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रविवार, 21 अगस्त 2011

उग्रवादियों की मांद में दूसरा दिन



यहां चलती है नक्सलियों की समानांतर सरकार छाया:शंकर 
                      शंकर प्रसाद साव
                             दूसरा दिन  
बाघमारा धनबाद : गांव में कभी पुलिस नहीं आती है. कभी कभार बडी घटना घटने के बाद पुलिस की बडी फौज जांच पडताल करने आती है. बाकी छोटी- मोटी घटनाओं की जांच गांव के चौकीदार ही करते है.पुलिस की मुखबीरी करने वाले संगठन के निशाने पर होते हैं. गांव के विकास तथा विवादों का निपटारा संगठन के लोग अपने तौर तरीके से करते है. ग्रामीणों में पुलिस प्रशासन के प्रति अविश्वास की भावना  भरते हैं कुल मिलाकर वे धड़ल्ले से अपनी समानांतर सरकार चला रहे है.
                         समस्याओं  का अंबार 
अन्य उग्रवाद प्रभावित इलाकों की तरह यहां भी सडक की दशा काफी खराब है.  आने- जाने का रास्ता तो है लेकिन उस पर गाडी चलाना तो दूर पैदल चलना भी जोखिम भरा है. गांव में पानी की समस्या गंभीर है.ग्रामीण अपनी प्यास बुझाने के लिए दांडी चुआं के पानी का उपयोग करते हैं. इक्का-दुक्का  चापाकल है तो उसपर सैकडों लोगों की प्यास कैसे बुझे. तालाब बहुत कम है. अन्य लाभकारी योजनाओ का लाभ लोगों को सही ढ्रंग से नहीं मिल पाता हैं. स्वास्थ्य सेवाओं का घोर अभाव है. ज्यादातर लोग झोला छाप डॉक्टर पर निर्भर है. उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए युवा वर्ग को गांव छोडकर शहर की ओर पलायन करना होता है.
             खेती-बारी ही आय का स्रोत्र
 उग्रवाद प्रभावित इलाकों में गुजर बसर करने वाले लोगों के लिए खेतीबारी ही आय का मुख्य स्रोत्र हैं. धान गेंहू के अलावा वे मौसमी सब्जियां  उगाते है और उसे बाजारों मे बेच कर अपने जीविकोपार्जन का साधन जुटाते हैं. सिंचाई की समुचित  सुविधा नहीं होने के बावजूद यहां के लांग कडी मेहनत कर हजारों टन सब्जी उगाते हैं. धनबाद के प्रमुख बजारों में बिकने वाली पचास फीसदी से अधिक सब्जियां उग्रवाद प्रभावित इलाके से ही ट्रांसपोर्ट होकर आती हैं.
                    थोडी सी भूल से जा सकती है जान 
 अगर कभी काल किसी कारण वश उग्रवाद प्रभावित इलाके में जाने की नौबत आ पडी तो थोड़ी सावधानी जरूर बरतें वरना आप हादसे के शिकार हो सकते है. उग्रवाद प्रभावित इलाके में घुसने के साथ ही आप गाडी की रफतार एकदम धीमी कर दे. हौर्न का उपयोग बार- बार करें. रास्ते पर गुजरने वाले किसी भी व्यक्ति से आप सभ्यता से पेश आयें. नाम पता पूछने पर अपना सही परिचय दे. गांव पार करते वक्त अगर किसी चीज  की जरूरत आ पड़े तो नम्रतापूर्वक  मदद मांगे. किसी पुलिस अधिकारी से संबंधित होने कापरिचय न दे. अगर रात को गुजरना हो तो अपनी गाडी की लाईट ऑफ डाउन के साथ हॉर्न बजाते हुए आगे बढे अगर यह सब सही तरह से पालन हुआ तो लोग समझ जायेंगे कि आप लोकल है. वरना आप संदेह के घेरे में आकर हादसे का शिकार बन सकते है. अगर बारात लेकर या उसके साथ पहुंचे तो भूलकर भी आतिशबाजी न करे. अपनी शान शौकत दिखाने के लिए किसी घातक हथियार का उपयोग न करे वरना बंधक बन सकते हैं. आपकी जान भी जा सकती है.

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