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रविवार, 28 अक्टूबर 2018

बेटी के बिना परिवार अधूराः हरींद्रानंद



 ‘बेटी है तो सृजन है, बेटी है तो कल है’ विषयक संगोष्ठी

रांची। शिव शिष्य परिवार, रांची के तत्वावधान में ‘‘बेटी है तो सृजन है, बेटी है तो कल है’’ विषयक एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन ‘‘बांग्ल सांस्कृतिक परिषद’’, धुर्वा, रांची में किया गया। कालखंड के प्रथम शिव शिष्य हरीन्द्रानन्द जी ने आज के सामाजिक परिवेश के परिप्रेक्ष्य में कहा कि शिव की बनाई हुई दुनिया में हम भेदभाव क्यों करते हैं ? शिव तो स्वयं अर्धनारीश्वर हैं। हम किस दौर से गुजर रहे हैं, यह समझ से परे है। बेटियों के बिना तो परिवार ही अधूरा हो जाता है। सम्मान तो बहुत छोटी बात है, हमारा अस्तित्व ही खतरे में आ जाएगा क्योंकि यही बेटियां बड़ी होकर मां बनती हैं। हमारे गुरू शिव अपनी बनाई हुई सृष्टि में भेदभाव नहीं करते। शिव की शिश्यता ही मानवता के सुमन खिलाएगा और हमारी दुनिया, हमारा समाज सुवासित और समृद्ध होगा।
संगोष्ठी का शुभारंभ राष्ट्रगान से हुआ। आगतों का स्वागत श्री गौतम ने किया। शिव शिष्य परिवार के मुख्य सलाहकार अर्चित आनन्द ने बेटियों के सम्मान विषय पर बोलते हुए कहा कि हमारे समाज में बेटियों को बराबर का दर्जा मिले इसके लिए हम कृतसंकल्पित हैं। हमारा पूरा परिवार देश की बेटियों के साथ खड़ा है। सम्मान पाना उनका हक है। हम कुछ नया नहीं कर रहे हैं अपितु हमारी संस्कृति रही है कि बेटियों को पूजा जाता है। हाल ही में नवरात्रि में कुमारी- पूजन तथा शक्ति आराधना का पर्व समूचे देश-विदेश में बड़ी निष्ठा एवं श्रद्धा से मनाया गया है। उन्होंने कहा कि शिव शिष्यता ने समाज को जागरूक करने का प्रयास किया है। आज हमारी बेटियां बाहर निकलती हैं, पढती हैं, शिव चर्चा करती हैं।
              उपाध्यक्ष बरखा ने बेटियों को ‘‘अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी’’ के परिप्रेक्ष में कहा कि रजिया सुल्तान, रानी लक्ष्मी बाई, इंदिरा गांधी, कल्पना चावला आदि ने बेटियों को सबला प्रमाणित किया। हमें जागृत होना होगा एवं समाज को जागृत करना होगा। जागरण जब भी होगा तो जन मानस की जागृति से ही अन्यथा उदाहरण अपवाद होकर रह जायेंगे। देश में बेटियों की स्थिति पर सचिव अभिनव आनन्द ने भी अपने विचार रखे। जहां नारी की पूजा होगी, सम्मान होगा वहीं देवता विराजते हैं। निहारिका एवं अन्य लोगों ने भी अपने विचार प्रकट किये।
         संगोष्ठी में देशभर से लगभग चार हजार लोग आए थे। महिलाओं की संख्या अधिक थी।

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