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शुक्रवार, 30 नवंबर 2018

समिट के अनुभव का लाभ उठाएं किसानः द्रौपदी मुर्मू


फूड प्रोसेसिंग सेक्टर एक उभरता हुआ क्षेत्र, इससे राज्य की अर्थव्यवस्था को मिलेगा महत्वपूर्ण योगदान
झारखण्ड भारत का पहला राज्य जहां किसानों के लिए सिंगल विंडो सिस्टम की हुई है शुरुआत


रांची। माननीया राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि हमारा झारखंड राज्य एक कृषि प्रधान राज्य है। यहाँ की 70 प्रतिशत से अधिक आबादी गाँवों में निवास करती है एवं कृषि ही उनके आजीविका का मुख्य साधन है। यहाँ कई प्रकार के अनाज, सब्जियों एवं फलों जैसे चावल, दलहन, टमाटर, गोभी, मटर, इमली, शरीफा, काजू, कटहल आदि के प्रमुख उत्पादों में से एक है। कृषि क्षेत्र का झारखण्ड के अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी है। उक्त बातें माननीया राज्यपाल श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने खेलगांव, रांची में आयोजित  दो दिवसीय ग्लोबल एग्रीकल्चर एंड फूड सम्मिट 2018 के समापन अवसर पर अपने संबोधन में कहीं. उन्होंने कहा कि समारोह में सम्मिलित होकर मुझे अपार प्रसन्नता हो रही है। इस अवसर पर मैं आप सभी आगन्तुकों का हार्दिक स्वागत करती हूँ।

राज्यपाल श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि हमारी कृषि वर्षा आधारित है, लेकिन देखा गया है कि कई बार अच्छी बारिश होने के बावजूद हम सिंचाई कार्य में वर्षा जल का बेहतर उपयोग नहीं कर पाते हैं। पठारी इलाके होने के कारण पानी का तेजी से बहाव हो जाता है। सिंचाई की कमी रहने के कारण अधिकांश कृषि भूमि में वर्षा आधारित धान की एक-फसली खेती की जाती है। हमें एक-फसल तक सीमित न रहकर बहुफसली खेती की ओर ध्यान देना होगा।

राज्यपाल श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि किसानों को जल संचयन पर अधिक जोर लगाना होगा. जल संचयन के प्रति जागरुक होकर इसे अपनाना होगा क्योंकि इससे सबसे अधिक फायदा किसानों को ही होगा। हमारा मकसद एवं सोच है कि हमारे किसान आत्मनिर्भर बने। इस मकसद को पाने के लिए हमारे  कृषि वैज्ञानिकों तथा इस विधा से जुड़े लोगों को पूरी निष्ठा एवं लगन से काम करना होगा। उन्हें किसानों के बीच खेतों में जाना होगा तथा कौन-सा भू-भाग किस प्रकार की खेती एवं फसल के लिए बेहतर होगा, इसकी जानकारी किसानों को सुलभ करानी होगी, तभी Lab to Land का Concept पूरी तरह से सफल होगा। विदित हो कि जब तक हमारे गाँवों का पूरी तरह से विकास नहीं होगा, तब तक हमारा देश खुशहाल नहीं हो पायेगा।

उन्होंने कहा कि झारखंड राज्य की भूमि सब्जी पैदावार, वानिकी एवं फूल पैदावार की नज़रिये से भी अच्छी है। यहाँ के किसान इन सबकी खेती करें तो उन्हें अच्छी आमदनी हो सकती है। प्रसन्नता की बात है कि दलहन की अच्छी पैदावार के लिए राज्य को कई बार कृषि कर्मण पुरस्कार भी प्राप्त हो चुका है। झारखण्ड में जैविक खेती के लिए भी अत्यन्त संभावनायें है। सब्जियाँ, फलों और मसालों को भी जैविक तरीके से तैयार किया जाता है और काजू प्रसंस्करण, औषधीय पौधों की प्रसंस्करण, शहद उत्पादन और मांस, अण्डा, दुग्ध उत्पादों के लिए बहुत अधिक संभावनायें है। मछली उत्पादन के क्षेत्र में झारखण्ड ने प्रगति की है।हमारे राज्य में मुर्गीपालन, बकरीपालन आदि के क्षेत्र में भी असीम संभावनायें हैं। जरूरत है कि लोगों को इसके प्रति भी जागरूक किया जाय.

राज्यपाल श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि वर्तमान में फूड प्रोसेसिंग सेक्टर एक उभरता हुआ क्षेत्र है और इससे राज्य की अर्थव्यवस्था में योगदान की संभावना को देखते हुए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में देखा जाता है। कच्ची सामग्रियों की उपलब्धता, टमाटर, आलू, मक्का, काजू, मटर, तेलहन, दलहन इत्यादि, जीवनशैली में बदलाव और सरकार की एग्रीकल्चर एवं फूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र में प्रोत्साहन नीतियाँ झारखण्ड में इस उद्योग के विकास और संवर्धन में व्यापक भूमिका निभा रही है।

उन्होंने कहा कि झारखण्ड के किसान मेहनती एवं प्रगतिशील है, राज्य में विविध जलवायु परिस्थितियाँ है, जोे फसलों के विस्तृत श्रृखंला के कृषि के लिए उपयुक्त है। राज्य को उपजाऊ मिट्टी, प्रचुर मात्रा में पानी, अनुकूल जलवायु और कम लागत वाले श्रम, राज्य में खाद्य  प्रसंस्करण उद्योग स्थापित करने के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ प्रदान करता है। पूर्वी भारत में  कृषि के क्षेत्र में आदर्श राज्य के रूप में झारखण्ड का नाम स्थापित हो, साथ ही देश के एक बड़ी आबादी के लिए खाद्य उत्पादों की मांग को पूरा करे, ऐसा प्रयास करना है। प्रसन्नता का विषय है कि झारखण्ड सरकार 2022 तक किसानों की आय को दोगुनी करने के लिए माननीय प्रधानमंत्री के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में प्रयासरत है और सरकार द्वारा इसे हासिल करने के लिए पहल की जा रही है।

राज्यपाल श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि झारखण्ड भारत का पहला राज्य है, जो किसानों के लिए सिंगल विंडो सिस्टम शुरू किया है, जो विभिन्न सरकारी योजनाओं, मौसम, कृषि उत्पादों के लिए मूल्य निर्धारण, मिट्टी के  हेल्थ कार्ड, बीज उर्वरक, फसल बीमा और ऋण के बारे में जानकारी प्रदान करना है। 

उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि यह कार्यक्रम ग्लोबल एग्रीकल्चर एंड फूड प्रोसेसिंग सम्मिट उद्योग, खाद्य सुरक्षा और कृषि प्रौद्योगिकी, कृषि विपणन और बुनियादी ढांचे पर अपना ध्यान केन्द्रित करने के साथ आपकेे लिए व्यवहारिक और ज्ञानवर्द्धक रहा होगा।

राज्यपाल श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि झारखण्ड की अनुकूल परिस्थितियाँ आपको प्रेरित करेगी और हमारे राज्य के लिए एग्रीकल्चर एंड फूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र में सतत् विकास को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करेगी। हमें उम्मीद है आपके सहयोग एवं समर्थन से हम इसे प्राप्त करने में सक्षम होंगे। मैं इस अवसर पर आप सभी को झारखण्ड में निवेश करने के लिए आमंत्रित करती हूँ।

भारत का आर्गेनिक हब बनेगा झारखंडः रघुवर दास


पतंजलि खरीदेगी मधु और ऑर्गेनिक उत्पाद
 2022 तक राज्य के किसानों की आय चार गुनी करने का आह्वान
राज्य के किसानों को हर तरह की सुविधा मुहैया कराने का वादा


रांची। मुख्यमंत्री ने ऐलान किया कि राज्य में ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए झारखण्ड सरकार सभी 24 जिलों में जैविक उत्पाद कलस्टर सेंटर का निर्माण कराएगी और उसकी ब्रैंडिंग झारखण्ड जैविक (JJ) के तहत की जाएगी। पतंजलि के साथ करार कर सरकार सभी जैविक उत्पादों के लिए बाजार भी मुहैया कराएगी। किसानों को नई और आधुनिक उपकरण सस्ती दरों पर मिले इसलिए मुख्यमंत्री ने राज्य के गरीब और आदिवासी किसानों के लिए रियायत पर कृषि उपकरण उपलब्ध कराने की योजना का भी ऐलान किया।

मुख्यमंत्री ने बाबा रामदेव को धन्यवाद देते हुए कहा कि झारखण्ड के मधु को पतंजलि खरीदेगी और झारखण्ड सरकार इसके लिए पतंजलि की मदद से राज्य में ही मधु प्रोसेसिंग प्लांट लगाने जा रही है। साथ ही मुख्यमंत्री ने आह्वान किया कि सभी किसान आज प्रति बूंद, ज्यादा फसल के नारे को अपने जीवन में आत्मसात करें। जल संचय और सूक्ष्म सिंचाई से हम राज्य में कृषि क्रांति ला सकते हैं। ग्रामीण अर्थव्यवस्था सुदृढ़ करने के लिए ही झारखण्ड सरकार ने ग्लोबल एग्रीकल्चर एंड फूड समिट का आयोजन किया है।

समापन समारोह में झारखण्ड सरकार के प्रयासों को सराहते हुए बाबा रामदेव ने कहा कि झारखण्ड में देश के अग्रणी कृषि राज्य बनने की क्षमता है और मुख्यमंत्री रघुवर दास के नेतृत्व में यहां के मेहनतकश किसान कृषि के हर क्षेत्र में नए रिकॉर्ड बना रहे हैं। बाबा रामदेव ने मंच से वादा किया कि ऑर्गेनिक तरीके से उपजाए गेंहूं, चावल, तिल, दलहन, साग, सब्जियां और जड़ूी बुटियां, को पतंजलि श्रेष्ठ उत्पादन मूल्य के साथ बाय बैक कर लेगा।

 बाबा रामदेव के कहा कि वो झारखण्ड सरकार के साथ मिलकर यहां के किसानों की समृद्धि के लिए काम करेंगे। डेयरी के क्षेत्र में भी बाबा रामदेव ने झारखण्ड के किसानों को नई तकनीक सिखाने का भरोसा दिया।

मुख्यमंत्री रघुवर दास ने झारखण्ड के अन्नदाता किसानों का धन्यवाद करते हुए कहा कि झारखण्ड के किसान भाइयों की मेहनत से 3 साल में कृषि फसल विकास दर में 19%  बढ़ोतरी हुई है। इकोनॉमिक सर्वे के मुताबिक 2013-14 में कृषि फसल विकास दर -4.5% थी जो 2016-17 में बढ़कर +14.2% हो गई है। ग्लोबल सम्मिट में राज्य के 20,000 से अधिक किसानों ने भाग लिया।

ग्लोबल एग्रीकल्चर एंड फूड समिट 2018 की उपलब्धियां


जागरूकता बढ़ी

फ़ख्र है कि मैं तो झारखण्ड का किसान हूँ……हमसब तबियत से किसान हैं…आज खुश होकर और आत्म विश्वास से लबरेज होकर लौट रही हूं… हम उन पुरखों को उनका कल लौटाएंगे… उन्होंने हमें खेत दिए लेकिन आधुनिकता की इस दौड़ में उन पुरखों का सपना कहीं पीछे छूट गया था…लेकिन अब नहीं…धन्यवाद मुख्यमंत्री जी आपने हमारी सोई हुई आत्मा को जगा दिया अब हम गांव की आत्मा यानी कृषि को पुनर्जीवित करेंगे…. बोकारो से आई इस महिला कृषक के इस उद्गार ने मानो ग्लोबल एग्रीकल्चर और फ़ूड समिट 2018 के आयोजन को सफल बना दिया….मौका था ग्लोबल एग्रीकल्चर और फूड समिट के समापन समारोह का।

समिट में करीब 20 हजार किसानों ने लिया भाग

6000 लोगों को मिलेगा प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगार

6 सेक्टर में हुए सेमिनार से लाभान्वित हुए देश के किसान

दो दिवसीय ग्लोबल एग्रीकल्चर और फूड समिट 2018 के दौरान झारखण्ड समेत देश के 16 राज्य के करीब 20 हजार किसानों ने भाग लिया। कार्यक्रम के उद्घटान समरोह में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने भाग लिया जबकि समापन समारोह में योगगुरु बाबा रामदेव का आगमन हुआ।

273 करोड़ का निवेश से खुशहाल बनेंगे झारखंड के किसान

इस समिट के माध्यम से फूड प्रोसेसिंग के 50 यूनिट की आधारशिला रखी गई। करीब 1500 प्रत्यक्ष और 4500 से ज्यादा अप्रत्यक्ष रोजगार का सृजन हुआ। किसानों को नई तकनीक स्व अवगत कराने के उद्देश्य से 6 सेक्टर यथा मत्स्य, बागवानी, फूड प्रोसेसिंग,  एग्रीकल्चर इको सिस्टम, वर्ल्ड बैंक सेशन समेत अन्य विषयों पर मंगोलिया, फिलीपींस, इजराइल, चीन, ट्यूनीशिया से आये विशेषज्ञ से अपनी बात राज्य के किसानों से साझा किया। उनके प्रश्नों के माकूल जवाब उन्हें प्राप्त हुए। किसानों को कृषि कार्य में उपयोग होने वाले यंत्रों की जानकारी दी गई ताकि आधुनिक प्रणाली अपना कर किसान ज्याद पैदावार सुनिश्चित कर सकें।

160 स्टाल में मिली महत्वपूर्ण जानकारी

ग्लोबल एग्रीकल्चर और फूड समिट 2018 में 160 स्टॉल लगाए गए। इनमें 70 स्टाल झारखण्ड के किसानों के थे। जहां किसानों ने अपने उत्पाद का प्रदर्शन किया। चीन, मंगोलिया, फिलिपींस, ट्यूनीशिया के भी स्टॉल लगाए गए, जहां किसानों को विदेश में उत्पादित हो रहे फसलों की जानकारी मिली।

मुख्यमंत्री के उद्गार के मुख्य बिंदु



मुख्यमंत्री ने सफल आयोजन के लिए पूरी टीम को बधाई दी।

राज्य के किसान को भी बहुत-बहुत बधाई दी जिन की सहभागिता से एग्रीकल्चर ग्लोबल समिट सफलतापूर्वक संपन्न हुई।

मुख्यमंत्री ने मीडिया की सभी प्रतिनिधियों को भी बधाई दी जो कि कार्यक्रम के कवरेज में निरंतर संलग्न हैं।

प्रधानमंत्री का 2022 में किसानों की आय को दोगुना करने का उद्देश्य है।उसको ध्यान में रखते हुए झारखंड के मेहनतकश किसान और सरकार मिलकर काम कर रहे हैं।

2013-14 में जहां कृषि विकास दर -4.5 थी वहीं 4 वर्ष में 14.29% हो गई है।

झारखंड के मेहनतकश किसानों की बदौलत यह विकास दर हम हासिल कर पाएं हैं। और दुनिया को यह बताने का काम किया है कि झारखंड के किसानों में इतनी क्षमता है कि वह इस लक्ष्य को प्राप्त कर पाए हैं। इस क्षमता को हमारी सरकार की नीतियों, शासन के सहयोग से संबल मिला है। इसके लिए कृषि विभाग को बहुत-बहुत धन्यवाद।

यह क्षमता जो हमारे राज्य के किसानों के पास है इस क्षमता का उपयोग हम 2022 में किसानों की आय को दोगुना करने के प्रधानमंत्री के संकल्प को पूर्ण करने के लिए करेंगे।

किसानों के उत्साह से सरकार भी उत्साहित है। उसके लिए हमने तय किया है कि 2022 तक दोगुना नहीं बल्कि चौगुना करने वाला देश का पहला राज्य झारखंड बनेगा।

इस को ध्यान में रखकर ही ग्लोबल एग्रीकल्चर समिट का आयोजन किया गया ह। जहां देश दुनिया में क्या नवीनतम तकनीक अपनाई जा रही हैं, झारखंड के एग्रीकल्चर एवं फूड सेक्टर में उन्हें अंगीकृत किया जा सके यही इस कार्यक्रम का उद्देश्य था। यह कार्यक्रम एक जरिया था ताकि हमारे राज्य भर के किसान आ कर देखें और समझें और अनुभव प्राप्त करें। कृषि के क्षेत्र में अपने अनुभवों का उपयोग कर कम लागत में कृषि की उत्पादकता कैसे बढ़े यह ज्ञान अर्जित करें।

इस दृष्टिकोण से ग्लोबल समिट का आयोजन किया गया। इस अवसर पर किसानों की उत्पादकता को बढ़ाने, उसके बाजारीकरण की व्यवस्था, प्रसंस्करण की व्यवस्था को ध्यान में रखकर काम किया गया है।

कल 50 फूड प्रसंस्करण संयंत्रों का आॅनलाइन शिलान्यास किया गया। ऑनलाइन मार्केटिंग की व्यवस्था में विभिन्न देशों के लोगों के साथ भी हमारी बातचीत हुई है।

चीन के कृषि मंत्रालय से बात हुई और बहुत जल्द झारखंड सरकार और चीन में एमओयू होने जा रहा है। हमारे यहां भिंडी उत्पादन होता है, झारखंड की भिंडी चीन में जाएगी और एमओयू करने के बाद इस दिशा में हम लोग आगे बढ़ेंगे।

मोरक्को के राजदूत द्वारा यह बताया गया कि उनके देश की आबादी और झारखंड की आबादी बराबर है। दोनों जगह कृषि में कई सफल प्रयोग हैं। और आपसी सहमति बनाकर के एक दूसरे से अच्छे कृषि कार्यों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। यह तकनीक का आदान-प्रदान और देशों के साथ भी करेंगे और मोरक्को का ग्रीन प्लान जो कि बहुत सफल है उसका लाभ झारखंड के किसान ले सकते हैं।

कम पानी में कैसे बेहतर तकनीक का उपयोग हम कर सकते हैं यह मोरक्को के साथ टाईअप करेंगे

इसराइल के साथ सेंटर फॉर एक्सीलेंस को भी हम लोग एमओयू करके भारत सरकार को दो-तीन दिन के अंदर फाइनल करेंगे ताकि प्रशिक्षण यहीं पर हमारे झारखंड के किसानों को मिले यह इजरायल सरकार के प्रतिनिधि से बात हुई है।

पतंजलि के बाबा रामदेव ने भी झारखंड के प्रति प्रेम को प्रदर्शित किया है और उन्होंने आज सभी के समक्ष यह घोषणा की है कि जो भी ऑर्गेनिक उत्पादन होगा- धान, चावल आटा, सब्जी को पतंजलि द्वारा तय किया जाएगा।

सबसे बड़ी बात जो कि प्रधानमंत्री ने मीठी क्रांति का जो आह्वान किया है उसको झारखंड जैसे प्रदेश में भली भांति लागू किया जा सकता है। इस दिशा में भी बाबा रामदेव ने घोषणा की है।

राज्य के जितने किसान मधु उत्पादन में संलग्न है, उसके लिए प्रसंस्करण संयंत्र की स्थापना यहां पर की जाएगी। सारी मधु का क्रय पतंजलि द्वारा किया जाएगा।

स्वाबलंबी तभी बनेगी बनेंगे जब हम अपने देश में उत्पादन को बढ़ावा देंगे।

देश में जो क्षमता है उस क्षमता को विकसित करने का काम कर रहे हैं।

बढ़ती जनसंख्या के लिए अतिरिक्त खाद्यान्न की जरूरतः डा. चाकिब जिनेन

रांची। वर्ल्ड बैंक सेशन में डाॅ॰ चाकिब जिनेन, लीड एग्रीकल्चर इकोनॉमिक्स वर्ल्ड बैंक ने कहा कि किसानों के द्वारा ही खाद्य आपूर्ति सुनिश्चित होती है। किसानों के बिना भोजन की कल्पना नहीं की जा सकती। हम सभी को कृषकों की आवश्यकता है और हम सभी आपके सहयोग के लिए तत्पर हैं। उन्होंने कहा कि भारत में कृषि के क्षेत्र में कई गंभीर मुद्दे हैं जैसे डेमोग्राफी, जलवायु परिवर्तन, कांपलेक्स मूल्यवर्धन श्रंखला, खाद्य सुरक्षा मानक इत्यादि।

डाॅ॰ चाकिब जिनेन ने कहा कि 2030 तक खाद्यान्नों की मांग में 20% बढ़ोत्तरी होगी और निरंतर बढ़ती जनसंख्या के भरण पोषण के लिए अतिरिक्त खाद्यान्न की आवश्यकता होगी। खाद्य सुरक्षा इंडेक्स कई संघटकों से मिलकर बना है, जैसे कि भोजन की उपलब्धता, भोजन तक पहुंच। भारत हाई रिस्क फैक्टर है हमें अधिक खाद्यान्न के उत्पादन की जरूरत है। जबकि निरंतर बढ़ती जनसंख्या के कारण कृषि योग्य भूमि में कमी दर्ज की जा रही है। 70 के दशक के मुकाबले अभी प्रति व्यक्ति भूमि की उपलब्धता 0.25 हेक्टेयर है।

डाॅ॰ चाकिब जिनेन कहा कि जनसंख्या के बढ़ने के कारण प्रति व्यक्ति बोए गए क्षेत्र में भी कमी आई है। भूमि उपलब्धता कम है और जनसंख्या अधिकाधिक बढ़ रही है।

डाॅ॰ चाकिब जिनेन ने कहा कि जल की सीमित उपलब्धता, जलवायवीय उतार-चढ़ाव के कारण जब तक नई तकनीकों और नए उपागमों का समावेशन नहीं होता तब तक कृषि के क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन की अपेक्षा नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि कृषि के साथ गरीबी, स्वास्थ्य पोषण जैसी चीजें भी जुड़ी हुई हैं।

डाॅ॰ चाकिब जिनेन ने कहा कि कृषि क्षेत्र में अतिरिक्त निवेश की आवश्यकता है और सरकारी क्षेत्र से मिलने वाली सहायता इसके लिए पर्याप्त नहीं हैं। कृषि क्षेत्र में निजी क्षेत्र को आकर्षित करने की जरूरत है। पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के द्वारा इस गैप को भरा जा सकता है।

डाॅ॰ चाकिब जिनेन ने कहा कि प्राइवेट सेक्टर को कृषि के क्षेत्र में आकर्षित करने की जरूरत है। भारत फल एवं सब्जी के उत्पादन में विश्व में प्रथम, धान, मत्स्य और गेहूं के उत्पादन में पांचवा और अंडा उत्पादन में तीसरा स्थान है। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र भूमि और जल के उपयोग का एक बड़ा क्षेत्र है। यदि कृषि से उत्पादकता अधिक नहीं होती है तो जल और भूमि का क्षरण इससे होता है। द्वितीय हरित क्रांति समय की मांग है। उन्होंने कहा कि मूल्य संवर्धन और प्रसंस्करण के क्षेत्र में भी भारत में और झारखंड में बहुत कुछ किए जाने की संभावना है। मूल्य संवर्धन जहां मोरक्को में 35%, चीन में 30% और संयुक्त राज्य अमेरिका में 60% है, वहीं भारत में मात्र 10% मूल्य संवर्धन किया जाता है।

डाॅ॰ चाकिब जिनेन ने कहा कि  इसका मूल कारण बैकवर्ड और फॉरवर्ड लिंकेज में कमी है। उन्होंने कहा कि झारखंड में कृषि के क्षेत्र में अत्यधिक संभाव्यता है। इस क्षेत्र में बहुत कुछ किया जाना है। कृषि के क्षेत्र में विकास के लिए विभिन्न विभागों के समन्वय से वांछित परिणाम दिखाई देंगे। उन्होंने कहा कि प्रत्येक विभाग को एक साथ आगे बढ़कर इस दिशा में काम करने की जरूरत है। सटीक नीति निर्णय, बाजार की उपलब्धता, कम लागत जैसे उपायों से कृषि के क्षेत्र में सुधार किया जा सकता है। घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार के अवसर तलाशना, उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ावा देना मूल घटक साबित हो सकते हैं।

महाराष्ट्र के श्री योगेश थोराट, एमडी, एम ए एच ए,- एफ पी सी, महाराष्ट्र ने अपने संबोधन में कहा कि किसानों की इच्छा शक्ति एवं जमीनी स्तर पर पदाधिकारियों की इच्छा शक्ति से कृषि के क्षेत्र में अभूतपूर्व उपलब्धियां हासिल की जा सकती हैं। कॉरपोरेट सेक्टर से भी सहयोग एवं संपर्क की जरूरत है, जिससे कि ऐसे प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित किए जा सकें जो कि किसानों के उत्पादन का खेत एवं खलिहान से ही प्रोक्योरमेंट कर ले। प्रोक्योरमेंट पार्टनर के साथ जुड़ने से बहुआयामी बदलाव दिखाई देंगे।

उन्होंने बताया कि लागत को कम करने के लिए कृषि के क्षेत्र में आरएंडी की जरूरत है। उन्होंने एक कृषक के रूप में अपने अनुभवों को साझा किया और बताया कि किस तरह से गांव में जाकर जमीनी स्थल पर मिट्टी के परीक्षण के द्वारा यह पता लगाया कि किस फसल के लिए यह मिट्टी उपयोगी है और इसके प्रसंस्करण के द्वारा किस तरह के प्रसंस्करण से क्या परिणाम प्राप्त होंगे और फसल का भविष्य में क्या अनुप्रयोग संभव है। उन्होंने बताया कि गांव-गांव में हमें मूल्यवर्धन की सुविधा के उपाय करने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि किसानों को एक होकर फार्मर एफपीओ बनाना होगा। कंपनी एक्ट के तहत यदि इस प्रकार का एफपीओ का मूल कंपनी एक्ट के तहत बने तो बेहतर होगा, जिससे कि दिन प्रतिदिन के व्यापार में सरकारी हस्तक्षेप कम से कम हो। इसके लिए वर्ल्ड बैंक ने भी काफी फंडिंग उपलब्ध कराई है। किसानों को आगे आकर सहकारिता और कंपनी बनाकर कृषि के क्षेत्र में विकास करने की जरूरत है। कमोडिटी स्पेसिफिक बीएम बनाएं। जमीनी स्तर पर काम करने वाले लोगों को इसके लिए मॉडल बनना होगा और इससे सहकारिता बनानी होगी और कमोडिटी स्पेसिफिक होकर स्थल को चिन्हित करना होगा। इसके लिए झारखंड में सरकार से आवश्यक सहयोग प्राप्त हो रहा है। किसानों को गांव लेवल पर मूलभूत सुविधाओं को उपलब्ध कराने के लिए आधारिक संरचना सरकार बना सकती है। गांव स्तर पर छोटे छोटे बाजारों को विकसित करके ई मार्केट पर लाएं तो अधिक मुनाफा होगा। फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी को सरकार द्वारा  प्रोक्योरमेंट करके सहायता प्रदान की जा सकती है। उन्होंने कहा कि मोरक्को, इजरायल और ट्यूनीशिया जैसे देशों ने कृषि के क्षेत्र से शुरुआत कर के देश में विकास को गति दी है। प्राथमिक क्षेत्र के विकास से द्वितीय और तृतीयक क्षेत्र के विकास को प्राप्त किया है।

श्री मोहम्मद मलिकी, एंबेस्डर, एंबेसी ऑफ मोरक्को ने ग्रीन मोरक्को प्लान के विषय में संक्षेप में जानकारी दी। ग्रीन मोरक्को प्लान वर्ष 2010 से 2020 तक के लिए मोरक्को में कृषि क्षेत्र में लागू किया गया। मोरक्को और झारखंड की जलवायवीय दशायें और जनसंख्या अनुपात समकक्ष होने के कारण इस प्लान को यहां पर प्रक्षेपित किए जाने की बात उन्होंने कही।

 जैमल बुजदारिया, डिप्टी चीफ ऑफ मिशन एंबेसी ऑफ ट्यूनीशिया ने बताया कि भूमध्यसागरीय जलवायु में अवस्थित ट्यूनीशिया अफ्रीकी महाद्वीप का भाग है और इसके चारों तरफ वृहद यूरोपीय बाजार उपलब्ध है, जिस वजह से ट्यूनीशिया की कृषि उत्पादों का आसानी से निर्यात हो जाता है। उन्होंने बताया कि विश्व बैंक के सहयोग की विषय वस्तु के बारे में बताया और विभिन्न क्षेत्रों में विश्व बैंक के सहयोग से चलाए जा रहे प्रोजेक्ट और फंडिंग के विषय में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि झारखंड में कृषि के क्षेत्र में अनेक चुनौतियां एवं संभावनाएं विद्यमान हैं। तकनीक के समावेशन से कृषि के क्षेत्र में विकास हो सकता है और विश्व बैंक के अनेक प्रोजेक्ट हैं जो कि किसानों के लिए फायदेमंद साबित होंगे इसके लिए सबसे पहले सोच को बढ़ाएं।

दूध और मछली उत्पादन में झारखंड अग्रणीः रणधीर सिंह




रांची।  ग्लोबल एग्रीकल्चर एंड फूड सम्मिट 2018 के आज फीड एंड फूडर सेशन में कृषि मंत्री रणधीर सिंह ने कहा कि सरकार राज्य में डेयरी के क्षेत्र में लगातार तेजी से काम कर रही है झारखंड के किसान पशुपालक के रूप में जुड़े हुए हैं उन कि सानों को निश्चित रूप दूध उत्पादन के क्षेत्र में राष्ट्रीय मानक में लाने के लिए तेजी से काम शुरू किया गया है ।उन्होंने कहा कि किसानों के द्वारा उत्पादित दुग्ध को मार्केट के लिए मिल्क फेडरेशन का गठन किया है।सरकार ने पिछले 2 साल में 32000 बीपीएल महिलाओं को दो दो गाय देने का काम किया है उनके द्वारा  दूध को प्लांट तक पहुंचाया जा रहा है।दुग्ध उत्पादक कृषकों को एक नया बाजार मिल रहा है। उन्होंने कहा कि गांवों में बल्क मिल्क कूलर लगाया जा रहा है ।
श्री सिंह ने कहा कि देसी नस्ल की गाय में सुधार करते हुए दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा दिया जाएगा। सरकार की प्राथमिकता है झारखंड में ज्यादा से ज्यादा दूध का उत्पादन देसी नस्ल की गाये से हो । उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य है कि किसान स्वयं मछली पालन कर इसके मालिक बने। सरकार झारखंड के किसानों को अपने पैरों पर खड़ा करना चाहती है
कांके विधायक डॉ जीतू चरण राम ने कहा कि संतुलित आहार मनुष्य के साथ साथ पशुओं की भी लिए भी काफी जरूरी है आज स्थिति यह है कि ना हम खुद संतुलित आहार खाते हैं और ना ही जानवर को खिलाते हैं अच्छे संतुलित आहार से ही अच्छे दुग्ध उत्पादन की उम्मीद की जा सकती है उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार मछली पालन के क्षेत्र में भी काम कर रही है उन्होंने कहा कि   कृषि उद्योग के रूप में लें और इसे विकसित करें
कार्यक्रम में पषु आहार के द्वोत्र में जानेमाने विषेषज्ञ एके वर्मा ने बताया की झारखंड में 56 प्रतिषत पशु आहार की समस्या है उन्होंने पशु आहार के बारे में विस्तार से चर्चा की उन्होंने कहा कि झारखंड में प्रति पशु चारा उत्पादन कम है
आईसीएआर के डॉक्टर गिरिधर ने पशु आहार के बारे में विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि पशुओं के आहार को और अधिक पौष्टिक कैसे बनाया जाए इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने पशु के लिए उन्नत किस्म के चारा के बारे में जानकारी दी। उन्होंने हरा चारा को पशु के लिए बेहतर बताया
आईसीएआर के फॉर्मर डायरेक्टर डॉ पीके घोष ने चारा के महत्व के बारे में प्रकाश डाला उन्होंने कहा कि पशु के द्वारा कम दूध का उत्पादन में 50 प्रतिषत चारा का दोष्ष है अगर हम अच्छा चारा नहीं खिलाएंगे तो हम ज्यादा दूध की भी उम्मीद नहीं कर सकते। हमारे देश में चारा की कमी है।  उन्होंने चारा उगाने की तकनीकों के बारे में जानकारी दी।
 डॉ पवन कुमार कंसलटेंट एनिमल फीड प्रोग्राम यू एसएस ईसी ने पषु से दूध निकालने की विधि के बारे में बताया।
 झारखंड के पाकुड़ जिले से आए अभिनव किशोर ने बताया कि मैं पेशे से इंजीनियर हूं लेकिन घर से दूर रहने के कारण मैंने डेयरी उद्योग को चुना। 2009 में मैंने इंजीनियरिंग छोड़ने के बाद दो गायों से इसकी शुरुआत की आज मेरे पास 50 गायें हैं, जिससे प्रतिदिन 450 लीटर दूध का उत्पादन होता है। उन्होंने पशुओं के चारे के महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि पशु का शारीरिक विकास एवं उत्पादन क्षमता संतुलित आहार पर ही निर्भर करता है।  मक्के का उत्पादन झारखंड में अधिक होता है साल में हम तीन फसल तैयार कर अधिक से अधिक मात्रा में हरा चारा एकत्रित कर सकते हैं जो पशुओं के लिए काफी लाभकारी है उन्होंने बताया कि किसान अगर मिल जुल कर काम करें जो अपनी आय को दुगना कर सकते हैं
एसके महनता ने दूध उत्पादन के बारे में जानकारी दी उन्होंने बताया कि झारखंड का पूरे देश में मात्र 1.3 प्रतिशत दुग्ध उत्पादन का हिस्सा है । उन्होंने कहा कि झारखंड में देसी गाय के दूध के उत्पादन को बढ़ावा देना होगा जब तक गायों के रिसोर्स पर खर्च नहीं करेंगे तब तक हम अच्छे आउटपुट की उम्मीद नहीं कर सकते हैं । उन्होंने कहा कि सभी बात चारा पर निर्भर करती है जानवर को स्वस्थ रखना है तो उसे हरा चारा देना ही होगा
डेयरी, मुर्गी पालन एवं मछली पालन (पोषण के विरूद्ध संघर्ष) सेषन में डॉ एके श्री वास्तव ने कहा की झारखंड में पोषण की कमी को पूरा कर सकता तो वह डेयरी है। झारखंड में किसानों की उन्नति हो आय दुगनी हो तो डयेरी को महत्व देना होगा। डेयरी सेक्टर की इस राज्य में जरूरत ह।ै उन्होंने कहा कि झारखंड में पूरे देश का 3.4 प्रतिषत कैटल और बफेलो है हम देश में दुग्ध उत्पादन में 17 वे नंबर पर हैं। उन्होंने झारखंड में मुर्रा जैसे भैंसे आदि नस्ल की आवश्यकता जताई । उन्होंने पषुओं में होने वाले थनैला बीमारी एवं इसके उपचार के बारे में भी जानकारी दी । उन्होंने बताया कि ए2 मिल्क जितना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है उतना ही ए1 मिल्क भी लाभदायक है।  उन्होंने झारखंड में किसानों को डेयरी के क्षेत्र में प्रशिक्षित करने की आवश्यकता पर बल दिया
मुंबई आईसीएआर के प्रधान वैज्ञानिक डाॅ एल मूर्ति ने मछली पालन के क्षेत्र के बारे में जानकारी दी उन्होंने कहा कि झारखंड में मछली पालन की काफी संभावनाएं हैं और झारखंड के किसान क्षेत्र में काफी अच्छा कर रहे हैं और सरकार का लगातार इस क्षेत्र में किया जाने वाला प्रयास सराहनीय है उन्होंने मछली पालन और अधिक कैसे विकसित किया जाए इस बारे में विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला।

Jharkhand to be the first state where farmers income to increase four fold by 2022: Raghubar Das

Lady's finger from Jharkhand to be sold in China
MoU with Israel to set up center of Excellence in Jharkhand
Patanjali to buy all organic produce from Jharkhand

Ranchi,: Buoyed by response of the foreign delegates and the participating nations coupled with the enthusiasm shown by the more than 10,000 farmers who attended the two day Global Agriculture and Food Summit at the Khelgaon here Chief Minister Raghubar Das said that Jharkhand will be first state in the country where the income of the farmers will increase four times by the year 2022.
Addressing a press conference at the end of the two day mega event he said it was due to the hardwork of the farmers of the state due to which the agriculture growth rate which was minus 4.5 per cent in the year 2013-14 has witnessed a jump of 19 per cent and presently stood around more than 14 per cent. He said that the result was also an indication of the policies and the programmes which have been launched by the state government for the welfare of the farmers and improving their economic conditions.
He said that the Global Agriculture Summit provided the right platform where farmers came to know about the modern practices and latest technologies in the agricultural field and gained experience as to how with less investment they can further maximize their yield. He said that the farmers should only worry about increasing their farm output as the task of the marketing and processing would be taken care by the state government. Mr Das said during the two day function foundation was also laid for 50 food processing units.
Pointing the key gains for Jharkhand he said that soon an agreement would be inked between China and Jharkhand so that the Lady’s finger from the state is sold in that country as talks in this regard have been held with the agriculture officials of that nation. Moreover China would also send a team to study the possibility to set up a food processing plant in the state.
Further the government will also ink technology exchange agreement with Morocco so that the farmers of Jharkhand can gain expertise from their green Morocco plan. Apart from that a centre for excellence would be set up in collaboration with Israel for training of the farmers and in few days a letter in this regard would be written to the Central government, Mr Das said.
The Chief Minister said that Patanjali of Baba Ramdev has already assured that whatever organic products will be produced in the state including food grains, fruits and vegetables and honey would be purchased by them. He said that soon an MoU will also be inked with Patanjali so that a honey processing plant can be set up in the state.
Those who were present on the occasion also included Yog Guru Baba Ramdev, Agriculture Minister Randhir Singh, Chief Secretary Sudhir Tripathi, Principal Secretary to Chief Minister Sunil Barnwal, Agriculture Secretary Pooja Singhal and others.

स्वर्ण जयंती वर्ष का झारखंड : समृद्ध धरती, बदहाल झारखंडी

  झारखंड स्थापना दिवस पर विशेष स्वप्न और सच्चाई के बीच विस्थापन, पलायन, लूट और भ्रष्टाचार की लाइलाज बीमारी  काशीनाथ केवट  15 नवम्बर 2000 -वी...