#ग्लोबल एग्रीकल्चर एंड फूड समिट 2018-झारखंड
टेक्निकल सेशन
सहयोगी देश इजराइल
रांची। मिस माया कुदास चार्ज डी अफेयर्स, एम्बेसी ऑफ़ इजराइल ने कहा कि झारखण्ड से किसानों ने इजराइल में आकर कृषि के उन्नत टेक्निक के बारे में जानकारी प्राप्त की। इस्राएल और झारखण्ड राज्य के किसानों ने आपस में कृषि के ज्ञान का आदान- प्रदान किया।
डैन अलोफ्फ, इजराइली प्रतिनिधि ने सेमिनार को संबोधित करते हुए कहा कि इजराइल में कृषि महत्वपूर्ण है।इजराइल ने कृषि के क्षेत्र में बहुत सारे अनुसन्धान किए हैं। कृषकों को मार्केट से जोड़ा गया है। ड्रिप इरीगेशन के माध्यम से पानी की कमी होने के बावजूद भी बेहतर ढंग से पानी का उपयोग किया जाता है।
स्वच्छ पानी जब गंदे पानी में परिवर्तित हो जाता है तो उसे रीसायकल कर कृषि में इस्तेमाल किया जाता है। किसानों, अनुसन्धान केन्द्रों और निजी क्षेत्र के समन्वय से
दुग्ध उत्पादन बेहतर ढंग से किया जाता है।इंडो- इस्राएल कृषि योजना अन्तर्गत आम, अनार, खजूर, संतरा इत्यादि पर काम किया जा रहा है।
आधुनिक कृषि फार्म नर्सरी, कैनोपी विकसित किए जा रहे हैं।स्थानीय लोगों की आवश्यक्तानुसार कार्य किया जाता है। किट नाशक परियोजना भी चल रही है।
सुरेन्द्र माखीजा ने कहा कि जलगाँव में जैन इरीगेशन ने अमेरिका की कंपनी के साथ समझौता किया। इस्राईली कंपनी नाम दान को खरीद लिया और उसे नानदान-जैन के नाम से काम करना शुरू किया। केला, अनार स्ट्रॉबेरी का उत्पादन टिश्यू कल्चर के माध्यम से किया जाता है। किसानों से हम आम, प्याज आदि खरीद कर उसका प्रसंस्करण करते हैं और बाजार में बेचते हैं। microirrigation और food processing में हम बेहतर कार्य कर रहे है।
नेटाफेन (netaafen) कंपनी के प्रतिनिधि क्रिश्नाथ महोलकर ने झारखण्ड के किसानों को इजराइल की टेक्निक अपनाने हेतु क्या किया जाना चाहिए, इस बारे में विस्तारपूर्वक बताया। grow more with less
श्री संतोष पाटिल ने कहा कि satellite based technology के माध्यम से खेती की जाएगी। gps के माध्यम से सर्वे किया जाता है। अग्रोनोमिक knowledge किसानों को दिया जाता है।
श्री मुकेश गुप्ता ने कहा कि इजराइल केमिकल्स लिमिटेड 70 साल पुरानी कंपनी है। मुख्यतः खाद बनाने का काम करती है। ड्रिप इरीगेशन में 90 प्रतिशत पानी का सदुपयोग होता है, स्प्रिंकलर इरीगेशन में 70-75 प्रतिशत ही पानी का उपयोग हो पाता है। जबकि फ्लड इरीगेशन में केवल 30 प्रतिशत ही पानी का इस्तेमाल होता है। फोलियर खाद टेक्नोलॉजी के बारे में बताया गया।
टेक्निकल सेशन
सहयोगी देश इजराइल
रांची। मिस माया कुदास चार्ज डी अफेयर्स, एम्बेसी ऑफ़ इजराइल ने कहा कि झारखण्ड से किसानों ने इजराइल में आकर कृषि के उन्नत टेक्निक के बारे में जानकारी प्राप्त की। इस्राएल और झारखण्ड राज्य के किसानों ने आपस में कृषि के ज्ञान का आदान- प्रदान किया।
डैन अलोफ्फ, इजराइली प्रतिनिधि ने सेमिनार को संबोधित करते हुए कहा कि इजराइल में कृषि महत्वपूर्ण है।इजराइल ने कृषि के क्षेत्र में बहुत सारे अनुसन्धान किए हैं। कृषकों को मार्केट से जोड़ा गया है। ड्रिप इरीगेशन के माध्यम से पानी की कमी होने के बावजूद भी बेहतर ढंग से पानी का उपयोग किया जाता है।
स्वच्छ पानी जब गंदे पानी में परिवर्तित हो जाता है तो उसे रीसायकल कर कृषि में इस्तेमाल किया जाता है। किसानों, अनुसन्धान केन्द्रों और निजी क्षेत्र के समन्वय से
दुग्ध उत्पादन बेहतर ढंग से किया जाता है।इंडो- इस्राएल कृषि योजना अन्तर्गत आम, अनार, खजूर, संतरा इत्यादि पर काम किया जा रहा है।
आधुनिक कृषि फार्म नर्सरी, कैनोपी विकसित किए जा रहे हैं।स्थानीय लोगों की आवश्यक्तानुसार कार्य किया जाता है। किट नाशक परियोजना भी चल रही है।
सुरेन्द्र माखीजा ने कहा कि जलगाँव में जैन इरीगेशन ने अमेरिका की कंपनी के साथ समझौता किया। इस्राईली कंपनी नाम दान को खरीद लिया और उसे नानदान-जैन के नाम से काम करना शुरू किया। केला, अनार स्ट्रॉबेरी का उत्पादन टिश्यू कल्चर के माध्यम से किया जाता है। किसानों से हम आम, प्याज आदि खरीद कर उसका प्रसंस्करण करते हैं और बाजार में बेचते हैं। microirrigation और food processing में हम बेहतर कार्य कर रहे है।
नेटाफेन (netaafen) कंपनी के प्रतिनिधि क्रिश्नाथ महोलकर ने झारखण्ड के किसानों को इजराइल की टेक्निक अपनाने हेतु क्या किया जाना चाहिए, इस बारे में विस्तारपूर्वक बताया। grow more with less
श्री संतोष पाटिल ने कहा कि satellite based technology के माध्यम से खेती की जाएगी। gps के माध्यम से सर्वे किया जाता है। अग्रोनोमिक knowledge किसानों को दिया जाता है।
श्री मुकेश गुप्ता ने कहा कि इजराइल केमिकल्स लिमिटेड 70 साल पुरानी कंपनी है। मुख्यतः खाद बनाने का काम करती है। ड्रिप इरीगेशन में 90 प्रतिशत पानी का सदुपयोग होता है, स्प्रिंकलर इरीगेशन में 70-75 प्रतिशत ही पानी का उपयोग हो पाता है। जबकि फ्लड इरीगेशन में केवल 30 प्रतिशत ही पानी का इस्तेमाल होता है। फोलियर खाद टेक्नोलॉजी के बारे में बताया गया।
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