यह ब्लॉग खोजें

शनिवार, 23 जून 2018

...तो क्या सचमुच सबसे बड़ा घोटाला थी नोटबंदी



धीरे-धीरे इस आरोप की पुष्टि हो रही है कि भाजपा के शीर्ष नेताओं को नोटबंदी की पहले से जानकारी थी और उन्होंने इसका भरपूर लाभ उठाया था। भाजपा की विभिन्न इकाइयों पर बिहार समेत देश के कई राज्यों में नोटबंदी से ठीक पहले बड़े-बड़े भूखंड खरीदने का आरोप तो 2016 में ही लगा था। इसकी कोई जांच-पड़ताल नहीं हुई। इधर एक नई बात सामने आई है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से जुड़े सहकारी बैंक के जरिए 745.58 करोड़ के पुराने नोट बदले गए। यह रकम देश के 370 जिला स्तरीय सहकारी बैंकों में सबसे ज्यादा है। यही नहीं भाजपा नेताओं से जुड़े सहकारी बैंकों में सबसे ज्यादा नोट जमा किए और बदले गए हैं। राहुल गांधी ने पहले ही नोटबंदी को आजाद भारत का सबसे बड़ा घोटाला करार दिया था। अब उनकी बात सत्यता के करीब पहुंच रही है। इस मामले की पुष्टि नबार्ड ने सूचना के अधिकार के तहत पूछे गए प्रश्न के जवाब में की है। महाराष्ट्र के सूचना अधिकार कार्यकर्ता मनोरंजन एस राय ने नबार्ड से सूचना अधिकार के तहत स संबंध में जानकारी मांगी थी। इसपर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी समेत अन्य वरिष्ट नेताओं ने आरोपों की बौचार की है लेकिन अभी तक भाजपा की ओर से कोई सफाई नहीं आई है। ट्वीटर पर यह मामला गर्म है। टेलीग्राफ ने इसकी विस्तृत रपट प्रकाशित की है। उल्लेख्य है कि नोटों की अदला-बदली नोटबंदी की घोषणा के दो दिन बाद 10 नवंबर से शुरू हुई थी। 14 नवंबर को सहकारी बैंकों में पुराने नोटों को जमा करने पर पाबंदी लगा दी गई थी। तर्क यह था कि उनके जरिए काले धन को सफेद किया जा सकता है। सहकारी बैंकों में यह रकम मात्र पांच दिनों में जमा की गई है।
अहमदाबाद जिला को-आपरेटीव बैंक जिसमें सबसे बड़ी राशि जमा की गई, अमित शाह उसके चेयरमैन हुआ करते थे। अब उनके करीबी भाजपा नेता अजय पटेल चेयरमैन हैं। शाह सिर्फ निदेशक मंडल के सदस्य हैं। कांग्रेस के संचार प्रमुख रणदीप सुरजेवाला ने सवाल किया है कि यह रकम किसकी थी। उनका कहना है कि उन्होंने सरकार से नोटबंदी से पूर्व और उसके पश्चात 25 लाख से अधिक राशि जमा करने वालों की सूची मांगी थी लेकिन उसे मुहैय्या नहीं कराया गया। उनका कहना है कि बड़े भूखंडों की खरीद संबंधी जानकारी उनके पास है। नोटबंदी से पूर्व कुछ भाजपा नेताओं के पास नए नोट पकड़े गए थे। यह कैसे हुआ। इस पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए क्योंकि यह प्रधानमंत्री पद की विश्वसनीयता और गरिमा से जुड़ा प्रश्न है। श्री सुरजेवाला ने ,चना के अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी का हवाला देते हुए कहा है कि गुजरात में भाजपा नेताओं के से जुड़े 11 जिलों के सहकारी बैंकों में 10 नवंबर 2016 से 14 नवंबर 2016 के बीच 3118.51 करोड़ के पुराने नोट जमा किए गए। भाजपा शासित राज्यों में भाजपा और उसके सहयोगी दलों के नेताओं से जुड़े सहकारी बैंकों में 14293.71 करोड़ जमा किए गए जबकि सभी सहकारी बैंकों को मिलाकर पांच दिनों में कुल जमा रकम 22270.80 करोड़ की थी। सितंबर 2016 में बैंकों में अन्य वर्षों की तुलना में 5.88 लाख करोड़ की राशि अधिक जमा की गई थी। यही नहीं 1 से 15 सितंबर के बीच 3 लाख करोड़ की राशि फिक्स्ड डिपोजिट कराई गई थी। यह इस बात को प्रमाणित करता है कि नोटबंदी की योजना की जानकारी कुछ लोगों को पहले से थी और उन्होंने अपना काला धन समय रहते व्यवस्थित कर लिया था। हालाकि नबार्ड अहमदाबाद बैंक में जमा की गई राशि को अप्रत्याशित नहीं मानता।

-देवेंद्र गौतम


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

बांग्लादेशी मॉडल की ओर बढ़ता देश

  हाल में बांग्लादेश का चुनाव एकदम नए तरीके से हुआ। पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के नेतृत्व वाली मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार...