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शनिवार, 10 अगस्त 2019

शिक्षाविद निरुप के नि:शुल्क शिक्षण संस्थान में विश्व आदिवासी दिवस मनाया गया


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चक्रधरपुर। शिक्षाविद निरुप कुमार प्रधान में समर्थ नाम की एक संस्था का गठन किया है इस संस्था में के अंतर्गत गरीब एवं आर्थिक असमर्थ को नि:शुल्क प्रतियोगिता परीक्षा एवं नि:शुल्क बुनियादी शिक्षा दी जाएगी ।साथ ही साथ सामाजिक कल्याण के कार्यों को भी संपन्न किया जाएगा।इसके संस्थापक शिक्षाविद निरुप हैं।

 इसी संस्था द्वारा 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाया गया इसमें नि:शुल्क बुनियादी शिक्षा के सभी बच्चे इकट्ठे होकर इस कार्यक्रम का आयोजन किए। इसमें झारखंड की संस्कृति का एक दृश्य देखने को मिला ! जिसमें सभी बच्चे एवं शिक्षक सरना नृत्य को प्रस्तुत किए।


इस कार्यक्रम में अतिथि के रूप में कई गणमान्य लोग उपस्थित थे जिसमें समाजसेवी विनोद भगेरिया एवं उनकी पत्नी श्रीमती विशाखा ,पूर्व प्राचार्य नागेश्वर प्रधान,कविवर रणविजय कुमार ,समाजसेवी सदानंद होता, सामाजिक कार्यकर्ता लक्ष्मी दिग्गी इत्यादि गणमान्य उपस्थित होकर सभी बच्चों का उत्साह बढ़ाएं।

 इस दौरान सभी अतिथि गण भी इस नृत्य में सम्मिलित होकर इस का मान बढ़ाएं एवं सर्वश्रेष्ठ नृत्य का पुरस्कार भी उनके हाथों से बच्चों को दिया गया। इस तरह यह कार्यक्रम सफल रहा एवं आगामी वर्ष भी इस दिवस को धूमधाम से मनाने का संकल्प लिया गया।

इस कार्यक्रम में श्री निरूप ने ढोल बजाकर बच्चों के साथ नृत्य किया एवं इसका संबोधन श्री नील अभिमन्यु के द्वारा संपन्न हुआ।

शुक्रवार, 9 अगस्त 2019

पर्यावरण का एकमात्र रक्षक है आदिवासी समाजः डॉ रमेश पांडे


डॉ. बीरेन्द्र कुमार महतो
रांची। आज दिनांक 9 अगस्त दिन शुक्रवार को जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग रांची विश्वविद्यालय रांची में आदिवासी दिवस के मौके पर आयोजित संगोष्ठी में अपने विचार व्यक्त करते हुए कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रांची विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ रमेश कुमार पांडे ने कहा कि आज पूरे विश्व में यदि पर्यावरण की रक्षा अगर कोई करता है तो वह है आदिवासी समाज। आदिवासी समाज ही एक ऐसा समाज है जो सभ्य समाज को जीने का सलीका सिखाया। आज पर्यावरण में, वातावरण में जो भी गड़बड़ियां पैदा हो रही हैं वह पर्यावरण के दूषित होने से हो रही है। उन्होंने कहा कि सभ्य समाज के द्वारा अपनाई गई तौर तरीके के चलते ही आज पर्यावरण संकट गहराया है। उन्होंने जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग की सराहना करते हुए कहा कि टीआरएल विभाग जनजातीय भाषा और संस्कृति का हमेशा से संरक्षक रहा है। इस विभाग से कई आंदोलनों को बल मिला है। कई आंदोलनों की अगुवाई की है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में सभी 9 भाषाओं में अब अलग-अलग डिग्रियां दी जाएंगी ताकि भविष्य में छात्रों को किसी भी तरह की कोई कठिनाइयों का सामना ना करना पड़े।
रांची विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ अमर कुमार चौधरी ने कहा कि आज पूरी दुनिया बची है, हमारी प्रकृति बची है, हमारी संस्कृति बची है, तो इसे बचाए रखने में दुनिया के आदिवासियों का बहुत बड़ा योगदान रहा है। हमें उनके इस योगदान को भूलना नहीं चाहिए। विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर हमें आदिवासियों की संस्कृति, उनकी भाषा, उनके अस्तित्व की रक्षा, उनमें अशिक्षा कैसे दूर हो, इन तमाम बातों पर गहन मंथन, चिंतन करने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम में आए अतिथियों का स्वागत करते हुए जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर त्रिवेणी नाथ साहू ने कहा कि विश्व आदिवासी दिवस ऐतिहासिक दिवस है। यह दिवस आदिवासियों के विकास और उत्थान के लिए शुरू किया गया, साथ ही आदिवासियों के पिछड़ेपन को दूर कर उन्हें आगे बढ़ाने का संकल्प लेने का यह दिन है। हमें उन्हें समाज के मुख्यधारा में जोड़ने का प्रयत्न करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज में शिक्षा का अपना तौर तरीका है। उनकी अपनी सामाजिक संस्थाएं, जिसके माध्यम से उन्हें शिक्षित किया जाता है। जिसे मुख्यधारा का समाज दरकिनार कर दिया है। हम आदिवासियों को हेय दृष्टि से देखते हैं परंतु हमें यह कतई नहीं भूलना चाहिए कि आज हमारी प्रकृति, संस्कृति बची हुई है, तो इसमें आदिवासियों का बहुत बड़ा योगदान है।
विषय प्रवेश कराते हुए जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के प्राध्यापक डॉ उमेश नन्द तिवारी ने कहा कि आदिवासी दिवस सही मायने में आदिवासियों के उत्थान और उनके अस्तित्व की रक्षा हेतु मनाया जाता है। आदिवासी में विकास नहीं हो पाया है इसलिए उनके चहुमुखी विकास को केंद्र में रखकर उनका उत्थान और संरक्षण की दिशा में पहल करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आदिवासी कोई एक धर्म में बंधे हुए नहीं है। यह सभी धर्म एवं जाति में पाए जाते हैं। पूरे दुनिया के आदिवासियों को एक सूत्र में बांधने के ख्याल से यह दिवस मनाया जाता है।
 इस मौके पर जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ अशोक कुमार बड़ाईक ने स्वागत गान प्रस्तुत किया तथा विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ अंजू कुमारी साहू, दिनेश कुमार दिनमणि, कर्म सिंह मुंडा आदि ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए। मंच संचालन डॉक्टर सरस्वती गगराई ने किया। इस अवसर पर मुख्य रूप से डॉक्टर हरी उरांव, डॉक्टर राकेश किरण, डॉ बीरेन्द्र कुमार महतो, डॉक्टर निरंजन कुमार, सुबास साहु, शकुंतला बेसरा, अमित आशीष तिग्गा, योगेश कुमार महतो, किशोर सुरिन, संतोष कुमार भगत, विजय कुमार साहु के अलावा बड़ी संख्या में विभाग के सहायक प्राध्यापक, शोधार्थी एवं छात्र छात्राएं मौजूद थे।

गुरुवार, 9 अगस्त 2018

विश्व आदिवासी दिवस पर विचार गोष्ठी

 रांची। झारखंड प्रदेश राजद कार्यालय में विश्व आदिवासी दिवस मनाया गया तथा इस अवसर पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया,विचार गोष्ठी का विषय विस्थापन औऱ आंदोलन था।
  कार्यक्रम की अध्यक्षता की  पार्टी के उपाध्यक्ष राजेश यादव ने किया।अध्यक्षता करते हुए राजेश यादव ने कहा कि शोषण के विरुद्ध झारखंड अलग राज्य की स्थापना हुई तथा झारखंड आंदोलन में आदिवासियों का अहम भूमिका रही औऱ झारखंड राज्य अलग हुआ इसके उपरांत यँहा के आदिवासी आर्थिक,सामाजिक,शैक्षणिक काफी पिछड़ गए कोई भी मुख्यमंत्री इनके विकास के लिये तत्परता नहीं दिखाई  सरकार इनके समुचित विकास के लिए ठोस पहल करें।
संचालन महासचिव आबिद अली ने किया।संचालन करते हुए कहा कि इनके अधिकार दिलाने औऱ उनकी समस्या के निराकरण,भाषा,संस्कृति तथा मूलभूत हक दिलाने क लिए राजद कृतसंकल्पित है।
  पार्टी के प्रवक्ता डॉ मनोज कुमार ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि आदिवासी समाज की भूमिका स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर झारखंड आंदोलन तक मे अहम भूमिका निभाया है तत्पश्चात झारखंड राज्य अलग हुआ। ।अलग होने के उपरांत आज यह समाज अपने आप को ठगा महसुश कर रही है।जितना विकाश इस समाज के लिये होना चाहिये था किसी मुख्यमंत्री ने इनके प्रति तथा इनके समाज के विकाश के प्रति संवेदशील नही रहा जिसका नतीजा है कि प्रत्येक मामले में ए पिछड़े है।इनके उत्थान के लिये राजद गंभीर है इनके अधिकार और हक के लिये लड़ाई लड़ने का काम करेगी।
   संगोष्ठी को माहसचिव मनोज कुमार पांडेय, ,मो फिरोज,प्रणय कुमार बबलू,चंद्रशेखर भगत,अर्जुन यादव,सत्यरूपा पांडेय, पिंकी यादव , पवन चंद्रवंशी,अवधेश कुमार पाल, इम्तियाज वर्षी, गफार अंसारी,कमलेश यादव,रमैया उरांव,आशा लकड़ा,गीता देवी,शून्यता चौधरी,म्हणचंद्र चौधरी, धर्मेन्द्र कुमार सिंह ,आसुतोष यादव,संजय कुमार मो अकबर,मिनहाज अंसारी
सहित सैकड़ों नेता कार्यकर्ता उपस्थित थे।

स्वर्ण जयंती वर्ष का झारखंड : समृद्ध धरती, बदहाल झारखंडी

  झारखंड स्थापना दिवस पर विशेष स्वप्न और सच्चाई के बीच विस्थापन, पलायन, लूट और भ्रष्टाचार की लाइलाज बीमारी  काशीनाथ केवट  15 नवम्बर 2000 -वी...