कहानी और पहचान है, जो इसे और भी दिलचस्प बनाती है।

 

​इस


शो का लेखन और निर्देशन हिमांशु राज तलरेजा ने किया है। यह प्रोजेक्ट उनके लिए एक नई शुरुआत का प्रतीक है। मिनिएचर्स ड्रामा का यह मानना है कि अच्छी कहानियों को न तो लंबा होने की जरूरत होती है और न ही बहुत ज्यादा शोर मचाने की। उनके अनुसार, कहानी में सिर्फ सच्चाई और दिल को छूने वाली गहराई होनी चाहिए, और यही बात "दिल दोस्ती फाइनेंस" को खास बनाती है।

 

​शो के प्रीमियर में फिल्म और टीवी जगत की कई जानी-मानी हस्तियाँ मौजूद थीं, जिनमें राहुल बग्गा, ऋचा मीना, कामाक्षी भट्ट, निर्मिका सिंह, अमरजीत सिंह, सुमित, सुरेश कुमार और साहिल सिंह सेठी शामिल थे। इन सभी ने इस नई कोशिश की सराहना की।

 

​"दिल दोस्ती फाइनेंस" एक ऐसी कहानी है जो आधुनिक दर्शकों से सीधा जुड़ाव रखती है, जो लंबी और जटिल कहानियों की बजाय कम समय में एक गहरा संदेश देने वाले कंटेंट को पसंद करते हैं। यह शो दिखाता है कि छोटी स्क्रीन पर भी बड़ी कहानियाँ कही जा सकती हैं।

 

हमारी कहानियां वर्टिकल होंगी

शुक्रवार, 1 अगस्त 2025

मंडला मर्डर्स समीक्षा: गजब का थ्रिलर और शरत सोनू का दमदार अभिनय

 


अमरनाथ

नेटफ्लिक्स की मंडला मर्डर्स, मर्दानी 2 के डायरेक्टर गोपी पुथरन की बनाई हुई, एक जबरदस्त थ्रिलर सीरीज है जो अपनी पेचीदा कहानी और शानदार एक्टिंग से दर्शकों को बांधे रखती है। ये सीरीज भारतीय पौराणिक कहानियों और आज के रहस्य का एकदम अनोखा मिक्स है, जिसमें शरत सोनू का प्रमोद साहनी का किरदार चमकता है। उनकी एक्टिंग की हर तरफ तारीफ हो रही है, और बॉलीवुड में लोग कह रहे हैं कि ये सीरीज शरत सोनू के करियर को नई बुलंदियों तक ले जा सकती है।

मंडला मर्डर्स की कहानी चरणदासपुर नाम के एक काल्पनिक शहर से शुरू होती है, जहां तालाब में एक सिर कटी लाश मिलने से हत्याओं का सिलसिला शुरू हो जाता है। ये कहानी 1950 के दशक के एक सीक्रेट पंथ, अयस्ता मंडला, से जुड़ी है, जो एक डार्क भगवान यस्त की पूजा करता है और बलिदान के बदले इच्छाएं पूरी करने का दावा करता है। ये आठ-एपिसोड की सीरीज समय की सारी हदें तोड़ देती है, आजादी के बाद के भारत से लेकर आज के डरावने वक्त तक की सैर कराती है। चूंकि सीरीज बहुत टेंस है, इसलिए दर्शक भी कहानी के साथ टेंस हो जाते हैं। लेकिन शरत सोनू का प्रमोद साहनी का किरदार इस टेंशन में एक नई गहराई लाता है और दर्शकों को हर पल स्क्रीन से जोड़े रखता है

।मंडला मर्डर्स की सिनेमैटोग्राफी और विजुअल्स कमाल के हैं। चरणदासपुर की धूल भरी गलियां, डरावने जंगल, और पंथ के सीक्रेट ठिकाने इस कहानी को एकदम भारतीय और पौराणिक फील देते हैं। शरत सोनू की मौजूदगी और सिनेमैटोग्राफी का कमबिनेशन हर सीन को यादगार बना देता है।सीरीज में आघात, जाति, पितृसत्ता, समाज का पतन, और आध्यात्मिक खोज जैसे कई टॉपिक्स को बहुत अच्छे से दिखाया गया है। इसका टाइमलाइन बदलने वाला स्टाइल कहानी को और मजेदार बनाता है। शरत सोनू का रोल इस पेचीदा कहानी को और दमदार बनाता है। उनकी एक्टिंग और स्क्रीन पर एनर्जी हर बार कहानी को ताजा रखती है।वैभव राज गुप्ता (विक्रम सिंह) अपनी शांत लेकिन गहरी एक्टिंग से सीरीज को मजबूती देते हैं। वाणी कपूर (रिया थॉमस) अपने रोल में संयम और ताकत का मिक्स लाती हैं, खासकर अपने डबल रोल में। सुरवीन चावला (अनन्या) अपने किरदार में टेंशन और रहस्य का तड़का लगाती हैं। लेकिन इन सबके बीच शरत सोनू का प्रमोद साहनी सबसे अलग चमकता है।


सीरीज में हिंसा का चित्रण कहानी के मूड के हिसाब से बिल्कुल फिट है। सिर कटी लाशें, कटे हुए अंगूठे, और सिले हुए अंग कहानी के डरावने माहौल को और बढ़ाते हैं। शरत सोनू के सीन्स में ये हिंसा उनके किरदार की गहराई के साथ मिलकर एक अलग ही इम्पैक्ट छोड़ती है। उनकी एक्टिंग हिंसा और रहस्य के बीच भी अपने किरदार की इंसानियत को बरकरार रखती है, जो दर्शकों को दिल से जोड़ता है।मंडला मर्डर्स में शरत सोनू का परफॉर्मेंस उनके करियर का एक बड़ा टर्निंग पॉइंट है। प्रमोद साहनी के किरदार ने न सिर्फ दर्शकों का दिल जीता है, बल्कि बॉलीवुड में उनकी तारीफों के ढेर लग गए हैं। इंडस्ट्री में लोग कह रहे हैं कि ये सीरीज उनके करियर को नई हाइट्स देगी। उनकी गजब की एक्टिंग और स्क्रीन पर नेचुरल स्टाइल उन्हें आने वाले बड़े रोल्स के लिए तैयार करता है।



मर्डर्स एक शानदार और गजब का थ्रिलर है जो अपनी अनोखी कहानी, कमाल की सिनेमैटोग्राफी, और दमदार एक्टिंग से दर्शकों को बांधे रखता है। शरत सोनू का प्रमोद साहनी का किरदार इस सीरीज का सबसे बड़ा हाईलाइट है। उनकी गहरी और दमदार एक्टिंग हर सीन को यादगार बनाती है। ये सीरीज न सिर्फ एक रहस्यमयी थ्रिलर है, बल्कि शरत सोनू के करियर का एक चमकता सितारा भी है। मंडला मर्डर्स हर उस शख्स के लिए जरूर देखने लायक है जो एक मजेदार कहानी और शानदार एक्टिंग का मजा लेना चाहता है।

गुरुवार, 17 अप्रैल 2025

भारत में ड्रग तस्करी का फैलता जाल

 

2014 के बाद से भारत में ड्रग तस्करी के संदर्भ में कई बदलाव और चुनौतियाँ सामने आई हैं। भारत की भूमिका इस मामले में दोहरी रही है - एक ओर यह ड्रग्स के उत्पादन और तस्करी के लिए ट्रांजिट पॉइंट के रूप में उभरा है, वहीं दूसरी ओर सरकार ने इसे रोकने के लिए कड़े कदम भी उठाए हैं। यहाँ इसकी विस्तृत जानकारी दी जा रही है:

1. ड्रग तस्करी में भारत की स्थिति

भौगोलिक महत्व: भारत की स्थिति "गोल्डन ट्रायंगल" (म्यांमार, लाओस, थाईलैंड) और "गोल्डन क्रिसेंट" (अफगानिस्तान, पाकिस्तान, ईरान) के बीच में है, जो इसे ड्रग तस्करी के लिए एक महत्वपूर्ण ट्रांजिट हब बनाती है। 2014 के बाद से अफगानिस्तान से हेरोइन और синтетिक ड्रग्स की तस्करी में भारत के रास्ते का इस्तेमाल बढ़ा है।

बंदरगाहों का दुरुपयोग: गुजरात के मुंद्रा और कांडला जैसे बंदरगाहों के जरिए बड़ी मात्रा में ड्रग्स भारत में प्रवेश कर रही हैं। उदाहरण के लिए, सितंबर 2021 में मुंद्रा पोर्ट पर 3,000 किलोग्राम हेरोइन जब्त की गई थी, जो अफगानिस्तान से आई थी। यह भारत में अब तक की सबसे बड़ी ड्रग जब्ती में से एक थी।

सिंथेटिक ड्रग्स का उदय: 2014 के बाद से मेथमफेटामाइन और एमडीएमए जैसे синтетिक ड्रग्स की मांग और तस्करी में वृद्धि हुई है। भारत में कुछ अवैध प्रयोगशालाएँ भी पकड़ी गई हैं, जो इनका उत्पादन कर रही थीं।

2. सरकारी प्रयास और नीतियाँ

नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB): 2014 के बाद NCB की सक्रियता बढ़ी है। नरेंद्र मोदी सरकार ने ड्रग्स के खिलाफ "जीरो टॉलरेंस" नीति अपनाई, जिसके तहत तस्करों पर सख्त कार्रवाई की गई। उदाहरण के लिए, 2019 में "ऑपरेशन कार्बन" के तहत कई ड्रग नेटवर्क तोड़े गए।

अंतरराष्ट्रीय सहयोग: भारत ने संयुक्त राष्ट्र और दक्षिण एशियाई देशों के साथ मिलकर ड्रग तस्करी रोकने के लिए समझौते किए। 2014 के बाद से श्रीलंका, मालदीव और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों के साथ समन्वय बढ़ा है।

कानूनी कदम: नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंस (NDPS) एक्ट के तहत सजा को सख्त किया गया। 2014 में इसके संशोधन के बाद ड्रग तस्करी के दोषियों को न्यूनतम 10 साल की सजा और संपत्ति जब्ती जैसे प्रावधान जोड़े गए।

3. चुनौतियाँ

सीमा सुरक्षा: भारत-पाकिस्तान और भारत-म्यांमार सीमा पर छिद्रों का फायदा तस्कर उठाते हैं। पंजाब में ड्रोन के जरिए हेरोइन की तस्करी 2014 के बाद से बढ़ी है।

आंतरिक मांग: भारत में युवाओं के बीच ड्रग्स की मांग बढ़ने से तस्करी को बढ़ावा मिला है। पंजाब, दिल्ली और मुंबई जैसे क्षेत्र इसके केंद्र बन गए हैं।

डार्क वेब और क्रिप्टोकरेंसी: 2014 के बाद डिजिटल तकनीक का इस्तेमाल तस्करी में बढ़ा है। डार्क वेब पर ड्रग्स की खरीद-फरोख्त और क्रिप्टोकरेंसी से भुगतान ने इसे और जटिल बना दिया है।

4. प्रमुख घटनाएँ

2017: पंजाब में ड्रग माफिया के खिलाफ बड़े पैमाने पर अभियान शुरू हुआ, जिसमें सैकड़ों तस्कर पकड़े गए।

2021: मुंद्रा पोर्ट पर 21,000 करोड़ रुपये की हेरोइन जब्ती ने भारत की अंतरराष्ट्रीय ड्रग तस्करी में भूमिका को उजागर किया।

2023: NCB ने "ऑपरेशन गोल्डन फिश" के तहत समुद्री रास्तों से आने वाली ड्रग्स पर नकेल कसी।

निष्कर्ष

2014 के बाद भारत ड्रग तस्करी के लिए एक बड़ा ट्रांजिट और गंतव्य दोनों बन गया है, लेकिन सरकार ने इसे रोकने के लिए सक्रिय कदम उठाए हैं। फिर भी, लंबी सीमाएँ, तकनीकी चुनौतियाँ और बढ़ती मांग इसे जटिल बनाए हुए हैं। भविष्य में तकनीक का बेहतर इस्तेमाल और पड़ोसी देशों के साथ सहयोग इस समस्या को नियंत्रित करने की कुंजी हो सकता है।

हाल के दिनों में भारत में कई बड़े ड्रग तस्करों को पकड़ा गया है। कुछ उल्लेखनीय उदाहरण:

गुजरात में बड़ी कार्रवाई: फरवरी 2024 में, गुजरात के पोरबंदर तट पर भारतीय नौसेना और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) ने एक संयुक्त ऑपरेशन में 3,300 किलोग्राम से अधिक ड्रग्स (चारास, हेरोइन, मेथमफेटामाइन) जब्त की। इसकी कीमत 2,000 करोड़ रुपये से अधिक आंकी गई। इस ऑपरेशन में कई तस्करों को हिरासत में लिया गया, जो एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क का हिस्सा थे।

पंजाब में अंतरराष्ट्रीय तस्कर: मार्च 2025 में, पंजाब पुलिस ने तरनतारन में एक अंतरराष्ट्रीय ड्रग तस्कर को गिरफ्तार किया, जिसकी तलाश अमेरिकी एजेंसी FBI को भी थी। यह तस्कर कोलंबिया से अमेरिका और कनाडा में कोकीन की सप्लाई करता था। इसके अलावा, एक गुरुद्वारा ग्रंथी को भी 12 किलो कोकीन के साथ पकड़ा गया, जो पाकिस्तान से ड्रोन के जरिए ड्रग्स मंगवाता था।

दिल्ली में कार्रवाई: मार्च 2025 में, दिल्ली पुलिस ने पालम गाँव थाना क्षेत्र में एक ड्रग तस्कर को गिरफ्तार किया, जिसके पास से 5 ग्राम हेरोइन, एक देसी कट्टा और एक जिंदा कारतूस बरामद हुआ।

ये घटनाएँ दिखाती हैं कि भारत में ड्रग तस्करी के खिलाफ लगातार बड़े स्तर पर कार्रवाई हो रही है।

भारत में हाल के वर्षों में पकड़े गए कुछ विशिष्ट ड्रग तस्करों के बारे में जानकारी यहाँ दी जा रही है। ये मामले गुजरात और पंजाब जैसे प्रमुख क्षेत्रों से जुड़े हैं, जहाँ ड्रग तस्करी की घटनाएँ सबसे ज्यादा सामने आई हैं।

1. हरप्रीत सिंह भुल्लर (पंजाब, 2025)

गिरफ्तारी: मार्च 2025 में, पंजाब पुलिस ने तरनतारन में हरप्रीत सिंह भुल्लर नामक एक अंतरराष्ट्रीय ड्रग तस्कर को गिरफ्तार किया।

विवरण: यह तस्कर अमेरिकी एजेंसी FBI के लिए भी वांटेड था। वह कोलंबिया से अमेरिका और कनाडा में कोकीन की सप्लाई करता था। इसके नेटवर्क में पाकिस्तान से ड्रोन के जरिए ड्रग्स मंगवाने का भी खुलासा हुआ। इस ऑपरेशन में एक गुरुद्वारा ग्रंथी भी शामिल था, जिसके पास 12 किलो कोकीन पकड़ी गई।

महत्व: यह गिरफ्तारी भारत, पाकिस्तान और उत्तरी अमेरिका के बीच ड्रग तस्करी के गहरे नेटवर्क को उजागर करती है।

2. अहमद (गुजरात, 2021)

गिरफ्तारी: सितंबर 2021 में, गुजरात के मुंद्रा पोर्ट पर 3,000 किलोग्राम हेरोइन की जब्ती के मामले में एक प्रमुख तस्कर अहमद को हिरासत में लिया गया था।

विवरण: यह खेप अफगानिस्तान से आई थी और इसकी कीमत 21,000 करोड़ रुपये आंकी गई। अहमद एक बड़े अंतरराष्ट्रीय सिंडिकेट का हिस्सा था, जो ईरान और पाकिस्तान के रास्ते भारत में ड्रग्स ला रहा था। इस मामले में विजयवाड़ा की एक कंपनी पर भी शक हुआ, जिसने कवर के तौर पर तालक पाउडर का आयात दिखाया था।

महत्व: यह भारत की अब तक की सबसे बड़ी ड्रग बरामदगी थी, जिसने समुद्री तस्करी के खतरे को उजागर किया।

3. हरजीत सिंह और कुलविंदर सिंह (पंजाब, 2023)

गिरफ्तारी: 2023 में, पंजाब पुलिस ने अमृतसर में दो तस्करों, हरजीत सिंह और कुलविंदर सिंह, को पकड़ा।

विवरण: इनके पास से 10 किलो हेरोइन और ड्रोन उपकरण बरामद हुए। ये दोनों पाकिस्तान से ड्रग्स लाने वाले एक संगठित गिरोह का हिस्सा थे। जांच में पता चला कि वे सीमा पार से ड्रोन की मदद से ड्रग्स ड्रॉप करवाते थे।

महत्व: इस मामले ने ड्रोन तकनीक के दुरुपयोग को सामने लाया, जो पंजाब में तस्करी का एक नया तरीका बन गया है।

4. तंजानियाई दंपति (बेंगलुरु, 2021)

गिरफ्तारी: जून 2021 में, बेंगलुरु में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) ने एक तंजानियाई दंपति को गिरफ्तार किया।

विवरण: यह जोड़ा दक्षिण अफ्रीका से भारत में हेरोइन ला रहा था। महिला (30 वर्ष) और पुरुष दोनों हवाई मार्ग से ड्रग्स की तस्करी कर रहे थे। उनके पास से कई किलो हेरोइन बरामद हुई, जो सूटकेस में छिपाई गई थी।

महत्व: यह मामला अफ्रीका से भारत के दक्षिणी राज्यों में ड्रग्स की नई तस्करी मार्ग को उजागर करता है।

5. ईज़िल सेझियान कमालदास (अमेरिका-भारत कनेक्शन, 2019)

गिरफ्तारी: सितंबर 2019 में, अमेरिकी ड्रग एनफोर्समेंट एजेंसी (DEA) और भारतीय अधिकारियों ने न्यूयॉर्क में ईज़िल सेझियान कमालदास सहित आठ लोगों को गिरफ्तार किया।

विवरण: यह गिरोह भारत से ट्रामाडोल (एक синтетिक ओपियोड) की लाखों गोलियाँ अमेरिका भेज रहा था। क्वींस में एक गोदाम से ड्रग्स को पैक कर कूरियर के जरिए भेजा जाता था। कमालदास पर मनी लॉन्ड्रिंग का भी आरोप था।

महत्व: यह भारत से अमेरिका तक दवा तस्करी के बड़े नेटवर्क का उदाहरण है।

सामान्य रुझान

नेटवर्क: ये तस्कर अक्सर अंतरराष्ट्रीय सिंडिकेट्स का हिस्सा होते हैं, जिनमें अफगानिस्तान, पाकिस्तान, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका जैसे क्षेत्र शामिल हैं।

तरीके: समुद्री मार्ग (गुजरात), ड्रोन (पंजाब), और हवाई मार्ग (दक्षिण भारत) तस्करी के प्रमुख तरीके हैं।

प्रोफाइल: कुछ तस्कर बड़े माफिया सरगना हैं, तो कुछ छोटे स्तर पर काम करते हैं, जैसे ड्रग म्यूल्स या स्थानीय सप्लायर।

 

लघुकथाः मुस्कान

 

मुस्कान
देवेंद्र गौतम

अठारह साल की नज़मा की गोद में दो साल का बच्चा था। बच्चा जब भूख से रोता तो उसका अपना कलेजा फटता। पति ठेला चलाता था, लेकिन कमाई सीधे दारू और ऑनलाइन कैसीनो की भेंट चढ़ जाती। नजमा को समझ आ गया था—अगर बेटे को जिंदा रखना है, तो उसे खुद कुछ करना होगा।

दिन-भर गोद में बच्चे को लिए इधर-उधर भटकती। कभी किसी के दरवाज़े पर झाड़ू-पोंछे का काम पूछती, कभी किसी घर में बच्चों की आया बनने की कोशिश करती। लेकिन हर बार उसकी पहचान उसके सामने दीवार बन जाती।

"माफ कीजिए बहन, हमें कामवाली तो चाहिए, पर... आपके लिए मुश्किल होगा। हमारे यहां सब लोग थोड़ा... आप समझ रही हैं ना?"
वह मुस्करा देती। समझती थी। बहुत अच्छे से समझती थी।

एक दिन वह एक वीआईपी कॉलोनी में पहुंची। एक आलीशान बंगले का गेट खटखटाया। दरवाज़ा एक स्मार्ट और आत्मविश्वासी औरत ने खोला।
नाम?”
नजमा।”
औरत कुछ पल चुप रही। फिर कहा, “देखो, मुझे तुम्हारे धर्म से कोई परेशानी नहीं है। पर मेरे पड़ोसी और रिश्तेदार... वे बहुत कुछ सोचते हैं। एक ही शर्त पर रख सकती हूं—काम के वक्त अपना नाम मुस्कान’ रखना पड़ेगा।”

नजमा चुप रही। सिर झुकाए खड़ी रही। महिला ने फिर कहा,
तुम्हें परेशानी हो तो मना कर सकती हो।”
नजमा ने धीरे से सिर हिलाया — “नहीं, मैं काम करूंगी।”

वह बंगले के भीतर तो आ गई, नाम भी बदल लिया — मुस्कान बन गई। बच्चे को पीछे वाले छोटे कमरे में सुला दिया। काम में खुद को झोंक दिया। झाड़ू, पोंछा, बर्तन, खाना... सब कुछ।

मगर एक बात जो उसे सबसे कठिन लगी — वो थी मुस्कान  बनना।

उसने आईने में देखा — चेहरा वही था, नाम नया था... पर होठों पर मुस्कान नहीं थी।

दिन बीतते गए। वह काम सीख गई, लोगों से व्यवहार करना भी। लोग कहते, “मुस्कान बड़ी समझदार है।”

पर हर बार जब वह आईने में खुद को देखती, उसे लगता —
नाम मुस्कान रख लिया है, पर मुस्कान लाएगी कहां से?

शुक्रवार, 7 मार्च 2025

SOG ग्रैंडमास्टर सीरीज़ पश्चिम क्षेत्र के फाइनल का समापन

इस क्षेत्र में एक नया मील का पत्थर साबित हुआ


अमरनाथ

मुंबईiमुंबई में SOG ग्रैंडमास्टर सीरीज़ पश्चिम क्षेत्र के फाइनल का समापन भारत में इस शहर को मानसिक खेलों का केंद्र बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस आयोजन में न केवल प्रतियोगियों बल्कि महाराष्ट्र राज्य सरकार की भी उत्साही भागीदारी देखने को मिली, जो इन बौद्धिक प्रतियोगिताओं के बढ़ते महत्व को दर्शाता है। महाराष्ट्र सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी और सांस्कृतिक मामलों के मंत्री श्री आशीष शेलार इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे और उन्होंने बौद्धिक प्रतिस्पर्धाओं की सीमाओं को आगे बढ़ाने के लिए इस पहल की सराहना की, साथ ही भारत में मानसिक खेलों के लिए एक नए युग की शुरुआत की।

इस टूर्नामेंट ने पश्चिम क्षेत्र में 1,50,000 से अधिक पंजीकरण देखे, जिसमें शतरंज, रम्मी और अंधे शतरंज की तीनों श्रेणियाँ शामिल थीं, जो इस क्षेत्र में मानसिक खेलों में अपार रुचि को प्रदर्शित करता है। इस आयोजन में असाधारण प्रदर्शन हुए, जिसमें 12 फाइनलिस्ट्स को प्रति वर्ष ₹60,000 की प्रतिष्ठित मेजर ध्यानचंद स्कॉलरशिप से सम्मानित किया गया, जो उनके असाधारण योगदान की सराहना करता है और मानसिक खेलों में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।

 



यह प्रतिष्ठित आयोजन SOG फेडरेशन (SOGF) द्वारा अंतरराष्ट्रीय मानसिक खेल संघ (IMSA) के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया, जिसमें शतरंज, रम्मी और अंधे शतरंज में कुछ बेहतरीन दिमागों का प्रदर्शन हुआ, जो प्रतियोगियों और दर्शकों दोनों को मंत्रमुग्ध कर दिया। सीरीज़ का पहला चरण बेंगलुरु में आयोजित किया गया था, लेकिन पश्चिम क्षेत्र का फाइनल मुंबई…

[01:01, 6/3/2025] Amarnath Prasad Mumbai: श्री आशीष शेलार ने इस तरह की पहलों के महत्व पर जोर देते हुए कहा, “यह घटना भारत में मानसिक खेलों को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ी कड़ी है। यह युवा दिमागों को न केवल शारीरिक खेलों में बल्कि बौद्धिक चुनौतियों में भी उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करेगी, जो आज की प्रतिस्पर्धात्मक दुनिया में उतनी ही महत्वपूर्ण हैं।”

 

SOG फेडरेशन के संस्थापक और अंतरराष्ट्रीय मानसिक खेल संघ (IMSA) के पहले भारतीय अध्यक्ष एडवोकेट नंदन झा ने इस आयोजन के बारे में अपनी खुशी व्यक्त करते हुए कहा, “आज भारत मानसिक खेलों के क्षेत्र में अग्रणी है, और फाइनल की मेज़बानी हमारे संघ और पूरे देश के लिए एक ऐतिहासिक घटना है। हमें गर्व है कि भारत मानसिक खेलों में वैश्विक नेता बन रहा है और हम अधिक मानसिक खेलों को विकसित करने के लिए तत्पर हैं, जैसे अन्य देशों ने किया है।”

 

RSS के खेल विंग, क्रीड़ा भारती के राष्ट्रीय संगठन सचिव प्रसाद महांकर ने भी अपनी शुभकामनाएँ दीं, “मैं श्री नंदन झा को शुभकामनाएँ देता हूं, जिन्होंने इस सीरीज़ की कल्पना की, जो शतरंज जैसे स्थापित ईस्पोर्ट्स को नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए आवश्यक है। ये गतिविधियाँ युवा पीढ़ी को प्राचीन मानसिक खेलों जैसे चौपड़ और चतुरंगा से भी परिचित कराएंगी, जो भारत को मानसिक खेलों के क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत करने में मदद करेंगी।”

 

SOG ग्रैंडमास्टर सीरीज़ की ब्रांड एंबेसडर कोनेरू हम्पी ने इस परिवर्तनकारी पहल का हिस्सा बनने पर गर्व व्यक्त करते हुए कहा, “ऐसी अद्वितीय पहल का हिस्सा बनना सम्मान की बात है। मानसिक खेलों के पास एक नई पीढ़ी के चैंपियनों को आकार देने की शक्ति है, जो न केवल खेलों में बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करेंगे।”

 

पश्चिम क्षेत्र फाइनल के ब्रांड एंबेसडर अजिंक्य रहाणे ने टिप्पणी की, “मानसिक खेल किसी एक खेल तक सीमित नहीं होते। क्रिकेट में भी उदाहरण के तौर पर, मन पर नियंत्रण बहुत महत्वपूर्ण है। मुझे यहाँ होना और इस नई प्रतिस्पर्धा का समर्थन करना सचमुच सम्मान की बात है।”

 

इस अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिष्ठित व्यक्तित्व भी उपस्थित थे, जिनमें बीजेपी के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्याम जाजू, महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री राज के पुरोहित, श्रम और रोजगार मंत्रालय के पूर्व सचिव शंकर अग्रवाल, SOGF के अध्यक्ष और शहरी विकास मंत्रालय के पूर्व सचिव गुलशन राय, पीएमओ के पूर्व साइबर सुरक्षा सलाहकार और SOGF के साइबर कमिटी के अध्यक्ष, गुरशरण सिंह, भारतीय पैरलिंपिक समिति के पूर्व महासचिव और SOGF के महासचिव, अशोक ध्यानचंद, ओलंपिक पदक विजेता और SOGF के उपाध्यक्ष, IMSA के CEO जियोफ्री बर्ग, Chess Federation of India के CEO अजय कुमार वर्मा, भारतीय ग्रैंडमास्टर प्रवीण थिप्से और अभिजीत कुनते, और प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता अंगद बेदी शामिल थे।

 

फाइनल इस वर्ष के अंत में दिल्ली में आयोजित होने वाले हैं, इसके बाद उत्तर क्षेत्र, पूर्व क्षेत्र और दक्षिण क्षेत्र 2 क्षेत्रों की ग्रैंड सीरीज़ की सफलतापूर्वक समाप्ति होगी।

 

SOG ग्रैंडमास्टर सीरीज़ पश्चिम क्षेत्र फाइनल ने नए मानक स्थापित किए हैं और यह सीरीज़ मानसिक खेलों को ऊंचा उठा रही है, शतरंज, रम्मी और अंधे शतरंज जैसी विधाओं को वैश्विक मंच पर मजबूत कर रही है। जैसे-जैसे उत्साह बढ़ता जा रहा है, यह आयोजन भारत और अन्य देशों में प्रतिस्पर्धी मानसिक खेलों के भविष्य का मार्ग प्रशस्त कर रहा है।


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