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शनिवार, 6 जुलाई 2019

उन्मादी भीड़ पर काबू पाने की चुनौती



देवेंद्र गौतम
रांची। हेथू में एक समुदाय के तीन युवकों और एकरा मस्जिद के पास दूसरे समुदाय के दो युवकों पर किया गया जानलेवा हमला भीड़तंत्र की उन्मादजनित हिंसक प्रवृति के बेकाबू होते जाने का परिचायक है। इसपर काबू पाने के लिए पुलिस-प्रशासन को अत्यंत सतर्क और चुस्त-दुरुस्त रहना होगा। राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने राज्यभर के पुलिस अधिकारियों को इस संबंध में आवश्यक निर्देश दिए हैं लेकिन इसकी एक सुगठित रणनीति तथ कार्यनीति  बनाने की जरूरत है। आवश्यक होने पर विशेष सेल बनाने की पहल होनी चाहिए जिसमें किसी संवेदनशील सूचना पर त्वरित कार्रवाई संभव हो।

भीड़ का बेकाबू हो जाना और हिंसक रूप धारण कर लेना कभी भी पूर्व नियोजित नहीं होता। एक अफवाह हवा में तैरती है और लोग आपा खो बैठते हैं। पुलिस घटना के बाद मुस्तैद होती है। कार्रवाई करती है। निश्चित रूप से आकस्मिक घटनाओं पर नज़र रख पाना न व्यावहारिक है न संभव। इस तरह की घटनाओं का एक कारण कानून व्यवस्था के प्रति भरोसा उठ जाना होता है और दूसरा किसी संवेदनशील सूचना को गंभीरता से नहीं लेने की पुलिसिया कार्यशैली। आजादी के 70 साल बाद भी लोग थाने में जाने से परहेज़ करते हैं। पुलिस पैसों की उगाही के लिए किसी को परेशान करने लगती है। आम जनता को प्रताड़ित करना अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझती है। हरे नोटों के लिए सच को झूठ और झूठ को सच बनाने में जरा भी संकोच नहीं करती। प्राथमिकी दर्ज करने में आनाकानी की शिकायतें तो आए दिन सुर्खियों में रहती है। संभव है सरकार द्वारा निर्धारित वेतन से उनकी काम नहीं चल पाता हो। उनकी ड्यूटी 24 घंटे सात दिन की होती है। उन्हें उनकी मेहनत के हिसाब से वेतन मिलना ही चाहिए। सरकार को इसपर ध्यान देना चाहिए। पुलिस को पब्लिक फ्रेंडली बनाने की वर्षों से कोशिश की जा रही है। सेमिनार पर सेमिनार आयोजित किए जाते हैं। पुलिस-पब्लिक मीट के आयोजन होते हैं लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात रहता है। पुलिस बल वर्दी की गर्मी और ब्रिटिश कालीन मानसिकता से कैसे मुक्त हो, इसपर विचार करने की जरूरत है। कानून व्यवस्था का सतर्क प्रहरी होने के नाते उनका सत्ता का आज्ञाकारी होने के साथ एक जिम्मेवार नागरिक होना जरूरी है।    

शनिवार, 29 जून 2019

मॉब लिंचिंग मानवता को शर्मसार करने वाला कृत्यः पुलिस अधीक्षक



विनय मिश्रा

चाईबासा। सदर थाना परिसर में आज मॉब लिंचिंग को लेकर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें बड़ी संख्या में शहर के गणमान्य नागरिक, विशिष्ट अतिथि गण एवं आम लोग भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए। पुलिस अधीक्षक ने विस्तारपूर्वक मॉब लिंचिंग की घटना और उसके समाज में दुष्प्रभाव पर प्रकाश डाला।

पुलिस अधीक्षक इंद्रजीत महथा ने कहा कि मॉब लिंचिंग का अर्थ यह होता है कि जब दुश्मन को एक दूसरे के बारे में पता ही नहीं होता है। मॉब लिंचिंग के संबंध में थाना परिसर में उपस्थित सैकड़ों की संख्या में लोगों को पुलिस अधीक्षक ने उदाहरण देते हुए अपनी बातें समझाई। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे कि आप अपनी जमीन के लिए किसी के साथ लड़ाई करते हैं तो एक दूसरे के बारे में जानकारी रखते हैं कि किनके बीच में झगड़ा हो रहा है। लेकिन *मॉब लिंचिंग का विशेष अर्थ यह होता है कि है कि किसी को पता ही नहीं होता है कि जिसको पीटा जा रहा है या यातना दी जा रही है उसका कसूर क्या है। उसको किस लिए सजा दी जा रही है उसका जुर्म क्या है। एक के बाद एक करके लोग पीटते जाते हैं।

पुलिस अधीक्षक ने कहा कि अमूमन जब कोई जुर्म होता है तो अपराधी किसी मंशा के साथ उसे अंजाम देता है। लेकिन अनियंत्रित भीड़ के द्वारा जब किसी व्यक्ति को तथाकथित सजा दी जाती है तब एक आदमी को कई लोग मार रहे होते हैं और उनकी आपस में कोई दुश्मनी नहीं रहती है। भीड़ को पता ही नहीं है कि वह क्यों मार रहे हैं लेकिन निरुद्देश मारे जा रहे हैं। इसको रोकने की जरूरत है।

पुलिस अधीक्षक ने जानकारी दी कि किस तरह से रोजमर्रा के जीवन में यदि हम अपने घर से निकलते हैं और बीच रास्ते में एक छोटी सी घटना कब मॉब लिंचिंग का रूप ले लेती है। उन्होंने अन्य राज्यों के उदाहरण देते हुए भी अपनी बात को समझाया।

पुलिस अधीक्षक ने कहा कि जिसके साथ छेड़खानी हुई है वह f.i.r. करेगा। उसके ऊपर उचित कानूनी कार्रवाई  होगी, गवाही होगी और उसको अपने किए की सजा दिलवाई जाएगी। जिस भी व्यक्ति के साथ जुर्म हुआ है उसके लिए विधि संगत तरीके से कानूनी कार्रवाई करना पुलिस का काम है ना कि इसके लिए बेकाबू भीड़ को कानून से ऊपर उठकर फैसला करने का अधिकार कानून ने दिया है।

इस अवसर पर  अमर कुमार पांडे, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी सदर चाईबासा ने कहा कि *मॉब लिंचिंग को किसी भी धर्म विचारधारा पंथ या समुदाय विशेष से जोड़ कर नहीं देखा जाए। यह मानव धर्म और मानवता को शर्मसार करने वाला कृत्य है।समाज में जो भी विसंगतियां हैं, कुरीतियां है इसके निवारण के लिए एक तंत्र है और कानून है। जैसे-जैसे सरकार को, कार्यपालिका और विधायिका के संज्ञान में समस्याएं आती हैं नित्य नए कानून बनते हैं।
माननीय सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा मॉब लिंचिंग के संदर्भ में विशेष दिशा निर्देश दिए गए हैं
सदर अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी ने कहा कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा भी मॉब लिंचिंग के संदर्भ में विशेष दिशा निर्देश राज्य सरकार और केंद्र सरकार को दिए गए हैं जिसका अनुपालन शासन-प्रशासन के स्तर से किया जा रहा है। आप सभी से मेरी तरफ से गुजारिश है कि इस मुद्दे को अपने घर के स्तर से भी प्रचारित व प्रसारित करना शुरू करें और शहर के हर एक व्यक्ति तक यह बात पहुंच जाए कि जब अनियंत्रित भीड़ के द्वारा मानवता को शर्मसार करने वाली कार्रवाई की जाती है तो व्यक्ति विशेष का क्या दायित्व होना चाहिए। चाहे वह व्यक्ति किसी भी संस्था, सामाजिक संस्था राजनीतिक दल या किसी भी समाज विशेष, समुदाय विशेष से जुड़ा है उसका सर्वप्रथम कर्तव्य यह होना चाहिए कि वह किस प्रकार अनियंत्रित भीड़ द्वारा की जाने वाली कार्रवाई को तुरंत रोके।  सर्वप्रथम स्थानीय प्रशासन और खासकर थाना को सूचित करें। थाना जुडिशल सिस्टम की मूलभूत कार्यात्मक इकाई है उस तक अपनी बात को पहुंचाएं और अविलंब इसकी सूचना दें । शासन तंत्र में पदानुक्रम बना हुआ है इंस्पेक्टर, पुलिस उपाधीक्षक, पुलिस अधीक्षक सभी का यह सापेक्षिक दायित्व है। एक नागरिक के रूप में भी आप इस प्रकार की घटना को अपने आसपास घटित नहीं होने दें और इसके लिए निरोधात्मक सोच रखें और कार्रवाई करें।

इस अवसर पर अनुमंडल पदाधिकारी सदर चाईबासा श्री परितोष ठाकुर हेड क्वार्टर डीएसपी चाईबासा अरविंद कुमार सदर थाना के थाना प्रभारी एवं अन्य पुलिसकर्मी शामिल हुए।

शुक्रवार, 28 जून 2019

तबरेज़ के परिवार को न्याय के लिए काला बिल्ला लगाकर निकाला मौन जुलूस


चक्रधरपुर ।सरायकेला के खरसावां में मॉब लीचिंग में मारे गए तबरेज अंसारी के परिवार को जल्द से जल्द  न्याय मिले इसे लेकर चक्रधरपुर में शुक्रवार को दोपहर 3:00 बजे काला बिल्ला लगाकर मौन जुलूस मुस्लिम समुदाय के लोगों ने निकाला। मौन जुलूस भारत भवन चौक से होते हुए ओवर ब्रिज पार करके उर्दू टॉउन हाई स्कूल के बाउंड्री के अंदर पहुचीं जहां काफी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग इकट्ठा हुए वही कुछ  प्रशासन के अधिकारी और जवान भी मौजूद थे इस बीच जुलूस में आए चंद लोगों ने वहां मौजूद  अनुमंडल दंडाधिकारी कार्यपालक से अपनी बात रखते हुए कहा की मॉब लीचिंग की वारदात दोबारा नहीं होनी चाहिए प्रशासन को इस पर सख्ती बरतनी चाहिए और तबरेज अंसारी के साथ जो हुआ वह और किसी के साथ ना हो, मॉब लीचिंग पे सरकार को सख्त से सख्त कानून बनानी चाहिए और तबरेज अंसारी के परिवार को जल्द से जल्द न्याय मिलनी चाहिए।

बुधवार, 26 जून 2019

मॉब लिंचिंगः अल्पसंख्यक आयोग की टीम पहुंची सरायकेला


सरायकेला/खरसांवा।मॉब लीचिंग मामले को लेकर झारखंड राज्य अल्पसंख्यक आयोग की टीम सरायकेला पहुंची ।अध्यक्ष कमाल खान के नेतृत्व में टीम ने सबसे पहले खरसावां के कदम डीहा गांव पहुंच तबरेज के परिजनों व पत्नी से मिलकर मामले की  पूरी जानकारी ली टीम के अध्यक्ष कमाल खान ने कहा कि तबरेज की हत्या अमानवीय घटना है अगर तबरेज अंसारी चोरी के आरोप में पकड़ा गया तो कानून को अपने हाथ में ना लेकर ग्रामीणों को इसे पुलिस के हवाले कर  देना चाहिए था पूरे मामले पर रिपोर्ट ली गई है और संबंधित दोषियों पर कार्रवाई का निर्देश दिया गया है अध्यक्ष कमल खान अपनी पूरी टीम के साथ पीड़ित के परिजनों से मुलाकात व घटना स्थल के निरीक्षण के बाद सरायकेला परिसदन में डीसी एसपी समेत अन्य वरीय अधिकारियों संग बैठक की। अध्यक्ष ने घटना व अब तक हुई कार्रवाई व जांच की पूरी जानकारी ली।आयोग की  टीम द्वारा  प्रशासन को मृतक की पत्नी को रोजगार मुहैया कराने का निर्देश दिया गया है वहीं उसे सरकार की ओर से मिलने वाले अन्य लाभ जैसे पेंशन व आवास मुहैया कराए जाने की बात कही गई इस बीच आयोग ने डीसी  को मॉब लीचिंग मामले पर मौजा के रूप में दो लाख का भुगतान करने का निर्देश दिया । इस दौरान मृतक तबरेज अंसारी की पत्नी शाहिस्ता परवीन ने अल्पसंख्यक आयोग और पुलिस प्रशासन से पति की मौत के इंसाफ की गुहार लगाई है शाहिस्ता ने कहा कि उसके शौहर बेकसूर थे एक सोची-समझी साजिश के तहत उन्हें चोरी का आरोप लगाकर मार दिया गया वहीं मृतक तबरेज के चाचा मोहम्मद मसरूर आलम ने कहा कि मोबलीचिंग का मामला फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाया जाए जिससे कि दोषियों पर जल्द से जल्द कार्रवाई हो । इस दौरान अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष अशोक सारंगी ,गुरुदीप  सिंह राजा समेत अन्य शामिल थे।

स्वर्ण जयंती वर्ष का झारखंड : समृद्ध धरती, बदहाल झारखंडी

  झारखंड स्थापना दिवस पर विशेष स्वप्न और सच्चाई के बीच विस्थापन, पलायन, लूट और भ्रष्टाचार की लाइलाज बीमारी  काशीनाथ केवट  15 नवम्बर 2000 -वी...