अब जेल से चलेगी सरकार!
सरकार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल
गिरफ्तार होने के बावजूद अपने पद से इस्तीफा नहीं देंगे। पार्टी के विधायक दल ने
पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि वे पद पर बने रहेंगे और जेल से ही सरकार चलाएंगे।
संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि दोषी करार किए जाने तक पद से इस्तीफा
देना जरूरी हो। अभी तक जो मुख्यमंत्री जेल गए हैं उन्होंने अपना उत्तराधिकारी तय
कर इस्तीफा दे दिया। लालू प्रसाद ने एक जमाने में जरूर यह सवाल उठाया था कि
संविधान में कहां लिखा है कि जेल से सरकार नहीं चलाई जा सकती लेकिन चारा घोटाले के
आरोप में पहली बार गिरफ्तारी होने पर उन्होंने त्यागपत्र दे दिया था और अपने
विधायकों की सहमति से अपनी पत्नी राबड़ी देवी को गद्दी सौंप दी थी। हाल में झारखंड
के तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी ईडी द्वारा गिरफ्तार किए जाने पर अपनी
पार्टी के वरीय नेता चंपई सोरेन को गद्दी सौंप दी थी।
यदि केजरीवाल पार्टी की घोषणा पर टिके रहते हैं
तो भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में यह पहली घटना होगी कि कोई मुख्यमंत्री जेल से
अपनी सरकार चलाएगा। कानूनन उन्हें इससे रोका नहीं जा सकता। अभी तक जिन जन प्रतिनिधियों
ने इस्तीफा दिया उनका आधार सिर्फ नैतिकता है। लेकिन सत्तापक्ष ने जिस तरह नैतिकता
का मखौल उड़ी रखा है उसमें अरविंद केजरीवाल का यह फैसला कोई अप्रत्याशित नहीं होगा
बल्कि सत्ता की मनमानी का करारा जवाब होगा। इससे पूरे विश्व में लोकतंत्र की जननी
होने के दावे की पोल-पट्टी खुल जाएगी। भारत का लोकतंत्र एक मजाक बनकर रह जाएगा।
इलेक्टोरल बॉंड मामले में भ्रष्टाचार और भयादोहन
के आरोप में सत्तापक्ष के शीर्ष नेता भी घिरे हैं। उनके खिलाफ भी आने वाले समय में
याचिकाएं दर्ज होंगी। उनकी गिरफ्तारी भी हो सकती है। तो क्या वे भी जेल से ही
सरकार चलाएंगे? भारत
के लोकतंत्र में एक नई परिपाटी की शुरुआत होगी?
-देवेंद्र
गौतम
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