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शनिवार, 29 जून 2019

मॉब लिंचिंग मानवता को शर्मसार करने वाला कृत्यः पुलिस अधीक्षक



विनय मिश्रा

चाईबासा। सदर थाना परिसर में आज मॉब लिंचिंग को लेकर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें बड़ी संख्या में शहर के गणमान्य नागरिक, विशिष्ट अतिथि गण एवं आम लोग भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए। पुलिस अधीक्षक ने विस्तारपूर्वक मॉब लिंचिंग की घटना और उसके समाज में दुष्प्रभाव पर प्रकाश डाला।

पुलिस अधीक्षक इंद्रजीत महथा ने कहा कि मॉब लिंचिंग का अर्थ यह होता है कि जब दुश्मन को एक दूसरे के बारे में पता ही नहीं होता है। मॉब लिंचिंग के संबंध में थाना परिसर में उपस्थित सैकड़ों की संख्या में लोगों को पुलिस अधीक्षक ने उदाहरण देते हुए अपनी बातें समझाई। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे कि आप अपनी जमीन के लिए किसी के साथ लड़ाई करते हैं तो एक दूसरे के बारे में जानकारी रखते हैं कि किनके बीच में झगड़ा हो रहा है। लेकिन *मॉब लिंचिंग का विशेष अर्थ यह होता है कि है कि किसी को पता ही नहीं होता है कि जिसको पीटा जा रहा है या यातना दी जा रही है उसका कसूर क्या है। उसको किस लिए सजा दी जा रही है उसका जुर्म क्या है। एक के बाद एक करके लोग पीटते जाते हैं।

पुलिस अधीक्षक ने कहा कि अमूमन जब कोई जुर्म होता है तो अपराधी किसी मंशा के साथ उसे अंजाम देता है। लेकिन अनियंत्रित भीड़ के द्वारा जब किसी व्यक्ति को तथाकथित सजा दी जाती है तब एक आदमी को कई लोग मार रहे होते हैं और उनकी आपस में कोई दुश्मनी नहीं रहती है। भीड़ को पता ही नहीं है कि वह क्यों मार रहे हैं लेकिन निरुद्देश मारे जा रहे हैं। इसको रोकने की जरूरत है।

पुलिस अधीक्षक ने जानकारी दी कि किस तरह से रोजमर्रा के जीवन में यदि हम अपने घर से निकलते हैं और बीच रास्ते में एक छोटी सी घटना कब मॉब लिंचिंग का रूप ले लेती है। उन्होंने अन्य राज्यों के उदाहरण देते हुए भी अपनी बात को समझाया।

पुलिस अधीक्षक ने कहा कि जिसके साथ छेड़खानी हुई है वह f.i.r. करेगा। उसके ऊपर उचित कानूनी कार्रवाई  होगी, गवाही होगी और उसको अपने किए की सजा दिलवाई जाएगी। जिस भी व्यक्ति के साथ जुर्म हुआ है उसके लिए विधि संगत तरीके से कानूनी कार्रवाई करना पुलिस का काम है ना कि इसके लिए बेकाबू भीड़ को कानून से ऊपर उठकर फैसला करने का अधिकार कानून ने दिया है।

इस अवसर पर  अमर कुमार पांडे, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी सदर चाईबासा ने कहा कि *मॉब लिंचिंग को किसी भी धर्म विचारधारा पंथ या समुदाय विशेष से जोड़ कर नहीं देखा जाए। यह मानव धर्म और मानवता को शर्मसार करने वाला कृत्य है।समाज में जो भी विसंगतियां हैं, कुरीतियां है इसके निवारण के लिए एक तंत्र है और कानून है। जैसे-जैसे सरकार को, कार्यपालिका और विधायिका के संज्ञान में समस्याएं आती हैं नित्य नए कानून बनते हैं।
माननीय सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा मॉब लिंचिंग के संदर्भ में विशेष दिशा निर्देश दिए गए हैं
सदर अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी ने कहा कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा भी मॉब लिंचिंग के संदर्भ में विशेष दिशा निर्देश राज्य सरकार और केंद्र सरकार को दिए गए हैं जिसका अनुपालन शासन-प्रशासन के स्तर से किया जा रहा है। आप सभी से मेरी तरफ से गुजारिश है कि इस मुद्दे को अपने घर के स्तर से भी प्रचारित व प्रसारित करना शुरू करें और शहर के हर एक व्यक्ति तक यह बात पहुंच जाए कि जब अनियंत्रित भीड़ के द्वारा मानवता को शर्मसार करने वाली कार्रवाई की जाती है तो व्यक्ति विशेष का क्या दायित्व होना चाहिए। चाहे वह व्यक्ति किसी भी संस्था, सामाजिक संस्था राजनीतिक दल या किसी भी समाज विशेष, समुदाय विशेष से जुड़ा है उसका सर्वप्रथम कर्तव्य यह होना चाहिए कि वह किस प्रकार अनियंत्रित भीड़ द्वारा की जाने वाली कार्रवाई को तुरंत रोके।  सर्वप्रथम स्थानीय प्रशासन और खासकर थाना को सूचित करें। थाना जुडिशल सिस्टम की मूलभूत कार्यात्मक इकाई है उस तक अपनी बात को पहुंचाएं और अविलंब इसकी सूचना दें । शासन तंत्र में पदानुक्रम बना हुआ है इंस्पेक्टर, पुलिस उपाधीक्षक, पुलिस अधीक्षक सभी का यह सापेक्षिक दायित्व है। एक नागरिक के रूप में भी आप इस प्रकार की घटना को अपने आसपास घटित नहीं होने दें और इसके लिए निरोधात्मक सोच रखें और कार्रवाई करें।

इस अवसर पर अनुमंडल पदाधिकारी सदर चाईबासा श्री परितोष ठाकुर हेड क्वार्टर डीएसपी चाईबासा अरविंद कुमार सदर थाना के थाना प्रभारी एवं अन्य पुलिसकर्मी शामिल हुए।

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