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शुक्रवार, 30 नवंबर 2018

समृद्ध किसान, स्वस्थ भारत हमारा संकल्पः बाबा रामदेव



बाबा रामदेव बोले मैं कर्म से संन्यासी, जन्म से मैं किसान

झारखंड के किसान देश के सबसे प्रगतिशील किसान बने यह संकल्प लेकर जाइए


रांची। योग गुरु बाबा रामदेव ने कहा कि कृषि के क्षेत्र में विकास की अभूतपूर्व प्रगति के लिए झारखंड सरकार बधाई की पात्र है। बहुत सारी चुनौतियां इस क्षेत्र में विद्यमान थीं उन चुनौतियों को अवसर के रूप में तब्दील करके मुख्यमंत्री ने एक कीर्तिमान बनाया है। आगे बहुत कुछ और करना है।

कुछ जिलों को ऑर्गेनिक के तहत चिन्हित करके वहां पर गेहूं, धान, तिलहन, दलहन, शाक, सब्जियों और जड़ी बूटियां इत्यादि पैदा करिए जो भी आप उत्पादित करेंगे पतंजलि एक श्रेष्ठ उत्पादन मूल्य के साथ सब को क्रय करेगा।

बाबा रामदेव ने कहा कि आप झारखंड जो भी नैसर्गिक, प्राकृतिक और जैविक खाद का उपयोग करके उत्पादन करेगा, पतंजलि उसको खरीदेगा। झारखंड के किसानों को समृद्धि मिलेगी और देश के लोगों को स्वास्थ्य मिलेगा, यह हमारा संकल्प है।

कृषि विकास दर में झारखंड ने लगाी छलांगः डीके तिवारी

रांची। झारखंड राज्य के विकास आयुक्त डीके तिवारी ने कहा कि आज देश दुनिया के लोग झारखंड में इकट्ठे हुए हैं, यह समझने और सीखने के लिए कि भारत के प्रधानमंत्री के सपने को साकार करने के लिए क्या प्रयास झारखंड में किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिए तमाम किसान बधाई के पात्र हैं। विशेष रूप से जो सब्जी का उत्पादन करते हैं। इन 4 सालों में झारखंड फल और सब्जी उत्पादन में द्वितीय स्थान पर पहुंच गया है, टमाटर के उत्पादन में पांचवें स्थान पर, मटर, बींस, गोभी, भिंडी पैदा करने में। हम सर्वाधिक कम कीटनाशक और खाद के उपयोग से उत्पादन कर रहे हैं इस तरह से हमें जैविक उत्पादन की तरफ आगे बढ़ना है।

श्री डीके के तिवारी ने कहा कि राज्य सरकार काफी कार्य कर रही है। फूड पॉलिसी देश की सबसे अच्छी पॉलिसी बनी है। पूर्वोत्तर भारत का सबसे बड़े प्लांट की स्थापना यहां की गई है। सफल के द्वारा वही मटर वही मकई अब दिल्ली के लोग खा रहे हैं। और हमें सिंगापुर जैसे देशों से भी ऑर्डर मिला है झारखंड के कटहल के लिए भी आर्डर प्राप्त हुआ है

आज हमने कृषि क्षेत्र में विकास दर में 18 से 19% की छलांग लगाई है। इसके लिए सभी किसान बधाई के पात्र हैं। सरकार ने कई योजनाएं चलाई हैं। कृषि यंत्रों का वितरण,  साॅइल हेल्थ कार्ड की परिकल्पना केंद्र और राज्य सरकार ने मिलकर की है जिससे कि किसानों को यह बताया जाए कि वास्तव में कौन सी खाद का उपयोग कहां करना है। झारखंड का नाम पूरे देश में हो रहा है। प्रधानमंत्री ने भी कहा है कि पूरे देश में यही एक ऐसा राज्य है जिसमें किसानों को एक भी प्रीमियम की राशि नहीं देनी पड़ रही है। पूरी प्रीमियम राशि का वहन सरकार द्वारा किया जा रहा है। आज एक एमओयू होने जा रहा है जिसका नाम सुजलाम सुफलाम है लेकिन हमारे सामने चुनौतियां भी हैं। सोयल हेल्थ कार्ड बन गए हैं लेकिन उसका उपयोग भी करें। आम लीची काजू को आगे बढ़ाना है। नए उन्नत शील कृषि औजारों का उपयोग करना है। मछली पालन और गोपालन में नई तकनीक अपनानी है। जल संचयन करके तीन फसलें 1 वर्ष में लेनी है। जलवायु  प्रतिरोधी अन्य फसलों को भी अपनाना है जिससे कि सुखाड़ का सामना ना पड़े। सरकार के सामने भी कई चुनौतियां हैं। फल सब्जी का भंडारण करना, किसानों को सही समय पर लोन और क्रेडिट मिले जो कि अन्य राज्यों की तुलना में हम थोड़ा पीछे हैं। यह सरकार के सामने मुख्य चुनौतियां हैं। और डेयरी मत्स्य पालन सब्जी उत्पादन के क्षेत्र में मिलकर यदि हम काम करेंगे तो यह पूरा विश्वास है कि आय को हम चौगुनी करने में संभव हो पाएंगे।

इस समारोह और कार्यक्रम की सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही है कि किसानों को अपना आत्म सम्मान और गौरव मिला है। आज ये गर्व से कह सकते हैं कि मैं एक किसान हूं।

समिट के अनुभव का लाभ उठाएं किसानः द्रौपदी मुर्मू


फूड प्रोसेसिंग सेक्टर एक उभरता हुआ क्षेत्र, इससे राज्य की अर्थव्यवस्था को मिलेगा महत्वपूर्ण योगदान
झारखण्ड भारत का पहला राज्य जहां किसानों के लिए सिंगल विंडो सिस्टम की हुई है शुरुआत


रांची। माननीया राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि हमारा झारखंड राज्य एक कृषि प्रधान राज्य है। यहाँ की 70 प्रतिशत से अधिक आबादी गाँवों में निवास करती है एवं कृषि ही उनके आजीविका का मुख्य साधन है। यहाँ कई प्रकार के अनाज, सब्जियों एवं फलों जैसे चावल, दलहन, टमाटर, गोभी, मटर, इमली, शरीफा, काजू, कटहल आदि के प्रमुख उत्पादों में से एक है। कृषि क्षेत्र का झारखण्ड के अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी है। उक्त बातें माननीया राज्यपाल श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने खेलगांव, रांची में आयोजित  दो दिवसीय ग्लोबल एग्रीकल्चर एंड फूड सम्मिट 2018 के समापन अवसर पर अपने संबोधन में कहीं. उन्होंने कहा कि समारोह में सम्मिलित होकर मुझे अपार प्रसन्नता हो रही है। इस अवसर पर मैं आप सभी आगन्तुकों का हार्दिक स्वागत करती हूँ।

राज्यपाल श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि हमारी कृषि वर्षा आधारित है, लेकिन देखा गया है कि कई बार अच्छी बारिश होने के बावजूद हम सिंचाई कार्य में वर्षा जल का बेहतर उपयोग नहीं कर पाते हैं। पठारी इलाके होने के कारण पानी का तेजी से बहाव हो जाता है। सिंचाई की कमी रहने के कारण अधिकांश कृषि भूमि में वर्षा आधारित धान की एक-फसली खेती की जाती है। हमें एक-फसल तक सीमित न रहकर बहुफसली खेती की ओर ध्यान देना होगा।

राज्यपाल श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि किसानों को जल संचयन पर अधिक जोर लगाना होगा. जल संचयन के प्रति जागरुक होकर इसे अपनाना होगा क्योंकि इससे सबसे अधिक फायदा किसानों को ही होगा। हमारा मकसद एवं सोच है कि हमारे किसान आत्मनिर्भर बने। इस मकसद को पाने के लिए हमारे  कृषि वैज्ञानिकों तथा इस विधा से जुड़े लोगों को पूरी निष्ठा एवं लगन से काम करना होगा। उन्हें किसानों के बीच खेतों में जाना होगा तथा कौन-सा भू-भाग किस प्रकार की खेती एवं फसल के लिए बेहतर होगा, इसकी जानकारी किसानों को सुलभ करानी होगी, तभी Lab to Land का Concept पूरी तरह से सफल होगा। विदित हो कि जब तक हमारे गाँवों का पूरी तरह से विकास नहीं होगा, तब तक हमारा देश खुशहाल नहीं हो पायेगा।

उन्होंने कहा कि झारखंड राज्य की भूमि सब्जी पैदावार, वानिकी एवं फूल पैदावार की नज़रिये से भी अच्छी है। यहाँ के किसान इन सबकी खेती करें तो उन्हें अच्छी आमदनी हो सकती है। प्रसन्नता की बात है कि दलहन की अच्छी पैदावार के लिए राज्य को कई बार कृषि कर्मण पुरस्कार भी प्राप्त हो चुका है। झारखण्ड में जैविक खेती के लिए भी अत्यन्त संभावनायें है। सब्जियाँ, फलों और मसालों को भी जैविक तरीके से तैयार किया जाता है और काजू प्रसंस्करण, औषधीय पौधों की प्रसंस्करण, शहद उत्पादन और मांस, अण्डा, दुग्ध उत्पादों के लिए बहुत अधिक संभावनायें है। मछली उत्पादन के क्षेत्र में झारखण्ड ने प्रगति की है।हमारे राज्य में मुर्गीपालन, बकरीपालन आदि के क्षेत्र में भी असीम संभावनायें हैं। जरूरत है कि लोगों को इसके प्रति भी जागरूक किया जाय.

राज्यपाल श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि वर्तमान में फूड प्रोसेसिंग सेक्टर एक उभरता हुआ क्षेत्र है और इससे राज्य की अर्थव्यवस्था में योगदान की संभावना को देखते हुए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में देखा जाता है। कच्ची सामग्रियों की उपलब्धता, टमाटर, आलू, मक्का, काजू, मटर, तेलहन, दलहन इत्यादि, जीवनशैली में बदलाव और सरकार की एग्रीकल्चर एवं फूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र में प्रोत्साहन नीतियाँ झारखण्ड में इस उद्योग के विकास और संवर्धन में व्यापक भूमिका निभा रही है।

उन्होंने कहा कि झारखण्ड के किसान मेहनती एवं प्रगतिशील है, राज्य में विविध जलवायु परिस्थितियाँ है, जोे फसलों के विस्तृत श्रृखंला के कृषि के लिए उपयुक्त है। राज्य को उपजाऊ मिट्टी, प्रचुर मात्रा में पानी, अनुकूल जलवायु और कम लागत वाले श्रम, राज्य में खाद्य  प्रसंस्करण उद्योग स्थापित करने के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ प्रदान करता है। पूर्वी भारत में  कृषि के क्षेत्र में आदर्श राज्य के रूप में झारखण्ड का नाम स्थापित हो, साथ ही देश के एक बड़ी आबादी के लिए खाद्य उत्पादों की मांग को पूरा करे, ऐसा प्रयास करना है। प्रसन्नता का विषय है कि झारखण्ड सरकार 2022 तक किसानों की आय को दोगुनी करने के लिए माननीय प्रधानमंत्री के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में प्रयासरत है और सरकार द्वारा इसे हासिल करने के लिए पहल की जा रही है।

राज्यपाल श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि झारखण्ड भारत का पहला राज्य है, जो किसानों के लिए सिंगल विंडो सिस्टम शुरू किया है, जो विभिन्न सरकारी योजनाओं, मौसम, कृषि उत्पादों के लिए मूल्य निर्धारण, मिट्टी के  हेल्थ कार्ड, बीज उर्वरक, फसल बीमा और ऋण के बारे में जानकारी प्रदान करना है। 

उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि यह कार्यक्रम ग्लोबल एग्रीकल्चर एंड फूड प्रोसेसिंग सम्मिट उद्योग, खाद्य सुरक्षा और कृषि प्रौद्योगिकी, कृषि विपणन और बुनियादी ढांचे पर अपना ध्यान केन्द्रित करने के साथ आपकेे लिए व्यवहारिक और ज्ञानवर्द्धक रहा होगा।

राज्यपाल श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि झारखण्ड की अनुकूल परिस्थितियाँ आपको प्रेरित करेगी और हमारे राज्य के लिए एग्रीकल्चर एंड फूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र में सतत् विकास को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करेगी। हमें उम्मीद है आपके सहयोग एवं समर्थन से हम इसे प्राप्त करने में सक्षम होंगे। मैं इस अवसर पर आप सभी को झारखण्ड में निवेश करने के लिए आमंत्रित करती हूँ।

भारत का आर्गेनिक हब बनेगा झारखंडः रघुवर दास


पतंजलि खरीदेगी मधु और ऑर्गेनिक उत्पाद
 2022 तक राज्य के किसानों की आय चार गुनी करने का आह्वान
राज्य के किसानों को हर तरह की सुविधा मुहैया कराने का वादा


रांची। मुख्यमंत्री ने ऐलान किया कि राज्य में ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए झारखण्ड सरकार सभी 24 जिलों में जैविक उत्पाद कलस्टर सेंटर का निर्माण कराएगी और उसकी ब्रैंडिंग झारखण्ड जैविक (JJ) के तहत की जाएगी। पतंजलि के साथ करार कर सरकार सभी जैविक उत्पादों के लिए बाजार भी मुहैया कराएगी। किसानों को नई और आधुनिक उपकरण सस्ती दरों पर मिले इसलिए मुख्यमंत्री ने राज्य के गरीब और आदिवासी किसानों के लिए रियायत पर कृषि उपकरण उपलब्ध कराने की योजना का भी ऐलान किया।

मुख्यमंत्री ने बाबा रामदेव को धन्यवाद देते हुए कहा कि झारखण्ड के मधु को पतंजलि खरीदेगी और झारखण्ड सरकार इसके लिए पतंजलि की मदद से राज्य में ही मधु प्रोसेसिंग प्लांट लगाने जा रही है। साथ ही मुख्यमंत्री ने आह्वान किया कि सभी किसान आज प्रति बूंद, ज्यादा फसल के नारे को अपने जीवन में आत्मसात करें। जल संचय और सूक्ष्म सिंचाई से हम राज्य में कृषि क्रांति ला सकते हैं। ग्रामीण अर्थव्यवस्था सुदृढ़ करने के लिए ही झारखण्ड सरकार ने ग्लोबल एग्रीकल्चर एंड फूड समिट का आयोजन किया है।

समापन समारोह में झारखण्ड सरकार के प्रयासों को सराहते हुए बाबा रामदेव ने कहा कि झारखण्ड में देश के अग्रणी कृषि राज्य बनने की क्षमता है और मुख्यमंत्री रघुवर दास के नेतृत्व में यहां के मेहनतकश किसान कृषि के हर क्षेत्र में नए रिकॉर्ड बना रहे हैं। बाबा रामदेव ने मंच से वादा किया कि ऑर्गेनिक तरीके से उपजाए गेंहूं, चावल, तिल, दलहन, साग, सब्जियां और जड़ूी बुटियां, को पतंजलि श्रेष्ठ उत्पादन मूल्य के साथ बाय बैक कर लेगा।

 बाबा रामदेव के कहा कि वो झारखण्ड सरकार के साथ मिलकर यहां के किसानों की समृद्धि के लिए काम करेंगे। डेयरी के क्षेत्र में भी बाबा रामदेव ने झारखण्ड के किसानों को नई तकनीक सिखाने का भरोसा दिया।

मुख्यमंत्री रघुवर दास ने झारखण्ड के अन्नदाता किसानों का धन्यवाद करते हुए कहा कि झारखण्ड के किसान भाइयों की मेहनत से 3 साल में कृषि फसल विकास दर में 19%  बढ़ोतरी हुई है। इकोनॉमिक सर्वे के मुताबिक 2013-14 में कृषि फसल विकास दर -4.5% थी जो 2016-17 में बढ़कर +14.2% हो गई है। ग्लोबल सम्मिट में राज्य के 20,000 से अधिक किसानों ने भाग लिया।

ग्लोबल एग्रीकल्चर एंड फूड समिट 2018 की उपलब्धियां


जागरूकता बढ़ी

फ़ख्र है कि मैं तो झारखण्ड का किसान हूँ……हमसब तबियत से किसान हैं…आज खुश होकर और आत्म विश्वास से लबरेज होकर लौट रही हूं… हम उन पुरखों को उनका कल लौटाएंगे… उन्होंने हमें खेत दिए लेकिन आधुनिकता की इस दौड़ में उन पुरखों का सपना कहीं पीछे छूट गया था…लेकिन अब नहीं…धन्यवाद मुख्यमंत्री जी आपने हमारी सोई हुई आत्मा को जगा दिया अब हम गांव की आत्मा यानी कृषि को पुनर्जीवित करेंगे…. बोकारो से आई इस महिला कृषक के इस उद्गार ने मानो ग्लोबल एग्रीकल्चर और फ़ूड समिट 2018 के आयोजन को सफल बना दिया….मौका था ग्लोबल एग्रीकल्चर और फूड समिट के समापन समारोह का।

समिट में करीब 20 हजार किसानों ने लिया भाग

6000 लोगों को मिलेगा प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगार

6 सेक्टर में हुए सेमिनार से लाभान्वित हुए देश के किसान

दो दिवसीय ग्लोबल एग्रीकल्चर और फूड समिट 2018 के दौरान झारखण्ड समेत देश के 16 राज्य के करीब 20 हजार किसानों ने भाग लिया। कार्यक्रम के उद्घटान समरोह में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने भाग लिया जबकि समापन समारोह में योगगुरु बाबा रामदेव का आगमन हुआ।

273 करोड़ का निवेश से खुशहाल बनेंगे झारखंड के किसान

इस समिट के माध्यम से फूड प्रोसेसिंग के 50 यूनिट की आधारशिला रखी गई। करीब 1500 प्रत्यक्ष और 4500 से ज्यादा अप्रत्यक्ष रोजगार का सृजन हुआ। किसानों को नई तकनीक स्व अवगत कराने के उद्देश्य से 6 सेक्टर यथा मत्स्य, बागवानी, फूड प्रोसेसिंग,  एग्रीकल्चर इको सिस्टम, वर्ल्ड बैंक सेशन समेत अन्य विषयों पर मंगोलिया, फिलीपींस, इजराइल, चीन, ट्यूनीशिया से आये विशेषज्ञ से अपनी बात राज्य के किसानों से साझा किया। उनके प्रश्नों के माकूल जवाब उन्हें प्राप्त हुए। किसानों को कृषि कार्य में उपयोग होने वाले यंत्रों की जानकारी दी गई ताकि आधुनिक प्रणाली अपना कर किसान ज्याद पैदावार सुनिश्चित कर सकें।

160 स्टाल में मिली महत्वपूर्ण जानकारी

ग्लोबल एग्रीकल्चर और फूड समिट 2018 में 160 स्टॉल लगाए गए। इनमें 70 स्टाल झारखण्ड के किसानों के थे। जहां किसानों ने अपने उत्पाद का प्रदर्शन किया। चीन, मंगोलिया, फिलिपींस, ट्यूनीशिया के भी स्टॉल लगाए गए, जहां किसानों को विदेश में उत्पादित हो रहे फसलों की जानकारी मिली।

मुख्यमंत्री के उद्गार के मुख्य बिंदु



मुख्यमंत्री ने सफल आयोजन के लिए पूरी टीम को बधाई दी।

राज्य के किसान को भी बहुत-बहुत बधाई दी जिन की सहभागिता से एग्रीकल्चर ग्लोबल समिट सफलतापूर्वक संपन्न हुई।

मुख्यमंत्री ने मीडिया की सभी प्रतिनिधियों को भी बधाई दी जो कि कार्यक्रम के कवरेज में निरंतर संलग्न हैं।

प्रधानमंत्री का 2022 में किसानों की आय को दोगुना करने का उद्देश्य है।उसको ध्यान में रखते हुए झारखंड के मेहनतकश किसान और सरकार मिलकर काम कर रहे हैं।

2013-14 में जहां कृषि विकास दर -4.5 थी वहीं 4 वर्ष में 14.29% हो गई है।

झारखंड के मेहनतकश किसानों की बदौलत यह विकास दर हम हासिल कर पाएं हैं। और दुनिया को यह बताने का काम किया है कि झारखंड के किसानों में इतनी क्षमता है कि वह इस लक्ष्य को प्राप्त कर पाए हैं। इस क्षमता को हमारी सरकार की नीतियों, शासन के सहयोग से संबल मिला है। इसके लिए कृषि विभाग को बहुत-बहुत धन्यवाद।

यह क्षमता जो हमारे राज्य के किसानों के पास है इस क्षमता का उपयोग हम 2022 में किसानों की आय को दोगुना करने के प्रधानमंत्री के संकल्प को पूर्ण करने के लिए करेंगे।

किसानों के उत्साह से सरकार भी उत्साहित है। उसके लिए हमने तय किया है कि 2022 तक दोगुना नहीं बल्कि चौगुना करने वाला देश का पहला राज्य झारखंड बनेगा।

इस को ध्यान में रखकर ही ग्लोबल एग्रीकल्चर समिट का आयोजन किया गया ह। जहां देश दुनिया में क्या नवीनतम तकनीक अपनाई जा रही हैं, झारखंड के एग्रीकल्चर एवं फूड सेक्टर में उन्हें अंगीकृत किया जा सके यही इस कार्यक्रम का उद्देश्य था। यह कार्यक्रम एक जरिया था ताकि हमारे राज्य भर के किसान आ कर देखें और समझें और अनुभव प्राप्त करें। कृषि के क्षेत्र में अपने अनुभवों का उपयोग कर कम लागत में कृषि की उत्पादकता कैसे बढ़े यह ज्ञान अर्जित करें।

इस दृष्टिकोण से ग्लोबल समिट का आयोजन किया गया। इस अवसर पर किसानों की उत्पादकता को बढ़ाने, उसके बाजारीकरण की व्यवस्था, प्रसंस्करण की व्यवस्था को ध्यान में रखकर काम किया गया है।

कल 50 फूड प्रसंस्करण संयंत्रों का आॅनलाइन शिलान्यास किया गया। ऑनलाइन मार्केटिंग की व्यवस्था में विभिन्न देशों के लोगों के साथ भी हमारी बातचीत हुई है।

चीन के कृषि मंत्रालय से बात हुई और बहुत जल्द झारखंड सरकार और चीन में एमओयू होने जा रहा है। हमारे यहां भिंडी उत्पादन होता है, झारखंड की भिंडी चीन में जाएगी और एमओयू करने के बाद इस दिशा में हम लोग आगे बढ़ेंगे।

मोरक्को के राजदूत द्वारा यह बताया गया कि उनके देश की आबादी और झारखंड की आबादी बराबर है। दोनों जगह कृषि में कई सफल प्रयोग हैं। और आपसी सहमति बनाकर के एक दूसरे से अच्छे कृषि कार्यों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। यह तकनीक का आदान-प्रदान और देशों के साथ भी करेंगे और मोरक्को का ग्रीन प्लान जो कि बहुत सफल है उसका लाभ झारखंड के किसान ले सकते हैं।

कम पानी में कैसे बेहतर तकनीक का उपयोग हम कर सकते हैं यह मोरक्को के साथ टाईअप करेंगे

इसराइल के साथ सेंटर फॉर एक्सीलेंस को भी हम लोग एमओयू करके भारत सरकार को दो-तीन दिन के अंदर फाइनल करेंगे ताकि प्रशिक्षण यहीं पर हमारे झारखंड के किसानों को मिले यह इजरायल सरकार के प्रतिनिधि से बात हुई है।

पतंजलि के बाबा रामदेव ने भी झारखंड के प्रति प्रेम को प्रदर्शित किया है और उन्होंने आज सभी के समक्ष यह घोषणा की है कि जो भी ऑर्गेनिक उत्पादन होगा- धान, चावल आटा, सब्जी को पतंजलि द्वारा तय किया जाएगा।

सबसे बड़ी बात जो कि प्रधानमंत्री ने मीठी क्रांति का जो आह्वान किया है उसको झारखंड जैसे प्रदेश में भली भांति लागू किया जा सकता है। इस दिशा में भी बाबा रामदेव ने घोषणा की है।

राज्य के जितने किसान मधु उत्पादन में संलग्न है, उसके लिए प्रसंस्करण संयंत्र की स्थापना यहां पर की जाएगी। सारी मधु का क्रय पतंजलि द्वारा किया जाएगा।

स्वाबलंबी तभी बनेगी बनेंगे जब हम अपने देश में उत्पादन को बढ़ावा देंगे।

देश में जो क्षमता है उस क्षमता को विकसित करने का काम कर रहे हैं।

बढ़ती जनसंख्या के लिए अतिरिक्त खाद्यान्न की जरूरतः डा. चाकिब जिनेन

रांची। वर्ल्ड बैंक सेशन में डाॅ॰ चाकिब जिनेन, लीड एग्रीकल्चर इकोनॉमिक्स वर्ल्ड बैंक ने कहा कि किसानों के द्वारा ही खाद्य आपूर्ति सुनिश्चित होती है। किसानों के बिना भोजन की कल्पना नहीं की जा सकती। हम सभी को कृषकों की आवश्यकता है और हम सभी आपके सहयोग के लिए तत्पर हैं। उन्होंने कहा कि भारत में कृषि के क्षेत्र में कई गंभीर मुद्दे हैं जैसे डेमोग्राफी, जलवायु परिवर्तन, कांपलेक्स मूल्यवर्धन श्रंखला, खाद्य सुरक्षा मानक इत्यादि।

डाॅ॰ चाकिब जिनेन ने कहा कि 2030 तक खाद्यान्नों की मांग में 20% बढ़ोत्तरी होगी और निरंतर बढ़ती जनसंख्या के भरण पोषण के लिए अतिरिक्त खाद्यान्न की आवश्यकता होगी। खाद्य सुरक्षा इंडेक्स कई संघटकों से मिलकर बना है, जैसे कि भोजन की उपलब्धता, भोजन तक पहुंच। भारत हाई रिस्क फैक्टर है हमें अधिक खाद्यान्न के उत्पादन की जरूरत है। जबकि निरंतर बढ़ती जनसंख्या के कारण कृषि योग्य भूमि में कमी दर्ज की जा रही है। 70 के दशक के मुकाबले अभी प्रति व्यक्ति भूमि की उपलब्धता 0.25 हेक्टेयर है।

डाॅ॰ चाकिब जिनेन कहा कि जनसंख्या के बढ़ने के कारण प्रति व्यक्ति बोए गए क्षेत्र में भी कमी आई है। भूमि उपलब्धता कम है और जनसंख्या अधिकाधिक बढ़ रही है।

डाॅ॰ चाकिब जिनेन ने कहा कि जल की सीमित उपलब्धता, जलवायवीय उतार-चढ़ाव के कारण जब तक नई तकनीकों और नए उपागमों का समावेशन नहीं होता तब तक कृषि के क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन की अपेक्षा नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि कृषि के साथ गरीबी, स्वास्थ्य पोषण जैसी चीजें भी जुड़ी हुई हैं।

डाॅ॰ चाकिब जिनेन ने कहा कि कृषि क्षेत्र में अतिरिक्त निवेश की आवश्यकता है और सरकारी क्षेत्र से मिलने वाली सहायता इसके लिए पर्याप्त नहीं हैं। कृषि क्षेत्र में निजी क्षेत्र को आकर्षित करने की जरूरत है। पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के द्वारा इस गैप को भरा जा सकता है।

डाॅ॰ चाकिब जिनेन ने कहा कि प्राइवेट सेक्टर को कृषि के क्षेत्र में आकर्षित करने की जरूरत है। भारत फल एवं सब्जी के उत्पादन में विश्व में प्रथम, धान, मत्स्य और गेहूं के उत्पादन में पांचवा और अंडा उत्पादन में तीसरा स्थान है। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र भूमि और जल के उपयोग का एक बड़ा क्षेत्र है। यदि कृषि से उत्पादकता अधिक नहीं होती है तो जल और भूमि का क्षरण इससे होता है। द्वितीय हरित क्रांति समय की मांग है। उन्होंने कहा कि मूल्य संवर्धन और प्रसंस्करण के क्षेत्र में भी भारत में और झारखंड में बहुत कुछ किए जाने की संभावना है। मूल्य संवर्धन जहां मोरक्को में 35%, चीन में 30% और संयुक्त राज्य अमेरिका में 60% है, वहीं भारत में मात्र 10% मूल्य संवर्धन किया जाता है।

डाॅ॰ चाकिब जिनेन ने कहा कि  इसका मूल कारण बैकवर्ड और फॉरवर्ड लिंकेज में कमी है। उन्होंने कहा कि झारखंड में कृषि के क्षेत्र में अत्यधिक संभाव्यता है। इस क्षेत्र में बहुत कुछ किया जाना है। कृषि के क्षेत्र में विकास के लिए विभिन्न विभागों के समन्वय से वांछित परिणाम दिखाई देंगे। उन्होंने कहा कि प्रत्येक विभाग को एक साथ आगे बढ़कर इस दिशा में काम करने की जरूरत है। सटीक नीति निर्णय, बाजार की उपलब्धता, कम लागत जैसे उपायों से कृषि के क्षेत्र में सुधार किया जा सकता है। घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार के अवसर तलाशना, उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ावा देना मूल घटक साबित हो सकते हैं।

महाराष्ट्र के श्री योगेश थोराट, एमडी, एम ए एच ए,- एफ पी सी, महाराष्ट्र ने अपने संबोधन में कहा कि किसानों की इच्छा शक्ति एवं जमीनी स्तर पर पदाधिकारियों की इच्छा शक्ति से कृषि के क्षेत्र में अभूतपूर्व उपलब्धियां हासिल की जा सकती हैं। कॉरपोरेट सेक्टर से भी सहयोग एवं संपर्क की जरूरत है, जिससे कि ऐसे प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित किए जा सकें जो कि किसानों के उत्पादन का खेत एवं खलिहान से ही प्रोक्योरमेंट कर ले। प्रोक्योरमेंट पार्टनर के साथ जुड़ने से बहुआयामी बदलाव दिखाई देंगे।

उन्होंने बताया कि लागत को कम करने के लिए कृषि के क्षेत्र में आरएंडी की जरूरत है। उन्होंने एक कृषक के रूप में अपने अनुभवों को साझा किया और बताया कि किस तरह से गांव में जाकर जमीनी स्थल पर मिट्टी के परीक्षण के द्वारा यह पता लगाया कि किस फसल के लिए यह मिट्टी उपयोगी है और इसके प्रसंस्करण के द्वारा किस तरह के प्रसंस्करण से क्या परिणाम प्राप्त होंगे और फसल का भविष्य में क्या अनुप्रयोग संभव है। उन्होंने बताया कि गांव-गांव में हमें मूल्यवर्धन की सुविधा के उपाय करने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि किसानों को एक होकर फार्मर एफपीओ बनाना होगा। कंपनी एक्ट के तहत यदि इस प्रकार का एफपीओ का मूल कंपनी एक्ट के तहत बने तो बेहतर होगा, जिससे कि दिन प्रतिदिन के व्यापार में सरकारी हस्तक्षेप कम से कम हो। इसके लिए वर्ल्ड बैंक ने भी काफी फंडिंग उपलब्ध कराई है। किसानों को आगे आकर सहकारिता और कंपनी बनाकर कृषि के क्षेत्र में विकास करने की जरूरत है। कमोडिटी स्पेसिफिक बीएम बनाएं। जमीनी स्तर पर काम करने वाले लोगों को इसके लिए मॉडल बनना होगा और इससे सहकारिता बनानी होगी और कमोडिटी स्पेसिफिक होकर स्थल को चिन्हित करना होगा। इसके लिए झारखंड में सरकार से आवश्यक सहयोग प्राप्त हो रहा है। किसानों को गांव लेवल पर मूलभूत सुविधाओं को उपलब्ध कराने के लिए आधारिक संरचना सरकार बना सकती है। गांव स्तर पर छोटे छोटे बाजारों को विकसित करके ई मार्केट पर लाएं तो अधिक मुनाफा होगा। फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी को सरकार द्वारा  प्रोक्योरमेंट करके सहायता प्रदान की जा सकती है। उन्होंने कहा कि मोरक्को, इजरायल और ट्यूनीशिया जैसे देशों ने कृषि के क्षेत्र से शुरुआत कर के देश में विकास को गति दी है। प्राथमिक क्षेत्र के विकास से द्वितीय और तृतीयक क्षेत्र के विकास को प्राप्त किया है।

श्री मोहम्मद मलिकी, एंबेस्डर, एंबेसी ऑफ मोरक्को ने ग्रीन मोरक्को प्लान के विषय में संक्षेप में जानकारी दी। ग्रीन मोरक्को प्लान वर्ष 2010 से 2020 तक के लिए मोरक्को में कृषि क्षेत्र में लागू किया गया। मोरक्को और झारखंड की जलवायवीय दशायें और जनसंख्या अनुपात समकक्ष होने के कारण इस प्लान को यहां पर प्रक्षेपित किए जाने की बात उन्होंने कही।

 जैमल बुजदारिया, डिप्टी चीफ ऑफ मिशन एंबेसी ऑफ ट्यूनीशिया ने बताया कि भूमध्यसागरीय जलवायु में अवस्थित ट्यूनीशिया अफ्रीकी महाद्वीप का भाग है और इसके चारों तरफ वृहद यूरोपीय बाजार उपलब्ध है, जिस वजह से ट्यूनीशिया की कृषि उत्पादों का आसानी से निर्यात हो जाता है। उन्होंने बताया कि विश्व बैंक के सहयोग की विषय वस्तु के बारे में बताया और विभिन्न क्षेत्रों में विश्व बैंक के सहयोग से चलाए जा रहे प्रोजेक्ट और फंडिंग के विषय में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि झारखंड में कृषि के क्षेत्र में अनेक चुनौतियां एवं संभावनाएं विद्यमान हैं। तकनीक के समावेशन से कृषि के क्षेत्र में विकास हो सकता है और विश्व बैंक के अनेक प्रोजेक्ट हैं जो कि किसानों के लिए फायदेमंद साबित होंगे इसके लिए सबसे पहले सोच को बढ़ाएं।

दूध और मछली उत्पादन में झारखंड अग्रणीः रणधीर सिंह




रांची।  ग्लोबल एग्रीकल्चर एंड फूड सम्मिट 2018 के आज फीड एंड फूडर सेशन में कृषि मंत्री रणधीर सिंह ने कहा कि सरकार राज्य में डेयरी के क्षेत्र में लगातार तेजी से काम कर रही है झारखंड के किसान पशुपालक के रूप में जुड़े हुए हैं उन कि सानों को निश्चित रूप दूध उत्पादन के क्षेत्र में राष्ट्रीय मानक में लाने के लिए तेजी से काम शुरू किया गया है ।उन्होंने कहा कि किसानों के द्वारा उत्पादित दुग्ध को मार्केट के लिए मिल्क फेडरेशन का गठन किया है।सरकार ने पिछले 2 साल में 32000 बीपीएल महिलाओं को दो दो गाय देने का काम किया है उनके द्वारा  दूध को प्लांट तक पहुंचाया जा रहा है।दुग्ध उत्पादक कृषकों को एक नया बाजार मिल रहा है। उन्होंने कहा कि गांवों में बल्क मिल्क कूलर लगाया जा रहा है ।
श्री सिंह ने कहा कि देसी नस्ल की गाय में सुधार करते हुए दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा दिया जाएगा। सरकार की प्राथमिकता है झारखंड में ज्यादा से ज्यादा दूध का उत्पादन देसी नस्ल की गाये से हो । उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य है कि किसान स्वयं मछली पालन कर इसके मालिक बने। सरकार झारखंड के किसानों को अपने पैरों पर खड़ा करना चाहती है
कांके विधायक डॉ जीतू चरण राम ने कहा कि संतुलित आहार मनुष्य के साथ साथ पशुओं की भी लिए भी काफी जरूरी है आज स्थिति यह है कि ना हम खुद संतुलित आहार खाते हैं और ना ही जानवर को खिलाते हैं अच्छे संतुलित आहार से ही अच्छे दुग्ध उत्पादन की उम्मीद की जा सकती है उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार मछली पालन के क्षेत्र में भी काम कर रही है उन्होंने कहा कि   कृषि उद्योग के रूप में लें और इसे विकसित करें
कार्यक्रम में पषु आहार के द्वोत्र में जानेमाने विषेषज्ञ एके वर्मा ने बताया की झारखंड में 56 प्रतिषत पशु आहार की समस्या है उन्होंने पशु आहार के बारे में विस्तार से चर्चा की उन्होंने कहा कि झारखंड में प्रति पशु चारा उत्पादन कम है
आईसीएआर के डॉक्टर गिरिधर ने पशु आहार के बारे में विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि पशुओं के आहार को और अधिक पौष्टिक कैसे बनाया जाए इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने पशु के लिए उन्नत किस्म के चारा के बारे में जानकारी दी। उन्होंने हरा चारा को पशु के लिए बेहतर बताया
आईसीएआर के फॉर्मर डायरेक्टर डॉ पीके घोष ने चारा के महत्व के बारे में प्रकाश डाला उन्होंने कहा कि पशु के द्वारा कम दूध का उत्पादन में 50 प्रतिषत चारा का दोष्ष है अगर हम अच्छा चारा नहीं खिलाएंगे तो हम ज्यादा दूध की भी उम्मीद नहीं कर सकते। हमारे देश में चारा की कमी है।  उन्होंने चारा उगाने की तकनीकों के बारे में जानकारी दी।
 डॉ पवन कुमार कंसलटेंट एनिमल फीड प्रोग्राम यू एसएस ईसी ने पषु से दूध निकालने की विधि के बारे में बताया।
 झारखंड के पाकुड़ जिले से आए अभिनव किशोर ने बताया कि मैं पेशे से इंजीनियर हूं लेकिन घर से दूर रहने के कारण मैंने डेयरी उद्योग को चुना। 2009 में मैंने इंजीनियरिंग छोड़ने के बाद दो गायों से इसकी शुरुआत की आज मेरे पास 50 गायें हैं, जिससे प्रतिदिन 450 लीटर दूध का उत्पादन होता है। उन्होंने पशुओं के चारे के महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि पशु का शारीरिक विकास एवं उत्पादन क्षमता संतुलित आहार पर ही निर्भर करता है।  मक्के का उत्पादन झारखंड में अधिक होता है साल में हम तीन फसल तैयार कर अधिक से अधिक मात्रा में हरा चारा एकत्रित कर सकते हैं जो पशुओं के लिए काफी लाभकारी है उन्होंने बताया कि किसान अगर मिल जुल कर काम करें जो अपनी आय को दुगना कर सकते हैं
एसके महनता ने दूध उत्पादन के बारे में जानकारी दी उन्होंने बताया कि झारखंड का पूरे देश में मात्र 1.3 प्रतिशत दुग्ध उत्पादन का हिस्सा है । उन्होंने कहा कि झारखंड में देसी गाय के दूध के उत्पादन को बढ़ावा देना होगा जब तक गायों के रिसोर्स पर खर्च नहीं करेंगे तब तक हम अच्छे आउटपुट की उम्मीद नहीं कर सकते हैं । उन्होंने कहा कि सभी बात चारा पर निर्भर करती है जानवर को स्वस्थ रखना है तो उसे हरा चारा देना ही होगा
डेयरी, मुर्गी पालन एवं मछली पालन (पोषण के विरूद्ध संघर्ष) सेषन में डॉ एके श्री वास्तव ने कहा की झारखंड में पोषण की कमी को पूरा कर सकता तो वह डेयरी है। झारखंड में किसानों की उन्नति हो आय दुगनी हो तो डयेरी को महत्व देना होगा। डेयरी सेक्टर की इस राज्य में जरूरत ह।ै उन्होंने कहा कि झारखंड में पूरे देश का 3.4 प्रतिषत कैटल और बफेलो है हम देश में दुग्ध उत्पादन में 17 वे नंबर पर हैं। उन्होंने झारखंड में मुर्रा जैसे भैंसे आदि नस्ल की आवश्यकता जताई । उन्होंने पषुओं में होने वाले थनैला बीमारी एवं इसके उपचार के बारे में भी जानकारी दी । उन्होंने बताया कि ए2 मिल्क जितना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है उतना ही ए1 मिल्क भी लाभदायक है।  उन्होंने झारखंड में किसानों को डेयरी के क्षेत्र में प्रशिक्षित करने की आवश्यकता पर बल दिया
मुंबई आईसीएआर के प्रधान वैज्ञानिक डाॅ एल मूर्ति ने मछली पालन के क्षेत्र के बारे में जानकारी दी उन्होंने कहा कि झारखंड में मछली पालन की काफी संभावनाएं हैं और झारखंड के किसान क्षेत्र में काफी अच्छा कर रहे हैं और सरकार का लगातार इस क्षेत्र में किया जाने वाला प्रयास सराहनीय है उन्होंने मछली पालन और अधिक कैसे विकसित किया जाए इस बारे में विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला।

गुरुवार, 29 नवंबर 2018

खेलगांव में दो दिवसीय ग्लोबल एग्रीकल्चर फूड समिट का शुभारंभ



50 फ़ूड प्रोसेसिंग यूनिट की आधारशिला रखी

समिट के साझेदार देश चीन, ट्यूनीशिया, मंगोलिया, इजरायल और फिलीपींस के प्रतिनिधि, 16 राज्यों के 10 हजार किसान, 50 से अधिक वक्ता का झारखंड की धरा पर हुआ आगमन

271 करोड़ का निवेश, 6000 लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगार

28 लाख किसानों को सरकार देगी निःशुल्क मोबाइल फ़ोन

2019 मई तक किसानों के लिए बिजली का अलग फीडर होगा


रांची। झारखण्ड के 28 लाख किसानों को नमन व बधाई। आपकी मेहनत, आपकी उद्यमशीलता और संकल्पशक्ति का प्रतिफल है कि झारखण्ड जिसकी कृषि विकास दर जो 4 वर्ष पूर्व -4.5 वह आज बढ़ कर + 14 % हो गई है। आपके सहयोग से हम लंबी छलांग लगाने में सफल हुए। हमें यहीं नहीं रूकना है। कृषि विकास दर में और वृद्धि दर्ज करने, आपको उन्नतशील किसान के रूप में तब्दील करने, आपकी उत्पादकता की सही मुख्य प्रदान करने साथ से अंतरराष्ट्रीय मानक के अनुरूप वस्तुओं का उत्पादन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से ग्लोबल एग्रीकल्चर एंड फ़ूड समिट का आयोजन हो रहा है। उपरोक्त बातें मुख्यमंत्री श्री रघुवर दास ने कही। श्री दास गुरुवार को खेलगांव में आयोजित वैश्विक कृषि शिखर सम्मेलन में बोल रहें थे।

श्री रघुवर दास ने कहा कि इस सम्मेलन के जरिए राज्य के किसान अन्य राज्यों और देशों में अपनाई गई सफल तकनीक की जानकारी प्राप्त करेंगे, बाजार की मांग के अनुसार अपने उत्पाद तैयार करने के हुनर से परिचय कराने और अन्य किसानों के भी उन्नति का वाहक बनाना, यही इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य है। साथ ही खेती हमारी संस्कृति और परंपरा है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था के इस ठोस आधार को हमें इस सम्मेलन के माध्यम से और सशक्त करना है।
निवेशक सरकार का निमंत्रण स्वीकार करें।

श्री रघुवर दास ने कहा कि इस सम्मेलन के माध्यम से राज्य में 50 खाद्य प्रसंस्करण उद्योग का शिलान्यास हुआ। इस कार्य हेतु सभी निवेशकों को धन्यवाद। आपके निवेश के किसानों को उनके उत्पाद का सही दाम और नौजवानों को काम मिलेगा। अन्य निवेशकों का भी झारखण्ड में अभिनन्दन है। आप आएं और निवेश करें। यहां की नीति अच्छी है और कार्यों में पारदर्शिता भी है जो आपको हर कार्य मे सहयोग प्रदान करेगा।

28 लाख किसानों को मुफ्त मोबाइल, 2019 तक फीडर से बिजली
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के किसानों को बिचौलियों से मुक्ति प्रदान करने, बाजार के पल पल चीजों के भाव से अवगत कराने और समय के अनुरूप अपने फसल की उत्पादन क्षमता बढ़ाने के उद्देश्य से राज्य के 28 लाख किसानों को सरकार निःशुल्क मोबाइल फोन प्रदान करेगी। ताकि हमारे किसान भी बाजार के बदलते परिवेश के अनुसार को को ढाल सकें। साथ ही कृषि कार्य हेतु 2019 मई तक किसानों के लिए अलग फीडर की व्यवस्था सरकार करेगी। जहां से 6 घटें निर्बाध बिजली की आपूर्ति कृषि कार्य हेतु होगा। सरकार की मंशा किसानों के लिए अलग फीडर, उद्योग के लिए अलग फीडर और आम जनता के लिए अलग फीडर लगाने की है जिसपर कार्य हो रहा है। 2018 दिसंबर तक सुदूरवर्ती गांव तक बिजली पहुंचा दी जाएगी।

राज्य के किसान खुद की और राज्य सरकार की तिजोरी भरने का कार्य करें
श्री रघुवर दास ने कहा कि किसान सिर्फ सब्जी उत्पादन में ही केंद्रित न रहें। कृषि कार्य के साथ बागवानी, पशुपालन और सोलर फार्मिंग में भी ध्यान दें। सरकार इन कार्यों में आपको सहयोग प्रदान करेगी। सोलर फार्मिंग करने वाले किसानों की बिजली को 3 रुपए प्रति यूनिट की दर से खरीद लिया जाएगा। अगर किसान खेती के साथ अन्य को भी साथ लेकर कार्य करते हैं तो 2022 तक किसानों की आय दोगुना नहीं चार गुना हो सकता है। नौजवान किसान डेयरी उद्योग की ओर ध्यान दें। आपको 50 % अनुदान पर गाय उपलब्ध कराया जाएगा। सरकार ने 25 हजार BPL महिलाओं को 90% अनुदान पर 2 गाय उपलब्ध कराया है। इसके अलावा अगर कोई किसान कृषि लोन का भुगतान अगर 1 वर्ष के अंदर कर देता है तो उस किसान को ब्याज देने की जरूरत नहीं, उस ब्याज का भुगतान राज्य सरकार करेगी।

किसानों ने किया कृषि ज्ञान का आदान प्रदान

#ग्लोबल एग्रीकल्चर एंड फूड समिट 2018-झारखंड

टेक्निकल सेशन
सहयोगी देश इजराइल

रांची। मिस माया कुदास चार्ज डी अफेयर्स, एम्बेसी ऑफ़ इजराइल ने कहा कि झारखण्ड से किसानों ने इजराइल में आकर कृषि के उन्नत टेक्निक के बारे में जानकारी प्राप्त की। इस्राएल और झारखण्ड राज्य के किसानों ने आपस में कृषि के ज्ञान का आदान- प्रदान किया।
डैन अलोफ्फ, इजराइली प्रतिनिधि ने सेमिनार को संबोधित करते हुए कहा कि इजराइल में कृषि महत्वपूर्ण है।इजराइल ने कृषि के क्षेत्र में बहुत सारे अनुसन्धान किए हैं। कृषकों को मार्केट से जोड़ा गया है। ड्रिप इरीगेशन के माध्यम से पानी की कमी होने के बावजूद भी बेहतर ढंग से पानी का उपयोग किया जाता है।
स्वच्छ पानी जब गंदे पानी में परिवर्तित हो जाता है तो उसे रीसायकल कर कृषि में इस्तेमाल किया जाता है। किसानों, अनुसन्धान केन्द्रों और निजी क्षेत्र के समन्वय से
दुग्ध उत्पादन बेहतर ढंग से किया जाता है।इंडो- इस्राएल कृषि योजना अन्तर्गत आम, अनार, खजूर, संतरा इत्यादि पर काम किया जा रहा है।
आधुनिक कृषि फार्म नर्सरी, कैनोपी विकसित किए जा रहे हैं।स्थानीय लोगों की आवश्यक्तानुसार कार्य किया जाता है। किट नाशक परियोजना भी चल रही है।
सुरेन्द्र माखीजा ने कहा कि जलगाँव में जैन इरीगेशन ने अमेरिका की कंपनी के साथ समझौता किया। इस्राईली कंपनी नाम दान को खरीद लिया और उसे नानदान-जैन के नाम से काम करना शुरू किया। केला, अनार स्ट्रॉबेरी का उत्पादन टिश्यू कल्चर के माध्यम से किया जाता है। किसानों से हम आम, प्याज आदि खरीद कर उसका प्रसंस्करण करते हैं और बाजार में बेचते हैं। microirrigation और food processing में हम बेहतर कार्य कर रहे है।
नेटाफेन (netaafen) कंपनी के प्रतिनिधि  क्रिश्नाथ महोलकर ने झारखण्ड के किसानों को इजराइल की टेक्निक अपनाने हेतु क्या किया जाना चाहिए, इस बारे में विस्तारपूर्वक बताया। grow more with less
श्री संतोष पाटिल ने कहा कि satellite based technology के माध्यम से खेती की जाएगी। gps के माध्यम से सर्वे किया जाता है। अग्रोनोमिक knowledge किसानों को दिया जाता है।
श्री मुकेश गुप्ता ने कहा कि इजराइल केमिकल्स लिमिटेड 70 साल पुरानी कंपनी है। मुख्यतः खाद बनाने का काम करती है। ड्रिप इरीगेशन में 90 प्रतिशत पानी का सदुपयोग होता है, स्प्रिंकलर इरीगेशन में 70-75 प्रतिशत ही पानी का उपयोग हो पाता है। जबकि फ्लड इरीगेशन में केवल 30 प्रतिशत ही पानी का इस्तेमाल होता है। फोलियर खाद टेक्नोलॉजी के बारे में बताया गया।

झारखंड में कृषि और फूड प्रोसेसिंग की अपार संभावनाएंः सुधीर त्रिपाठी

ग्लोबल एग्रीकल्चर एंड फूड समिट 2018-झारखंड

नई ऊर्जा, प्रेरणा और विश्वास के साथ किसान कृषि कार्य में गति प्रदान करें- मुख्य सचिव

झारखण्ड के किसान अपने आय को दोगुना नहीं 4 गुना कर सकते हैं- CEO नीति आयोग

ग्रामीण झारखण्ड के विकास की बात हो- एमडी अमूल इंडिया



रांची।  झारखंड की जलवायु, यहां के भौगोलिक स्थिति, यहां के मेहनतकश किसान और मजदूर  उन्नत कृषि कार्य के लिए अनुकूल हैं। राज्य में कृषि और फ़ूड प्रोसेसिंग में अपार संभावनाएं है। खनिज संपदा के साथ साथ कृषि के क्षेत्र में भी झारखंड देश दुनिया मे जाना जाता है। वर्तमान सरकार के चार वर्षों की मेहनत के कारण कृषि के क्षेत्र में कई नए प्रयोग किये गए हैं। कृषकों को हेल्थ कार्ड, महिला समूहों का गठन, बीज ग्राम की स्थापना, क्रियाही बाजार का आधुनिकीकरण, कृषि आधारित उधोग की नींव स्थापित करना आदि महत्वपूर्ण कदम उठाए गए है। यह बात ग्लोबल एग्रीकल्चर एंड फ़ूड समिट 2018 के उद्घाटन कार्यक्रम में मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी ने कही। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम उस मंच की तरह है जहां कृषि से संबंधित सभी लोग उपस्थित हुए हैं। कार्यक्रम में किसान, कृषि वैज्ञानिक, बाजार से जुड़े व्यवसायी, कृषि आधारित उद्योग के प्रतिनिधि उपस्थित है। एक मंच पर इन सब के आने से सब अपने विचारों का आदान प्रदान करेंगे तो उसका परिणाम कृषि क्षेत्र में परिलक्षित होगा। देश विदेश से आये कृषि प्रतिनिधियों को धन्यवाद। किसानों से आग्रह है कि कार्यक्रम के बाद यहां लगे स्टाल पर जरूर जाएं और नए तकनीक के विषय के संबंध में जाने। मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में कई सकारात्मक कार्य हुए है। झारखंड के ओडीएफ होने, मनरेगा, उज्जवला योजना, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना आदि से गांव का त्वरित विकास गया है। दिसंबर माह तक राज्य के हर गांव और हर घर तक बिजली पहुंच जाएगी। कृषि विकास की एक कड़ी आज का यह कार्यक्रम है। यह एक नई ऊर्जा है और आशा है कि यहां आए 10 हजार किसान यहां से मिले तकनीक को अपने गांव में और अन्य किसानों की समृद्धि के वाहक बनें।

आपका दृढ़ निश्चय ही आपकी प्रगति का वाहक बनेगा.

कार्यक्रम में नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि 4 वर्ष के शासन काल मे क्रांति आई है। कृषि विकास दर में – 4 % से 14.2 % की वृद्धि दर्ज की गई। मत्स्य के क्षेत्र में भी लंबी छलांग झारखण्ड ने लगाई है मत्स्य उत्पादन 4 साल में 83% बढ़ी है। पूरे देश में ऐसा नहीं हुआ। 2022 तक किसानों नकी आय दोगुना करने के लक्ष्य को लेकर कार्य हो रहा है। राज्य के किसान कृषि के साथ साथ डेयरी और मत्स्य पालन की ओर ध्यान दें, ऐसे में झारखण्ड के किसान 2022 तक अपने आय को दोगुना नहीं बल्कि 4 गुना तक कर सकते हैं। झारखण्ड में लगातार बदलाव हो रहा है, किसान अपनी दृढ़ निश्चय और संकल्पशक्ति की बदौलत अपनी प्रगति के वाहक स्वयं बनेगें।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अमूल इंडिया के एमडी  आर एस सोढ़ी ने कहा कि जब कभी भी झारखण्ड के विकास की बात होगी तो ग्रामीण क्षेत्र के विकास की बात पहले आएगी। भारत विश्व भर में दूध उत्पादन ने पहले नंबर पर है। झारखण्ड में 52 लाख लीटर दूध उत्पादन होता है हर दिन। जबकि जरूरत 130 लाख टन की है। प्रति व्यक्ति 157 ग्राम का उत्पादन हो रहा है जबकि जरूरत 176  ग्राम की है। 75 लाख लीटर की कमी है। अन्य राज्यों से झारखण्ड 13 से 14 हजार करोड़ का दूध खरीदता है। अगर झारखंड में 25 लाख लीटर दूध उत्पादन होता है तो 2 लाख 75 हजार परिवार लाभान्वित होंगे, 8 से 10 हजार करोड़ का मुनाफा राज्य सरकार को होगा। जिस तरह सब्जी के क्षेत्र में कार्य हो रहा है उसी तरह डेयरी के क्षेत्र में भी कार्य करें किसान।

भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र

इस अवसर पर गोन्चिंग गैनबोल्ड एंबेसी ऑफ मंगोलिया ने कहा कि भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, और मंगोलिया सबसे छोटा लोकतंत्र वाला राज्य है। कृषि के क्षेत्र में मंगोलिया सरकार ने कई काम किया है। कृषि क्षेत्र में काम करने के कारण देश मे काफी प्रगति हुई है। 2019 में 6.2 प्रतिशत वृद्धि कृषि क्षेत्र में होगा। साफ सुथरा फसल सभी के लिए जरूरी है। झारखंड में कई देशों के निवेशक कृषि क्षेत्र में निवेश कर रहें हैं, जिससे किसानों की आय में वृद्धि होगी। यह समिट सभी के लिए लाभकारी होगा। राज्य के उन्नति के लिए सभी को शुभकामनाएं। मंगोलिया हर तरह से झारखण्ड को अपना सहयोग देने को तत्पर है।


कोका कोला झारखण्ड में लगाएगा प्लांट

अपने संबोधन में कोका कोला के वाईस प्रेसीडेंट इश्तियाक अमजद ने कहा कि हिंदुस्तान सहित कई देशों में सबसे ज्यादा फ़ूड प्रोसेसिंग में कंपनी काम कर रही है। कंपनी फल, सब्जी, डेरी मिल्क आदि में काम कर रही है। 2017 से 2022 तक कंपनी 11000 करोड़ का निवेश फ़ूड के क्षेत्र में करने वाली है। इसके पीछे उद्देश्य है कि किसानों की आय को बढ़ाया जाए और किसानों को लाभ हो। भारत मे फ़ूड प्रोसेसिंग में बहुत कम काम हुए है। कोका कोला कंपनी भारत मे इस क्षेत्र में काम कर रही है। झारखण्ड में भी वे इस क्षेत्र में निवेश करना चाहते है। उन्होने कहा कि मेरी पैदाइश और पढ़ाई रांची से हुई है, इस कारण मेरा व्यक्तिगत रुझान भी झारखंड को आगे बढ़ने में ज्यादा है।

झारखण्ड के किसान मेहनती

इजराइल से आई माया कदोश ने कहा कि इजराइल कृषि क्षेत्र में कई तकनीकों पर काम कर रही है। हाल में ही झारखंड के कई किसान भी इजराइल दौरे पर आए थे। झारखंड में खनिज संपदा है और यहां के किसान भी मेहनतकश है।यहां की सरकार फूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र में काम कर रही है। झारखंड सरकार कृषि नीति बना कर यहां के किसानों को लाभ पहुंचाने की कोशिश की है। यहां की सरकार किसान को आगे बढ़ाने का काम कर रही है।

30 दिन में मिला 27 एकड़ जमीन

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए  मदर डेयरी के प्रदीप्ता कुमार साहू ने कहा कि 2016 में कंपनी ने झारखण्ड में उद्योग स्थापना हेतु प्रस्ताव दिया था। प्रस्ताव के 30 दिन बाद हमें 27 एकड़ जमीन मिल गई। 1 साल के अंदर हमने 100  करोड़ का प्लांट तैयार कर उत्पादन शुरू कर दिया। राज्य के किसानों को प्रशिक्षित कर अमरीकन स्वीट कॉर्न, मटर और टमाटर की खेती प्रारंभ की। अब हम 1 लाख टन टमाटर उत्पादन का लक्ष्य रखें हैं। या कार्य मे 50 हजार किसान जुडेंगे

मंगलवार, 27 नवंबर 2018

दो दिवसीय ग्लोबल एग्रीकल्चर एंड फूड समिट 29 से ·


·               केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह करेंगे उद्घाटन ,  
        ट्यूनेशिया, चीन, इज़राइल, फिलीपींस और मंगोलिया  और मोरक्को देश भी होंगे शामिल



रांची। केंद्रीय कृषि मंत्र राधा मोहन सिंह झारखंड में 29 एवं 30 नवम्बर 2018 को आयोजित दो दिवसीय ग्लोबल एग्रीकल्चर एंड फूड समिट 2018 का उद्घाटन टानाभगत इन्डोर स्टेडियम में करेंगे। यह समिट होटवार स्थित खेलगांव में आयोजित किया गया है। आज  पूजा सिंघल, कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता सचिव, उद्योग सचिव के रवि कुमार, रांची उपायुक्त राय महिमापत रे और वरीय पुलिस अधीक्षक अनीस गुप्ता ने सयुंक्त रूप से सूचना भवन सभागार में आयोजित प्रेस कांफ्रेस में इस संबंध में जानकारी दी।
       कृषि सचिव पूजा सिंघल ने बताया कि राज्य में पहली बार एग्रीकल्चर एंड फूड समिट का आयोजन किया जा रहा है। अब तक 1800 डेलीगेट्स ने अपना रजिस्ट्रेशन कराया है। इसमें इजराईल गये किसान भी शामिल होंगे। समिट के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रुप में माननीया राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू शामिल होंगी। राज्य से लगभग दस हजार किसान शामिल होंगे। राज्य के सभी 24 जिलों के पवेलियन बनाये जायेंगे। दूसरे पवेलियन में अन्य राज्यों के पवेलियन बनाये जायेंगे। इस दौरान आउटडोर एक्जविशन में कृषि यंत्रों और अन्य तकनीक की प्रदर्शनी भी लगायी जायेगी।
      उन्होंने बताया कि लगभग 40 हजार वर्गफीट में यह प्रदर्शनी लगायी जायेगी। उद्घाटन समारोह में कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे। दूर से आने वाले राज्य के किसान कल से ही पहुंचने लगेंगे। किसानो को ठहराने के लिये अच्छी व्यवस्था की गयी है। कृषि सचिव ने बताया कि इस दौरान चार सेक्टोरल सेमिनार का भी आयोजन किया जायेगा जिसमें आर्गेनिक खेती और कृषि यंत्र समेत अन्य विषयों पर चर्चा होगी।30 नवबंर को विश्व बैंक के द्वारा टेक्निकल सत्र का आयोजन किया जाएगा। कार्यक्रम में शिक्षाविद्, प्रमुख कृषि-चिंतक, शोधकर्ता, कृषि संस्थान और विश्वविद्यालय, किसान समूह, केंद्रीय और राज्य सरकार के विभागों के गणमान्य व्यक्ति, प्रगतिशील किसान, कृषि-व्यवसाय से संबंधित कंपनियाँ - बीज, सिंचाई, कृषि उपकरण, खाद्य प्रसंस्करण वर्ग, वित्तीय संस्थान, छात्र भाग लेंगे। मीडियाकर्मियों के लिए मीडिया लाउंज की व्यवस्था की गई है,जिसमें सभी तकनीकी सुविधा उपलब्ध रहेगी।
           

उद्योग सचिव श्री के रवि कुमार ने जानकारी दी कि दो दिवसीय सम्मेलन के दौरान अंतर्राष्ट्रीय सत्र भी होंगे। जिसमें ट्यूनीशिया, चीन, इज़राइल, फिलीपींस और मंगोलिया  जैसे देश सहयोगी देशों के रूप में शामिल हो रहे हैं। इसमें  आयोजन का केंद्र मोरक्को देश है। इस आयोजन में सहयोगी देश के सत्र भी होंगे जिन्हें कृषि और खाद्य क्षेत्र में सहयोग के संभावित क्षेत्रों पर चर्चा करने के लिए परिकल्पित किया गया है। इस सत्र  सहयोगी देशों से आये हुए प्रतिनिधिमंडल में भी शामिल होंगे। दो दिवसीय कार्यक्रम के दौरान एक विशेष विश्व बैंक सत्र भी होगा जो राज्य को विश्व स्तर पर सर्वोत्तम कृषि प्रथाओं तक पहुँच प्रदान करेगा।
            वरीय पुलिस अधीक्षक श्री अनीस गुप्ता ने बताया कि प्रशासन के द्वारा सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किये गये है। किसी को भी किसी प्रकार की असुविधा का सामना नहीं करना पड़ेगा।
कार्यक्रम में सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के निदेशक सहित अन्य पदाधिकारीगण उपस्थित थे।

स्वर्ण जयंती वर्ष का झारखंड : समृद्ध धरती, बदहाल झारखंडी

  झारखंड स्थापना दिवस पर विशेष स्वप्न और सच्चाई के बीच विस्थापन, पलायन, लूट और भ्रष्टाचार की लाइलाज बीमारी  काशीनाथ केवट  15 नवम्बर 2000 -वी...