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गुरुवार, 29 नवंबर 2018

वाराणसी के मकानों में कैद मिले पांच हजार साल पुराने मंदिर...


श्री काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर

पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर काॅरिडोर के काम के तहत अधिग्रहित भवनों के तोड़े जाने के दौरान हैरान करने वाली तस्वीरे सामने आ रही हैं। जिसमें चंद्रगुप्त काल से लगायत मंदिरों सहित हजारों साल से दुनिया के लिये गुम हो चुके प्राचीन मंदिर निकलकर सामने आ रहें हैं।

दुनिया की अनप्लांड और सबसे प्राचीन जीवंत नगरी काशी के गर्भ में कई इतिहास दफ़्न हैं। ऐसे ही कई इतिहास विश्वनाथ कारीडोर योजना में निकलकर के अब सामने आ रहे हैं। बहुत से ऐसे ऐसे प्राचीन मंदिर इस कॉरिडोर के बनने के बाद सामने आये हैं, जिन्‍हें हजारों साल से भुलाया जा चुका है। श्रीकाशी विश्‍वनाथ मंदिर के मुख्यकार्यपालक अधिकारी विशाल सिंह की माने तो कुछ मंदिर उतने ही पुराने मिल रहे हैं जितनी पुरानी काशी नगरी के होने का अनुमान इतिहासकार लगाते हैं।


मिले हैं कई मंदिर:
दुनिया की सबसे प्राचीन नगरी मानी गई काशी यूं ही पुरानी नहीं है, इसकी प्रमाणिकता एक बार तब फिर साबित हुई है, जब एक से बढ़कर एक खूबसूरत नक्काशी वाले, शिल्प कला की जिंदा मिसाल वाले दर्जनों मंदिर इतिहास के पन्नों से निकलकर सामने आ गए हैं। मिसाल के तौर पर काशी के मणिकर्णिका घाट के किनारे दक्षिण भारतीय स्टाइल मे रथ पर बना एक अद्भुत भगवान शिव का मंदिर जिसमें समुंद्र मंथन से लेकर कई पौराणिक गाथाएं उकेरी गई है, समाने आया है। वहीं इसके अलावा इसी मंदिर के सामने की दिवार से ढका भगवान शिव का भी एक बड़ा ही प्राचीन मंदिर मिला है।

हूबहू विश्‍वनाथ मंदिर जैसा मंदिर भी मिला है:
इतना ही नहीं हूबहू श्री काशी विश्वनाथ मंदिर की प्रतिमूर्ति वाला भी एक अन्‍य मंदिर मिला है। इसमें कुछ मंदिर तो चंद्रगुप्त काल और उससे भी पुराने माने जा रहें हैं। मंदिरों के मिलने से लोगों में हर्ष है और खुशी भी कि जो प्राचीन मंदिर इतिहास के पन्नों में अबतक दबे हुए थे, वे अब सामने आ रहें हैं और अब इसका रख रखाव बेहतर ढंग से प्रशासन करेगा। साथ ही काशी आने वाले श्रद्धालुओं को भी इन मंदिरों के बारे में विस्‍तार से जानने को मिलेगा।

41 मंदिर आये सामने:
ऐसा नहीं है कि काशी में श्री काशी विश्वनाथ के इर्द-गिर्द रातों रात मंदिरों का संकुल निकलकर सामने आ गया है, बल्कि इसके लिए स्थानीय प्रशासन को महिनों की मशक्कत करनी पड़ी है। ये काम अभी भी श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर काॅरिडोर के तहत जारी है। इस सम्बन्ध में बात करते हुए मंदिर के कार्यपालक अधिकारी विशाल सिंह ने बताया कि विश्वनाथ मंदिर के विस्तारीकरण के तहत अब तक निर्धारित कुल 296 भवनों में से 175 को खरीद लिया गया है और विस्तारीकरण के तहत हो रहे ध्वस्तीकरण में फिलहाल 41 छोटे बड़े अति प्राचीन मंदिर निकलकर सामने आए हैं।

3 हज़ार साल से भी पुराने मंदिर आये सामने:
मुख्‍य कार्यपालक अधिकारी के अनुसार चंद्रगुप्त काल से लेकर काशी के लिखित साढे 3 हजार साल पुराने मंदिर भी हमें मिल रहें हैं। दरअसल इन मंदिरों को भवन स्वामियों द्वारा चाहरदिवारी के अंदर निजी वजहों से छिपाकर रखा गया था। जिस वजह से ये मंदिर अबतक देश-दुनिया की नजरों से दूर थे। लेकिन, जैसे जैसे अति प्राचीन मंदिर मिलते जा रहें हैं वैसे वैसे प्रशासन फिलहाल वहां ध्वस्तीकरण का काम रोककर उनकी वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी कराकर उसकों संरक्षित करने के काम में लग जा रहा है। जिसके तहत बकायदा विशेषज्ञों की टीम भी लगाई जा रही है।

होगी कार्बन डेटिंग:
मंदिरों की प्राचीनता को मापने के लिए शासन अब कार्बन डेटिंग भी कराने जा रहा है। इस समबन्ध में बात करते हुए कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने बताया कि विश्वनाथ कॉरिडोर निर्माण के दौरान लिये गये मकानों को तोड़ने पर निकले मंदिरों की कार्बन डेटिंग कराई जाएगी, ताकि उनकी स्‍थापना का वास्‍तविक काल पता चल सके। उन्होंने कहा कि जब ये सारे मंदिर सामने आ जायेगे तो खुद ब खुद एक प्राचीन मंदिरों का संकुल निकलकर सामने आयेगा। जो अपने आप में अद्भुत होगा।

लगी है विशेषज्ञों की टीम:
फिलहाल मंदिरों की प्राचीनता को जानने के लिए कंस्लटेंट कंपनी के एक दर्जन विशेषज्ञों की टीम भी लग चुकी है। जो ड्रोन कैमरे और गूगल इमेज के जरिये शुरुआती काम में जुट गई है। अभी फिलहाल अति प्राचीन मंदिरों का डाटा बेस तैयार किया जा रहा है। इस सम्बन्ध में प्रोजेक्ट असिस्टेंट बिंदू नायर ने ने बताया कि हमारी टीम मंदिर प्रशासन की टीम के साथ मिलकर कार्य कर रही है। हम अभी डेटा बेस इकट्ठा कर रहे हैं बिल्डिंग का, इस कार्य के बाद हम दूसरे चरण का कार्य शुरू करेंगे।

किसी को काशी का प्रमाण देने की आवश्यकता नहीं
इस सम्बन्ध में बात करते हुए मणिकर्णिका घाट स्थित सतुआ बाबा आश्रम के महंत संतोष दास ने कहा कि विश्व की सबसे प्राचीन नगरी है काशी, अगर आध्यात्म को, सनातन को और मान्यताओं और वैदिक ऋचाओं के साथ किसी शहर की प्रमाणिकता मिलती है तो वो है काशी, जिसका किसी को प्रमाण देने की आवश्यकता नहीं है।

आने वाली पीढ़ी के लिए होगा फायदेमंद:
महंत संतोष दास ने बताया कि इस समय प्रधानमंत्री की पहल पर जो विश्वनाथ कॉरिडोर परियोजना की शुरुआत हुई है। इसके लिए मकानों को तोड़ने के बाद ऐसे ऐसे प्राचीन मंदिर निकल रहे हैं कि कुछ कहा नहीं जा सकता। हमने तो चन्द्रगुप्त काल को ही पढ़ा है, लेकिन काशी की स्थापना गंगा से पहले की है और पृथ्वी के अनादिकाल से काशी बसी है जो पृथ्वी से अलग है। उन्होंने बताया कि यहाँ 4 हज़ार से 5 हज़ार वर्ष पुराने मंदिर घरों के अंदर से छुपे हुए मिल रहे हैं।

आज वो मंदिर हमें देखने को मिल रहे हैं, ये हमारे लिए बहुत शुभ संकेत हैं। ऐसे मंदिरों की पूजा आम जनमानस कर पायेगा और उसके महत्त्व को जान पायेगा साथ ही आने वाली पीढ़ी भी काशी की प्राचीनता को देख पायेगी।

जाहिर तौर पर जब कभी श्रीविश्वनाथ मंदिर काॅरिडोर मूर्त रूप ले लेगा उसमें मिले अति प्राचीन मंदिरों का विशाल संकुल अपनी अलग ही छटा बिखेरेगा। वे मंदिर जो कभी इतिहास के पन्नों में दफन हो गए थे और अभी भी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहें हैं, वे जब अपनी प्राचीनता और पौराणिकता के साथ सामने आयेगे तब निश्चित रूप से इसे किसी बड़ी खोज से कम नही आका जाय...

-कमल किशोर गोयंका

(मंतव्य पत्रिका के व्हाट्स एप ग्रूप से साभार)

खेलगांव में दो दिवसीय ग्लोबल एग्रीकल्चर फूड समिट का शुभारंभ



50 फ़ूड प्रोसेसिंग यूनिट की आधारशिला रखी

समिट के साझेदार देश चीन, ट्यूनीशिया, मंगोलिया, इजरायल और फिलीपींस के प्रतिनिधि, 16 राज्यों के 10 हजार किसान, 50 से अधिक वक्ता का झारखंड की धरा पर हुआ आगमन

271 करोड़ का निवेश, 6000 लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगार

28 लाख किसानों को सरकार देगी निःशुल्क मोबाइल फ़ोन

2019 मई तक किसानों के लिए बिजली का अलग फीडर होगा


रांची। झारखण्ड के 28 लाख किसानों को नमन व बधाई। आपकी मेहनत, आपकी उद्यमशीलता और संकल्पशक्ति का प्रतिफल है कि झारखण्ड जिसकी कृषि विकास दर जो 4 वर्ष पूर्व -4.5 वह आज बढ़ कर + 14 % हो गई है। आपके सहयोग से हम लंबी छलांग लगाने में सफल हुए। हमें यहीं नहीं रूकना है। कृषि विकास दर में और वृद्धि दर्ज करने, आपको उन्नतशील किसान के रूप में तब्दील करने, आपकी उत्पादकता की सही मुख्य प्रदान करने साथ से अंतरराष्ट्रीय मानक के अनुरूप वस्तुओं का उत्पादन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से ग्लोबल एग्रीकल्चर एंड फ़ूड समिट का आयोजन हो रहा है। उपरोक्त बातें मुख्यमंत्री श्री रघुवर दास ने कही। श्री दास गुरुवार को खेलगांव में आयोजित वैश्विक कृषि शिखर सम्मेलन में बोल रहें थे।

श्री रघुवर दास ने कहा कि इस सम्मेलन के जरिए राज्य के किसान अन्य राज्यों और देशों में अपनाई गई सफल तकनीक की जानकारी प्राप्त करेंगे, बाजार की मांग के अनुसार अपने उत्पाद तैयार करने के हुनर से परिचय कराने और अन्य किसानों के भी उन्नति का वाहक बनाना, यही इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य है। साथ ही खेती हमारी संस्कृति और परंपरा है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था के इस ठोस आधार को हमें इस सम्मेलन के माध्यम से और सशक्त करना है।
निवेशक सरकार का निमंत्रण स्वीकार करें।

श्री रघुवर दास ने कहा कि इस सम्मेलन के माध्यम से राज्य में 50 खाद्य प्रसंस्करण उद्योग का शिलान्यास हुआ। इस कार्य हेतु सभी निवेशकों को धन्यवाद। आपके निवेश के किसानों को उनके उत्पाद का सही दाम और नौजवानों को काम मिलेगा। अन्य निवेशकों का भी झारखण्ड में अभिनन्दन है। आप आएं और निवेश करें। यहां की नीति अच्छी है और कार्यों में पारदर्शिता भी है जो आपको हर कार्य मे सहयोग प्रदान करेगा।

28 लाख किसानों को मुफ्त मोबाइल, 2019 तक फीडर से बिजली
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के किसानों को बिचौलियों से मुक्ति प्रदान करने, बाजार के पल पल चीजों के भाव से अवगत कराने और समय के अनुरूप अपने फसल की उत्पादन क्षमता बढ़ाने के उद्देश्य से राज्य के 28 लाख किसानों को सरकार निःशुल्क मोबाइल फोन प्रदान करेगी। ताकि हमारे किसान भी बाजार के बदलते परिवेश के अनुसार को को ढाल सकें। साथ ही कृषि कार्य हेतु 2019 मई तक किसानों के लिए अलग फीडर की व्यवस्था सरकार करेगी। जहां से 6 घटें निर्बाध बिजली की आपूर्ति कृषि कार्य हेतु होगा। सरकार की मंशा किसानों के लिए अलग फीडर, उद्योग के लिए अलग फीडर और आम जनता के लिए अलग फीडर लगाने की है जिसपर कार्य हो रहा है। 2018 दिसंबर तक सुदूरवर्ती गांव तक बिजली पहुंचा दी जाएगी।

राज्य के किसान खुद की और राज्य सरकार की तिजोरी भरने का कार्य करें
श्री रघुवर दास ने कहा कि किसान सिर्फ सब्जी उत्पादन में ही केंद्रित न रहें। कृषि कार्य के साथ बागवानी, पशुपालन और सोलर फार्मिंग में भी ध्यान दें। सरकार इन कार्यों में आपको सहयोग प्रदान करेगी। सोलर फार्मिंग करने वाले किसानों की बिजली को 3 रुपए प्रति यूनिट की दर से खरीद लिया जाएगा। अगर किसान खेती के साथ अन्य को भी साथ लेकर कार्य करते हैं तो 2022 तक किसानों की आय दोगुना नहीं चार गुना हो सकता है। नौजवान किसान डेयरी उद्योग की ओर ध्यान दें। आपको 50 % अनुदान पर गाय उपलब्ध कराया जाएगा। सरकार ने 25 हजार BPL महिलाओं को 90% अनुदान पर 2 गाय उपलब्ध कराया है। इसके अलावा अगर कोई किसान कृषि लोन का भुगतान अगर 1 वर्ष के अंदर कर देता है तो उस किसान को ब्याज देने की जरूरत नहीं, उस ब्याज का भुगतान राज्य सरकार करेगी।

Contribution of farmers and workers must in development of nation-- Raghubar Das


crop insurance premium for 2019 to be paid by government

Ranchi  : Jharkhand Chief Minister Raghubar Das today said that in the development of the nation the contribution of the villages poor farmers and workers is a must for the development of state and nation.

Addressing the Global Agriculture and Food Summit at the Khelgaon here he agriculture was the soul of the nation and base of the culture and traditions. He said that infact all our festivals are also directly and indirectly related to the agriculture. Mr Das said that in Jharkhand 60-70 per cent population was agriculture. He said that the state government has sanctioned sufficient funds for the develoment of agriculture and allied activities and framed a separate food processing policy which is focused on bottling and packaging as food processing was an important link between the farmers and urban customers.

  Raghubar Das said that during the function online foundation has been laid for 50 food processing companies which will creatr employment for the youth and even the farmers would get right cost of their products.

Mr Das said that in the year 2013-14 the agriculture growth rate was minus 4.5 per cent which has turned into a positive growth of 14 percent which was mainly due to the hardwork of the farmers of the state.

 Mr Das said that the picture of the villages did not change in the last 67 years and it was only when Prime Minister Narendra Modi that steps were taken to improve the condition of the farmers and a target was set to double their incomes. He said that Jharkhand was getting the benefit of double engine. He suggested that farmers should try to earn one third of income should come from agriculture another one third from animal husbandry and another one third from horticulture floriculture and solar farming. He said that farmers should do solar farming on barren land and the same would be procured by the state government through grid at Re 3 per unit.
  He said that it is priority for the state government to ensure that the farmers are not looted by the middlemen. He said that 28 lakh farmers in the state would be given mobile phones from 2019-21 while in 2019 the premium of crop insurance would be paid by state governnment similar to what was done in the year 2018. To the farmers he said that those who would be paying their loans within one year from them zero percent interest would be taken.

The Chief Minister said power would reach in all homes by 2018 and by May 2019 separate feeders would be set for agriculture so that farmers can get power for six hours for agriculture works while separate feeders would be provided for house hold and industrial usages. Mr Dad said by August 2019 power would be available in the rural areas 24 x 7. He said that since the people were living in the era of globalisation therefore the farmers should use modern technology and asked the farmers to focus on dairy production to bring White revolution by 2022 in the state and said that every year 100 farmers would be sent abroad. He also asked the farmers to focus on organic farming as all these steps would lead to doubling the income of the farmers by 2022.

किसानों ने किया कृषि ज्ञान का आदान प्रदान

#ग्लोबल एग्रीकल्चर एंड फूड समिट 2018-झारखंड

टेक्निकल सेशन
सहयोगी देश इजराइल

रांची। मिस माया कुदास चार्ज डी अफेयर्स, एम्बेसी ऑफ़ इजराइल ने कहा कि झारखण्ड से किसानों ने इजराइल में आकर कृषि के उन्नत टेक्निक के बारे में जानकारी प्राप्त की। इस्राएल और झारखण्ड राज्य के किसानों ने आपस में कृषि के ज्ञान का आदान- प्रदान किया।
डैन अलोफ्फ, इजराइली प्रतिनिधि ने सेमिनार को संबोधित करते हुए कहा कि इजराइल में कृषि महत्वपूर्ण है।इजराइल ने कृषि के क्षेत्र में बहुत सारे अनुसन्धान किए हैं। कृषकों को मार्केट से जोड़ा गया है। ड्रिप इरीगेशन के माध्यम से पानी की कमी होने के बावजूद भी बेहतर ढंग से पानी का उपयोग किया जाता है।
स्वच्छ पानी जब गंदे पानी में परिवर्तित हो जाता है तो उसे रीसायकल कर कृषि में इस्तेमाल किया जाता है। किसानों, अनुसन्धान केन्द्रों और निजी क्षेत्र के समन्वय से
दुग्ध उत्पादन बेहतर ढंग से किया जाता है।इंडो- इस्राएल कृषि योजना अन्तर्गत आम, अनार, खजूर, संतरा इत्यादि पर काम किया जा रहा है।
आधुनिक कृषि फार्म नर्सरी, कैनोपी विकसित किए जा रहे हैं।स्थानीय लोगों की आवश्यक्तानुसार कार्य किया जाता है। किट नाशक परियोजना भी चल रही है।
सुरेन्द्र माखीजा ने कहा कि जलगाँव में जैन इरीगेशन ने अमेरिका की कंपनी के साथ समझौता किया। इस्राईली कंपनी नाम दान को खरीद लिया और उसे नानदान-जैन के नाम से काम करना शुरू किया। केला, अनार स्ट्रॉबेरी का उत्पादन टिश्यू कल्चर के माध्यम से किया जाता है। किसानों से हम आम, प्याज आदि खरीद कर उसका प्रसंस्करण करते हैं और बाजार में बेचते हैं। microirrigation और food processing में हम बेहतर कार्य कर रहे है।
नेटाफेन (netaafen) कंपनी के प्रतिनिधि  क्रिश्नाथ महोलकर ने झारखण्ड के किसानों को इजराइल की टेक्निक अपनाने हेतु क्या किया जाना चाहिए, इस बारे में विस्तारपूर्वक बताया। grow more with less
श्री संतोष पाटिल ने कहा कि satellite based technology के माध्यम से खेती की जाएगी। gps के माध्यम से सर्वे किया जाता है। अग्रोनोमिक knowledge किसानों को दिया जाता है।
श्री मुकेश गुप्ता ने कहा कि इजराइल केमिकल्स लिमिटेड 70 साल पुरानी कंपनी है। मुख्यतः खाद बनाने का काम करती है। ड्रिप इरीगेशन में 90 प्रतिशत पानी का सदुपयोग होता है, स्प्रिंकलर इरीगेशन में 70-75 प्रतिशत ही पानी का उपयोग हो पाता है। जबकि फ्लड इरीगेशन में केवल 30 प्रतिशत ही पानी का इस्तेमाल होता है। फोलियर खाद टेक्नोलॉजी के बारे में बताया गया।

Global agriculture and food summit 2018 has been organized in Khelgaon.


Ranchi. First session was on ‘Agricultural equipment- The need of the hour’, which had delegation from China to brief the session. Session started with the address of Dr. Song Juguo, Deputy Director General, Ministry of agriculture and rural development, China. He talked about the trade policy of China and significance of agriculture in its export oriented economy. India and China are agriculture based country and it is the key sector in which both countries can cooperate and develop relation. He said that the business policy of India and China has improved significantly.
Mr. Zhao Xialolei from Ya pear brothers said that pear is the main exported fruit of China. Although they have different variety of it but Early Su Pear is more significantly exported to India. China produce, package and export different variety of pear to different nations which include USA, Canada, Australia, Maxico, Europe, Sri lanka and Middle East etc. The company is exploring different dimension of this sector since 1999.
Mr. Pan Dehui is indulge in the production and sales of apple since 2011 said that their company is the top production and export company of apples. He said that china consumes largest production of apples and exports only 3 percent of their produce. He also invited India to visit China and said that Indian are highly welcome to visit and learn the produce and packaging.
Wang Menjioa from fruit and vegetable foodstuff co. ltd said that Chinese apple industry is sunrise industry and produce apples of various varieties. She shared her personal trivia and said that after graduating from USA she decided to help her father in business and returned China. She informed that they share Cooperative Model for standardization, Trace ability system for quality and safety and various means for improvisation.
She concluded the session with thanks. All the delegates from China were presented with memento.

झारखंड में कृषि और फूड प्रोसेसिंग की अपार संभावनाएंः सुधीर त्रिपाठी

ग्लोबल एग्रीकल्चर एंड फूड समिट 2018-झारखंड

नई ऊर्जा, प्रेरणा और विश्वास के साथ किसान कृषि कार्य में गति प्रदान करें- मुख्य सचिव

झारखण्ड के किसान अपने आय को दोगुना नहीं 4 गुना कर सकते हैं- CEO नीति आयोग

ग्रामीण झारखण्ड के विकास की बात हो- एमडी अमूल इंडिया



रांची।  झारखंड की जलवायु, यहां के भौगोलिक स्थिति, यहां के मेहनतकश किसान और मजदूर  उन्नत कृषि कार्य के लिए अनुकूल हैं। राज्य में कृषि और फ़ूड प्रोसेसिंग में अपार संभावनाएं है। खनिज संपदा के साथ साथ कृषि के क्षेत्र में भी झारखंड देश दुनिया मे जाना जाता है। वर्तमान सरकार के चार वर्षों की मेहनत के कारण कृषि के क्षेत्र में कई नए प्रयोग किये गए हैं। कृषकों को हेल्थ कार्ड, महिला समूहों का गठन, बीज ग्राम की स्थापना, क्रियाही बाजार का आधुनिकीकरण, कृषि आधारित उधोग की नींव स्थापित करना आदि महत्वपूर्ण कदम उठाए गए है। यह बात ग्लोबल एग्रीकल्चर एंड फ़ूड समिट 2018 के उद्घाटन कार्यक्रम में मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी ने कही। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम उस मंच की तरह है जहां कृषि से संबंधित सभी लोग उपस्थित हुए हैं। कार्यक्रम में किसान, कृषि वैज्ञानिक, बाजार से जुड़े व्यवसायी, कृषि आधारित उद्योग के प्रतिनिधि उपस्थित है। एक मंच पर इन सब के आने से सब अपने विचारों का आदान प्रदान करेंगे तो उसका परिणाम कृषि क्षेत्र में परिलक्षित होगा। देश विदेश से आये कृषि प्रतिनिधियों को धन्यवाद। किसानों से आग्रह है कि कार्यक्रम के बाद यहां लगे स्टाल पर जरूर जाएं और नए तकनीक के विषय के संबंध में जाने। मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में कई सकारात्मक कार्य हुए है। झारखंड के ओडीएफ होने, मनरेगा, उज्जवला योजना, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना आदि से गांव का त्वरित विकास गया है। दिसंबर माह तक राज्य के हर गांव और हर घर तक बिजली पहुंच जाएगी। कृषि विकास की एक कड़ी आज का यह कार्यक्रम है। यह एक नई ऊर्जा है और आशा है कि यहां आए 10 हजार किसान यहां से मिले तकनीक को अपने गांव में और अन्य किसानों की समृद्धि के वाहक बनें।

आपका दृढ़ निश्चय ही आपकी प्रगति का वाहक बनेगा.

कार्यक्रम में नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि 4 वर्ष के शासन काल मे क्रांति आई है। कृषि विकास दर में – 4 % से 14.2 % की वृद्धि दर्ज की गई। मत्स्य के क्षेत्र में भी लंबी छलांग झारखण्ड ने लगाई है मत्स्य उत्पादन 4 साल में 83% बढ़ी है। पूरे देश में ऐसा नहीं हुआ। 2022 तक किसानों नकी आय दोगुना करने के लक्ष्य को लेकर कार्य हो रहा है। राज्य के किसान कृषि के साथ साथ डेयरी और मत्स्य पालन की ओर ध्यान दें, ऐसे में झारखण्ड के किसान 2022 तक अपने आय को दोगुना नहीं बल्कि 4 गुना तक कर सकते हैं। झारखण्ड में लगातार बदलाव हो रहा है, किसान अपनी दृढ़ निश्चय और संकल्पशक्ति की बदौलत अपनी प्रगति के वाहक स्वयं बनेगें।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अमूल इंडिया के एमडी  आर एस सोढ़ी ने कहा कि जब कभी भी झारखण्ड के विकास की बात होगी तो ग्रामीण क्षेत्र के विकास की बात पहले आएगी। भारत विश्व भर में दूध उत्पादन ने पहले नंबर पर है। झारखण्ड में 52 लाख लीटर दूध उत्पादन होता है हर दिन। जबकि जरूरत 130 लाख टन की है। प्रति व्यक्ति 157 ग्राम का उत्पादन हो रहा है जबकि जरूरत 176  ग्राम की है। 75 लाख लीटर की कमी है। अन्य राज्यों से झारखण्ड 13 से 14 हजार करोड़ का दूध खरीदता है। अगर झारखंड में 25 लाख लीटर दूध उत्पादन होता है तो 2 लाख 75 हजार परिवार लाभान्वित होंगे, 8 से 10 हजार करोड़ का मुनाफा राज्य सरकार को होगा। जिस तरह सब्जी के क्षेत्र में कार्य हो रहा है उसी तरह डेयरी के क्षेत्र में भी कार्य करें किसान।

भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र

इस अवसर पर गोन्चिंग गैनबोल्ड एंबेसी ऑफ मंगोलिया ने कहा कि भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, और मंगोलिया सबसे छोटा लोकतंत्र वाला राज्य है। कृषि के क्षेत्र में मंगोलिया सरकार ने कई काम किया है। कृषि क्षेत्र में काम करने के कारण देश मे काफी प्रगति हुई है। 2019 में 6.2 प्रतिशत वृद्धि कृषि क्षेत्र में होगा। साफ सुथरा फसल सभी के लिए जरूरी है। झारखंड में कई देशों के निवेशक कृषि क्षेत्र में निवेश कर रहें हैं, जिससे किसानों की आय में वृद्धि होगी। यह समिट सभी के लिए लाभकारी होगा। राज्य के उन्नति के लिए सभी को शुभकामनाएं। मंगोलिया हर तरह से झारखण्ड को अपना सहयोग देने को तत्पर है।


कोका कोला झारखण्ड में लगाएगा प्लांट

अपने संबोधन में कोका कोला के वाईस प्रेसीडेंट इश्तियाक अमजद ने कहा कि हिंदुस्तान सहित कई देशों में सबसे ज्यादा फ़ूड प्रोसेसिंग में कंपनी काम कर रही है। कंपनी फल, सब्जी, डेरी मिल्क आदि में काम कर रही है। 2017 से 2022 तक कंपनी 11000 करोड़ का निवेश फ़ूड के क्षेत्र में करने वाली है। इसके पीछे उद्देश्य है कि किसानों की आय को बढ़ाया जाए और किसानों को लाभ हो। भारत मे फ़ूड प्रोसेसिंग में बहुत कम काम हुए है। कोका कोला कंपनी भारत मे इस क्षेत्र में काम कर रही है। झारखण्ड में भी वे इस क्षेत्र में निवेश करना चाहते है। उन्होने कहा कि मेरी पैदाइश और पढ़ाई रांची से हुई है, इस कारण मेरा व्यक्तिगत रुझान भी झारखंड को आगे बढ़ने में ज्यादा है।

झारखण्ड के किसान मेहनती

इजराइल से आई माया कदोश ने कहा कि इजराइल कृषि क्षेत्र में कई तकनीकों पर काम कर रही है। हाल में ही झारखंड के कई किसान भी इजराइल दौरे पर आए थे। झारखंड में खनिज संपदा है और यहां के किसान भी मेहनतकश है।यहां की सरकार फूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र में काम कर रही है। झारखंड सरकार कृषि नीति बना कर यहां के किसानों को लाभ पहुंचाने की कोशिश की है। यहां की सरकार किसान को आगे बढ़ाने का काम कर रही है।

30 दिन में मिला 27 एकड़ जमीन

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए  मदर डेयरी के प्रदीप्ता कुमार साहू ने कहा कि 2016 में कंपनी ने झारखण्ड में उद्योग स्थापना हेतु प्रस्ताव दिया था। प्रस्ताव के 30 दिन बाद हमें 27 एकड़ जमीन मिल गई। 1 साल के अंदर हमने 100  करोड़ का प्लांट तैयार कर उत्पादन शुरू कर दिया। राज्य के किसानों को प्रशिक्षित कर अमरीकन स्वीट कॉर्न, मटर और टमाटर की खेती प्रारंभ की। अब हम 1 लाख टन टमाटर उत्पादन का लक्ष्य रखें हैं। या कार्य मे 50 हजार किसान जुडेंगे

स्वर्ण जयंती वर्ष का झारखंड : समृद्ध धरती, बदहाल झारखंडी

  झारखंड स्थापना दिवस पर विशेष स्वप्न और सच्चाई के बीच विस्थापन, पलायन, लूट और भ्रष्टाचार की लाइलाज बीमारी  काशीनाथ केवट  15 नवम्बर 2000 -वी...