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शनिवार, 14 सितंबर 2019

मदर्स इंटरनेशनल स्कूल में संगोष्ठी का आयोजन


* सोशल मीडिया द्वारा प्रसारित गलत खबरों का प्रभाव विषयक कार्यशाला में बोले वक्ता,
* सामाजिक समरसता के लिए अफवाहों से बचना जरूरी

रांची। राजधानी के अरगोड़ा-कटहल मोड़ रोड पर अवस्थित मदर्स इंटरनेशनल स्कूल, पिपरटोली (चापूटोली) में शनिवार को एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विशेष रूप से एक संगोष्ठी भी आयोजित की गई। जिसका विषय "सोशल मीडिया द्वारा प्रसारित गलत खबरों का प्रभाव"रखा गया था। इस कार्यशाला में मुख्य वक्ता लॉजिकल इंडिया के सीईओ भरत कुमार ने संगोष्ठी के विषय की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वर्तमान समय में सोशल मीडिया का दायरा काफी बढ़ता जा रहा है। इस पर कई उपयोगी जानकारियां भी प्राप्त होती रहती हैं, लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कभी-कभी सोशल मीडिया पर गलत खबरें भी प्रसारित कर दी जाती है, जिसका हमारे समाज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और सामाजिक समरसता बिगड़ने की संभावना रहती है। इससे हमें बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि समय के अनुसार मीडिया का दायरा भी विस्तारित हो रहा है। मीडिया कर्मियों को सकारात्मक खबरों को प्रचारित-प्रसारित करने पर विशेष रुप से ध्यान देने की आवश्यकता है। वहीं,  नकारात्मक खबरों की पुष्टि अत्यंत जरूरी है। इस अवसर पर उड़ान की सीईओ और परामर्शी अलका सिंह ने कहा कि सोशल मीडिया पर प्रसारित कई खबरों का दुष्प्रभाव भी पड़ता है। कई बार कुछ खबरों की वजह से सांप्रदायिक माहौल भी बिगड़ने की संभावना बन जाती है। ऐसी गलत खबरों से हमें परहेज करना चाहिए। सोशल मीडिया पर प्रसारित किए जाने वाली कई अपुष्ट खबरों के कारण सामाजिक वैमनस्यता फैलने की बातें भी सामने आती रहती है।
 इसलिए हमें इस मामले में विशेष सजगता बरतने की जरूरत है। इस संबंध में सरकारी और गैर सरकारी स्तर पर जागरूकता अभियान चलाए जाने की भी आवश्यकता है। इस कार्यशाला में स्कूल के छात्रों ने काफी दिलचस्पी दिखाई और सोशल मीडिया पर प्रसारित होने वाली खबरों के प्रति सजग और सतर्क रहने का संकल्प लिया। इस मौके पर विद्यालय की प्राचार्य डॉ रोमी झा, अर्चना, ज्योत्स्ना, शिव शंकर भट्टाचार्य, तनवीर जफर सहित अन्य शिक्षकों ने भी छात्रों को सोशल मीडिया की महत्ता के बारे में जानकारी दी और इससे संबंधित जागरूकता फैलाने में वक्ताओं की भूमिका के प्रति आभार व्यक्त किया। कार्यशाला में काफी संख्या में छात्र मौजूद थे।

रविवार, 20 जनवरी 2019

वृक्षारोपण की महत्ता पर संगोष्ठी


रांची। शिव शिष्य हरीन्द्रानन्द फाउंडेशन, राँची के तत्वावधान में ‘‘वृक्ष हैं धरा के भूषण,करते दूर प्रदूषण’’ विषयक एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन ‘‘दी कार्निवाल हॉल’’, राँची में आयोजित किया गया। देश की एकता के प्रतीक हमारे राष्ट्र गान जन गण मन से कार्यक्रम का आरम्भ हुआ।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरेण्य गुरूभ्राता हरीन्द्रानन्द जी ने कहा वन की महत्ता से हम सभी परिचित हैं। अगर हम इतिहास के पन्नों को पलट कर देखेंगे, तो हम पायेंगे कि पूर्व में वनों का प्रतिशत ज्यादा था, जनसंख्या कम थी।
पशुओं की संख्या कम थी। इसलिए इसके महत्व के बारे में उतना नहीं सोचते थे, लेकिन बाद में जनसंख्या वृद्धि, औद्योगिकीकरण, शहरीकरण, संरचनात्मक विकास की वृद्धि के साथ-साथ वनों का विनाश होता गया, जिसका परिणाम आज हाल के घटनाओं, जैसा कि हम सभी जानते हैं, केदारनाथ, बद्रीनाथ में आया भू-स्खलन, केरल, उत्तराखण्ड एवं हिमाचल से आया भू-स्खलन, लातूर (महाराष्ट्र) में सूखा, तो चेन्नई में सुनामी के रूप में प्रकट होता है। कहने का तात्पर्य है कि कहीं सूखा तथा कहीं बाढ़, तो कहीं Landslide के रूप में हमारे सामने आता है। हमें केवल संकल्प ही नहीं कार्यान्वयन करना चाहिए।
शिव शिष्य हरीन्द्रानन्द फाउंडेशन के अध्यक्षा बरखा सिन्हा ने बताया कि अभी भारत में वनों का क्षेत्रफल 79.42 Million Hectare है, जो कि कुल भू-भाग का 24.16% है, जबकि झारखण्ड के कुल वनों का क्षेत्रफल 23605 Km2 है, जो कि कुल भू-भाग का करीब 26.61% है। सामान्य परिस्थिति में कुल भू-भाग का एक तिहाई, यानि 33.33% भू-भाग होना चाहिए, जो कि झारखण्ड में करीब 3.50% अभी भी कम है। पुनः पहाड़ी क्षेत्रों में ढलान (Slope) के अनुसार वनों का प्रतिशत 40%से 80% तक होना चाहिए। प्रो॰ रामेश्वर मंडल ने वनों से मिलने वाले प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष लाभ के बारे में जानकारी दी।
इस कार्यक्रम में झारखण्ड एवं बंगाल राज्य से लगभग पंद्रह सौ लोगों ने भाग लिया और अपने विचार रखे कि किस तरह से वृक्षों का संरक्षण किया जाय ताकि प्रदूषण से लड़ा जा सके और हम स्वच्छ हवा में साँसे ले सकें।

शनिवार, 12 जनवरी 2019

हरीन्द्रानंद फाउंडेशन की संगोष्ठी


‘रांची।शिव शिष्य हरीन्द्रानन्द फाउंडेशन, राँची के तत्वावधान में ‘‘साँसे हो रही हैं कम, आओ वृक्ष लगाये हम’’ विषयक एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन ‘‘दी कार्निवाल हॉल’’, राँची में आयोजित किया गया। देश की एकता के प्रतीक हमारे राष्ट्र गान जन गण मन से कार्यक्रम का आरम्भ हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरेण्य गुरू भ्राता श्र हरीन्द्रानन्द साहब ने कहा कि वृक्ष हमारे जीवन की आधारशीला हैं। एक पेड़ सोलह लोगों को साँसे प्रदान करता है और दुर्भाग्य देखिए कि जिससे हमारी साँसे चल रही हैं हम उसे ही काट रहे हैं। उसकी क्षति कर रहे हैं। साहब ने कहा कि शिव के शिष्य प्रकृति की सुरक्षा, संरक्षता के लिए सदैव तत्पर रहते हैं।
कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए अर्चित आनन्द ने कहा कि हमें वृक्षों को लगाना चाहिए। हम सब मिलकर लगभग पाँच लाख वृक्ष लगा चुके हैं और निरंतर इस दिशा में हम काम कर रहे है। प्रोफेसर रामेश्वर मंडल ने शिव की शिष्यता और प्रकृति को जोड़ते हुए कहा कि हम अपने कर्त्तव्यो  का पालन करें। हमारी जिम्मेदारी है कि हम मिलकर वृक्ष बचायें।
शिव शिष्य हरीन्द्रानन्द फाउंडेशन की अध्यक्षा बरखा सिन्हा ने कहा कि हमारे गुरू शिव प्रकृति का अयन करते हैं। वे प्रकृति के पालक है, संरक्षक भी हैं।
इस कार्यक्रम में आए लोगों ने भी अपने विचार रखे कि किस तरह से वृक्षों का संरक्षण किया जाये।

रविवार, 28 अक्टूबर 2018

बेटी के बिना परिवार अधूराः हरींद्रानंद



 ‘बेटी है तो सृजन है, बेटी है तो कल है’ विषयक संगोष्ठी

रांची। शिव शिष्य परिवार, रांची के तत्वावधान में ‘‘बेटी है तो सृजन है, बेटी है तो कल है’’ विषयक एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन ‘‘बांग्ल सांस्कृतिक परिषद’’, धुर्वा, रांची में किया गया। कालखंड के प्रथम शिव शिष्य हरीन्द्रानन्द जी ने आज के सामाजिक परिवेश के परिप्रेक्ष्य में कहा कि शिव की बनाई हुई दुनिया में हम भेदभाव क्यों करते हैं ? शिव तो स्वयं अर्धनारीश्वर हैं। हम किस दौर से गुजर रहे हैं, यह समझ से परे है। बेटियों के बिना तो परिवार ही अधूरा हो जाता है। सम्मान तो बहुत छोटी बात है, हमारा अस्तित्व ही खतरे में आ जाएगा क्योंकि यही बेटियां बड़ी होकर मां बनती हैं। हमारे गुरू शिव अपनी बनाई हुई सृष्टि में भेदभाव नहीं करते। शिव की शिश्यता ही मानवता के सुमन खिलाएगा और हमारी दुनिया, हमारा समाज सुवासित और समृद्ध होगा।
संगोष्ठी का शुभारंभ राष्ट्रगान से हुआ। आगतों का स्वागत श्री गौतम ने किया। शिव शिष्य परिवार के मुख्य सलाहकार अर्चित आनन्द ने बेटियों के सम्मान विषय पर बोलते हुए कहा कि हमारे समाज में बेटियों को बराबर का दर्जा मिले इसके लिए हम कृतसंकल्पित हैं। हमारा पूरा परिवार देश की बेटियों के साथ खड़ा है। सम्मान पाना उनका हक है। हम कुछ नया नहीं कर रहे हैं अपितु हमारी संस्कृति रही है कि बेटियों को पूजा जाता है। हाल ही में नवरात्रि में कुमारी- पूजन तथा शक्ति आराधना का पर्व समूचे देश-विदेश में बड़ी निष्ठा एवं श्रद्धा से मनाया गया है। उन्होंने कहा कि शिव शिष्यता ने समाज को जागरूक करने का प्रयास किया है। आज हमारी बेटियां बाहर निकलती हैं, पढती हैं, शिव चर्चा करती हैं।
              उपाध्यक्ष बरखा ने बेटियों को ‘‘अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी’’ के परिप्रेक्ष में कहा कि रजिया सुल्तान, रानी लक्ष्मी बाई, इंदिरा गांधी, कल्पना चावला आदि ने बेटियों को सबला प्रमाणित किया। हमें जागृत होना होगा एवं समाज को जागृत करना होगा। जागरण जब भी होगा तो जन मानस की जागृति से ही अन्यथा उदाहरण अपवाद होकर रह जायेंगे। देश में बेटियों की स्थिति पर सचिव अभिनव आनन्द ने भी अपने विचार रखे। जहां नारी की पूजा होगी, सम्मान होगा वहीं देवता विराजते हैं। निहारिका एवं अन्य लोगों ने भी अपने विचार प्रकट किये।
         संगोष्ठी में देशभर से लगभग चार हजार लोग आए थे। महिलाओं की संख्या अधिक थी।

स्वर्ण जयंती वर्ष का झारखंड : समृद्ध धरती, बदहाल झारखंडी

  झारखंड स्थापना दिवस पर विशेष स्वप्न और सच्चाई के बीच विस्थापन, पलायन, लूट और भ्रष्टाचार की लाइलाज बीमारी  काशीनाथ केवट  15 नवम्बर 2000 -वी...